इस लेख में विक्की रॉय का जीवन परिचय (Vicky Roy Biography in Hindi) जानेंगे, जिसमें उनकी सफलता की कहानी, उनका बचपन, शिक्षा, संघर्ष आदि के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
विकी रॉय आज के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं क्योंकि विकी रॉय ने अपने बचपन में कचरा उठाया तथा लोगों के घर-घर जाकर अनाज मांग कर खाया था।
वही विक्की रॉय आज ₹50 करोड़ की कंपनी के मालिक हैं और यह सफर उन्होंने खुद अपने दम पर तय किया है।
गरीबी से तंग आकर विकी रॉय ने मात्र 11 वर्ष की आयु में घर छोड़ दिया था। वह घर से भागकर शहर में चले गए थे।
जहां पर उन्होंने कचरा उठा कर अपना जीवन यापन किया तथा दृढ़ निश्चय से अपने हौसले को कम नहीं होने दिया। लगातार गरीबी में रहने के बाद विक्की ने अपने जज्बे को काम में लिया और वो सफल हुए।
जो लोग यह सोचते हैं कि वह गरीब हैं, भिखारी हैं, उनके पास कुछ नहीं है, पैसे नहीं है, वह कर नहीं सकते उनके लिए विक्की रॉय एक प्रेरणा के स्रोत हैं।
विकी रॉय ने यह करके दिखाया है कि अगर इंसान का हौसला दृढ़ हो और कुछ कर गुजरने की हिम्मत रखते हो तो आप के हालात आप का कुछ नहीं बिगाड़ सकते।
विक्की रॉय का जीवन परिचय (Vicky Roy Biography in Hindi)
नाम | विक्की रॉय |
जन्म | 1986 |
जन्म स्थान | पुरुलिया, बंगाल |
पेशा | फोटोग्राफर |
नेट वर्थ | 50 करोड़ (अनुमानित) |
विक्की राय का जन्म और बचपन
मशहूर फोटोग्राफर विकी रॉय का जन्म 1986 में पश्चिम बंगाल के पुरुलिया गांव में हुआ था। उनके परिवार की हालत अत्यंत खराब थी। शुरुआत से ही उनका परिवार गरीब था।
घर की हालत खराब होने की वजह से उसके माता-पिता ने उन्हें अपने नाना-नानी के पास छोड़ दिया था लेकिन यहां पर उनके साथ अत्याचार होता था।
इस वजह से 1999 में उन्होंने मात्र 11 वर्ष की आयु में मामा की जेब से ₹900 चोरी करके घर छोड़कर भाग गए।
इसके बाद वे दिल्ली पहुंच गए। जहां उन्होंने रेलवे स्टेशन पर खाली पड़ी बोतल में पानी भर कर बेचने का काम शुरू किया।
यहां से उन्हें थोड़ा बहुत पैसा मिलने लगा, इसके अलावा कचरा उठाकर बेचना शुरू किया। उससे भी उन्हें थोड़ी बहुत कमाई होने लगी।
इस तरह से विक्की रॉय ने अपने जीवन की शुरुआत ऐसी अनेक सारी कठिनाइयों और परेशानियों का सामना करते हुए की थी।
विकी रॉय का करियर
आज के समय में जहां हम 30-40 वर्ष की आयु तक ही कुछ नहीं कर पाते हैं, घर नहीं छोड़ पाते हैं, कहीं पर जाने के लिए हमें पूरी व्यवस्था चाहिए होती है, वहीं पर सन 1999 में मात्र 11 वर्ष की आयु में अपना घर और अपना राज्य छोड़कर दिल्ली जैसे अनजान और भीड़भाड़ वाले राज्य में कदम रखा और अपने जीवन की शुरुआत कचरे के साथ की।
शुरुआती दिनों में अपने जीवन का भरण पोषण करने हेतु विकी ने अनेक सारे कार्य किए। जैसे- कचरा उठाया, खाली पानी की बोतल में पानी भरकर बेचा, इसके अलावा रेस्टोरेंट में बर्तन धोने का भी काम किया था।
विक्की रॉय बताते हैं कि जीवन के शुरुआत के दौरान उन्होंने दिल्ली के एक रेस्टोरेंट में काफी समय तक रात को बर्तन धोने का काम करते थे।
उस समय कड़ाके की ठंड पड़ती थी और उस ठंड में रात की 4 बजे तक ठंडे पानी में बर्तन धोते थे। इस वजह से उन्हें काफी तकलीफ हुई। काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
फिर भी विकी ने कभी भी अपने हौसले को कम नहीं होने दिया तथा खुद को मोटिवेट करते रहे।
कुछ समय बाद उन्होंने एक बाल कल्याण संस्था से स्कूल में एडमिशन लिया था। उन्होंने संस्था के जरिए एडमिशन लिया, जिसके बाद कक्षा 10 में आते ही स्कूल छोड़ दी क्योंकि वह दसवीं में फेल हो गए थे।
इस वजह से उन्होंने बिना पढ़ाई के ही कुछ कर गुजरने का जज्बा उठाया और वे स्कूल छोड़ निकल पड़े।
विकी रॉय की संघर्ष भरी जिंदगी
विकी रॉय ने संघर्ष भरी जिंदगी के बीच अपने सपनों की उड़ान भरना शुरू किया। बता दें कि वर्ष 2004 में उसी ट्रस्ट के अंतर्गत फोटोग्राफिक वर्कशॉप का आयोजन हुआ, जिस ट्रस्ट में विक्की रॉय रहा करते थे।
यहां पर एक विदेशी फोटोग्राफर आए, जिन्होंने विकी को अपने साथ फोटोग्राफी के समय रखते थे। लेकिन विकी को इंग्लिश नहीं आती थी, इसी वजह से उन्हें समझ नहीं पाएं और उनके साथ बातचीत नहीं कर पाएं।
लेकिन इस दौरान उन्होंने दिल्ली में ही एक फोटोग्राफर से मिलवाया था, जिसके बाद फोटोग्राफर बनने का सपना देखा।
विकी रॉय ने मात्र 18 वर्ष की उम्र में ही बाल कल्याण वाले ट्रस्ट को छोड़ दिया तथा वे किराए के मकान में रहने लग गए।
इस दौरान उन्होंने फोटोग्राफी से कुछ पैसे कमाएं, जिससे उनका मकान का किराया तथा खाने का खर्चा निकल जाता था।
इसलिए उन्होंने फोटोग्राफी के साथ-साथ वेटर का काम भी शुरू कर दिया। इस तरह से समय बीतता गया एवं विकी रॉय का फोटोग्राफी की दुनिया में मन लगने लगा।
फोटोग्राफर बनने के लिए घर पर ही उन्होंने अपने फोटोग्राफर करियर की शुरुआत की तथा पहली बार सन 2007 में इंडिया हैबिटेट सेंटर में अपने फोटोग्राफी का दावा पेश किया।
इसके बाद उन्हें रामनाथ फाउंडेशन से फोटोग्राफी का ऑफर मिला तथा वे वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर फोटोग्राफी करने लगे।
विक्की रॉय की सफलता
अब विकी ने अपने कदम बढ़ाने शुरू किए तथा फिर से पीछे मुड़कर नहीं देखा। लेकिन अपनी लगन और मेहनत से वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर काफी ज्यादा मेहनत और स्टडी की।
जिसके बाद उन्हें यहां पर भी सफलता हासिल मिली। यहां उनकी खूब चर्चा होने लगी। उसके बाद वापस भारत आए, तब उन्हें बाल कल्याण संस्था द्वारा पुरस्कार दिए गए, जिससे वे भारत में भी चर्चा में आ गए। उसके बाद उन्होंने वर्ष 2013 में श्रीलंका के लिए विजिट किया।
विकी राय का संघर्ष भरा जीवन हमें यह प्रेरणा देता है कि इंसान की किसी भी हालत हो, घर की स्थिति कैसी भी हो, उसका समय कैसा भी चलता हो, उसके पास भले ही कुछ भी ना हो, लेकिन अगर उसके पास हौसला है, कुछ कर गुजरने की हिम्मत है, वह हमेशा अपने हौसले को जिंदा रखते हैं। इस बात को विक्की रॉय ने साबित करके दिखाएं।
एक नजर विकी रॉय के जीवन पर
विकी राय बचपन से ही अपने माता-पिता के साथ गांव में घर-घर जाकर अनाज मंगा कर खाते थे तथा उसी अनाज से गुझारा करते थे। उनके पास ना तो पैसे थे और ना ही खाने की सामग्री थी।
ऐसी स्थिति में वे लोगों से मांग मांग कर खाते थे। उसी स्थिति में उन्हें अपना जीवन संवारने के लिए कुछ करना था लेकिन वह कहां जाएं?, क्या करें।
बता दें कि उनके माता-पिता ने कम उम्र की आयु में ही उन्हें आर्थिक तंगी के कारण उसे अपने नाना-नानी के पास भेज दिया था। जहां पर उनके साथ अत्याचार होते थे तथा उन्हें अनेक प्रकार की घटनाएं एवं समस्याएं उठानी पड़ती थी।
यहां उनसे बड़े आदमी की तरह काम करवाया जाता था। लेकिन कई समय तक यहां रहने के बाद में घर छोड़कर भाग गए तथा दिल्ली चले गए। दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर कचरा बीना करते रहे।
इसके अलावा उन्होंने होटल में बर्तन धोने का काम किया। इस तरह से उन्होंने जीवन की शुरुआत की तथा बाल कल्याण संस्था के जरिए कुछ वर्ष पढ़ाई भी की।
उसके बाद उन्होंने फोटोग्राफर बनने का सपना देखा और उसे पूरा करने लगे। इस दौरान उन्होंने जीवन में अनेक सारी परेशानियां देखी। बिना पैसों के सपना पूरा करना काफी मुश्किल हो रहा था।
किराए के मकान में रह रहे थे, इसलिए उनको फोटोग्राफ के साथ-साथ वेटर का काम भी करना पड़ा। इस तरह से वे अपने खाने और रहने के खर्चे उठा देते हैं।
धीरे-धीरे उनकी फोटोग्राफी की दुनिया दीवानी होने लगी और उनका नाम होने लगा। इस तरह से विकी रॉय ने बचपन से लेकर अपनी सफलता तक ढेर सारी परेशानियों का सामना किया, जो कि आज के समय में युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
युवाओं को विकी रॉय से तथा उनके जीवन से सीख लेनी चाहिए और अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहिए।
FAQ
विकी रॉय का जन्म सन 1987 को हुआ था।
विक्की रॉय पश्चिम बंगाल के मूल निवासी हैं।
विकी रॉय ने मात्र 11 वर्ष की आयु में घर छोड़ दिया था, वह घर छोड़कर दिल्ली भाग गए थे।
विकी रॉय ने फोटोग्राफर बनने का सपना बचपन में ही बाल कल्याण संस्था में रहते समय एक फोटोग्राफर आयोजन के दौरान देखा था। उस समय एक विदेशी फोटोग्राफर ने विकी को अपने पास में रखा था तभी से विकी रॉय को फोटोग्राफर बदले में रूचि होने लगी।
विक्की रॉय की कंपनी 50 करोड़ के नेटवर्थ की कंपनियों में शामिल हो चुकी है।
निष्कर्ष
रॉय ने आज अपने बलबूते पर बिना किसी सहारे के और बिना पैसों के, एक गरीब परिवार से होते हुए भी ₹500000000 की कंपनी खड़ी कर दी है।
इस आर्टिकल में विक्की रॉय का जीवन परिचय (Vicky Roy Biography in Hindi) विस्तार से बताया है। उम्मीद करते हैं आपको यह लेख पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरुर करें।
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