White Fungus Kya Hai: कोरोना वायरस के बाद हमने ब्लैक फंगस को देखा है। लेकिन अभी-अभी कुछ मामलो में White Fungus को देखा गया है। यदि आपने इसका नाम नहीं सुना है तो हम आपको बताना चाहते है कि White Fungus की पहचान की गयी है।
यह अभी यह सभी जगह पर नहीं फैला है, यह कुछ जगहों पर देखा गया है। यह मामला ब्लैक फंगस से अलग है, यह कोरोना वायरस के बाद दिए जाने वाले एस्ट्रोइड के द्वारा होता है।
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व्हाइट फंगस क्या है? (White Fungus Kya Hai)
ब्लैक फंगस (mucormycosis) से जूझ रहे लोगों के सामने एक नई बीमारी आयी है, जिसका नाम डॉक्टरों ने व्हाइट फंगस दिया है। इसके कुछ मामलों को बिहार के पटना (White Fungus Cases In Patna) के अस्पताल में देखा गया है। यहां पर डॉक्टरों को चार मरीज मिलने से अफरातफरी मच गई है, जिनमें वाइट फंगस (Whit Fungus) देखे गए है।
यह बीमारी उन्हें ब्लैक फंगस (white fungus kya hai in hindi) से ज्यादा खतरनाक दिखाई दी है। एक्सपर्ट का कहना है कि ये बीमारी ज्यादा घातक होती जा रही है। पटना में व्हाइट फंगस से मिले संक्रमित मरीजों में पटना के एक फेमस स्पेशलिस्ट है, जिनका मानना है कि व्हाइट फंगस (Candidiasis) फेफड़ों के संक्रमण का मुख्य कारण है और फेफड़ों के अलावा यह आपके स्किन, नाखून, मुंह के अंदरूनी भाग में भी होता है। यदि किसी मरीज को इस तरह का फंगस देखा जाता है तो यह उसके आमाशय और आंत, किडनी, गुप्तांग पर भी बुरा असर डालता है।
व्हाइट फंगस के लक्षण क्या है?
White Fungus ke Lakshan
White Fungus कोरोना होने के बाद ही होता है, इसके लक्षण कोरोना की तरह ही देखे गए है। व्हाइट फंगस (White Fungus in Hindi) से फेफड़ों में संक्रमण के लक्षण देखे गए है और इसमें भी उसी तरह की स्थति मरीज की होती है, जो कोरोना में होती है। इसमें अंतर करना मुश्किल हो जाता है कि कोरोना है या व्हाइट फंगस है। क्योंकि ऐसे मरीजों में रैपिड एंटीजन और RT-PCR टेस्ट निगेटिव होता है, जिसके कारण जल्दी से इसके लक्षण पहचान नहीं आते है।
- इसका इन्फेक्शन फेफड़ों के अलावा स्किन पर देखा गया है। यह नाखून, मुंह के अंदरूनी भाग में भी देखा जा सकता है।
- इसके होने पर मरीज को आमाशय और आंत में संक्रमण होने लगता है।
- यह किडनी, गुप्तांग और ब्रेन में संक्रमण पैदा करता है, जिससे ब्रेन की समस्या पैदा होती है।
- जांच से पता चला कि वे व्हाइट फंगस से पीड़ित मरीज का ऑक्सीजन लेवल 95 पाया जाता है।
- तेज बुखार आना और सर दर्द होना भी इसका लक्षण हो सकता है।
- खांसी का रहना और सांस फूल रही हो।
- नाक में म्यूकस होना और खून आना।
- आंख में दर्द होना और आँखों के नीचे इन्फेक्शन दिखाई देना।
- चेहरे में एक तरफ दर्द और सूजन आना।
व्हाइट फंगस से किन्हें ज्यादा खतरा है?
White Fungus का सबसे ज्यादा खतरा तो कोरोना पीड़ित मरीज को होता है। लेकिन इसके साथ ही यह अन्य मरीजों को भी हो सकता है। हम आपको इसके होने के लक्षण के साथ-साथ यह किन्हें हो सकता है, इसके बारे में आपको बतायेंगे।
- ज्यादा लम्बे समय सतक डायबिटीज और किसी तरह की एंटीबायोटिक दवाइयों का सेवन करने वालो को।
- स्टेरॉयड लेने वाले मरीज को होने की संभावना है।
- जिन लोगों को कैंसर है और कैंसर की दवाइया ले रहे हैं, उन्हें White Fungus होने का ज्यादा खतरा होता है।
- नवजात में यह डायपर कैंडिडोसिस के कारण होता है।
- जो मरीज अभी-अभी कोरोना से ठीक हुए है।
- जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम है, उन्हें भी यह फंगस हो सकता है।
व्हाइट फंगस से बचने के लिए क्या करें?
- किसी भी तरह के White Fungus के लक्षण दिखाई देने पर अपनी जाँच करवाए।
- जो मरीज ऑक्सीजन या वेंटिलेटर पर हैं, वह ज्यादा साफ सफाई का ध्यान रखे।
- ऑक्सीजन या वेंटिलेटर उपकरण विशेषकर ट्यूब को जीवाणु मुक्त रखे।
- अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाये।
- संक्रमित मरीज से दुरी बनाये, उनसे किसी तरह से संपर्क में ना आये।
- ऑक्सीजन सिलेंडर ह्यूमिडिफायर में स्ट्रेलाइज वाटर का प्रयोग करें।
- रैपिड एंटीजन और RT-PCR टेस्ट निगेटिव आता है और उनमें White Fungus लक्षण दिखाई देते हो तो उनको रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट कराना चाहिए।
- बलगम के फंगस कल्चर की जांच कराये।
हमने आपको व्हाइट फंगस के बारे में पूरी जानकारी प्रदान की है। यह आज धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। इसके लिए आपके पास इसकी उचित जानकारी होना बहुत जरुरी होता है। किसी भी तरह के शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर आप अपने डॉक्टर को जरूर दिखाए।
इस तरह की दवाइयों का सेवन ना करें, जिसमें स्टेरॉयड की मात्रा पायी जाती हो। इलाज शुरू होने पर डॉक्टर से पूछें कि इन दवाओं में स्टेरॉयड तो नहीं है, उनके निर्देशानुसार इनका सेवन करें। यदि आपको घर पर ऑक्सिजन लगाया गया है तो बोतल में उबालकर ठंडा किया हुआ पानी डालें। ज्यादा तकलीफ होने पर हॉस्पिटल में जाए और उचित परामर्श ले।
ध्यान दें: यह जानकारी केवल सूचनात्मक उद्देश्य के लिए बताई गई है। इसमें बताई गई किसी भी सलाह को अपनाने या फिर उस पर अमल करने का निर्णय स्वयं का व्यक्तिगत निर्णय होगा। इसके निष्कर्ष तक पहुँचने से पहले एक बार विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
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