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अध्यापक के लिए धन्यवाद भाषण

Thank you Speech for Teachers in Hindi : हर व्यक्ति के जीवन में शिक्षक एक अमूल्य व्यक्ति होता है, जो व्यक्ति की विद्यार्थी जीवन को एक बेहतर तरीके से तथा सुव्यवस्थित ढंग से निर्माण करता है। शिक्षक का जितना ही सम्मान किया जाए उतना ही कम है।

कहा जाता है व्यक्ति के निर्माण में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। इस दुनिया में कई ऐसे शिक्षक रहे हैं, जिन्होंने कई ऐसे कार्य किए हैं जिनसे की संसार उन्हें भगवान का दर्जा देता है। शिक्षक का जितना भी धन्यवाद किया जाए उतना ही कम है।

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Thank you Speech for Teachers in Hindi

हम इस आर्टिकल में आपको अध्यापक के लिए धन्यवाद भाषण (Thank you Speech for Teachers in Hindi) के बारे में बेहद सरल भाषा में माहिति प्रदान करेंगे। यह भाषण हर कक्षा के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होगा।

अध्यापक के लिए धन्यवाद भाषण | Thank you Speech for Teachers in Hindi

अध्यापकों के लिए विदाई दिवस पर धन्यवाद भाषण (500 शब्द)

सम्मानित प्रधानाचार्य तथा सभी शिक्षक गण और मेरे सहपाठी मित्र सभी को मेरा नमस्कार।

सबसे पहले मैं आप सबको धन्यवाद करना चाहता हूं कि आज इस भावुक क्षण में मुझे यह कार्यक्रम होस्ट करने का मौका दिया गया। आज का दिन बेहद दुखी व भावुक कर देने वाला दिन है क्योंकि शायद कल से हम लोग इस कॉलेज को छोड़ देंगे।

एक तरफ खुशी इस बात की है कि हम अपने जीवन के नए दौर को शुरू करने जा रहे हैं तथा दूसरी तरफ दुख इस बात का है कि हम बिताए गए 8 साल की यादें तथा अपने प्रिय अध्यापकों को जिन्होंने हमें अपने हाथ से लिखना तथा पढ़ना सिखाया है। अपनी छड़ी से हमें शरारत न करना तथा खुश रहना सिखाया है, यह सब छोड़कर चले जाएंगे।

हमें अब अपने नए जीवन की शुरुआत करनी है। नया कॉलेज होगा, नए लोग मिलेंगे, नए अध्यापकों होंगे परंतु वहां आप जैसे लोग नहीं होंगे। मुझे दुख इसी बात का है कि मैं अपने सबसे प्रिय अध्यापकों को छोड़कर जा रहा हूं।

आज मैं इस मौके का फायदा उठाते हुए सभी शिक्षकों का धन्यवाद करना चाहूंगा, जिन्होंने एक नवजात शिशु की तरह मुझे एक मां बनकर वह सब सिखाया। जिससे मैं इस दुनिया में आने वाली परेशानियों का सामना कर सकूं सामना ही नहीं अपितु  उनको समझ कर सुलझा भी सकूं तथा दूसरों की सहायता करने में हमेशा तत्पर रहा हूं।

बड़ों का आदर सम्मान तथा अपने माता पिता को तथा अपने गुरुजनों का आदर और सम्मान करते हुए उनके चरणों का आशीर्वाद लेता रहा हूं। इन सब बातों ने मेरे हृदय को इस प्रकार छुआ कि मैं आपके आदर्शों का गुलाम बन गया। यकीन मानिए कि मैं यहां पर आया एक शरारती बच्चे की तरह था। परंतु मैं ऐसे द्रोणाचार्य को पाकर धन्य हो गया, जिनकी शक्ति ने मेरे अंदर के एकलव्य को जगाया।

आपने हमें जो भी सिखाया, हमारे अंदर की कमजोरियों को बताया, परावर्तन काबू करने का तरीका समझाया, आपके बातों का अनुसरण करके मैंने वह सब किया जो आपने बताया। मुझे यह बताने में गौरवान्वित महसूस हो रहा है कि आज मैं उन सब आदतों पर काबू पा चुका हूं जो मेरी गंदी आदतें थी।

मुझे आज भी याद है कि मैंने जब उसे स्कूल में प्रवेश लिया था, तो मुझे बोलना मैं इतनी शर्म आती थी। मैं शरारती था। मैं बच्चों को छोटी-छोटी बातों पर मार देता था। उससे मुझे बाद में डांट मिलती थी लेकिन आज उन अध्यापकों के कारण में मंच पर खड़े होकर भाषण दे रहा हूं।

इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है कि आज मैं इतने लोगों के बीच निडरता से शब्दों को समझा रहा हूं। यह सब सिर्फ हमारे विद्यालय के अध्यापकों के कारण हुआ है, जिन्होंने हमें बोलना अर्थात हमारे बोलने के तरीके को बदला है।

हमारे जीवन को फूलों की तरह होता है तथा उसमें विभिन्न प्रकार के रंगों के फूलों के पौधों को लगाने का प्रयास करता है। एक संरक्षक भी होता है, एक माली भी होता है। शिक्षक हमारे जीवन का निर्माता होता है। हमारे निर्माण में हर एक शंभव प्रयास से हमारे निर्माण की नींव रखता है। ज्ञान रूपी जल को हर रोज डाल डाल कर पौधे रूपी विद्यार्थी को बड़ा करता है।

शिक्षक और विद्यार्थी के बीच संबंध को एक पवित्र रिश्ता की तरह माना जाता है क्योंकि विद्यार्थी अपने शिक्षक कि वह हर एक बात मानता है, जो उनके द्वारा कही गई हो क्योंकि विद्यार्थी जानता है कि शिक्षक कभी गलत नहीं करते। वह हमेशा हमारे भलाई के लिए ही होता है। इसलिए विद्यार्थी निस्वार्थ भाव से शिक्षक पर विश्वास करते हैं। शिक्षक प्रतिदिन उन्हें उन सब बातों को सिखाता है, जो उनके हित में है।

किसी ने सही कहा है कि स्कूली जीवन दोबारा लौट के नहीं आता। तो बिताया जीवन के याद आता है और आज मैं वह सब महसूस कर रहा हूं।

ज्यादा शब्दों को न संयोजित करते हुए मैं बस यही कहना चाहूंगा कि शिक्षक हमारे अंधकार जैसे जीवन की ज्योति जैसे होती है। उनका जितना धन्यवाद करें, उतना ही कम होता है। वे तो जलते रहते हैं लेकिन दूसरों को प्रकाशित करने के लिए।

धन्यवाद।

शिक्षक दिवस पर धन्यवाद भाषण (500 शब्द)

प्रधानाध्यापक तथा विद्यालय के सभी शिक्षक गणों और उपस्थित हमारे सहपाठियों को मेरा सुप्रभात।

पूरे विद्यालय की ओर से मैं अभिषेक कुमार, सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस पर ढेर सारी शुभकामनाएं तथा धन्यवाद कहना चाहूंगा।

सबसे पहले मैं विद्यालय को धन्यवाद कहना चाहूंगा जिन्होंने गुरुजनों को संबोधित करने का अवसर मुझे दिया है। इस मौके पर आज मैं अपने विद्यालय के सभी शिक्षको के विषय में वह सब  कहना जाऊंगा, जो मैं उनके प्रति महसूस करता हूं तथा उनका आदर सम्मान इस विद्यालय के शिक्षकों द्वारा जो किया जाता है।

मैं उन सब विद्यार्थियों की ओर से अपने सभी प्रियजनों शिक्षकों को धन्यवाद करना चाहूंगा, जिन्होंने हमें एक ऐसे पौधे से पेड़ बनाया तथा हमें हमेशा से एक नए मार्गदर्शक तथा सच्चे पथ पर चलने के लिए प्रशिक्षित करते रहें।

शिक्षक बनना बेहद ही मुश्किल काम होता है। शिक्षक हमारे जीवन के निर्माणकर्ता होते हैं, जो अपनी जीवन रूपी मोमबत्ती कुछ जलाकर हमारे जीवन को प्रकाशित करते हैं। वह 1 दिन हमें प्रशिक्षित करने के लिए मेहनत करते हैं तथा हमारे प्रशिक्षण के लिए वह सुबह से शाम तक हमारे ही विषय के कार्यों में लगे रहते हैं।

सही मायने में कहे तो हमारी देखभाल हकीकत में हमारे शिक्षक गण ही करते हैं। माता-पिता का स्थान शिक्षक तो नहीं ले सकते परंतु शिक्षक का स्थान बहुत ही सर्वोपरि होता है। वह हमारे प्रति सहानुभूति तथा सहृदय रूप से प्रशिक्षण कार्य को सफल करते हैं। मैं उनके विषय में जितना कहूं कम ही है।

जीवन में शिक्षक का होना अनिवार्य है। पूरे साल मेहनत करके हमें कठिन से कठिन शब्दों को सरल भाषा में सिखाते हैं। इन पुस्तकों में से ही हमें रणनीति देकर तथा दोस्ती, आदर सम्मान सीखाते है। उनके द्वारा बनाए गए पाठकों में हम जीवन के सभी परंपराओं व राजनीतिक पत्रों को सीखते हैं।

ऐसा किसी का जीवन नहीं रहा होगा कि जिसके जीवन में शिक्षक का मोल न हो। कोई भी व्यक्ति हो शिक्षक किसी न किसी रूप में उसके मार्गदर्शक रहे होंगे। किसी भी संस्थान में शिक्षक न हो, तो संस्थान विद्या का आलय नहीं होता। वह एक साधारण सा घर रह जाता है।

मेरे जीवन में आप सभी शिक्षक गणों का आना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मैं सभी शिक्षकों को धन्यवाद कहना चाहूंगा जिन्होंने हमारे दिलों पर अपनी प्रेम की छाप छोड़ी है तथा हमें आदर सम्मान व नए विचारों तथा तर्क शक्ति को बढ़ाने का काम किया है।

शिक्षक दिवस के मौके पर मैं उन सब शिक्षकों का धन्यवाद कहना चाहूंगा, जिनके आने से हमारा जीवन ज्ञान रूपी प्रकाश से प्रचलित होता है।

आज मैं आत्मविश्वास पर निर्भरता महसूस करता हूं इसका कारण सिर्फ हमारे शिक्षक गण हैं। उनके द्वारा दिखाए गए पाठकों में बड़े-बड़े महापुरुषों की कहानियां तथा उनके द्वारा बताई गई कहानियों में बड़े-बड़े किरदार से हमारे आत्मविश्वास में बढ़ोतरी हुई है।

हम कभी खुद को कमजोर महसूस करते थे परन्तु उनके द्वारा हमारे आत्मविश्वास को उत्साहित किया जाता था। ऐसे हमारे कई प्रिय अध्यापक हैं, जिन्होंने हमारे जीवन को पूरी तरह से बदला। मैं उन अध्यापकों को एक बार फिर से धन्यवाद कहना चाहूंगा जिनके बिना मैं कुछ भी नहीं था।

अंत लाइनों में मैं शिक्षक दिवस के इस अवसर पर शिक्षकों को धन्यवाद कहने के लिए दो शब्दों से उनका धन्यवाद कहना चाहूंगा कि आप उस सड़क की तरह हो, जिस पर विद्यार्थी रूपी मुसाफिरों को आप अपनी मंजिल तक पहुंचाते हैं और खुद ही एक ही स्थान पर स्थित होते हैं।

धन्यवाद।

अध्यापक के लिए धन्यवाद भाषण (500 शब्द)

आए हुए सभी सम्मानित गढ़ अतिथि महोदय तथा हमारे विद्यालय के प्रिंसिपल तथा अध्यापकों को मेरा प्रणाम।

सभी प्रिय विद्यार्थियों तथा सहपाठियों को मेरा नमस्कार। पूर्व छात्र होने पर मुझे आज शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को धन्यवाद कहने का अवसर प्रदान हुआ है इसके लिए मैं सभी शिक्षक गण तथा इस विद्यालय को बहुत-बहुत धन्यवाद कहना चाहूंगा। तथा मैं अपने छोटे भाई बहनों तथा सहपाठियों को शिक्षक दिवस पर हमारे विद्यालय के शिक्षकों द्वारा दिए गए हमारे प्रति आत्मसमर्पण के बारे में बताना चाहूंगा।

मेरा मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में शिक्षक का होना अनिवार्य है क्योंकि शिक्षक ही उस विद्यार्थी के जीवन को उस पथ पर ले जाता है, जो उसके भले के लिए होते है। जो वाकई में उसके जीवन को बदल सकें।

विद्यार्थी जीवन में व्यक्ति के मस्तिष्क चारों दिशाओं में प्रसारित होता रहता है। वह अपने आप को चारों दिशाओं में जाने को प्रेरित करता है। परंतु वहां पर हमारे शिक्षक का बहुत बड़ा योगदान होता है क्योंकि एक शिक्षक ही होता है जो हमारे द्वारा हमारे मस्तिष्क को उन सभी पथो पर वह मार्गो में रोक कर हमें उस मार्ग पर भेजता है जो हमारे हित के लिए होता है।

मैं अमन कुमार कक्षा 12 का छात्र हूं। मैं अपने जीवन के कुछ अनुभव को आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहा हूं, जिनसे मेरे जीवन में ऐसे परिवर्तन आए। कुछ शिक्षकों के आत्मसमपर्ण से मेरे जीवन में बहुत बड़ा योगदान रहा है।

मुझे याद है जब मैं कक्षा 5 में था तब मैं पढ़ने में बहुत कमजोर था। मैं अपनी पढ़ाई पर बिल्कुल ध्यान नहीं देता था।अपने होमवर्क को नहीं करता था तथा बच्चों से लड़ाई झगड़ा मैं आगे रहता था। मेरे साथ मेरे कई दोस्त भी लड़ाई झगड़ा करते थे।

एक दिन कुछ लड़कों से हमारी लड़ाई हुई शिक्षकों के पास यह बात पहुंचने पर शिक्षकों ने हमें बुलाया और मुझे अकेले में जाकर समझाया कि यदि तुम अच्छे से पढ़ोगे नहीं तो तुम कमजोर होते जाओगे और तुम्हारा साथ तुम्हारे दोस्त भी नहीं देंगे। तुम्हें अपने जीवन पर कई परेशानियों का सामना करना पड़ेगा, जो तुम्हारे शिक्षा से संबंधित होंगी।

वह बात मुझे समझ में आ गई और उस दिन से मैं अपनी शिक्षा पर ध्यान देने लगा और आज मैं सभी विद्यार्थियों को संबोधित करने के लिए इस मंच पर खड़ा हूं। मैं आपके लिए इससे बड़ा उदाहरण नहीं दे सकता, जो मैं खुद हूं।

यकीन मानिए कि शिक्षक एक ऐसे सड़क की तरह होता है, जो खुद को एक ही स्थान पर रुका होता है लेकिन अपने सामने आने वाले सभी विद्यार्थी रूपी मुसाफिरों को ज्ञान रूपी भोजन को देता है और उनको उनकी मंजिल तक पहुंचाता है।

आप सभी शिक्षकों का हमारे जीवन में आना बेहद ही प्रेरणादायक है। आपके द्वारा सिखाए गए बातों से तथा आपके द्वारा दी गई शिक्षा से ही हमारा आत्मविश्वास बढ़ा है। हम जीवन में आने वाली समस्याओं का सामना बेहद मेहनत से कर सकते हैं।

मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कहना चाहूंगा, जो हमारे जीवन को नए नए मार्गदर्शन देते रहे हैं तथा हमें अपनी मंजिल तक पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयास करते हैं।

मेरा आप सभी शिक्षकों को धन्यवाद कहना चाहूंगा जिन्होंने अपना कीमती समय हमारे जीवन को सुंदर बनाने के लिए खर्च किया है। हमारे भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए आपने जो हमें अपना कीमती समय दिया है, उसका मैं जीवन भर कर्जदार रहूंगा।

एक शिक्षक ही होता है, जो हजारों बच्चों को ज्ञान रूपी पोषण से पालता है तथा जीवन में कई आने वाली परेशानियों से लड़ने के लिए हमें प्रशिक्षित करता है। आपके धन्यवाद के लिए हमारे पास शब्द बहुत कम है, परंतु हमारे अंदर भावनाएं असीम है।

हमारे जीवन को सरल तथा सुलभ बनाने के लिए आपका जो आत्मसमर्पण रहा, मैं उसका धन्यवाद कहना चाहूंगा तथा इन्हीं शब्दों से मैं अपनी वाणी पर विराम देता हूं और विद्यालय के तथा विश्व के हर शिक्षकों को मेरा प्रणाम। धन्यवाद।

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