ना खुशी की तलाश है, ना गम-ए-निजात की आरज़ू, मै ख़ुद से ही नाराज हूँ, तेरी नाराजगी के बाद..
आज तक दिल की आरज़ू है वही फूल मुरझा गया है बू है वही.. जलाल मानकपुरी.
आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की, लम्हें तो अपने आप ही मिल जाते हैं. कौन पूछता है पिंजरे में बंद पंछियों को, याद वही आते है जो उड़ जाते है…
तुझे पाने की आरज़ू में तुझे गंवाता रहा हूँ, रुस्वा तेरे प्यार में होता रहा हूँ, मुझसे ना पूछ तू मेरे दिल का हाल, तेरी जुदाई में रोज़ रोता रहा हूँ।.
ये ज़िन्दगी तेरे साथ हो, ये आरज़ु दिन रात हो, मैं तेरे संग संग चलूँ, तू हर सफर में मेरे साथ हो..
एक आरज़ू सी दिल में अक्सर छुपाये फिरता हूँ, प्यार करता हूँ तुझसे पर कहने से डरता हूँ, कही नाराज़ न हो जाओ मेरी गुस्ताखी से तुम, इसलिए खामोश रहके भी तेरी धडकनों को सुना करता हूँ …!.
ज़माने भर की निगाहों में जो खुदा सा लगे, वो अजनवी है मगर मुझको आशना सा लगे, न जाने कब मेरी दुनिया में मुस्करायेगा, वो शख्स जो खाबों में भी अपना सा लगे।.
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कुछ आग आरज़ू की ,उ म्मीद का धुआँ कुछ हाँ राख ही तो ठहरा , अंजाम जिंदगी का.
Aarzoo Shayari in Hindi
मेरे दिल में न आओ बरना डूब जाओगे तुम, गम के आँशुओं का समंदर है मेरे अन्दर।.
आरजू थी की, तेरी बाँहो मे दम निकले लेकिन बेवफा तुम नही, बदनसीब हम निकले..
आँखो की चमक पलकों की शान हो तुम.. चेहरे की हँसी लबों की मुस्कान हो तुम…..!! धड़कता है दिल बस तुम्हारी आरज़ू मे… फिर कैसे ना कहूँ मेरी जान हो तुम..!!.
दिल की आरज़ू तो बस यही है मेरे सनम, तेरे दिल में हम रहे मेरे दिल में तुम, तेरा हाथ हाथ में लेकर चलते रहे यूँही, ये जिंदगी भी तेरे साथ जीने को पड़े कम।.
थाम लेना हाथ मेरा कभी पीछे जो छूट जाऊँ मना लेना मुझे जो कभी तुमसे रूठ जाऊँ मैं पागल ही सही मगर मैं वो हूँ जो तेरी हर आरजू के लिये टूट जाऊँ ll.
आरज़ू‘ तेरी बरक़रार रहे …………. दिल का क्या है रहे, रहे न रहे…..
आरजू थी तुम्हारी तलब बनने की, मलाल ये है कि तुम्हारी लत लग गयी…
खोई हुई आँखो में सपना सज़ा लिया।। आरज़ू में आपकी चाहत को बसा लिया।। धड़कन भी ना रही ज़रूरी हमारे लिए।। जब से दिल में हमने आपको बसा लिया।।.
Aarzoo Shayari in Hindi
एक पत्थर की आरजू करके , खुदको ज़ख्मी बना लिया मैंने…..
आरज़ू तेरी बरक़रार रहे, दिल का क्या है रहे, न रहे..
आज खुद को तुझमे डुबोने की आरज़ू है, क़यामत तक सिर्फ तेरा होने की आरज़ू है, किसने कहा गले से लगा ले मुझको, मग़र तेरी गोद में सर रखकर सोने की आरज़ू है…
आरज़ू ये नहीं कि ग़म का तूफ़ान टल जाये, फ़िक्र तो ये है कि कहीं आपका दिल न बदल जाये. कभी मुझको अगर भुलाना चाहो तो, दर्द इतना देना कि मेरा दम ही निकल जाये…!.
ज़िन्दगी की आखरी आरजू बस यही हैं, तू सलामत रहें दुआँ बस यही हैं…
उमरे दराज लाये थे, मांग के चार दिन, दो आरजू में कट गए, दो इन्तेजार में..
खुल गया उन की आरज़ू में ये राज़, ज़ीस्त अपनी नहीं पराई है.. शकील बदायुनी.
तेरा ख़याल तेरी आरजू न गयी ! मेरे दिल से तेरी जुस्तजू न गयी !! इश्क में सब कुछ लुटा दिया हँसकर मैंने ! मगर तेरे प्यार की आरजू न गयी….!!.
अब तुझसे शिकायत करना, मेरे हक मे नहीं, क्योंकि तू आरजू मेरी थी, पर अमानत शायद किसी और की…
जीने के आरजू में मरे जा रहे है लोग, मरने के आरजू में जिया जा रहा हु मै….
यह आरजू नहीं कि किसी को भुलाएं हम, न तमन्ना है कि किसी को रुलाएं हम..
“मै समेटती हूँ ख्वाब तेरे…. तेरी आरजू…. तेरा ही गम…. तेरी ही तमन्ना…. यादें तेरी…… बहुत मशरूफ है ज़िन्दगी मेरी” !!.
बड़ी आरज़ू थी मोहब्बत को बेनकाब देखने की, दुपट्टा जो सरका तो जुल्फें दीवार बन गयी..
” हर बार उसी से … गुफ़्तगू…. सौ बार उसी की … आरज़ू ; . वो पास नहीं होता .. तो भी .. रहता है मेरे …….. रूबरू…
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।