Deedar Shayari in Hindi
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Deedar Shayari in Hindi |दीदार पर शायरी
सोच सोच कर उम्र क्यों कम करूँ, वो नहीं मिला तो क्यों ग़म करूँ, न हुआ न सही दीदार उनका, किस लिए भला आँखें नम करूँ।
कर्ज़दार रहेंगे हम उस हकीम के, जिसने दवा में उनका दीदार लिख दिया।
दीदार महबूब का जो निगहों ने कर ली, धड़कनो को सम्भालना मुश्किल हो गया.
आँखों में आंखे डाल कर तुम्हारा दीदार, ये कशिश बयां करना मेरे बस की बात नहीं।
क्या हुस्न था कि आँख से देखा हजार बार, फिर भी नजर को हसरत-ए-दीदार रह गयी।
सोने लगा हूँ तुझे ख्वाब में देखने कि हसरत ले कर, दुआ करना कोई जगा ना दे… तेरे दीदार से पहले।
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दिल बेचैन है साँसे थम सी गयी है, बिन दीदार तेरे शायरी भी जम सी गयी है.
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तलब उठती है बार-बार तेरे दीदार की, ना जाने देखते-देखते कब तुम लत बन गये।
जरुरी तो नहीं है की तुझे आँखों से ही देखें, तेरी याद का आना भी तेरे दीदार से कम नहीं।
Deedar Shayari in Hindi
दीदार की तलब हो तो नजरें जमाये रखना, क्योंकि ‘नकाब’ हो या ‘नसीब’ सरकता जरूर है।
चमन में इस कदर तू आम कर दे अपने जलवों को, कि आँखें जिस तरफ उठें तेरा दीदार हो जाये।
तलब ऐसी की बसा लें अपनी सांसों में तुझे हम, और किस्मत ऐसी कि तेरे दीदार के भी मोहताज़ हैं हम।
कोई मुक़दमा ही कर दो हमारे सनम पर, कम से कम हर पेशी पर दीदार तो हो जायेगा।
तू एक नज़र हम को देख ले बस, इस आस में कब से बेकरार बैठे हैं.
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तेरे दीदार पर अगर मेरा इख्तियार होता, ये रोज-रोज होता और बार बार होता।
दीदार की तलब है तो नज़रें जमाये रख, क्योंकि नकाब हो या नसीब सरकता जरुर है।
हम तड़प गये आपके दीदार को, दिल फिर भी आपके लिए दुआ करता है, हमसे अच्छा तो आपके घर का आईना है, जो हर रोज़ आपका दीदार तो करता है।
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जरूरी तो नहीं है कि तुझे आँखों से ही देखूँ, तेरी याद का आना भी तेरे दीदार से कम नहीं.
एतबार कर दीदार में एहतियात नहीं होता, ये बेहिसाब जज़्बा है इसमें हिसाब नहीं होता।
Deedar Shayari in Hindi
आज दिल ने तेरे दीदार की ख्वाइश रखी है, मिले अगर फुरसत तो ख्वाबों में आ जाना।
तेरे दीदार का नशा भी अजीब है, बैरण तू ना दिखे तो दिल तड़पता है, और तू दिखे तो दिल धड़कता है.
ये लाज़िम तो नहीं, के तुझे आंखों से देखूं, तेरी याद का आना तेरे दीदार से कम तो नहीं.
जिद उसकी थी चाँद का दीदार करने की, होना क्या था मैने उसके सामने आईना रख दिया.
मेरा जी तो आँखों में आया ये सुनते, कि दीदार भी एक दिन आम होगा.
उल्टे चलते हैं ये प्यार करने वाले, आँखें बंद करते हैं वो दीदार के लिए
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मुझको तेरा दीदार हो, तुम जिंदगी हो, तुम बंदगी हो, और ज्यादा क्या कहूँ.
मेरी आँखें और दीदार आप का, या क़यामत आ गई या ख़्वाब है.
दीदार की तलब हो तो नज़रें जमाए रखना, घुंघट, पर्दा, नकाब जो भी हो सरकता जरूर है.
जन्नत का हर लम्हा दीदार किया था, गोद मे उठाकर जब मॉ ने प्यार किया था.
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दिल ने आज फिर तेरे दीदार की ख्वाहिश रखी है, अगर फुरसत मिले तो ख्वाबों मे आ जाना.
इलाही क्या खुले दीदार की राह, उधर दरवाज़े बंद आँखें इधर बंद.
दीदार तुम्हारे हसीं चेहरे का हम हरपल करने लगे है, इजहार ए मुहब्बत करने से अब कितना डरने लगे हैं.
कुछ लोग तो बस इसलिए अपने बने हैं अभी, कि कभी मेरी बर्बादियां हों तो दीदार ‘करीब’ से हो.
कि एक बार आज फिर खुदखुशी की हमने, कि तेरी गली से निकले और तेरा दीदार हो गया.
Deedar Shayari in Hindi
हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं, जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं.
दिल का क्या है तेरी यादों के सहारे जी लेगा, हैरान तो आँखे हैं तेरे दीदार को.
मिलावट है तेरे इश्क में, इत्र और शराब की, कभी हम महक जाते है, कभी हम बहक जाते हैं.
न होती है मुलाकातें न ही दीदार होता है, नजर अंदाज़ करने का गज़ब अंदाज़ है उसका.
बादशाह थे हम अपनी मिजाज-ए मस्ती के, इश्क़ ने तेरे दीदार का फ़क़ीर बना दिया.
गयी थी मंदिर उनका दीदार हो गया, पहले सावन का पहला सोमवार हो गया.
कुछ नज़र आता नहीं उस के तसव्वुर के सिवा, हसरत-ए-दीदार ने आँखों को अंधा कर दिया.
जो चेहरे दिखते नहीं थे मोहल्ले में, भुकंप ने सबका दीदार करा दिया.
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