What is TRP in Hindi: जैसा कि हम सभी जानते हैं, पुराने समय में लोग रेडिओ द्वारा अपना मनोरंजन करते थे। जैसे जैसे तकनीक का विकास होता गया वैसे-वैसे मनोरंजन के अलग-अलग साधन उपलब्ध होते चले गए।
इसी बढ़ती तकनीक ने टेलीविजन का निर्माण कर किया। टेलीविजन इतना व्यापक होता चला गया, जिससे लोगों को टेलीविजन से लगाव होता चला गया और उन्होंने टीवी को अपने दैनिक जीवन का एक हिस्सा ही बना लिया।
जैसे-जैसे लोगों की टीवी के प्रति जागरूकता बढ़ती गयी वैसे-वैसे टीवी में अनेक प्रकार के चैनलों का निर्माण भी होता गया। आज बहुत से लोग ऐसे हैं, जिनके पास टेलीविजन के अतिरिक्त कोई और मनोरंजन करने का साधन उपलब्ध नहीं है। यह एक ऐसा विकल्प है, जिसके माध्यम से लोग मनोरंजन कर रहे हैं।
यदि आप टीवी देखते हैं, तो आपने TRP का नाम अवश्य ही सुना होगा। यह नाम सुनकर आप में से अधिकतर लोगों के मन में कुछ ऐसे प्रश्न उत्पन्न होते होंगे जैसे कि TRP क्या है और इसे Rating किस प्रकार से दी जाती है।
आपके ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब हम इस अपने इस महत्वपूर्ण लेख में देने जा रहे हैं। यदि आप टीआरपी के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं, तो हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।
टीआरपी क्या होती है और यह कैसे मापी जाती है? | What is TRP in Hindi
TRP का फुल फॉर्म क्या है? (TRP Kya Hoti Hai)
TRP की फुल फॉर्म टेलीविजन रेटिंग पॉइंट (Television Rating Point) है, मतलब टेलिविजन रेटिंग पॉइंट को short में टीआरपी कहते हैं।
TRP वह टूल अथवा उपकरण होता हैं, जिसके माध्ययम से यह पता लगाया जाता है कि टीवी पर कौनसा प्रोग्राम या टीवी चैनल सबसे ज्यादा देखा जा रहा है।
टीवी पर प्रसारित किए जाने वाले कुछ ऐसे प्रोग्राम या मूवी जिनकी टीआरपी बहुत अधिक होती हैं। जिन प्रकार के प्रोग्रामों की टीआरपी बहुत अधिक होती है, उसके टीवी पर प्रसारण के दौरान बीच-बीच में आपको अधिक समय वाले वाले विज्ञापन भी देखने को मिलते होंगे।
इन विज्ञापन प्रदाताओं को कुछ प्रोग्राम के प्रसारण के दौरान अपने विज्ञापन को दिखाने के लिए चैनलों को मोटी रकम अदा करनी होती हैं, यह रकम भी टीआरपी के आधार पर ही निर्धारित होती हैं।
TV चैनल की TRP कैसे चेक की जाती हैं?
एक विशेष प्रकार के डिवाइस की मदद से टीआरपी का पता लगाया जाता है परंतु कभी-कभी यह डिवाइस टीवी शो कनेक्ट नहीं हो पाते हैं, तो इस परेशानी को दूर करने के लिए set top box का प्रयोग किया जाता है। set top box के प्रयोग से टीवी के रेटिंग पॉइंट्स की गणना आसानी से की जा सकती है।
टीआरपी के रेटिंग प्वाइंट की गणना करने के लिए प्रयोग किए जाने वाले डिवाइस को People Meter कहा जाता है। ज्यादातर इन डिवाइसों का प्रयोग नगरों या महानगरों में किया जाता है, इसका प्रयोग ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत ही कम किया जाता है।
टीआरपी की जानकारी किस प्रकार से मिलती है?
टीआरपी का पता लगाने के लिए अनेकों नगरों और महानगरों में People meter (जो टीआरपी को मापता है) लगाया जाता है, specific frequency के द्वारा जांच कर रही टीम को इसका सारा ब्यावरा प्रदान करती है।
यह डिवाइस उस नगर या महानगर के क्षेत्र में मौजूद set top box आदि से जुड़ जाता है और इसके बाद यह meter TRP की calculating कर रही टीम से जुड़कर सारी जानकारियां उस टीम तक पहुंचाता है। यह टीम यह तय करती है कि टीवी के किस चैनल पर सबसे ज्यादा व्यूज आ रहे हैं, इसी व्यू के माध्यम से यह पता लगा लेते हैं कि किस चैनल की रेटिंग सबसे अधिक है।
चैनल की टीआरपी किस पर निर्भर करती है?
हम कहते हैं कि जिस चैनल की टीआरपी ज्यादा होती है, उस चैनल की कमाई बहुत ज्यादा होती है। लेकिन उस चैनल की टीआरपी बढ़ती कैसे हैं और किस पर निर्भर करती है? तो किसी भी एक चैनल पर 1 दिन में कई सारे टीवी सीरियल और टीवी शो प्रसारित किए जाते हैं।
यदि उस चैनल पर प्रसारित किए जाने वाले सभी टीवी सीरियल दर्शकों के द्वारा खूब पसंद किए जाते हैं तो चैनल की टीआरपी बहुत ही ज्यादा अधिक होती है। वैसे उस चैनल पर दिखाए जाने वाले प्रोग्राम में से किसी एक प्रोग्राम से भी टीआरपी बढ़ सकती है, यदि उस प्रोग्राम को देखने वाले दर्शकों की संख्या सबसे अधिक है।
इस प्रकार किसी भी चैनल की टीआरपी उस पर प्रसारित प्रोग्राम पर निर्भर करता है। किसी भी एक चैनल पर दिखाए जाने वाले हर एक प्रोग्राम की अपनी टीआरपी होती है, जिस प्रोग्राम से ज्यादा टीआरपी बढ़ रही है तो चैनल के साथ-साथ उस प्रोग्राम की भी ज्यादा कमाई होती है।
उदाहरण के लिए सोनी सब पर कई सारे प्रोग्राम दिखाएं जाते हैं लेकिन तारक मेहता का उल्टा चश्मा दर्शकों के द्वारा खूब पसंद किया जाता है। ऐसे में सोनी सब की टीआरपी इसके कारण तो ज्यादा बढ़ रही है, जिससे इसकी कमाई तो होगी लेकिन इसके साथ ही तारक मेहता के उल्टा चश्मा टीवी शो की भी कमाई ज्यादा होगी क्योंकि चैनल की टीआरपी इसके कारण बढ़ रही है।
इसीलिए बहुत बार आपने देखा होगा कि किसी भी चैनल पर दिखाए जाने वाले टीवी सीरियल के कुछ एपिसोड में फिल्म स्टार को भी दिखाया जाता है। क्योंकि फिल्म स्टार को लोग देखना बहुत पसंद करते हैं और वे अपने फिल्म का प्रमोशन करने के लिए उस सीरियल के किसी एक एपिसोड में आते हैं और उनके कारण उस प्रोग्राम की भी टीआरपी बढ़ जाती है।
चैनलों के लिए टीआरपी का महत्त्व
अब तक आपने पढ़ा टीआरपी क्या है, इसकी कैलकुलेटिंग किस प्रकार से की जाती है। इतना पढ़ने के बाद आपको इतना तो अवश्य ही पता हो चुका होगा, कि टीआरपी का सीधा कनेक्शन चैनल या फिर किसी सीरियल के popularity पर निर्भर करता है। तो सीधी सी बात है कि जिस सीरियल या फिर मूवी की टीआरपी रेटिंग हाई होती है और उसे जिस चैनल पर प्रसारित किया जाता है, उसके टीआरपी का सीधा प्रभाव चैनल के इनकम पर पड़ता है।
प्रसारित किए गए जिस सीरियल या फिर मूवी की रेटिंग हाई होगी, उस के चैनल को काफी अच्छा इनकम प्राप्त होगा, इसी के विपरीत जिस सीरियल या फिर मूवी के चैनल की रेटिंग कम होगी, उस चैनल एक दम पर इसका सीधा असर पड़ेगा।
अब बात करें कि टीआरपी से कोई भी चैनल कैसे पैसा कमाती है तो किसी भी चैनल पर प्रसारित होने वाले प्रोग्राम की 80% से भी ज्यादा कमाई विज्ञापन के द्वारा होता है। आपने देखा होगा कि किसी भी टीवी शो में हमेशा 3 से 4 मिनट के ब्रेक में विज्ञापन आते हैं। किसी टीवी शो में बहुत जल्दी-जल्दी विज्ञापन आते हैं तो किसी में कम विज्ञापन आते हैं। क्या कभी आपने इसके बारे में विचार किया है कि ऐसा क्यों होता है?
दरअसल जिस टीवी चैनल की टीआरपी ज्यादा होती है, उस पर ज्यादा विज्ञापन दिखाया जाता है। क्योंकि उस टीवी चैनल पर विज्ञापन दिखाने के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियां और बहुत सारी कंपनियां पैसा देती है। यदि उस चैनल पर कोई एक प्रोग्राम बहुत ज्यादा लोगों के द्वारा पसंद किया जा रहा है तो ऐसे प्रोग्राम के ब्रेक में विज्ञापन दिखाने के लिए चैनल को बहुत ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं खास करके जब क्रिकेट मैच होता है तब।
इसके अतिरिक्त सोनी, स्टार, लाइफ ओके, डिस्कवरी की रेटिंग बहुत ज्यादा हाई है। यह सभी advertising के द्वारा पैसे कमाते हैं, यदि इनकी रेटिंग कम हो जाती हैं तो इसका सीधा असर इनकी कमाई पर पड़ता हैं।
उदाहरण के लिए आप अधिक रेटिंग वाले प्रोग्राम में अपना विज्ञापन देना चाहते हैं, तो आपको उसके लिए अधिक पैसे पे करनी होते हैं। यदि आप कम रेटिंग वाले प्रोग्राम में ऐड देते हैं, तो आपको इसके लिए बहुत ही कम पैसे देने होते है।
FAQ
टीआरपी के बढ़ने या घटने से इसका सीधा असर उस चैनल की कमाई पर होता है। क्योंकि अधिक टीआरपी होने के कारण ही चैनल ज्यादा पैसे कमा पाती है। क्योंकि जिस चैनल पर ज्यादा टीआरपी होती है, उस चैनल पर बड़ी-बड़ी कंपनियां अपना विज्ञापन दिखाने के लिए ज्यादा पैसे देती है लेकिन जिस चैनल पर कम टीआरपी होती है। ऐसे चैनल पर बहुत कम ही कंपनियां विज्ञापन दिखाती है और पैसे भी बहुत कम देती है।
यदि किसी भी चैनल पर प्रसारित कोई प्रोग्राम दर्शकों के द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है तो चैनल की टीआरपी बढ़ने लगती है। इसके अतिरिक्त चैनल की टीआरपी बढ़ाने के लिए उसचैनल पर प्रसारित प्रोग्राम की किसी एपिसोड में फिल्म स्टार को भी दिखाया जाता है, जो अपनी फिल्मों के प्रमोशन के लिए आते हैं और उनके कारण टीआरपी भी बढ़ती है।
भारत में वर्तमान में 900 से भी अधिक टीवी चैनल है, जिस पर बहुत सारे प्रोग्राम प्रसारित किए जाते हैं।
टीआरपी को भारत में जारी करने का काम इंडियन टेलीविजन ऑडियंस मेजरमेंट किया करती थी, जिसका कार्य सिर्फ टीवी चैनलों की टीआरपी का अनुमान लगाना होता था। लेकिन अब भारत में टीआरपी को जारी करने का काम ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल इंडिया (BARC) करती है।
टीआरपी रेट पर से ही एक चैनल की टीआरपी को मापा जाता है। यह एक टेलीविजन रेटिंग पॉइंट है, जो किसी भी कार्यक्रम या चैनल की लोकप्रियता और दर्शकों को ट्रैक करने में मदद करती है। किसी भी चैनल के कार्यक्रम की टीआरपी उस चैनल पर प्रदर्शित होने वाले कार्यक्रम पर निर्भर करती है। जब कोई फिल्म स्टार अपनी फिल्म के प्रमोशन के लिए उस कार्यक्रम में आता है तो उसकी टीआरपी अपने आप बढ़ जाती है। क्योंकि दर्शकों के द्वारा फिल्म स्टार को देखना बहुत ज्यादा पसंद किया जाता है। इस तरह जिस कार्यक्रम को दर्शक देखना बहुत ज्यादा पसंद करते हैं, उसकी टीआरपी हमेशा हाय रहती हैं।
निष्कर्ष
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