Teetar Bird in Hindi: भारत में विभिन्न प्रजाति के पंछी पाए जाते हैं, उन्ही में से एक तीतर बर्ड भी है, जिन्हें किसानों का दोस्त भी कहा जाता है। यह पंछी पर्यावरण के लिए बहुत ही मददगार साबित होते हैं लेकिन वर्तमान में इनकी प्रजाति संकटग्रस्त है।
यह धीरे-धीरे लुप्त होते जा रहे हैं। इस तरह के लुप्तप्राय पंछियों के महत्व को बताने के लिए विद्यालयों में विद्यार्थियों को निबंध लेख दिया जाता है ताकि वे ऐसे लुप्तप्राय पंछियों की जानकारी प्राप्त करके उनके अस्तित्व को खत्म होने से बचा सके।
इसलिए इस लेख में हम तीतर के बारे में 10 वाक्य और तीतर पक्षी पर निबंध लेकर आए हैं। यह लेख विद्यार्थियों के लिए मददगार हो सकता है।
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तीतर के बारे में 10 वाक्य
- तीतर बर्ड की 40 से भी ज्यादा प्रजाति पाई जाती हैं।
- तीतर बर्ड ज्यादातर एशिया, यूरोप और अफ्रीका के देशों में पाए जाते हैं।
- तीतर बर्ड का रंग भूरा, कला और लाल होता है।
- तीतर बर्ड का जीवनकाल 8 साल तक का होता है।
- तीतर बर्ड अनाज, कीड़े, मकोड़े, बीज और हरी घास खाते हैं।
- तीतर बर्ड की उड़ान काफी नीचे होती है। ये ज्यादातर जमीन पर ही अपना समय बिताते हैं।
- तीतर बर्ड की आवाज पतली और तीखी होती है और आधा किलोमीटर दूर से ही सुनाई पड़ जाता है।
- मादा तीतर बर्ड साल में 10 से 15 अंडे देती हैं।
- तीतर बर्ड झाड़ियों और हरे भरे इलाकों में रहते हैं।
- तीतर बर्ड का साइंटिफिक नेम perdix है।
तीतर बर्ड पर निबंध (Teetar Bird in Hindi)
प्रस्तावना
तीतर बर्ड का अस्तित्व पृथ्वी पर प्राचीन समय से ही रहा है। यह पंछी ज्यादातर अफ्रीका यूरोप और एशिया के कुछ देशों में पाए जाते हैं।
विश्व भर में इस पंछी की लगभग 40 से भी ज्यादा प्रजातियां मौजूद है। इस पंछी का वैज्ञानिक नाम perdix है। अंग्रेजी में तीतर को Partridge कहते हैं।
तीतर की शारीरिक संरचना
तीतर बर्ड छोटा आकार का तकरीबन 500 ग्राम का होता है। इस पंछी का रंग भूरा काला और लाल होता है। मादा तीतर का शरीर चमकीला होता है।
हालांकि तीतर बर्ड में भी विभिन्न प्रजाति पाई जाती है और उस हिसाब से उनके रंग भी अलग-अलग होते हैं। तीतर के पंख पर भूरे रंग की धारियां बनी होती है। इनके पंख बहुत छोटे-छोटे होते हैं। पंख का निचला हिस्सा सफेद रंग का होता है।
तीतर बर्ड का सर और पुंछ भी बहुत छोटी होती है। इनकी आंखें और चोंच भी बहुत छोटी होती है। चोंच और आंख काले रंग का होता है।
तीतर बर्ड के पंजे बहुत ही मजबूत और नुकीलेदार होते हैं, जिसका प्रयोग वे तेज दौड़ने के लिए और अपने शिकार पर झपट्टा मारने के लिए करते हैं।
तीतर बर्ड का आवास
तीतर बर्ड हरे-भरे इलाके और झाड़ियां में पाए जाते हैं। यह शहर से ज्यादा गांव में ही रहना पसंद करते हैं। शर्मीले स्वभाव के कारण यह इंसानों से अक्सर दूर ही रहते हैं।
यह पंछी अन्य पक्षियों की तरह पेड़ की शाखाओं पर घोंसला नहीं बनाते हैं। इनके घोसले भी जमीन पर होते हैं। यह पंछी अक्षर मैदानी इलाकों में ही रहते हैं। यह पर्वतीय भागों में जाना पसंद नहीं करते।
तीतर बर्ड का भोजन
तीतर बर्ड कीड़े मकोड़े, बीज, हरी घास, अनाज खाते हैं। जब इन्हें कुछ नहीं मिलता है तो जमीन खोदकर पौधे निकाल कर ये खा लेते हैं।
प्रकृति के लिए यह बहुत ही जरूरी है। क्योंकि फसल में लगे किट और पतंग को ये खाकर फसलों को कीट पतंग से बचाते हैं।
तीतर बर्ड का प्रजनन काल
प्रजनन काल में नर और मादा तीतर एक साथ रहते हैं। यह एक निश्चित सीमा क्षेत्र बना कर रहते हैं। 1 साल में मादा तीतर बर्ड 10 से 15 अंडे देती है। इनके अंडों का रंग पीला और लाल होता है।
तीतर बर्ड के बच्चे जन्म से 15 दिन के बाद उड़ना शुरू कर देते हैं। जब तक इनके बच्चे बड़े नहीं हो जाते हैं तब तक नर और मादा तीतर एक साथ रहते हैं।
तीतर बर्ड की अन्य विशेषताएं
- तीतर बर्ड की आवाज बहुत ही पतली और तीखी होती है, जिसे आधा किलोमीटर दूर से ही सुना जा सकता है।
- तीतर बर्ड की उड़ान काफी नीचे होती है। ये उड़ने से ज्यादा दौड़ना पसंद करते हैं। यह जमीन पर ही अपना ज्यादातर समय बिताते हैं। क्योंकि जमीन पर रहके ये कीड़े मकोड़े पर नजर रखते हैं।
- तीतर बर्ड का जीवनकाल तकरीबन 8 साल का होता है।
उपसंहार
तीतर बर्ड भले ही एक साधारण पंछी है लेकिन पर्यावरण के लिए बहुत ही उपयोगी है। आज के समय की खेती आधुनिक हो चुकी है और किसान केमिकल युक्त कीटनाशक दवाइयों का ज्यादा प्रयोग करने लगा है, जिसके कारण ऐसे पंछियों की जान का जोखिम में बढ़ गया है।
यही कारण है कि तीतर बर्ड अब ज्यादा नजर नहीं आते हैं। इसके अलावा लोग इन पंछियों का शिकार भी करते हैं। ऐसे में तीतर प्रजाति के पंछी को बचाने के लिए सरकार को उचित कदम उठाने की जरूरत है। लोगों को भी इस पंछी का शिकार करने से रोकना चाहिए।
निष्कर्ष
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