चिकना घड़ा मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग (Chikna Ghada Muhavare Ka Arth Aur Vakya Prayog)
चिकना घड़ा मुहावरे का अर्थ – निर्लज व्यक्ति, बेशर्म ।
Chikna Ghada Muhavare Ka Arth – Nirlaj Vyakti, Besharm
वाक्य प्रयोग (Vakya Prayog) – तुम इतने बेशर्म हो चुके हो कि कोई भी आकर तुम्हे कुछ भी बोल दे तुम्हे कोई फर्क नही पड़ता बिल्कुल चिकने घड़े के समान हो चुके हो।
वाक्य प्रयोग (Vakya Prayog) – श्याम ने जब पहली बार घर से चोरी की तो उसके घरवालों ने उसे एक शब्द नही बोला और आज चोरी करना उसकी आदत में शुमार हो चुका है, पुलिस भी उसे पकड़ चुकी है पर वह चोरी करना नही छोड़ रहा अर्थात वह चिकना घड़ा हो चुका है।
वाक्य प्रयोग (Vakya Prayog) – बीरू अपने मोहल्ले का सबसे बदमाश व्यक्ति है आय दिन लोगों से मार पीट करता है पैसे वसूलता है इन सब हरकतों से उसके घर वालो ने भी उसे निकाल दिया वो उस चिकने घड़े के समान हो गया है जिस पर कोई प्रभाव नही पड़ता ।
चिकना घड़ा मुहावरे का अर्थ (Chikna Ghada Muhavre Ka Arth) से यह तात्पर्य है कि इस मुहावरे के अनुसरण व्यक्ति के आलोचना और दूसरों द्वारा उसके समझाए जाने का कोई भी प्रभाव नही पड़ता एक प्रकार से वह व्यक्ति निर्लज और पूर्णतः बेशर्म हो जाता है ,वह अपनी आदतों की वजह से हर जगह शर्मशार हो जाता है उसे कोई चाहें कितना ही समझाए वो एक कान से सुन कर दूसरे कान से निकाल देता है और अपने मन का ही करता है इस कारण इस मुहावरे का प्रयोग किया गया है।
अन्य महत्वपूर्ण मुहावरे और उनका वाक्य प्रयोग
चाँद पर थूकना | चार चाँद लगाना |
आड़े हाथों लेना | अपने पाँव पर आप कुल्हाड़ी मारना |
आपे से बाहर होना | आसमान सिर पर उठाना |
1000+ हिंदी मुहावरों के अर्थ और वाक्य प्रयोग का विशाल संग्रह