Essay on Aids in Hindi: हर साल 1 दिसंबर को पूरी दुनिया में एड्स दिवस मनाया जाता है, जिसे विश्व एड्स दिवस कहा जाता है। एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनो डेफ़िशियेंसी सिंड्रोम है और ये एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनो डेफ़िशियेंसी वायरस) के कारण फैलता है।
इस दिन सभी सरकारी संगठन, गैर सरकारी संगठन, स्वास्थ्य कार्यालय में स्वास्थ्य अधिकारियों के द्वारा एड्स से संबंधित भाषण या चर्चा का आयोजन किया जाता है, इसके साथ एड्स जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जाता है।
हमने यहां पर इस निबन्ध में एड्स कैसे होता है हिंदी में जानकारी के साथ ही इसके बारे में विस्तार से बताया है। यह निबंध सभी कक्षाओं 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और उच्च कक्षा के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होगा।
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एड्स पर निबंध हिंदी में (Aids Essay in Hindi) – 250 शब्दों में
वैसे तो दुनिया में कई प्रकार की घातक बीमारियां है लेकिन एड्स बीमारी का नाम सुनते ही लोगों के दिमाग सुन्न पड़ जाते है। यह एक जानलेवा बीमारी है। टेक्नोलॉजी बढ़ने के बाद भी इस बीमारी का इलाज़ ना तो वैज्ञानिक ढूंढ पाये है न डॉक्टर। 20वीं सदी की सबसे भयानक बीमारियों में से एक एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम है। दुनिया में अब तक एड्स की वजह से लगभग 20 मिलियन लोगों ने अपनी जान गवाई है।
एड्स एचआईवी या ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस के कारण होता है, जो मानव शरीर की रोगप्रतिरोधक प्रणाली पर हमला करता है और उन्हें कमजोर बना देता है। एड्स संपर्क से फैलता है। कोई भी व्यक्ति एचआईवी या एड्स रोगी व्यक्ति के रक्त के संपर्क में आता है तो उस व्यक्ति में इस वायरस को आसानी से स्थानांतरित किया जा सकता है।
जब कोई व्यक्ति एचआईवी वाले व्यक्ति के साथ संबंध बनाता है तो वो व्यक्ति भी इस रोग से संक्रमित हो सकता है। एक बार संक्रमित होने के बाद पहले दो हफ्तों के भीतर एड्स के लक्षण दिखाई देने लगेंगे।
एड्स के होने के बाद व्यक्ति के लिए जीवन नरक बन जाता है। एड्स की वजह से व्यक्ति पर सामाजिक कलंक लग जाता है और लोग उनसे दूरी बना लेते है। लेकिन आज कल एड्स के बारे में लोगो में काफी जागरूकता फैल गई है। अगर हम एड्स संक्रमित व्यक्ति को प्यार, विश्वास और उनके प्रति सकारात्मक अभिगम दिखाएँ तो मरीज ठीक हो सकता है और स्वस्थ जीवन जी सकता है।
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प्रस्तावना
अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने साल 1995 में 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाने के लिए एक आधिकारिक घोषणा की जिसका अनुसरण सारे देशों में किया गया। विश्व एड्स दिवस के दिन स्वास्थ्य संगठन के कर्मचारी लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने और रोकथाम के उपायों पर चर्चा करते है। मोटे तौर पर ये बात सामने आई है कि, 1981-2007 में करीब 25 लाख लोगों की मृत्यु एचआईवी संक्रमण की वजह से हुई थी।
एड्स का इतिहास
विश्व एड्स दिवस का ख्याल पहली बार 1987 में अगस्त के महीने में थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न के दिमाग में आया। थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न दोनों डब्ल्यू.एच.ओ.(विश्व स्वास्थ्य संगठन) जिनेवा, स्विट्जरलैंड के एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के लिए सार्वजनिक सूचना अधिकारी थे। उन्होंने एड्स दिवस का अपना विचार डॉ. जॉननाथन मन्न (एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के निदेशक) के साथ साझा किया, जिन्होंने इस विचार को स्वीकृति दे दी और वर्ष 1988 में 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रुप में मनाना शुरु कर दिया।
एचआईवी/एड्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम, जो यूएन एड्स के रूप में भी जाना जाता है, वर्ष 1996 में प्रभाव में आया और दुनिया भर में इसे बढ़ावा देना शुरू कर दिया गया। एक दिन मनाये जाने के बजाय, पूरे वर्ष बेहतर संचार, बीमारी की रोकथाम और रोग के प्रति जागरूकता के लिये विश्व एड्स अभियान ने एड्स कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए वर्ष 1997 में यूएन एड्स शुरु किया।
शुरु के कुछ सालों में, विश्व एड्स दिवस के विषयों का ध्यान बच्चों के साथ-साथ युवाओं पर केन्द्रित था, जो बाद में एक परिवार के रोग के रूप में पहचाना गया, जिसमें किसी भी आयु वर्ग का कोई भी व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित हो सकता है। 2007 के बाद से विश्व एड्स दिवस को व्हाइट हाउस द्वारा एड्स रिबन का एक प्रतिष्ठित प्रतीक देकर शुरू किया गया था।
एड्स क्या है?
एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनो डेफ़िशियेंसी सिंड्रोम है, जिसका मतलब होता है किसी दूसरे व्यक्ति के द्वारा बीमारी का फैलना और सीधे ही अगले व्यक्ति के रोग प्रतिरोधक क्षमता को समाप्त करना। यह बीमारी एचआईवी के वजह से शरीर में फैलता है। यह रोग पहली बार 1981 में देखा गया और उस रोग का एड्स नाम 27 जुलाई 1982 में दिया गया।
एचआईवी एक वायरस है, यह रोग प्रतिरक्षा प्रणाली की टी-कोशिकाओं पर हमला करता है और जिसके कारण एक रोग होता है जो एड्स के रूप में जाना जाता है। यह मानव शरीर के तरल पदार्थों में पाया जाता है। दूषित सुई का इंजेक्शन लगाने से भी एड्स फैलता है। यह प्रसव के दौरान या स्तनपान के माध्यम से गर्भवती महिलाओं से बच्चों में भी फैल सकता है। जो कि एड्स के कारण में शामिल है।
ये पश्चिम-मध्य अफ्रीका के क्षेत्र में 19 वीं और 20 वीं सदी में हुआ था। असल में इसका कोई भी इलाज नहीं है, लेकिन हो सकता है कि कुछ उपचारों के माध्यम से कम किया जा सके।
एड्स के लक्षण या संकेत
वैसे तो इस रोग में शुरुआत में कई वर्षों तक कोई लक्षण दिखाई नहीं देते है, जिसके कारण एचआईवी वायरस अपना काम आसानी से करता रहता है। जिसके बाद कुछ प्रारम्भिक लक्षण दिखाई देते है जो निम्नलिखित है-
बुखार, ठंड लगना, गले में खराश, रात के दौरान पसीना, वजन घटना, थकान, दुर्बलता, जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों में दर्द, लाल चकते और बढ़ी हुई ग्रंथियाँ।
लेकिन संक्रमित व्यक्ति आखिरी चरण में पहुँच जाता है तब उन मे निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते है-
रात में पसीना, दस्त, सूखी खाँसी, साँसों में कमी, निमोनिया, धुंधली दृष्टि, स्थायी थकान, तेज बुखार, गर्भाशय ग्रीवा, मलाशय, सिर, गर्दन के कैंसर और लिम्फोमा का कैंसर और टोक्सोप्लाज़मोसिज़ यानि मस्तिष्क का संक्रमण।
इनके अलावा समाज में एड्स के बारे में कुछ भ्रांतियाँ फैली हुई है जैसे कि एड्स हाथ मिलने, गले लगाने, छींकने या एक ही शौचालय के उपयोग करने से फैलता है। जो कि सरासर गलत है। एड्स की रोकथाम ही एड्स से बचाव है।
विश्व एड्स दिवस की थीम या विषय
यूएन एड्स विश्व एड्स दिवस के दिन वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष वार्षिक विषयों के साथ आयोजन करती है। सभी वर्षों की विषय सूची निम्नलिखित है-
वर्ष | विषय |
1988 | संचार |
1989 | युवा |
1990 | महिकलाएं और एड्स |
1991 | चुनौती साझा करना |
1992 | समुदाय के प्रति प्रतिबद्धता |
1993 | अधिनियम |
1994 | एड्स और परिवार |
1995 | साझा अधिकार, साझा दायित्व |
1996 | एक विश्व और एक आशा |
1997 | बच्चे एड्स की एक दुनिया में रहते है |
1998 | परिवर्तन के लिए शक्ति: विश्व एड्स अभियान युवा लोगों के साथ |
1999 | जाने, सुने, रहे: बच्चे और युवा लोगों के साथ विश्व एड्स अभियान |
2000 | एड्स: लोग अंतर बनाते है |
2001 | मैं देख-भाल करती/करता हूँ। क्या आप करते है? |
2002 | कलंक और भेदभाव |
2003 | कलंक और भेदभाव |
2004 | महिलाएं, लड़कियां, एचआईवी और एड्स |
2005 | एड्स रोको: वादा करो |
2006 | एड्स रोको: वादा करो – जवाबदेही |
2007 | एड्स रोको: वादा करो – नेतृत्व |
2008 | एड्स रोको: वादा करो – नेतृत्व – सशक्त – उद्धार |
2009 | विश्वव्यापी पहुँच और मानवाधिकार |
2010 | विश्वव्यापी पहुँच और मानवाधिकार |
2011 | शून्य प्राप्त करना: नए एचआईवी संक्रमण शून्य। शून्य भेदभाव। शून्य एड्स से संबंधित मौतें |
2012 | शून्य प्राप्त करना: नए एचआईवी संक्रमण शून्य। शून्य भेदभाव। शून्य एड्स से संबंधित मौतें |
2013 | शून्य प्राप्त करना: नए एचआईवी संक्रमण शून्य। शून्य भेदभाव। शून्य एड्स से संबंधित मौतें |
2014 | शून्य प्राप्त करना: नए एचआईवी संक्रमण शून्य। शून्य भेदभाव। शून्य एड्स से संबंधित मौतें |
2015 | शून्य प्राप्त करना: नए एचआईवी संक्रमण शून्य। शून्य भेदभाव। शून्य एड्स से संबंधित मौतें |
2016 | एचआईवी रोकथाम के लिए हाथ ऊपर करें |
2017 | माई हेल्थ, माई राइट |
2018 | नो योर स्टेटस (Know Your Status) |
2019 | कम्युनिटीज मेक द डिफरेंस |
और इस साल 2020 का विषय “एचआईवी/एड्स महामारी समाप्त करना: लचीलापन और प्रभाव” है।
निष्कर्ष
पूरे विश्व भर में लोग आज के दिन यानि 1 दिसंबर को लाल रीबन पहनकर एड्स से पीड़ित व्यक्तियों के प्रति अपनी भावनात्मकता व्यक्त करते है। ऐसा लोगों में इस मुद्दे के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही इस रोग से लड़ रहे लोगो के लिए सहायता राशि जुटाने के लिए भी लोग इस लाल रीबन को बेचते हैं।
इसी तरह यह, इस बामारी से लड़ते हुए अपनी जान गवानें वाले लोगों के प्रति श्रद्धांजलि प्रदान करने का भी एक जरिया है।
अंतिम शब्द
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