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भगत सिंह के अनमोल विचार

Bhagat Singh Quotes in Hindi: भगत सिंह जैसे देश के देशभक्तों की वजह से आज देश का हर व्यक्ति चैन से जी पा रहा है। देश के लिए अपनी जान की बाजी लगाने वाले भगत सिंह ने अपनी जवानी में ही फांसी को गले लगा दिया।

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उनके विचारों में उनका देश प्रेम, मर मिटने का भाव और दीवानगी साफ़ दिखाई देती है। यहां पर हम भगत सिंह के अनमोल विचार शेयर कर रहे हैं, इन्हें आप सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते हैं।

भगत सिंह कोट्स इन हिंदी (Bhagat Singh Quotes in Hindi)

जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।

राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है। मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद हैं।

प्रेमी, पागल, और कवि एक ही चीज से बने होते हैं।

देशभक्तों को अक्सर लोग पागल कहते हैं।

मैं एक मानव हूं और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है।

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यदि बहरों को सुनना है तो आवाज को बहुत जोरदार होना होगा। जब हमने बम गिराया तो हमारा धेय्य किसी को मरना नही था। हमने अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था। अंग्रेजी को भारत छोड़ना चाहिए और उसे आजाद करना चाहिये।

मेरा रंग दे बसन्ती चोला, मेरा रंग दे।
मेरा रंग दे बसन्ती चोला। माय रंग दे बसन्ती चोला।।

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निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं।

मेरा धर्म देश की सेवा करना है।

वो हर व्यक्ति जो विकास के लिए खड़ा है, उसे हर एक रुढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसके प्रति अविश्वास करना होगा और उसे चुनोती देनी होगी।

इंसानों को तो मारा जा सकता है, पर उनके विचारों को नहीं।

किसी को “क्रांति ” शब्द की व्याख्या शाब्दिक अर्थ में नहीं करनी चाहिए। जो लोग इस शब्द का उपयोग या दुरूपयोग करते हैं, उनके फायदे के हिसाब से इसे अलग अलग अर्थ और अभिप्राय दिए जाते है।

ज़रूरी नहीं था कि क्रांति में अभिशप्त संघर्ष शामिल हो। यह बम और पिस्तौल का पंथ नहीं था।

मैं इस बात पर जोर देता हूं कि मैं महत्त्वाकांक्षा, आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूं। पर मैं ज़रुरत पड़ने पर ये सब त्याग सकता हूं और वही सच्चा बलिदान है।

अहिंसा को आत्मा-बल के सिद्धांत का समर्थन प्राप्त है जिससे अंतत: प्रतिद्वंदी पर जीत की आशा में कष्ट सहा जाता है। लेकिन तब क्या हो जब ये प्रयास अपना लक्ष्य प्राप्त करने में असफल हो जाए? तभी आत्म-बल को शारीरिक बल से जोड़ने की जरूरत पड़ती है ताकि हम अत्याचारी और क्रूर दुश्मन के रहमोकरम पर ना निर्भर करे।

किसी भी कीमत पर शक्ति का प्रयोग ना करना काल्पनिक आदर्श है और देश में जो नवीन आन्दोलन शुरु हुआ है। जिसके शुरुआत की हम चेतावनी दे चुके है। वो गुरु गोबिन्द सिंह और शिवाजी, कमाल पाशा और राजा खान, वाशिंगटन और गैरीबालड़ी, लाफयेतटे और लेनिन के आदर्शों का अनुसरण है।

क्रांति मानव जाति का एक अपरिहार्य अधिकार है। स्वतंत्रता सभी का एक कभी न खत्म होने वाला जन्मसिद्ध अधिकार है। श्रम समाज का वास्तविक निर्वाहक है।

सूर्य विश्व में हर किसी देश पर उज्ज्वल हो कर गुजरता है परन्तु उस समय ऐसा कोई देश नहीं होगा जो भारत देश के सामान इतना स्वतंत्र, इतना खुशहाल, इतना प्यारा हो।

मुझे कभी भी अपनी रक्षा करने की कोई इच्छा नहीं थी और कभी भी मैंने इसके बारे में गंभीरता से नहीं सोचा।

हमारे दल को नेताओं की आवश्यकता नहीं है। अगर आप दुनियादार हैं, बाल-बच्चों और गृहस्थी में फंसे है, तो हमारे मार्ग पर मत आइए। आप हमारे उद्‌देश्य में सहानुभूति रखते हैं तो और तरीकों से हमें सहायता दीजिए। नियंत्रण में रह सकने वाले कार्यकर्ता ही इस आदोलन को आगे ले जा सकते हैं।

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आम तौर पर लोग चीजें जैसी हैं। उसके आदि हो जाते हैं और बदलाव के विचार से ही कांपने लगते हैं। हमें इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की ज़रुरत है।

क़ानून की पवित्रता तभी तक बनी रह सकती है जब तक कि वो लोगों की इच्छा की अभिव्यक्ति करे।

सामान्यत: लोग परिस्थिति के आदि हो जाते है और उनमें बदलाव करने की सोच मात्र से डर जाते है। अत: हमें इस भावना को क्रांति की भावना से बदलने की जरूरत है।

जहां तक हमारे भाग्य का संबंध है, हम बड़े बलपूर्वक आपसे यह कहना चाहते हैं कि अपने हमें फांसी पर लटकाने का निर्णय कर लिया है। आप ऐसा करेंगे ही। आपके हाथों में शक्ति है और आपको अधिकार भी प्राप्त हैं। परंतु इस प्रकार आप ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस वाला’ सिद्धांत ही अपना रहे हैं और आप उस पर कटिबद्ध है। हमारे अभियोग की सुनवाई इस वक्तव्य को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है कि हमने कभी कोई प्रार्थना नहीं की और अब भी हम आपसे किसी प्रकार की दया की प्रार्थना नहीं करते। हम केवल आपसे यह प्रार्थना करना चाहते हैं कि आपकी सरकार के ही एक न्यायालय के निर्णय के अनुसार हमारे विरुद्ध युद्ध जारी रखने का अभियोग है। इस स्थिति में हम युद्ध-बंदी हैं। अत: इस आधार पर हम आपसे मांग करते हैं कि हमारे साथ युद्ध-बंदियों जैसा ही बर्ताव किया जाए और हमें फांसी देने के बदले गोली से उड़ा दिया जाए।

जैसे पुराना कपड़ा उतारकर नया बदला जाता है, वैसे ही मृत्यु है। मैं उससे डरूंगा नहीं, भागूंगा नहीं। कोशिश करूंगा कि पकड़ा जाऊं पर यूं ही नहीं कि पुलिस आई और पकड़ ले गई। मेरे पास एक तरीका है कि कैसे पकड़ा जाऊं। मौत आएगी, आएगी ही पर मैं अपनी मौत को इतनी महंगी और भारी बना दूंगा कि ब्रिटिश सरकार रेत के ढेर की तरह उसके बोझ से ढक जाए।

मुझे दंड सुना दिया गया है और फांसी का आदेश हुआ है। इन कोठरियों में मेरे अतिरिक्त फांसी की प्रतीक्षा करने वाले बहुत से अपराधी हैं। ये यही प्रार्थना कर रहे हैं कि किसी तरह फांसी से बच जाएं। परंतु उनके बीच शायद मैं ही एक ऐसा आदमी हूं जो बड़ी बेताबी से उस दिन की प्रतीक्षा कर रहा हूं। जब मुझे अपने आदर्श के लिए फांसी के फंदे पर धूलने का सौभाग्य प्राप्त होगा। मैं खुशी के साथ फांसी के तख्ते पर चढ़कर दुनिया को दिखा दूंगा कि क्रांतिकारी अपने आदर्शों के लिए कितनी वीरता से बलिदान दे सकते हैं।

हमें धैर्यपूर्वक फांसी की प्रतीक्षा करनी चाहिए। यह मृत्यु सुंदर होगी। परंतु आत्महत्या करना, केवल कुछ दुखों से बचने के लिए अपने जीवन को समाप्त कर देना तो कायरता है। मैं आपको बताना चाहता हूं कि आपत्तियां व्यक्ति को पूर्ण बनाने वाली हैं।

किसी भी कीमत पर बल का प्रयोग ना करना काल्पनिक आदर्श है और नया आन्दोलन जो देश में शुरू हुआ है और जिसके आरम्भ की हम चेतावनी दे चुके हैं। वो गुरु गोबिंद सिंह और शिवाजी, कमाल पाशा और राजा खान, वाशिंगटन और गैरीबाल्डी, लाफायेतटे और लेनिन के आदर्शों से प्रेरित है।

समझौता भी ऐसा हथियार है, जिसे राजनीतिक जद्‌दोजहद के बीच में पग-पग पर इस्तेमाल करना आवश्यक हो जाता है। जिससे एक कठिन लड़ाई से थकी हुई कौम को थोड़ी देर के लिए आराम मिल सके और वह आगे के युद्ध के लिए अधिक ताकत के साथ तैयार हो सके, परंतु इन सारे समझौतों के बावजूद जिस चीज को हमें भूलना न चाहिए। वह हमारा आदर्श है जो हमेशा हमारे सामने रहना चाहिए। जिस लक्ष्य के लिए हम लड़ रहे हैं। उनके संबंध में हमारे विचार बिल्कुल स्पष्ट और दृढ़ होने चाहिए।

हम नौजवानों को बम और पिस्तौल उठाने की सलाह नहीं दे सकते। विद्यार्थियों के लिए और भी महत्त्वपूर्ण काम हैं। राष्ट्रीय इतिहास के नाजुक समय में नौजवानों पर बहुत बड़े दायित्व का भार है और सबसे ज्यादा विद्यार्थी ही तो आजादी की लड़ाई में अगली पांतों में लड़ते हुए शहीद हुए है। क्या भारतीय नौजवान इस परीक्षा के समय में वही संजीदा इरादा दिखाने में झिझक दिखाएंगे।

बाबाजी, मैंने जीवन में कभी वाहे गुरु को याद नहीं किया। कई बार तो मैंने देश की अवनति और लोगों के दुख के लिए उन्हें दोषी ठहराया है। अब जब मौत मेरे सामने खड़ी है वाहे गुरु की अरदास करूं तो वह कहेगा कि मैं बहुत डरपोक और बेइमान आदमी हूं। अब मुझे इस संसार से वैसे ही विदा होना जाने दो जैसा मैं हूं। मेरी क्रांति यह नहीं रहेगी कि भगत सिंह कायर था और उसने अपनी मौत से घबराकर वाहे गुरु को याद किया था।

आज मेरी कमजोरियां लोगों के सामने नहीं हैं। अगर मैं फांसी से बच गया तो वे जाहिर हो जाएंगी और इंकलाब का निशान मद्धिम पड़ जाएगा या शायद मिट ही जाए। लेकिन मेरे दिलेराना ढंग से हंसते-हंसते फांसी पाने की सूरत में हिन्दुस्तानी माताएं अपने बच्चों के भगत सिंह बनने की आरजू किया करेंगी और देश की आजादी के लिए बलिदान होने वालों की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि इंकलाब को रोकना इम्पीरियलिज्म की तमाम सर (संपूर्ण) शैतानी कुबतों के बस की बात न रहेगी।

हम यह कहना चाहते हैं कि युद्ध छिड़ा हुआ है और यह लड़ाई तब तक चलती रहेगी। जब तक कि शक्तिशाली व्यक्तियों ने भारतीय जनता और श्रमिकों की आय के साधनों पर अपना एकाधिकार कर रखा है। चाहे ऐसे व्यक्ति अंग्रेज पूंजीपति हों या अंग्रेजी शासक या सर्वथा भारतीय ही हों, उन्होंने आपस में मिलकर एक लूट जारी रखी हुई है। चाहे शुद्ध भारतीय पूंजी-पतियों के द्वारा ही निर्धनों का खून चूसा जा रहा हो, तो भी इस स्थिति में कोई अंतर नहीं पड़ता।

यदि आप सोलह उगने के लिए लड़ रहे हैं और एक आना मिल जाता है, तो वह एक आना जेब में डालकर बाकी पंद्रह उगने के लिए फिर जंग छेड़ दीजिए। हिन्दुस्तान के माडरेटों की जिस बात से हमें नफरत है, वह यही है कि उनका आदर्श कुछ नहीं है। वे एक आने के लिए ही लड़ते हैं और उन्हें मिलता कुछ भी नहीं।

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Rahul Singh Tanwar
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राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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