आज के इस आर्टिकल में हम आपके साथ Sudha Chandran Biography in Hindi शेयर कर रहे हैं। दूनिया में ऐसे बहुत से सफलतम लोग हैं जिनका बचपन बेहद कठिनाइयों और गरीबी में बीता, लेकिन अपनी क़ाबलियत और मेहनत के दम पर उन्होंने सफलता की नई ऊँचाइयों को छुआ।
आपने बहुत से ऐसे लोगों की कहानियां पढ़ी होगी, जिनको दो वक्त के खाने के लिए भी बेहद संघर्ष करना पड़ता था। लेकिन आज वे दुनिया के सामने सफलता के बेहतरीन उदाहरण बने हुए हैं।
ऐसे ही लोगों में से आज हम आपके सामने एक ऐसी महिला की कहानी लेकर आये हैं, जो शारीरिक रूप से अक्षम होते हुए भी आज सफलता की ऊँचाइयों पर हैं, और लाखों लोगों के लिए वे एक प्रेरणा का स्रोत हैं। जी हाँ हम बात कर रहे हैं मशहूर अभिनेत्री सुधा चंद्रन की।
आज सुधा चंद्रन को कौन नहीं जानता हैं, सुधाजी ने न सिर्फ नृत्य बल्कि अपनी अभिनय की कला से भी दर्शकों के दिलों में विशेष जगह बनायी है। टीवी सीरियल Kaahin Kissii Roz की Ramola Sikand और Naagin की Yamini Singh Raheja जैसे किरदारों ने सुधा चंद्रन को दर्शकों में लोकप्रिय बना दिया।
16 साल की सुधा जब बचपन में नृत्य करती थी तो लोग उनकी प्रशंसा करते नहीं थकते थे। लेकिन अचानक इस नन्ही सी लड़की के जीवन में ऐसी घटना घटती हैं जिसनें उसके पूरे जीवन को ही पलट कर रख दिया। तो आइये दोस्तों विस्तार से जानते हैं सुधा चंद्रन जी के जीवन (Sudha Chandran Biography in Hindi) के बारे में।
सुधा चंद्रन की जीवनी Sudha Chandran Biography in Hindi
सुधा चंद्रन का जीवन परिचय संक्षिप्त में
नाम | सुधा चंद्रन |
जन्म | 27 सितम्बर 1965 |
जन्मस्थान | मुंबई, महाराष्ट्र भारत |
उम्र | 54 वर्ष |
पेशा | अभिनय व नृत्य |
प्रसिद्द किरदार | रमोला सिकंद (कहीं किसी रोज़) यामिनी रहेजा (नागिन) |
कद | 5.7 फीट |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
वर्तमान शहर व गृह नगर | मुंबई, महाराष्ट्र |
पिता | के डी चंद्रन |
वैवाहिक स्थिति | शादीशुदा |
पुरस्कार | नेशनल फिल्म अवार्ड गोल्डन पेटल अवार्ड फॉर बेस्ट कॉमिक रोल नंदी स्पेशल जूरी अवार्ड इंडियन टेलीविज़न अकादमी अवार्ड्स फॉर बेस्ट एक्ट्रेस इन नेगेटिव रोल |
सुधा चंद्रन जन्म व शिक्षा (Sudha Chandran Life Story)
मशहूर अभिनेत्री सुधा चंद्रन (biography of sudha chandran) का जन्म 27 सितम्बर 1964 (Biography of Ramola Sikand) को भारत के केरल राज्य के एक सामान्य परिवार में हुआ। इनके माता-पिता बेहद सामान्य परिवार के होते हुए भी मुंबई में इन्हें उच्च शिक्षा दिलाई। बचपन में ही सुधाजी की नृत्य के प्रति रुचि पैदा हो गयी थी, और यही वजह हैं कि उन्होंने मात्र 3 वर्ष की आयु से ही भारतीय शास्त्रीय नृत्य का अभ्यास करना शुरू कर दिया था।
वे स्कूल में पढ़ाई के बाद नृत्य का अभ्यास करती थी, सुधाजी ने 16 वर्ष तक आयु में 75 से अधिक स्टेज शो पूरे कर लिए लिए थे। उनकी पहचान भारतनाट्यम की एक अच्छी कलाकार के रूप में होने लगी थी। सुधाजी नृत्य के क्षेत्र में अनेकों पुरस्कारों से भी सम्मानित हो चुकी हैं।
सुधा चंद्रन की सड़क दुर्घटना और सफलता पूर्वक कृत्रिम पैर लगना
सुधा चंद्रनजी (about sudha chandran) अपने माता-पिता के साथ तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली स्थित मन्दिर से लौट रही थी, तभी उनकी बस अचानक सामने आ रहे ट्रक से टकरा गयी। इस दुर्घटना में बहुत से लोग घायल हुए जिसमें सुधाजी भी शामिल थी।
अस्पताल में डॉक्टरों ने सुधाजी के माता-पिता को बताया कि इनके एक पैर की हड्डी टूट गयी हैं और इनके पैर में गैंग्रीन जो एक प्रकार का संक्रमण होता हैं, वो हो चूका हैं। अगर समय रहते इनका पैर नहीं काटा गया तो सुधाजी की जान भी जा सकती हैं। परिस्थितियों के आगे माता-पिता ने डॉक्टरों को पैर काटने की अनुमति दे दी।
यह दौर suda chandran के जीवन का सबसे ख़राब दौर था, जो लड़की नृत्य करते नहीं थकती थी अपना सारा जीवन ही जिसे समर्पित कर दिया हो, जिसको लेकर इतने सारे सपने देखे हो। अब ऐसी स्थितियों में सुधाजी को यह सब चूर-चूर होते दिख रहे थे। पूरे दिन बिस्तर पर पड़े पड़े अपनी किस्मत को कोसते रहती थी, दिन-रात डांसर बनने का सपना देखने वाली सुधा अब अपनी हालातों के आगे बेबस थी।
सुधाजी sudha chandran story की यह हालत देखकर इनके माता-पिता भी परेशान रहने लगे, उनकी दृष्टि में अपनी बेटी का अंधकारमय भविष्य साफ़-साफ़ दिख रहा था। कहते हैं कि हालात यहाँ तक आ चुके थे कि इनके माता-पिता ने घर से निकलना ही बंद कर दिया था। जब भी कुछ घर का सामान लेने जाना होता था तो वे रात में ही बाहर निकलते थे ताकि लोग उनसे सुधाजी के बारे में प्रश्न न पूछे। यह सब देखकर सुधाजी बेहद दुखी होती थी।
ऐसी हालातों में सुधाजी ने प्रण ले लिया कि अब चाहे कुछ भी हो जाये लेकिन जीवन में कुछ ऐसा करना हैं कि जिस पर माता-पिता को मुझे अपनी बेटी कहने पर गर्व महसूस हो। सुधाजी ने नृत्य को फिर से अपनाने का फैसला किया। अस्पताल में ही लेटे-लेटे सुधाजी ने अख़बार में एक विज्ञापन देखा जिसमें “चमत्कारपूर्ण पैर” (Miraculous foot) के बारे में लिखा था। डॉ. सेठी जो दुनिया में सबसे सस्ता कृत्रिम पैर बनाने के लिए लोकप्रिय हैं। इसके साथ ही डॉ सेठी ने इस क्षेत्र में Megsaysay Award भी प्राप्त किया हैं।
सुधा चंद्रन जी ने जयपुर फूट के डॉ. सेठी से मिलने के लिए उन्हें पत्र लिखा और सौभाग्य की बात यह कि डॉ सेठी उनसे मिलने के लिए तैयार हो गये।
जब पहली बार सुधाजी (information about sudha chandran) डॉ. सेठी से मिली तो पहला सवाल यही किया कि डॉ. क्या वे “जयपुर फूट” की मदद से पहले की तरह दुबारा चल पाएंगी? क्या वो फिर से पहले की तरह नृत्य कर पाएंगी? इस पर डॉ. सेठी ने यही कहा कि यह सब आप पर निर्भर करता हैं आपकी इच्छा शक्ति पर निर्भर करता हैं। अगर आप पूरी इच्छा शक्ति से यह चाहती हैं ऐसा संभव हैं। सुधाजी के पैर का ऑपरेशन हुआ और उनको कृत्रिम पर लगा दिया गया।
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धीरे-धीरे समय के साथ सुधाजी का हौसला बढ़ने लगा, अपने दुखद अतीत को भुलाकर सुधाजी अपने स्वर्णिम भविष्य के सच करने पर ध्यान देने लगी। वे नकली पैर की मदद से प्रतिदिन नृत्य का अभ्यास करने लगी इस दौरान उन्हें बहुत दर्द भी होता था और कभी-कभी उनके पैर से खून भी निकलने लगता था, बावजूद इन सबके उन्होंने अभ्यास करना नहीं छोड़ा।
बेहद कठिन अभ्यास और मेहनत के चलते सुधाजी अच्छा नृत्य करने में सक्षम हो गयी, अब समय सही मौका मिलने का और दुनिया के सामने अपनी योग्यता को सिद्ध करने का। सुधाजी इसके लिए सही मौके के इंतज़ार में थी।
सुधा जी के ऑपरेशन के बाद उनका पहला मौका
लम्बे इंतज़ार के बाद आखिर वो दिन आ ही गया जब सुधाजी को दुर्घटना के बाद पहले कार्यक्रम के लिए आमन्त्रित किया गया। यह मौका था “सेंट जेवियर्स कॉलेज” में परफॉर्मेंस देने का, और उस दिन के अखबर की हैडलाइन थी “Looses a Foot, Walks a Mile” इस तरह की हैडलाइन ने सुधाजी के हौसले को और भी बढ़ा दिया। पूरा शो लोगों की भीड़ से से खचाखच भरा हुआ था, इतने लम्बे समय बाद शो में परफॉर्म करना सुधाजी के लिए यह पहला मौका था इसलिए वे थोड़ी नर्वस भी थी लेकिन वे किसी भी हालत में ये मौका गंवाना नहीं चाहती थी।
जब सुधाजी ने पहली बार नकली पैर के साथ नृत्य किया तो पूरा सभागार तालियों की गडगडाहट से गूँज उठा, यह बहुत से लोगों के लिए प्रेरणादायी था। सुधाजी का हौसला और जूनून का हर कोई कायल था, अपनी पहली परफॉर्मेंस में सुधाजी के चाहने वालों की संख्या कई गुना बढ़ गयी।
धीरे-धीरे सुधा चंद्रनजी की लोकप्रियता बढ़ने लगी, उनके पिता ने सुधाजी के पैर छुते हुए कहा कि वे माता सरस्वती के चरणों में वंदना कर रहे हैं। क्योंकि उनकी बेटी ने असंभव कार्य को संभव कर दिखाया हैं। सुधाजी रातोंरात एक लोकप्रिय स्टार बन गयी।
सुधा चंद्रन जी के जीवन पर फिल्म
सुधाजी की लोकप्रियता बढ़ने के कारण उनके संघर्ष और सफलता की कहानियां अनेकों पत्र-पत्रिकाओं में छपने लगी। इसी दौरान लोकप्रिय फिल्म निर्माता रामोजी राव की नज़र भी इनके संघर्ष पर पड़ी। रामोजी राव ने सुधाजी के जीवन से प्रेरित होकर उन पर फिल्म बनाने का निर्णय लिया।
1984 में तेलुगु में सुधाजी के जीवन पर आधारित फिल्म “मयूरी” बनी, जिसमें मुख्य पात्र का रोल स्वयं सुधाजी ने निभाया था। इस फिल्म को दर्शकों ने ढेर सारा प्यार दिया। इस फिल्म में सुधाजी के नृत्य को भी दर्शकों ने खूब सराहा। तेलुगु फिल्म “मयूरी” का बाद में हिंदी वर्जन भी आया जो “नाचे मयूरी” नाम से आई। सुधाजी के जीवन पर आधारित इस फिल्म को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
इसके बाद सुधाजी को कई अन्य फिल्मों व टीवी सीरियल में भी काम किया। वर्तमान में भी कई ऐसे टीवी सीरियल हैं जिनमें सुधाजी काम कर रही हैं।
सुधा चंद्रन की कहानी (Biography of Sudha Chandran in Hindi) से हम सभी को प्रेरणा मिलती है, की कैसे एक भयानक दुर्घटना को उन्होंने अपने सपनों के आगे नहीं आने दिया। और शारीरिक अक्षमता के बावजूद भी अपने सपनों को पूरा किया। मैं उम्मीद करता हूं कि आपको यह Sudha Chandran Biography in Hindi जरुर पसंद आया होगा, अपनी राय नीचे कमेंट द्वारा हमें जरुर बताइयेगा।
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