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महा पंडित चाणक्य का जीवन परिचय

Biography of Chanakya in Hindi: आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको विश्व के विख्यात सबसे प्रसिद्ध महान विद्वान के बारे में बात करने वाले हैं। इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि आचार्य चाणक्य का जीवन परिचय क्या है, प्रारंभिक जीवन में कितनी परेशानियों का सामना किया था। इतना ही नहीं बल्कि हम इस लेख के माध्यम से आपको यह भी बताएंगे कि आचार्य चाणक्य की क्या युद्ध नीतियां थी।

Biography of Chanakya in Hindi
Biography of Chanakya in Hindi

यदि कभी भी आचार्य चाणक्य की बात होती है तो अवश्य ही चंद्रगुप्त मौर्य का नाम सामने आता है क्योंकि चंद्रगुप्त मौर्य आचार्य चाणक्य जी के बहुत ही प्रिय शिष्य थे। चंद्रगुप्त मौर्य का ही उपयोग करके आचार्य चाणक्य ने अनेकों साम्राज्य स्थापित किए।

तो आइए जानते हैं महान विद्वान चाणक्य जी के बारे में (Chanakya In Hindi)। यदि आप जानना चाहते हैं कि आचार्य चाणक्य कौन थे, उनकी नीतियां क्या थी इत्यादि तो कृपया इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें ताकि आपको आचार्य चाणक्य के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सकते।

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महा पंडित आचार्य चाणक्य का जीवन परिचय – Biography of Chanakya in Hindi

चाणक्य की जीवनी एक नज़र में

नामचाणक्य
जन्म350 ईसा पूर्व (अनुमानित स्पष्ट नहीं है), कुटिल नामक ग्राम (तक्षशिला)
शैक्षिक योग्यतासमाजशास्त्र, राजनीति, अर्थशास्त्र, दर्शन, आदि का अध्ययन।
पिताऋषि कानाक या चैनिन (जैन ग्रंथों के अनुसार)
माताचनेश्वरी (जैन ग्रंथों के अनुसार)
वैवाहिक स्थितिविवाहित
मृत्यु283 ईसा पूर्व 
Chanakya Biography in Hindi

आचार्य चाणक्य कौन थे?

आचार्य चाणक्य को संपूर्ण विश्व में विष्णु गुप्त और कौटिल्य के नाम से जाना जाता है। लोगों का ऐसा मानना है कि चाणक्य जी इतने महान विचार वाले व्यक्ति थे कि यदि उनके महान विचारों को यदि कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में उतार ले तो वह वास्तव में बहुत ही सफल हो जाएगा।

आचार्य चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को अपनी बुद्धिमत्ता और कुशाग्र विचार से कूटनीति और राजनीति का बहुत ही सरलतम व्याख्या के साथ ज्ञान प्राप्त कराया था। इसी कारण चाणक्य के बाद से सभी राजनीतिज्ञ अपने शिष्यों को चाणक्य के ही सरल व्याख्यान के साथ अस्त्र शास्त्र की शिक्षा इत्यादि को प्राप्त करवाते थे। वर्तमान समय में आचार्य चाणक्य को उनके महान विचारों और कुशाल ग्रुप बुद्धिमत्ता के लिए उन्हें भारत का एक समाज सुधारक और सर्वश्रेष्ठ विद्वान माना जाता है।

महा पंडित आचार्य कौटिल्य का जन्म

ऐसे महान विचारों के प्रणेता आचार्य चाणक्य जी के जन्म के बारे में कुछ खास तो नहीं बताया जा सकता, फिर भी ऐसा लोगों के द्वारा माना जाता है कि महान प्रणेता आचार्य चाणक्य का जन्म बौद्ध धर्म के मुताबिक 350 ईसा पूर्व हुआ था। महान आचार्य चाणक्य जी का जन्म तक्षशिला के कुटिल नामक ग्राम में हुआ था। इनका जन्म एक ब्राह्मण वंश में हुआ था।

महा पंडित आचार्य चाणक्य जी का जन्म ब्राह्मण वंश में होने के कारण उन्हें भारतवर्ष का ‘मैक्यावली’ भी कहा जाता है। महा पंडित आचार्य कौटिल्य जी के बारे में अनेक मतभेद प्रस्तुत है, ऐसे में बहुत से विद्वानों के द्वारा उन्हें कुटिल वंश का माना जाता है और यह कहा जाता है कि कुटिल वंश में जन्म लेने के कारण ही महा पंडित आचार्य चाणक्य को कौटिल्य के नाम से जाना जाता है।

वहीं दूसरी तरफ अगर हम कुछ अन्य मनोवैज्ञानिक की मानें तो चाणक्य जी अपने उग्र और गुड़िया स्वभाव के कारण ‘सेत कौटिल्य’ के नाम से जाने गए हैं। यदि इनके जन्म के बारे में और ढूंढे तो हमें यह मिलता है कि महा पंडित चाणक्य जी का जन्म नेपाल की तराई में हुआ था और वहीं दूसरी तरफ उनका जन्म स्थान जैन धर्म के अनुसार मैसूर राज्य में स्थित श्रवणबेलगोला को कहा जाता है।

महा पंडित आचार्य चाणक्य का प्रारंभिक जीवन

आचार्य चाणक्य के पिता बहुत ही गरीब ब्राह्मण थे, इनके पिता का नाम मुद्राराक्षस के अनुसार चमक माना जाता है। यह बहुत ही गरीब परिवार से संबंध रखते थे। इन्होंने अपने बचपन में इतनी काफी गरीबी देखी है कि उन्हें कभी-कभी तो खाना भी नसीब नहीं होता था और उन्हें भूखे पेट सोना पड़ जाता था। जिस समय चाणक्य ऐसी स्थिति से जूझ रहे थे, उस समय में उस नगर में नंद वंश का राज्य था।

हालांकि लोगों का ऐसा मानना है कि चाणक्य जी अपने बालपन से ही बहुत ही क्रोधी और जिद्दी स्वभाव के व्यक्ति थे, ऐसे में वे अपने उग्र स्वभाव के कारण नंद वंश का विनाश करने का फैसला कर लिया। परंतु उनके पास कोई भी साधन न होने के कारण वे शांत रहना पसंद करने लगे थे। लोगों का ऐसा कहना है कि एक बार पंडित चाणक्य जी महामंत्री के पद के लिए नियुक्त हो गए थे फिर भी उन्होंने कभी भी धन और यश का मुंह नहीं किया। अपने इन्हीं विचारों के कारण आज में बहुत ही विद्वान पुरुष माने जाते हैं। महा पंडित चाणक्य जी ने अपने जीवन में अनेकों उतार-चढ़ाव देखे हैं और इन उतार-चढ़ाव से इन्होंने काफी कुछ सीखा था।

चाणक्य जी की शिक्षा

महा पंडित चाणक्य जी ने अपनी शिक्षा नालंदा विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी। नालंदा विश्वविद्यालय इतना पुराना है कि जिस समय संपूर्ण विश्व में ज्यादातर स्कूल विद्यालय नहीं थे, उस समय में भी नालंदा विश्वविद्यालय काफी चर्चित था। चाणक्य जी अपने बचपन के समय से ही बहुत ही विलक्षण और प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे, इतना ही नहीं वे इसके साथ-साथ बहुत ही होनहार छात्र और पढ़ाई लिखाई में गहन रुचि रखने वाले शिष्य थे।

इसी के विपरीत कुछ शास्त्रों के द्वारा हमें यह पता चलता है कि महान विद्वान पंडित चाणक्य जी ने तक्षशिला विद्यालय में भी शिक्षा ग्रहण की थी। महा पंडित चाणक्य जी एक ब्राह्मण परिवार में पैदा होने के कारण भी उन्होंने अर्थशास्त्र, राजनीति, वैद्य, युद्ध रणनीति, ज्योतिष इत्यादि जैसी शिक्षकों को प्राप्त किए और वहीं शिक्षा में विशेषज्ञ भी बन गए।

आचार्य चाणक्य के द्वारा लिखा गया महत्वपूर्ण ग्रंथ और संबंधित जानकारी

आचार्य चाणक्य पूरे विश्व के बहुत ही महान दार्शनिक, राजनेता और अर्थशास्त्रीय थे। आचार्य चाणक्य इतने महान दार्शनिक थे कि उन्होंने भारतीय राजनीतिक ग्रंथ ‘द अर्थशास्त्र’ को लिखा था। आचार्य चाणक्य ने इस ग्रंथ को भारत में ही रह कर के लगभग अपने समय के सभी पहलू को जैसे भौतिक सफलता, अर्थशास्त्र, संपत्ति इत्यादि को उन्होंने अपनी इस ग्रंथ में चर्चित किया। उनके इस कार्य के कारण उन्हें राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में बहुत ही अग्रणी है, माना जाता है। साथ ही उन्हें इस योगदान के कारण विद्वान क्षेत्र में सर्वोत्तम माना जाता है।

चाणक्य के साथ घटी घटना है जिसने जीवन का उद्देश्य ही बदल दिया

महा विद्वान चाणक्य जी एक महान चरित्र वाले व्यक्ति थे, इसके साथ ही वे बहुत ही अच्छे शिक्षक भी थे। महा पंडित चाणक्य जी ने अपने महान विचारों के द्वारा काफी लोकप्रियता हासिल कर ली थी। ऐसे में महा पंडित चाणक्य जी की उपलब्धियां दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी। परंतु ऐसे में उनके साथ दो बहुत ही बुरी परिस्थितियां हैं जिसके कारण उन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य ही बदल दिया।

महा पंडित चाणक्य जी के जीवन में हुई पहली घटना यह थी कि सिकंदर ने भारत पर आक्रमण कर दिया और उस समय के छोटे-छोटे राज्यों को उसने अपने कब्जे में कर लिया और उन राज्यों ने हार मान ली।

महा विद्वान आचार्य चाणक्य जी के साथ उनके जीवन में दूसरी घटना यह थी कि एक बार मगध के राजा ने महा पंडित आचार्य कौटिल्य (चाणक्य) जी को बहुत अपमानित किया था। इसी कारण आचार्य चाणक्य जी ने अपने जीवन की शैली ही बदल डाली। मगध राजा के द्वारा पंडित आचार्य जी को कहा गया शब्द:

“पंडित हो और अपनी चोटी का ही ध्यान रखो, युद्ध करना केवल राजाओं का काम है, तुम सिर्फ पंडित हो पंडिताई करो।”

महा विद्वान चाणक्य जी के जीवन में घटित पहली घटना का तो उन पर ज्यादा असर नहीं पड़ा था, परंतु उनके जीवन में घटित यह दूसरी घटना के कारण उन्होंने अपनी पूरी जीवन शैली को ही बदल डाला और उन्होंने ऐसा दृढ़ संकल्प कर लिया कि वह अब देश के शासकों को शिक्षा प्रदान कराएंगे और अहंकारी शासकों को राज्य पद से हटाएंगे।

आचार्य चाणक्य द्वारा चंद्रगुप्त मौर्य को शिष्य बनाना

चंद्रगुप्त मौर्य के द्वारा ही आचार्य चाणक्य ने अपनी प्रतिज्ञा को पूर्ण किया। लोगों का ऐसा मानना है कि यदि चंद्रगुप्त मौर्य ना होते तो चाणक्य की जीवन कथा कभी संपन्न नहीं हो पाती। क्योंकि महा पंडित आचार्य चाणक्य की घनघोर प्रतिज्ञा का सार्थक करने में चंद्रगुप्त मौर्य ने बहुत योगदान दिया। एक बार आचार्य चाणक्य एक प्रवासी भ्रमण के दौरान एक ग्रामीण बच्चे को देखा और उनकी दृष्टि ने उस बच्चे के राजत्व की प्रतिभा को भाप लिया। महा पंडित चाणक्य जी ने तुरंत उस बच्चे को उसके पिता के द्वारा लगभग एक हजार मुद्रा देकर खरीद लिया।

जिस समय चंद्रगुप्त केवल 9 वर्ष के थे, चाणक्य ने उन्हें प्राविधिक विषयों और व्यावहारिक तथा प्राविधिक कलाओं का ज्ञान देना प्रारंभ कर दिया और ऐसा माना जाता है कि उस समय में कुछ ऐसी ही शासक जातियां थी, जिसमें शाक्य और मौर्य का प्रभाव था। चंद्रगुप्त मौर्य जी गढ़ का प्रमुख पुत्र था, चाणक्य जी ने उसे अपना शिष्य बना लिया। और चंद्रगुप्त मौर्य ने एक सवाल राष्ट्र की नींव रखी जो आज तक एक आदर्श नीव है। यदि हम पॉलिश स्रोतों के माध्यम से प्राप्त चंद्रगुप्त मौर्य के प्रारंभिक जीवन का विवरण प्राप्त करें तो हमें यह अवश्य ही मिलता है।

Read Also: चंद्रगुप्त मौर्य का इतिहास और मौर्य वंश की स्थापना

चाणक्य के माध्यम से दी जाने वाली शिक्षा का आदर्श क्या था

चाणक्य के अनुसार दी गई शिक्षा का विवरण नीचे निम्नलिखित रुप से दिया गया है, यह विवरण महा पंडित आचार्य चाणक्य जी के द्वारा कहा गया है।

  • किसी भी राजा को शासन करने के लिए स्वस्थ और शासन का अनुसरण करने वाला होना चाहिए।
  • किसी अच्छे शासक को निर्भीक एवं शस्त्र ज्ञाता और सब यही बल का सर्वाधिक ज्ञान प्राप्त होना चाहिए।
  • किसी भी एक राजा को राज कुलीन होना चाहिए।
  • यदि कोई भी शासक रशीद एवं सफल बनाना चाहता है तो उसे गुरु का आदर करना चाहिए और उस व्यक्ति को काम क्रोध और लोभ मोह इत्यादि से मुक्त होना चाहिए।

अपने इन आदर्शों को महा पंडित चाणक्य जी ने अपने ही शिष्य चंद्रगुप्त मौर्य को बड़ी ही भली भांति समझाया और उन्हें इसका ज्ञान भी प्राप्त करवाया था। इसी कारण चंद्रगुप्त मौर्य विश्व के सबसे महान शासकों में से एक माने जाते हैं। चंद्रगुप्त मौर्य शासक है, जिन्होंने संपूर्ण विश्व पर सबसे ज्यादा समय तक राज्य किया है।

Read Also: चाणक्य के प्रेरणादायी सुविचार

महा पंडित आचार्य चाणक्य की मृत्यु

महापंडित आचार्य चाणक्य की मृत्यु के बारे में ठोस प्रमाण किसी के पास भी नहीं है फिर भी अनेक इतिहासकारों के द्वारा अनेक मत प्रस्तुत किए गए हैं। ऐसा माना जाता है कि चाणक्य जी की मृत्यु लगभग 300 ईशा पूर्व में हुई थी। इसी के विपरीत कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि उन्होंने अन्य जल इत्यादि का त्याग करके अपने शरीर को त्यागा था तो यहीं पर कुछ लोगों द्वारा ऐसा भी कहा जाता है कि महा पंडित चाणक्य जी की मृत्यु किसी षड्यंत्र के माध्यम से हत्या के द्वारा हुई थी।

निष्कर्ष

आज के इस लेख “महा पंडित आचार्य चाणक्य का जीवन परिचय (Biography of Chanakya in Hindi)” के माध्यम से मैंने आपको बताया कि महा पंडित आचार्य चाणक्य कौन थे और उन्होंने अपने शिष्य चंद्रगुप्त मौर्य में क्या खूबियां देखी कि उन्हें अपना शिष्य बना लिया इत्यादि के बारे में।

आचार्य चाणक्य बहुत ही प्रभावशाली विचार के व्यक्ति थे, इसी कारण उनका नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में अंकित किया गया है। यदि आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह लेख “Biography of Chanakya in Hindi” पसंद आया हो तो कृपया इसे अवश्य शेयर करें।

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