नमस्कार दोस्तों, इस पोस्ट में हमने देशभक्ति पर संस्कृत निबंध (Essay on Desh Bhakti in Sanskrit) लिखा है जो आपके बहुत ही काम का है। यह संस्कृत निबंध (Sanskrit Essay) बहुत सी कक्षाओं के लिए कामगार साबित होगा।
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देशभक्ति संस्कृत निबंध – Essay on Desh Bhakti in Sanskrit
Patriotism Essay in Sanskrit – 1
यस्मिन् देशे वयं जन्मधारणं कुर्मः स हि अस्माकं देशः जन्मभूमिः वा भवति। जननी इव जन्मभूमिः पूज्या आदरणीया च भवति।
अस्याः यशः सर्वेषां देशवसिनां यशः भवति। अस्याः गौरवेण एव देशवसिनां गौरवम् भवति।
ये जनाः स्वाभ्युदयार्थ देशस्याहितं कुर्वन्ति ते अधमाः सन्ति। देशभक्तिः सर्वासु भक्तिषु श्रेष्ठा कथ्यते।
अनया एव देशस्य स्वतंत्रतायाः रक्षा भवति। अनया एव प्रेरिताः बहवः देशभक्ताः भगत सिंघः, चन्द्रशेखर आजाद प्रभृतयः आत्मोत्सर्गम् अकुर्वन्।
झाँसीश्वरी लक्ष्मीबाई, राणाप्रताप मेवाड़केसरि, शिववीरः च प्रमुखाः देशभक्ताः अस्माकं देश जाता। देशभक्तिः व्यक्ति-समाज -देशकल्याणार्थ परमम् औषधम् अस्ति।
हिंदी अर्थ
हमारी जन्मभूमि वही देश होता जहां पर हम जन्म लेते है और इस संसार को देखते है। माता और मातृभूमि दोनों ही पूजनीय और सम्मानीय है। इनके यश से ही सम्पूर्ण देशवासियों का यश होता है। इनका गौरव ही सभी देशवासियों का गौरव है। जो लोग अपने उदय के लिए देश का हित करते हैं, वो अधम है। सभी भक्तियों में देशभक्ति को सबसे श्रेष्ठ कहा गया है। इससे देश की स्वतंत्रता की रक्षा होती है। देशभक्ति के लिए कई महापुरुषों जैसे भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद ने अपने प्राण त्याग दिए है। हमारे देश में महाराणा प्रताप और झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई जैसे देशभक्त हुए है। देशभक्ति एक व्यक्ति के लिए, समाज के लिए और देश के कल्याण के लिए एक दवा यानि औषध के समान है।
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