Home > Biography > गुरु नानक देव का जीवन परिचय

गुरु नानक देव का जीवन परिचय

Biography of Guru Nanak in Hindi: नमस्कार दोस्तों, आज हम आप सभी लोगों को अपने इस महत्वपूर्ण लेख के माध्यम से बताने वाले हैं, सिख धर्म के संस्थापक के विषय में। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि सिख धर्म को भारत में हिंदू धर्म के समान ही अधिकार मिला हुआ है। हालांकि भारत में अन्य धर्मों को अभी समान अधिकार दिया जाता है, परंतु हिंदू एवं सिख धर्म को विशेष अधिकार दिया जाता है।

सिख धर्म के संस्थापक ने ही भगवान के अस्तित्व की वकालत की और अपने अनुयायियों को सिखाया कि इंसान को भगवान की प्रार्थना निस्वार्थ भाव से करनी चाहिए। अब आप सभी लोग समझ गए होंगे कि हम किसकी बात कर रहे हैं। जी हां, आप सभी लोगों ने बिल्कुल ही सही समझा हम बात कर रहे हैं, सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के विषय में।

गुरु नानक देव जी सिख धर्म के सबसे पहले गुरु थे और गुरु नानक देव जी ने ही आध्यात्मिक शिक्षाओं की नींव भी रखी, जिसके बाद सिख धर्म का गठन किया। गुरु नानक देव जी को सिख धर्म के इतिहास में एक धार्मिक नव परिवर्तक माना जाता है। गुरु नानक देव जी ने अपने शिक्षाओं को फैलाने के लिए दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व में यात्रा किया और इन्होंने लोगों को भगवान के अस्तित्व को बताया।

Follow TheSimpleHelp at WhatsApp Join Now
Follow TheSimpleHelp at Telegram Join Now

Image: Biography of Guru Nanak in Hindi

आज हम सभी लोग अपने इस महत्वपूर्ण लेख के माध्यम से बात करेंगे सिख धर्म के पहले गुरु और सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के जीवन परिचय के विषय में। आज सभी लोगों को इस लेख में जानने को मिलेगा कि गुरु नानक देव जी कौन थे?, गुरु नानक देव जी का जन्म, गुरु नानक देव जी का प्रारंभिक जीवन, गुरु नानक देव जी का विवाह, गुरु नानक देव जी के द्वारा यज्ञोपवित संस्कार का विरोध, सिख धर्मों के सभी गुरुओं के नाम, गुरु नानक देव जी की मृत्यु इत्यादि।

गुरु नानक देव जी का जीवन परिचय | Biography of Guru Nanak in Hindi

गुरु नानक देव जी के विषय में संक्षिप्त जानकारी

नामगुरु नानक देव
जन्म15 अप्रैल 1469
जन्म स्थानतलवंडी
मातातृप्ता देवी
पिताकल्याण चन्द
पत्नीसुलखनी देवी
पुत्रश्री चन्द्रलक्ष्मी चंद्र
स्थापनासिख धर्म
मृत्यु22 सितंबर 1539

गुरु नानक देव जी कौन थे?

गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक हैं। गुरु नानक देव जी सिख धर्म के सबसे पहले गुरु थे और गुरु नानक देव जी ने ही आध्यात्मिक शिक्षाओं की नींव भी रखी, जिसके बाद सिख धर्म का गठन किया। गुरु नानक देव जी को सिख धर्म के इतिहास में एक धार्मिक नव परिवर्तक माना जाता है। गुरु नानक देव जी ने अपने शिक्षाओं को फैलाने के लिए दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व में यात्रा किया और इन्होंने लोगों को भगवान के अस्तित्व को बताया।

गुरु नानक देव जी ने बचपन से ही समाज के कल्याण के विषय में सोचते रहते थे और इसी कारण से उन्होंने बचपन की पढ़ाई को भी पूरी नहीं की। लोगों को खुश करने के लिए वे बहुत ही ज्यादा उदास रहने लगे थे और किसी भी काम को करने के लिए एकदम से सीरियस हो जाते थे। गुरु नानक देव जी ने समाज सेवा हेतु अपने जीवन को न्यौछावर कर दिया।

गुरु नानक देव जी का मुख्य गुण दार्शनिक, गृहस्थ, समाज सुधारक, धर्म सुधारक, कवि, देशभक्त, विश्व बंधु, योगी इत्यादि था। गुरु नानक देव जी ने अपने सभी इंद्रियों को अपने वश में कर रखा था, जिसके कारण इन्हें वर्तमान समय में सिख धर्म के अनुयायियों के द्वारा भगवान का दर्जा दिया जाता है। गुरु नानक देव जी ने अपने जेहन में उन सभी बातों को उतारा जो कि एक सामान्य व्यक्ति के लिए नामुमकिन था, इसीलिए इन्हें सिख धर्म का पहला गुरु माना जाता है।

गुरु नानक देव जी ने अपने शिक्षाओं को फैलाने के लिए दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व में यात्रा किया और इन्होंने लोगों को भगवान के अस्तित्व को बताया कि कोई भी व्यक्ति ध्यान और अन्य पवित्र प्रथाओं के माध्यम से भगवान तक बड़ी आसानी से पहुंच सकता है। गुरु नानक देव जी ने मठवशी वाद का समर्थन नहीं किया और इन्होंने खुद अपने अनुयायियों से ईमानदार गृहस्थ के जीवन का नेतृत्व करने के लिए कहा।

गुरु नानक देव जी ने लोगों तक अपने शिक्षा को पहुंचाने के लिए अपनी शिक्षा को लगभग 974 भजनों के माध्यम से बांट दिए और लोगों तक पहुंचाया। गुरु नानक देव जी के द्वारा लिखे गए यह सभी भजन का उपयोग वर्तमान समय में गुरुद्वारा में भगवान का पाठ करने के लिए किया जाता है। जिस प्रकार से हमारे हिंदू धर्म में सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ गीता को माना जाता है, ठीक उसी प्रकार से सिख धर्म में पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को माना जाता है, जो कि स्वयं गुरु नानक देव जी के द्वारा लिखा गया है।

गुरु नानक देव जी के पिता जी से एक बार पंडित गोपाल दास पांडे ने कहा था कि आपका पुत्र बहुत ही मेधावी है और इसे किसी भी ज्ञान की आवश्यकता नहीं है, यह परम ज्ञानी है, तुम इसे मेरे पास भेज दो। पंडित गोपाल दास पांडे की आवाज सुनकर गुरु नानक देव जी के पिता ने अपने पुत्र नानक को फारसी और उर्दू भाषा का ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक मौलवी कुतुबुद्दीन के पास भेज दिया।

कुतुबुद्दीन मौलवी ने इन्हें कई दिनों तक शिक्षा प्रदान की और शिक्षा के दौरान ही एक दिन जब मौलवी ने गुरु नानक देव जी से अलिफ शब्द का उच्चारण करने के लिए कहा तो गुरु नानक देव जी ने तुरंत ही मौलवी से पूछा कि अलिफ शब्द का अर्थ क्या है? तब मौलवी ने उन्हें बताया कि अलिफ शब्द का अर्थ होता है अल्लाह या खुदा

गुरु नानक जी के हाजिर जवाबी को देखकर मौलवी ने उनके पिता से कहा कि तुम्हारे बेटे को मैं क्या पढ़ाऊंगा यह तो पूरी दुनिया को पढ़ा सकता है। अतः आप सभी लोग गुरु नानक देव जी के ज्ञान से तो वाकिफ हो चुके होंगे।

गुरु नानक देव जी का जन्म

गुरु नानक देव जी का जन्म रावी नदी के किनारे पर स्थित तलवंडी नामक एक गांव में हुआ था। गुरु नानक देव का जन्म एक खत्री कुल में हुआ था। गुरु नानक देव जी के जन्म को लेकर वर्तमान समय में भी इतिहासकारों में काफी मतभेद है इतना ही नहीं कुछ इतिहासकारों का कहना है कि गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 ईस्वी में हुआ है।

परंतु गुरु नानक देव जी के जन्म को वर्तमान समय में कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। गुरु नानक देव जी के जन्म तिथि को हम सभी लोग कार्तिक पूर्णिमा या गुरु नानक जयंती के नाम से जानते हैं।

गुरु नानक देव जी का प्रारंभिक जीवन

नानक जब 5 वर्ष के थे, तब उनके पिता ने उन्हें हिंदी भाषा और वैदिक साहित्य का ज्ञान प्राप्त करने के लिए उन्हें पंडित गोपाल दास पांडे के यहां भेजा। नानक बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और चंचल स्वभाव के थे। पंडित गोपाल दास बालक नानक की बुद्धिमत्ता और योग्यता से काफी प्रसन्न थे।

एक दिन जब वे अभ्यास के दौरान नानक से ओम शब्द का उच्चारण करवा रहे थे तो बालक नानक ने उनसे ओम शब्द का अर्थ पूछ लिया। पंडित गोपालदास पांडे ने नानक को कहा कि ओम सर्व रक्षक परमात्मा का नाम है। बालक नानक ने गोपालदास पांडे से कहा कि पंडित जी मेरी मां ने परमात्मा का नाम “सत करतार” बताया है।

इस पर पंडित जी ने बालक नानक को बड़े ही प्यार से बताया कि परमात्मा को हम अनेक नामों से पहचानते हैं। इन दोनों शब्दों का अर्थ एक ही है।

गुरु नानक देव जी के माता पिता

आइए अब हम सभी लोग जानकारी प्राप्त करते हैं, गुरु नानक देव जी के पारिवारिक संबंध के विषय में। गुरु नानक देव जी का पारिवारिक संबंध इनके परिवार के सभी सदस्यों से काफी अच्छा था। क्योंकि गुरु नानक देव जी पढ़ाई लिखाई में काफी तेज और एक समाज सुधारक थे।

गुरु नानक देव के पिता का नाम मेहता कालू और माता का नाम तृप्ता देवी था। इनकी एक बड़ी बहन नानकी थी। अपने बचपन में गुरु नानक देव ने कई प्रादेशिक भाषाएं जैसे फारसी और अरबी आदि का अध्ययन किया।

गुरु नानक देव जी की शिक्षा

गुरु नानक देव जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने जन्म स्थान तलवंडी से प्राप्त किया। गुरु नानक देव जी ने आश्रमों में जाकर शिक्षा प्राप्त किया और यह काफी तेज थे। इन्होंने अपने शिक्षा के समय अपने गुरु को सदैव अपने प्रश्नों के माया जाल में फंसा लेते थे और सदैव इनसे प्रत्येक शब्द के अर्थों को पूछा करते थे।

गुरु नानक देव जी बचपन में काफी चंचल प्रवृत्ति के थे। गुरु नानक देव जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा को बीच में ही छोड़ दिया, क्योंकि यह देश के लोगों का भला चाहते थे। समाज में बहुत सारी बुराइयां फैल गई थी और इन बुराइयों को दूर करने के लिए कोई भी सामने नहीं आ रहा था, इसलिए गुरु नानक देव जी ने अपना कदम आगे बढ़ाया और समाज सुधारक के रूप में कार्य किए।

समाज सुधारक बनने के लिए गुरु नानक देव जी ने अपनी शिक्षा को छोड़ दिया और समाज सुधारक बने। हालांकि गुरु नानक देव जी परम ज्ञानी थे, जिसके कारण इन्होंने लोगों को संदेश देने के लिए अपने सभी भजनों को लगभग 974 भागों में बांट दिया, जिसे वर्तमान समय में सिख धर्म का सबसे पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब के नाम से जाना जाता है।

Read Also

गुरु नानक देव जी का विवाह

प्राचीन समय में समाज मे बाल विवाह की प्रथा थी। बाल विवाह प्रथा में कम उम्र के बच्चों का विवाह होता है, उस समय विवाह हेतु कोई निश्चित उम्र का प्रावधान नहीं था। इसलिए कम उम्र के बालक या बलिका का विवाह करवा दिया जाता था, जिससे दोनों अपनी जिम्मेदारियां समझ सके और मन को शांत कर सकें।

गुरु नानक देव जी का विवाह मात्र 16 वर्ष के आयु मे सुलक्खनी नामक की एक युवती से हुआ। गुरु नानक देव जी को उनकी पत्नी से दो पुत्र प्राप्त हुई, जिनका नाम श्री चंद्र और लक्ष्मी च्नद्र था। गुरु नानक साहब के पहले पुत्र श्री चंद्र ने ही अखाडे की स्थापना की, जो कि परंपरागत रूप से चली आ रही है।

गुरु नानक देव जी के द्वारा यज्ञोपवित संस्कार का विरोध

हिंदू धर्म में बालकों का यज्ञोपवीत संस्कार अर्थात जनेऊ धारण का कार्यक्रम किया जाता है। जो लोग जनेऊ धारण नहीं करना चाहते थे, उन्हें जबरदस्ती जनेऊ का धारण करवाया जाता था, जिससे कि उनका मन सदैव साफ रहे। ऐसे ही कुछ घटना घटित हुई थी, गुरु नानक देव जी के साथ। परंतु गुरु नानक देव जी ने जनेऊ धारण करने से साफ-साफ इंकार कर दिया और लोगों को यज्ञोपवित संस्कार से मुक्त कराया।

गुरु नानक देव जी के घर भी कार्यक्रम तय हुआ। गुरु नानक देव जी के पिता कालू मेहता ने अपने सभी रिश्तेदारों को न्योता देकर इस कार्यक्रम के लिए बुलाया था। यज्ञोपवित संस्कार वाले दिन नानक ने जनेऊ पहनने से साफ इंकार कर दिया, उन्होंने कहा मुझे इन धागों पर विश्वास नहीं है।

गुरु नानक देव जी ने भरी सभा में कहा कि गले में धागा डालने से मन पवित्र नहीं होता, बल्कि मन पवित्र करने के लिए अच्छे आचरण की जरूरत होती है। बालक की वाकपटुता और दृढ़ता देख कर सभी लोग चकित रह गए। गुरु नानक देव ने हिंदू धर्म में प्रचलित कई कुरीतियों का भी विरोध किया।

गुरु नानक देव जी की मृत्यु

गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में बहुत लोकप्रिय हो गए थे। गुरु नानक ने करतारपुर नामक नगर बसाया था और वहां एक गुरुद्वारा भी बनवाया था। गुरु नानक देव जी ने 22 सितंबर 1540 को अपने प्राण त्याग दिए और स्वर्गवासी हो गए। अपनी मृत्यु के समय इन्होंने अपने परम भक्त और शिष्य लहंगा को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया, जो बाद में गुरु अंगद देव के नाम से प्रसिद्ध हुए।

निष्कर्ष

हम आप सभी लोगों से उम्मीद करते हैं कि आप सभी लोगों को हमारे द्वारा लिखा गया यह महत्वपूर्ण लेख “गुरु नानक देव जी का जीवन परिचय (Biography of Guru Nanak in Hindi)” अवश्य ही पसंद आया होगा। यदि आप सभी लोगों को हमारे द्वारा लिखा गया यह लेख वाकई में पसंद आया हो तो कृपया इसे अवश्य शेयर करें और यदि आपके मन में इस लेख को लेकर किसी भी प्रकार का कोई भी सवाल या फिर सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में हमें अवश्य बताएं।

Read Also

Follow TheSimpleHelp at WhatsApp Join Now
Follow TheSimpleHelp at Telegram Join Now

Related Posts

Leave a Comment