इस लेख में प्राचीन भारत में मौर्य वंश की स्थापना करने वाले प्रमुख राजा चंद्रगुप्त मौर्य के बारे में Chandragupta Maurya History in Hindi जानने वाले है।
चंद्रगुप्त मौर्य वही है, जिन्होंने मौर्य वंश की स्थापना की थी और मौर्य वंश का उदय हुआ। चंद्रगुप्त मौर्य प्राचीन भारत में मौर्य साम्राज्य के संस्थापक थे।
यहां पर चंद्रगुप्त मौर्य का इतिहास जानने के साथ चंद्रगुप्त मौर्य कौन था, चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म, चंद्रगुप्त मौर्य के पुत्र का नाम, चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु कौन थे आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
चंद्रगुप्त मौर्य का इतिहास (Chandragupta Maurya History in Hindi)
नाम | चंद्रगुप्त मौर्य |
जन्म | 345 ईसा पूर्व |
जन्मस्थान | पाटलिपुत्र |
पिता | सर्वार्थसिद्धि मौर्य |
माता | महारानी माधुरा उर्फ मुरा |
पत्नी | दुर्धरा (महापदमनंद की बेटी), हेलेना (सेल्यूकस निकटर की पुत्री) |
संतान | बिन्दुसार, जस्टिन |
पौत्र | सम्राट अशोक |
शासनकाल | 321 ईसा पूर्व से लेकर 297 ईसा पूर्व तक (24 वर्ष) |
उत्तराधिकारी | बिन्दुसार |
गुरु | चाणक्य |
उपलब्धियां | मौर्य वंश के संस्थापक |
जातीयता | शाक्य मौर्य |
मृत्यु | 298 ईशा पूर्व |
मृत्यु स्थान | श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) |
चंद्रगुप्त मौर्य कौन थे?
विशाल मौर्य वंश के संस्थापक और मौर्य वंश का उदय करने वाले चंद्रगुप्त मौर्य एक बहुत ही विशाल साम्राज्य के सम्राट थे।
मौर्य वंश के विकास से लेकर के इसकी उदय होने तक की संपूर्ण प्रक्रिया का श्रेय सिर्फ और सिर्फ चंद्रगुप्त मौर्य को ही जाता है।
चंद्रगुप्त मौर्य ने देश के अनेक छोटे-छोटे खंडित राज्यों को एक साथ मिलाया और इन्होंने एक बहुत ही बड़े साम्राज्य का निर्माण किया।
चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल के दौरान मौर्य साम्राज्य पूर्व बंगाल और असम से पश्चिम में अफगानिस्तान और बलूचिस्तान से लेकर उत्तर भारत के कश्मीर और नेपाल तक फैला हुआ था।
चंद्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य ना केवल इन्हीं देशों में अपितु दक्षिण भारत के पठारी इलाकों तक फैला हुआ था।
चंद्रगुप्त मौर्य अपने गुरु चाणक्य के साथ नंद साम्राज्य को समाप्त करने की घोषणा कर चुके थे। उन्होंने नंद वंश के साम्राज्य को समाप्त कर दिया और मौर्य वंश की स्थापना कर दी।
चंद्रगुप्त मौर्य अपनी कुशल रणनीति के कारण न सिर्फ भारत पर ही नहीं बल्कि आसपास के अनेक देशों पर भी राज किया था।
चंद्रगुप्त मौर्य ने लगभग 23 वर्षों के सफल शासन करने के पश्चात सभी प्रकार के सांसारिक सुख इत्यादि मोह माया को त्याग दिया और इसके पश्चात वे खुद को एक जैन साधु में बदल दिया।
ऐसा कहा जाता है कि चंद्रगुप्त मौर्य ने सल्लेखना किया था। सल्लेखना एक ऐसी तपस्या है, जिसमें व्यक्ति को एक ऐसा व्रत रखना होता है, जिसमें वह कुछ नहीं खाएगा और भूखे ही रहकर के संपूर्ण जीवन भगवान की पूजा अर्चना करेगा।
चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म कब हुआ?
भारत के महान सम्राट और मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म 345 ईसा पूर्व में पाटलिपुत्र में हुआ था।
गरीबी में रहकर इन्होंने खुद को इस कदर डाल लिया कि इन्हें किसी भी युद्ध में हार मंजूर नहीं थी। चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने पूरे शासनकाल में पूरे भारत में राज किया और अपने नाम का डंका पूरे विश्व में बजा रखा था।
चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु कौन थे?
महान सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु चाणक्य थे। चंद्रगुप्त मौर्य अपने पूरे नगर में सबसे ज्यादा सम्मान गुरु चाणक्य का करते थे।
वे चाणक्य के द्वारा कहे गए सभी वचनों का पालन करते थे, उनकी सभी बातों को गौर से सुनते से तथा उनसे बहुत अत्यधिक प्रभावित भी होते थे।
अपने गुरु के बताई हुए नीति के अनुसार ही उन्होंने अपना सभी कार्य पूर्ण किया। इतना ही नहीं बल्कि अपने गुरु के द्वारा बताई गई नीति के अनुसार उन्होंने कई युद्धों को जीता।
महान गुरु चाणक्य की नीति को आज चाणक्य नीति के नाम से भी जानते हैं, जिसकी मदद से सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने उन सभी राजाओं को पराजित किया, जिन्होंने उनको राज्य को हानि पहुंचाने की कोशिश की या उनके राज्य को हड़पने की कोशिश की।
महान सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरु चाणक्य के साथ मिलकर नंद वंश का भी अंत कर दिया था।
सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के पिता नाम क्या था?
चंद्रगुप्त मौर्य के पिता का नाम सर्वार्थसिद्धि मौर्य था। चंद्रगुप्त मौर्य के पिता भी बहुत बलवान थे। चंद्रगुप्त मौर्य के पिता ने ऐसी सभी शिक्षाएं दी थी, जिसके दम पर उन्होंने इतना बड़ा सम्राट खड़ा किया था।
चंद्रगुप्त मौर्य के पिता ने ग्रंथों के बारे में शिक्षाएं तो दी ही बल्कि साथ-साथ उनको अस्त्र शास्त्र की विद्या में निपुणता प्रदान की।
चंद्रगुप्त मौर्य के कितने पुत्र थे?
चंद्रगुप्त मौर्य की दो पत्नियां थी, जिनसे उनको दो पुत्रों की प्राप्ति हुई। दुर्धरा से उनको बिंदुसार नामक पुत्र प्राप्त हुआ था। दूसरी पत्नी हेलेना से उन्हें जस्टिन नामक पुत्र प्राप्त हुआ।
चंद्रगुप्त मौर्य का उत्तराधिकारी उनकी पत्नी दुर्धरा से प्राप्त हुए पुत्र बिंदुसार हुए।
सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु चाणक्य किस विद्या केंद्र से संबंधित थे?
सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु चाणक्य उस समय के सबसे प्रसिद्ध शिक्षा केंद्र तक्षशिला से संबंधित है। तक्षशिला का ज्ञान चाणक्य ने पूरे विश्व भर में उजागर किया और तक्षशिला को एक अथाह विद्या का नाम दिया।
चाणक्य के शिष्यों के रूप में कौशल के राजा प्रसनजीत, मगध के राजा राज वैद्य और ऐसे ही महान राजाओं ने इस शिक्षा की प्राप्ति की।
एक बार चाणक्य को एक शासक ने बहुत ही खरी-खोटी सुनाई। इसी के कारण चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को इस तरह से तैयार किया कि उन्होंने उस शासक को पूरा हिला कर रख दिया और मौर्य वंश की स्थापना की।
चंद्रगुप्त मौर्य की शिक्षा
चंद्रगुप्त मौर्य अपनी शिक्षा को प्राप्त करने योग्य नहीं थे, जिसके कारण यह अपना पूरा दिन इधर उधर केवल खेलने और अपने परिवार की देखरेख में ही बिता देते थे।
एक बार जब महा पंडित चाणक्य इस गांव के भ्रमण से निकल रहे थे। तब उन्होंने चंद्रगुप्त को देखा और यह चंद्रगुप्त को देखते ही उनकी शक्तियों को पहचान गए।
इसके बाद उन्होंने तुरंत ही इनके पिता के समक्ष इन्हें खरीदने का प्रस्ताव रखा। इनके पिता के स्थिति इतनी दयनीय थी कि इन्होंने चंद्रगुप्त को महा पंडित चाणक्य को गोद दे दिया।
इसके बाद महापंडित चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को शास्त्र और विज्ञान का ज्ञान प्राप्त करवाया। जिसके कारण चंद्रगुप्त मौर्य इस संपूर्ण देश के प्रमुख ज्ञाता बन गए और जिन्होंने संपूर्ण देश पर राज भी किया।
चंद्रगुप्त मौर्य का प्रारंभिक जीवन
यदि हम अनेकों प्रकार के शासकों इत्यादि के हादसों को देखें तो हमें यह पता चलेगा कि चाणक्य नंद वंश के विनाश के लिए बहुत ही शक्तिशाली और बुद्धिमान होने के साथ-साथ एक चालाक व्यक्ति की खोज कर रहे थे।
जिसके दौरान यह मगध राज्य का परिभ्रमण कर रहे थे तभी उन्होंने देखा कि चंद्रगुप्त मौर्य एक दोस्त के साथ खेल रहे थे। तभी वहां पर महान पंडित चाणक्य आए और उन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य को देखा।
ऐसा कहा जाता है कि पंडित चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य के खेल में उनके नेतृत्व को देखा और उसके पश्चात वे इनके नेतृत्व कौशल से इतने प्रभावित हो गए।
चाणक्य ने उन्हें प्रशिक्षित करने का विचार बना लिया। इसके पश्चात वे चंद्रगुप्त को विभिन्न स्तरों पर शिक्षा प्रदान करने से पहले चंद्रगुप्त को अपना पुत्र बनाना चाहा।
इसके लिए उन्होंने चंद्रगुप्त को उनके पिता से खरीद लिया और उसके पश्चात चाणक्य ने चंद्रगुप्त को तक्षशिला लेकर चले गए।
उन्होंने नंद राजा के साम्राज्य को समाप्त करने के लिए चंद्रगुप्त मौर्य को अपनी समस्त अपूर्व संपत्ति को एक विशाल सेना में बदलने का आदेश दिया, उसके पश्चात उन्होंने उनकी संपूर्ण संपत्ति को एक बहुत ही विशाल सेना में बदल दिया।
चंद्रगुप्त मौर्य की भूमिका रूप व्यवस्था क्या थी?
मौर्य वंश के साम्राज्य में अपने इंजीनियरिंग चमत्कारों जैसे जलाशय, सड़क, सिंचाई, मंदिर और विभिन्न प्रकार के खानों के लिए जाना जाता है।
ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि चंद्रगुप्त मौर्य जलमार्ग के बहुत बड़े पक्षधर नहीं थे, इसलिए उनका मुख्य मार्ग सड़क मार्ग ही था। उन्होंने अपनी और अपने राज्य की सुगमता के लिए अनेक प्रकार की सड़के बनवाई।
इन सड़कों का विस्तार इन्होंने इतने अच्छे तरीके से करवाया जैसे कि इन सड़कों से बड़े वाहन जैसे बैलगाड़ी इत्यादि बड़ी ही आसानी से गुजर सकते थे।
चंद्रगुप्त मौर्य ने अपनी भूमिका रूप व्यवस्था में एक राजमार्ग भी बनवाया, जो कि इस समय में पाटलिपुत्र के तक्षशिला को जोड़ता है।
चंद्रगुप्त मौर्य के द्वारा निर्मित अन्य राजमार्गों के द्वारा अनेक प्रकार की राजधानी जैसे नेपाल, देहरादून, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक इत्यादि जैसे स्थानों को जोड़ती थी।
नंद वंश का अंत कैसे हुआ था?
महा पंडित चाणक्य को नंद वंश के शासक ने बहुत ही अपमानित किया था, जिसके कारण चाणक्य नंद वंश के शासक से बहुत ही घृणा करते थे।
इसके लिए उन्होंने यह प्रण कर लिया कि वह नंद वंश का विनाश कर देंगे। अंततः चंद्रगुप्त के आ जाने के पश्चात चाणक्य को नंद वंश का विनाश करने का एक बहुत ही अच्छा अवसर प्राप्त हुआ।
जिसके बाद वास्तव में चंद्रगुप्त मौर्य के सहायता से चाणक्य ने नंद वंश को नष्ट करने का एकमात्र उद्देश्य पूरा कर दिया।
चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य की सलाह प्राप्त करने के पश्चात प्राचीन भारत के हिमालय क्षेत्र के शासक राजा पर्वत के साथ गठबंधन कर लिया।
चंद्रगुप्त मौर्य ने पर्वत का संयुक्त सेना के साथ नंद वंश साम्राज्य पर वर्ष 322 ईसा पूर्व में आक्रमण कर दिया और इन्होंने नंद वंश का अंत कर दिया।
नंद वंश के अंत के पश्चात मौर्य वंश का विस्तार
चंद्रगुप्त मौर्य ने नंद वंश के विनाश के पश्चात भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर पश्चिम मैसेडोनियन सूबेदार को हराया।
इसके बाद चंद्रगुप्त मौर्य ने सेल्यूकस के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया, जो एक यूनानी शासक था। सेल्यूकस वहीं था, जिसका नियंत्रण भारत के अधिकांश क्षेत्रों पर था।
सेल्यूकस को पहले सिकंदर ने पकड़ा था। सिकंदर से तो सभी लोग परिचित होंगे क्योंकि इस के संदर्भ में एक बहुत ही प्रसिद्ध कहावत है (यह कहावत है “जो जीता वही सिकंदर”)।
सेल्यूकस ने अपनी बेटी का चंद्रगुप्त मौर्य से शादी करने के लिए प्रस्ताव रखा था। इसके बाद गठबंधन के बाद इस राज्य में प्रवेश किया था।
सेल्यूकस की मदद से चंद्रगुप्त मौर्य ने कई क्षेत्रों को प्राप्त कर लिया और इसके बाद चंद्रगुप्त मौर्य ने दक्षिण एशिया तक अपने साम्राज्य को विस्तार कर दिया।
चंद्रगुप्त मौर्य भाग विस्तार के कारण चंद्रगुप्त मौर्य के साम्राज्य को पूरे एशिया तक में जाना जाने लगा।
मौर्य वंश का उदय कैसे हुआ?
यदि हम बात करें मौर्य वंश के उदय के बारे में तो कई तथ्य हमारे सामने निकल कर के आते हैं। मौर्य वंश के बारे में ज्यादा जानकारी ग्रीक, जैन धर्मों के साथ-साथ बौद्ध धर्म और हिंदू प्राचीन ब्राह्मणवाद के गानों में भी आपको चंद्रगुप्त मौर्य के विषय में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो जाएगी।
साथ ही आपको यह भी पता चल जाएगा कि मौर्य वंश का उदय आखिर कैसे हुआ था?
कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि चंद्रगुप्त मौर्य एक नंद राजकुमार थे और उनकी नौकरानी मुरा का एक नाजायज बच्चा था।
लोगों का मानना है कि चंद्र गुप्ता मौर्य जाति से संबंधित है, जो कि पीपलीवाला के एक प्राचीन गणराज्य के एक क्षत्रिय कबीले के थे, जो रोमिंग दे और कसया के मध्य रहा करते थे।
हमें अन्य विचारों से यह पता चलता है कि चंद्रगुप्त मौर्य या तो मुरार वंश से या फिर इंडो-एशियन वंश से संबंधित है, जो कि एक क्षत्रिय हुआ करते थे।
सभी से यह स्पष्ट हो जाता है कि चंद्रगुप्त मौर्य से पहले भी यह वंश रहा करता था। परंतु यह वंश अधिक प्रचलन में नहीं था। इसे ऊपर लाने का श्रेय सिर्फ और सिर्फ चंद्रगुप्त मौर्य को ही जाता है।
चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु
चंद्रगुप्त मौर्य ने बिंदुसार को सिंहासन पर बैठाया था। बिंदुसार की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया, जो कि अशोक के नाम से जाने जाते हैं।
अशोक भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे शक्तिशाली राजाओं में से एक था। चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा बनाया गया यह साम्राज्य संपूर्ण विश्व में सबसे बड़ा बन गया था।
यह साम्राज्य इन्होंने ऐसा बना दिया था कि इसकी तुलना करने वाला अन्य कोई भी साम्राज्य नहीं था। चंद्रगुप्त मौर्य के द्वारा बनाया गया यह साम्राज्य लगभग 130 वर्षों तक आने वाली पीढ़ियों के लिए बढ़ा हुआ था।
चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु 298 ईशा पूर्व के आसपास आध्यात्मिक संत गुरु भद्रबाहु के मार्गदर्शन में हुई थी।
FAQ
चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म 345 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र में हुआ था।
चंद्रगुप्त मौर्य के पिता का नाम सर्वार्थसिद्धि और माता का नाम मुरा था।
ऐसा कहा जाता है कि चंद्रगुप्त मौर्य ने तीन बार विवाह किया था, जिसमें पहली पत्नी का नाम दुर्धरा था, जिससे चंद्रगुप्त मौर्य को बिन्दुसार प्राप्त हुआ।
चंद्रगुप्त मौर्य ने तीन बार विवाह किया था, जिसमें पहली पत्नी का नाम दुर्धरा था, जिससे चंद्रगुप्त मौर्य को बिन्दुसार प्राप्त हुआ। चंद्रगुप्त मौर्य का दूसरा विवाह सेल्युकस की पुत्री कार्नेलिया हेलेना से हुआ था। इनसे चन्द्रगुप्त मौर्य को एक पुत्र प्राप्त हुआ, जिसका नाम जस्टिन था। ऐसा कहा जाता है कि चन्द्रगुप्त मौर्य के तीसरी पत्नी का नाम चंद्र नंदिनी था।
दुर्धरा नंदवंशियो के पूर्वज महाराज घनानंद की पुत्री थी।
चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु 297 ईशा पूर्व के आसपास आध्यात्मिक संत गुरु भद्रबाहु के मार्गदर्शन में हुई थी।
चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु महा पंडित चाणक्य थे।
मौर्य साम्राज्य की स्थापना चन्द्रगुप्त मौर्य ने की थी।
महान सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य का शासन काल लगभग 24 वर्ष तक रहा, जो कि लगभग 321 ईसा पूर्व से लेकर 297 ईसा पूर्व तक था। महान सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने 24 वर्ष तक अपना शासनकाल बड़ी बहादुरी तथा सूझबूझ से निभाया। महान सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने सिकंदर की मृत्यु के बाद उसके सेनापति से लगभग 305 ईसवी में युद्ध किया तथा जीत भी हासिल किया।
चंद्रगुप्त मौर्य अपनी कुशल रणनीति के कारण न सिर्फ भारत पर ही नहीं बल्कि आसपास के अनेक देशों पर भी राज किया था। चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल के दौरान मौर्य साम्राज्य पूर्व बंगाल और असम से पश्चिम में अफगानिस्तान और बलूचिस्तान से लेकर उत्तर भारत के कश्मीर और नेपाल तक फैला हुआ था। चंद्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य ना केवल इन्हीं देशों में अपितु दक्षिण भारत के पठारी इलाकों तक फैला हुआ था।
बिंदुसार चंद्रगुप्त मौर्य का उत्तराधिकारी हुआ था।
चंद्रगुप्त मौर्य के दादाजी का नाम अरिस्थनेमिस था।
निष्कर्ष
यदि हम बात करें चंद्रगुप्त के उदय और इस साम्राज्य के विस्तार की तो इस साम्राज्य का संपूर्ण श्रेय सिर्फ और सिर्फ चंद्रगुप्त मौर्य और उनके गुरु जी को जाता है।
इस लेख के माध्यम से हमने यह बताया कि चंद्रगुप्त मौर्य ने संपूर्ण विश्व में कितने वर्षों तक राज्य किया।
इस लेख में चंद्रगुप्त मौर्य का इतिहास (Chandragupta Maurya History in Hindi), मौर्य वंश की स्थापना आदि के बारे में विस्तार से बताया।
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