नमस्कार दोस्तों, आपने विश्व प्रसिद्ध भोलेनाथ जी मंदिर केदारनाथ का नाम तो अवश्य ही सुना होगा और सुना भी क्यों ना हो क्योंकि वह अपने भक्तों के मंदिर एवं अपने इस भव्य बनावट के कारण पूरे विश्व में विख्यात है। इस लेख में History of Kedarnath Temple in Hindi के बारे में बताने वाले हैं।
केदारनाथ मंदिर में लगभग सभी भक्तों की जाने की इच्छा अवश्य होती है। वह अपने जीवन में ऐसी इच्छा तो अवश्य ही करते हैं कि वह काश एक बार केदारनाथ मंदिर जा पाते और महादेव के दर्शन कर पाते।
आज हम आपके सामने इसी मकसद से आए हैं ताकि आप लोगों को महादेव के प्रमुख स्थान केदारनाथ मंदिर जाने का समय एवं सफल यात्रा के साथ-साथ केदारनाथ मंदिर के इतिहास एवं कुछ तथ्यों के विषय में भी जानकारी प्राप्त हो सके।
केदारनाथ मंदिर का इतिहास (Kedarnath Temple History in Hindi)
केदारनाथ शब्द संस्कृत भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है, केदारा और नाथ। केदारा का अर्थ होता है क्षेत्र, एवं नाथ का अर्थ होता है स्वामी। अतः केदारनाथ का शाब्दिक अर्थ होता है क्षेत्र के स्वामी। देवों के देव महादेव का यह मंदिर लगभग समुद्र तल से 3580 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
महादेव का यह मंदिर हिमालय की गोंद उत्तराखंड में बसा हुआ है। यह ऋषिकेश से लगभग 220 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो गंगा की सहायक नदी मंदाकिनी के किनारे हिमालय की गोद में स्थित है।
केदारनाथ मंदिर को लेकर बहुत कथाएँ लिखी जा चुकी है। अतः ऐसे में ही पांच केदार की लोक कथा के अनुसार वर्णित किया गया है कि जब पांडा कुरुक्षेत्र में अपने कौरव भाइयों को पराजित कर युद्ध में विजय प्राप्त कर लिए थे, तब युद्ध के दौरान ही यह अपने गोत्र भाइयों और ब्रह्म हत्या के अपराध से प्रायश्चित करना चाहते थे।
इन पांच पांडवों ने अपनी ब्रह्महत्या और गोत्र भाई की हत्या के प्रायश्चित को पूरा करने के लिए अपने संपूर्ण साम्राज्य को अपने परिजनों को सौंपने के पश्चात वह पांचों भाई भगवान शिव की खोज में चले गए।
यह पांचों भाई भगवान शिव की खोज करते हुए सर्वप्रथम वाराणसी पहुंचे। परंतु महादेव इन पांचों भाइयों से बचना चाहते थे, क्योंकि भगवान शिव पांचों भाइयों के द्वारा युद्ध में की गई हत्या से काफी ज्यादा नाराज हैं। अतः पांडवों से बचने के लिए भगवान शिव ने बैल का रूप धारण कर लिया और गढ़वाल के क्षेत्रों में जाकर छुप गए। महादेव को पांचो पांडव मिलकर वाराणसी में ढूंढते रह गए, परंतु वहां पर इनकी भेंट भगवान शिव से नहीं हुई।
भगवान शिव से भेंट ना होने के बाद भी इन्होंने अपनी इस प्रबल इच्छा को नहीं त्यागा और भगवान शिव को ढूंढते हुए हिमालय के गढ़वाल की ओर बढ़ गए। भगवान शिव जिस बैल का आधार रूप धारण किए थे, उसी बैल को गुप्तकाशी में पांडवों के दूसरे भाई भीम ने नदी के किनारे चरते हुए देख लिया और भीम ने भगवान शिव के नदी में छिपे होने का एहसास भी किया।
तभी भीम के द्वारा नदी में छिपे हुए भगवान शिव को पकड़ लेते हैं और इसके बाद भगवान शिव अवतरित नदी के पृथ्वी से कहीं गायब हो जाते हैं। इसके बाद आगे चलकर पांडव के द्वारा महादेव के 5 अंगों को इन स्थल में महादेव के उपस्थिति के कारण अवतरित कर दिया गया और यहां पर इनका मंदिर बना दिया।
- केदारनाथ में कुंवर
- तुला नाथ में हाथ
- मध्यमहेश्वर महादेव में नाभि और पेट
- कल्पेश्वर महादेव में बाल
- रुद्रनाथ में चेहरा
केदारनाथ मंदिर कहां है?
केदारनाथ मंदिर चौरीबारी के कुंड से निकलने वाली मंदाकिनी नदी के पास केदारनाथ पर्वत पर 3553 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। लोगों का ऐसा मानना है कि यह विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर लगभग 1000 वर्ष पहले बना था। ऐसा माना जाता है कि मंदिर का जीर्णोद्धार आदि गुरु शंकराचार्य के द्वारा किया गया था और लोग ऐसा इसलिए मानते हैं क्योंकि मंदिर के पृष्ठ भाग में आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि बनी हुई है।
यह विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर वास्तुकला का एक बहुत ही अद्भुत नमूना है। मंदिर के गर्भगृह में उपस्थित भगवान शिव की चट्टान से बनी प्रतिमा गो सदाशिव के रूप में पूजा होती है, जो बड़ी ही श्रद्धा भाव से होती है। यह मंदिर मंदाकिनी नदी के घाट पर स्थित है। मंदिर के अंदर प्रत्येक समय अंधकार रहता है।
यदि किसी को भगवान शिव के दर्शन करने हैं तो उसे दीपक की मदद से भगवान शिव के दर्शन करने होते हैं। मंदिर में उपस्थित यह शिवलिंग स्वयंभू है, जिसके सामने की ओर श्रद्धालु भगवान को जल-पुष्प आदि चढ़ाते हैं। इसी मंदिर में दूसरी ओर भगवान को घृत चढ़ा कर बाहों को भरकर मिलते हैं। भगवान की यह प्रतिमा लगभग 4 हाथ लंबी तथा डेढ़ हाथ मोटी है।
केदारनाथ मंदिर किसने बनवाया और बनाया?
केदारनाथ मंदिर स्वयं में अपनी एक प्रतिभा रखता है, केदारनाथ मंदिर की नीव लगभग हजारों साल पहले बनाया गया था। अब तक इस बात का कोई विशेष एवं सटीक उत्तर नहीं प्राप्त हुआ है कि केदारनाथ मंदिर का स्थापना कब हुआ था और केदारनाथ मंदिर की स्थापना किसने की थी।
केदारनाथ मंदिर भारत के प्रसिद्ध महादेव के मंदिर में से एक है और यह सबसे प्रथम स्थान पर आता है। महादेव के सभी भक्तों केदारनाथ मंदिर प्रतिवर्ष अवश्य ही जाते हैं, क्योंकि इनका यह मानना है कि यहां पर महादेव से मांगी गई सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
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केदारनाथ मंदिर में दर्शन करने का समय
केदारनाथ मंदिर आम दर्शनार्थियों के लिए सुबह के 6:00 बजे खुल जाता है और इसके बाद शाम के 7:30 से 8:30 तक भगवान शिव के पांच मुख वाली प्रतिमा का विभिन्न प्रकार से सिंगार करके प्रतिदिन आरती की जाती है। मंदिर में दोपहर के 3:00 से 5:00 तक एक विशेष पूजा की जाती है और 5:00 बजे के बाद से मंदिर को बंद कर दिया जाता है।
मंदिर में होने वाली शाम की आरती केवल वहां के महा पंडितों के द्वारा ही की जाती है। सर्दियों के समय में केदारनाथ घाटी पूरी तरह से बर्फ से ढक जाती है, ऐसे समय में केदारनाथ मंदिर को खोलने एवं बंद करने के लिए कुछ विशेष मुहूर्त निकाला जाता है। परंतु 15 तारीख से पहले बंद हो जाता है और ठीक 6 महीने बाद 15 अप्रैल के बाद से शुरू कर दिया जाता है।
केदारनाथ मंदिर के विषय में रोचक तथ्य
- केदारनाथ मंदिर की स्थापना होने के बाद से हिमालय की चोटी का नाम केदारनाथ रख दिया।
- भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से सबसे ऊंचा मंदिर केदारनाथ मंदिर ही है।
- केदारनाथ मंदिर लगभग 50 फीट ऊंचा 187 फीट लंबा और 80 फीट चौड़ा है, जोकि अपने आप में एक विशेषता रखता है।
- इसे केदारनाथ मंदिर में पहले हाल में ही पांचो पांडव भाई, भगवान श्री कृष्ण, शिव, नदी एवं वीरभद्र के वाहन की प्रतिमा स्थित है।
- इतना ही नहीं मंदिर के सामने एक छोटा स्तंभ भी है, जिस पर माता पार्वती और पांचो पांडव राजकुमारों के चित्र का वर्णन किया गया है।
- यह केदारनाथ मंदिर तीन तरफ से ऊंचे-ऊंचे पर्वतों से घिरा हुआ है।
- केदारनाथ मंदिर के एक तरफ केदारनाथ पर्वत जिसकी ऊंचाई लगभग 22000 फीट है, इसके दूसरी तरफ भरतकुंड है, जिसकी ऊंचाई लगभग 22700 फीट है और इसके तीसरी तरफ खर्च कुंड पर्वत है, जिसकी ऊंचाई लगभग 21600 फीट है।
- जैसा कि हम सभी जानते हैं, वर्ष 2013 में केदारनाथ में बहुत ही भयंकर बाढ़ आई थी, जिसके कारण वहां पर गए सभी श्रद्धालुओं की मौत हो गई।
- वर्ष 2013 के इस बार के दौरान मंदिर के आसपास के अन्य सभी क्षेत्रों को काफी ज्यादा क्षति हुई। परंतु मंदिर के संरचना में किसी भी प्रकार का कोई छती देखने को नहीं मिली। अतः इस घटना के बाद मंदिर को लगभग 1 वर्ष तक के लिए बंद कर दिया गया था।
केदारनाथ कैसे पहुंचे?
जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं केदारनाथ मंदिर भारत के उत्तरी हिमालय में बैठा हुआ है। अतः वहां तक जाने के लिए हमें सबसे पहले कैंप गौरीकुंड पहुंचना होगा। इसके बाद गौरीकुंड से आपको पैदल या अन्य किसी साधन का उपयोग करके लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित केदारनाथ मंदिर जाना होगा।
आप चाहे तो गौरीकुंड से घोड़े, बग्गी इत्यादि का उपयोग कर सकते हैं। आप केदारनाथ मंदिर जाने के लिए निम्नलिखित मार्गों का भी उपयोग कर सकते हैं:
- हवाई मार्ग: केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए आप हवाई मार्ग का भी उपयोग कर सकते हैं। जिसके लिए आपको गौरीकुंड से नजदीक में ही 1 घरेलू एयरपोर्ट मिल जाएगा, जो कि देहरादून में स्थित जौली ग्रांट एयरपोर्ट है। आप यहां से हवाई जहाज का हेलीकॉप्टर लेकर केदारनाथ मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
- सड़क मार्ग: गौरीकुंड से आपको लगभग 22 किलोमीटर दूरी तक पैदल ही जाना पड़ सकता है और यदि आप सड़क मार्ग का उपयोग करते हैं तो आपको घोड़े या बग्गी मिल जाएंगे, जिस के उपयोग से आप केदारनाथ मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं। केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने का सड़क मार्ग काफी कठिन एवं उबड़ खाबड़ है, जिसके कारण यहां पर गाड़ियां नहीं जाती।
- रेल मार्ग: केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने का सबसे अच्छा साधन रेल मार्ग को ही माना जाता है। आप ऋषिकेश जंक्शन से केदारनाथ मंदिर तक रेल मार्ग से भी पहुंच सकते हैं। हालांकि आपको रेल से जाने के बाद भी लगभग 2 से 3 किलोमीटर पैदल ही तय करना होगा, जो कि ठंडी एवं बर्फ से घिरी हुई पहाड़ियों से होकर गुजरना होगा।
FAQ
केदारनाथ मंदिर चौरीबारी के कुंड से निकलने वाली मंदाकिनी नदी के पास केदारनाथ पर्वत पर 3553 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
केदारनाथ तक जाने के लिए सबसे पहले कैंप गौरीकुंड पहुंचना होगा। इसके बाद गौरीकुंड से आपको पैदल या अन्य किसी साधन का उपयोग करके लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित केदारनाथ मंदिर जाना होगा।
हरिद्वार से केदारनाथ 123 किलोमीटर है।
दिल्ली से केदारनाथ 295 किलोमीटर है।
ऋषिकेश से केदारनाथ 105 किलोमीटर है।
निष्कर्ष
हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह महत्वपूर्ण लेख केदारनाथ मंदिर का इतिहास और रोचक तथ्य (History of Kedarnath Temple in Hindi) अवश्य ही पसंद आया होगा। यदि हां तो कृपया आप हमारे द्वारा लिखे गए इस महत्वपूर्ण लेख को अवश्य शेयर करें। यदि आपके मन में इस लेख को लेकर कोई भी सवाल है, तो कमेंट बॉक्स में हमें अवश्य बताएं।
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Thank you so mush for giving information about Kedarnath temple