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नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर भाषण

इस लेख में भारत के महान देशभक्त वीर पुत्र नेताजी सुभाष चंद्र बोस भाषण (Speech on Subhash Chandra Bose In Hindi) प्रस्तुत करने जा रहे हैं।

नेताजी जैसे वीर महापुरुष बहुत सारी सदियों के बाद एक बार जन्म लेते हैं। उनके बारे में जितना भी कहा जाए वह कम ही होगा। उनके जैसा महापुरुष आज तक पैदा नहीं हुआ है और ना ही कभी भविष्य में पैदा होगा।

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Image :Speech on Subhash Chandra Bose In Hindi

यह subhash chandra bose speech in hindi छोटे और बड़े दोनों रूप में लिखा गया है यह आपके लिए काफी मददगार साबित होगा।

Speech on Subhash Chandra Bose In Hindi

आदरणीय अतिथि गण, प्रधानाध्यापक एवं शिक्षक गण आप सभी को मेरा सुप्रभात।

मैं आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद करता हूं क्योंकि आप सभी के समक्ष आज मुझे सुभाष चंद्र बोस पर भाषण प्रस्तुत करने का यह सुनहरा अवसर दिया।

सुभाष चंद्र बोस भारत के एक महान नेताओं में से एक थे, वह हमेशा से ही नेता जी के नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए अपनी जान तक न्योछावर कर दी थी। उनकी मृत्यु की वजह से देश को बहुत ही अधिक क्षति पहुंची थी।

नेता जी का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था। इनके पिताजी एक बहुत ही प्रसिद्ध वकील थे। यह एक बहुत ही अच्छे परिवार से ताल्लुक रखते थे। एक बच्चे के रूप में ही सुभाष चंद्र बोस के महानता के लक्षण दिखाई देने लगे थे। उनमें बचपन से ही देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी।

एक समय की बात है जब एक यूरोपीय प्रोफेसर ने स्कूल में भारतीयों के लिए कुछ बुरी बातें कह दी थी तो उन्होंने उसे वहीं पर पीट दिया था और स्कूल से भी निकाल दिया था। जिसकी वजह से उन्हें कोई भी अफसोस नहीं था क्योंकि वह देश के खिलाफ कभी भी कुछ नहीं सुन सकते थे।

वह बचपन से ही उच्च विचार के थे। उन्होंने कटक से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके पश्चात वह कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में प्रवेश किया। वहां पर उन्होंने b.a. में दाखिला लिया और पहले डिवीजन में पास किया। इसके पश्चात रहे इंग्लैंड गए और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से डिग्री प्राप्त की।

इसके पश्चात उन्होंने आईसीएस की परीक्षा भी उत्तीर्ण की परंतु उन्हें उच्च अधिकारी बनने में किसी भी प्रकार की कोई दिलचस्पी नहीं थी क्योंकि वह हमेशा से ही अपने देश की सेवा करना चाहते थे। इसीलिए उन्होंने आईसीएस के पद से इस्तीफा दे दिया था।

इसके पश्चात वह देश सेवा के लिए कांग्रेस के आंदोलन में शामिल हो गए। 1939 में उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष भी चुना गया। गांधी जी के साथ उस समय उनके मतभेद थे। उन्होंने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था।

कुछ समय पश्चात ब्रिटिश सरकार ने उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन के लिए गिरफ्तार कर लिया और जेल में डाल दिया, लेकिन वह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जेल से भाग गए और भारत से भागकर वह जर्मनी पहुंच गए।

वहां पर हिटलर ने उनका स्वागत किया और हर संभव मदद का वादा भी किया। इसके पश्चात 2 साल तक सैन्य प्रशिक्षण नेताजी ने प्राप्त किया, जो हिटलर के द्वारा दिया गया था। अब वह एक जनरल बन चुके थे।

वह उस समय भी जर्मनी में ही रह रहे थे और वहां पर रहकर उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय कैदियों के बीच से भारतीय राष्ट्रीय सेना को खड़ा कर दिया था। वह भारत के और निकट जाने के लिए जापान पहुंच गए और वहां पर अपनी सेना खड़ी कर दी।

सेना का और भी अधिक मनोबल और अनुशासन उत्कृष्ट करने के लिए रहे, भारत की ओर चल पड़े। इसके पश्चात असम की तरफ से उन्होंने भारत में प्रवेश कर लिया। शुरुआत में तो उन्हें थोड़ी सी सफलता मिली लेकिन जर्मनी और जापान इसके तुरंत बाद वह परास्त हो गए। उन्होंने जापान के लिए उड़ान भरी।

ऐसा कहा जाता है कि उनका विमान रास्ते में ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसकी वजह से उनकी मृत्यु हो गई थी। हालांकि नेताजी इस दुनिया में नहीं है फिर भी उनका नाम सभी की जुबान पर रहता है और वह हमेशा ही रहेगा क्योंकि वह देश के महानतम शहीदों में गिने जा चुके हैं।

उनका एक ही प्रसिद्ध नारा था “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” इसी के साथ में अपनी वाणी को यहीं पर विराम देता हूं।

धन्यवाद!

यह भी पढ़े: सुभाष चंद्र बोस का जीवन परिचय और राजनीतिक सफ़र

सुभाष चंद्र बोस पर भाषण

माननीय अतिथि गण सम्मानित शिक्षक गण और मेरे प्यारे मित्रों आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार।

आज मैं आप सभी के समक्ष एक ऐसे नेता के बारे में बात करने जा रहा हूं। जिनकी वजह से मैं सबसे ज्यादा प्रेरित हुआ हूं, उनका नाम है सुभाष चंद्र बोस। इसके अलावा ऐसा कोई भी नहीं है, जिससे मैं अधिक प्रभावित हुआ हूं। आइये इनके बारे में अपने विचार आपके समक्ष प्रस्तुत करता हूं।

सुभाष चंद्र बोस का पूरा नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस था। यह भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए लड़े थे। खासकर इन्होंने भारत के सीमा के बाहर रहकर ही लड़ाई की थी। स्वतंत्र संग्राम के अंतिम वर्षों के दौरान भारत की स्वतंत्रता के लिए क्रांतिकारी विचारों का प्रस्ताव रखा था।

जिसने लाखों भारतीय की कल्पना को अंदर और बाहर दोनों जगह पर जीवंत रखा और राष्ट्रवाद और देशभक्ति की अवधारणा को नई नई परिभाषाएं दी थी। उन्होंने भारत में स्वतंत्रता के बाद एक महान दर्जा भी हासिल कर लिया था।

इनका जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था। इनका जन्म जानकीनाथ बोस और प्रभावती देवी के घर हुआ था। इनके शुरुआती शिक्षा कटक में हुई थी। इसके पश्चात कोलकाता में विश्वविद्यालय की स्नातक डिग्री ली थी।

इसके पश्चात वह इंग्लैंड चले गए और वहां पर सिविल सर्विसेज की परीक्षा उत्तीर्ण की, परंतु उनके अंदर देशभक्ति की भावना बहुत ही अधिक थी।

इसकी प्रकृति और अपने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने की वजह से उन्होंने भारतीय नागरिक सेवा में से अपना इस्तीफा दे दिया था और भारत वापस लौट आए थे। इसके बाद वह राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए थे और बंगाल और आसपास के स्थानों में युवाओं को जुटाने के लिए अपनी भूमिका को निभाने लगे।

सुभाष चंद्र बोस के विचार गांधी विचारों से अलग थे। इसीलिए उन दोनों में कभी भी नहीं बनती थी। उनके विचार कांग्रेस के लिए इस हद तक प्रभावशाली हो गए थे कि 1939 में उन्हें गांधी के पसंदीदा उम्मीदवार पट्टाभि सीता रमैया के स्थान पर कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया था और वहां भारतीय राष्ट्रीय सेना का नेतृत्व किया गया।

इसके पश्चात वह भारत छोड़ जापान भाग गए और वहां पर उन्होंने हिटलर के सहयोग से 2 साल तक सैन्य की ट्रेनिंग ली और जनरल बन गए। उन्होंने दुनिया भर की यात्रा की कभी-कभी खतरनाक इलाके में या गुप्त जगह पर रह कर भी जापान और जर्मनी की मदद से भारत को आजाद करने के लिए काम करते रहते थे।

इसके पश्चात उन्होंने सैनी योजनाओं को विकसित करने का काम शुरू किया और रासबिहारी बोस की मदद से भारतीय राष्ट्रीय सेना का नेतृत्व भी किया। उन्होंने सिंगापुर और अन्य पूर्वी क्षेत्रों के लगभग 40000 सैनिक शामिल कर लिए और एक अस्थाई सरकार भी बनाई।

भारतीय फ्रंटियर्स के लिए उन्नत आईएएन सेना में एक रिंग था। इसके पश्चात जापान के आत्मसमर्पण के कारण आंदोलन में अपनी गति को दी और कई भारतीय राष्ट्रीय फौज के सैनिकों को युद्ध बंदियों के रूप में पकड़ लिया गया था। इसके पश्चात 1945 में जापान के प्लेन क्रैश की वजह से नेताजी सुभाष चंद्र बोस का निधन हो गया था।

आज भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस लाखों दिलों पर राज करते हैं। यह महान नेताओं में से एक नेता हैं, जिन्हें आज भी लोग जानते हैं और इनके चरण कदम पर चलते हैं। परंतु आजकल की युवा पीढ़ी में इनकी विवादित परिस्थितियां गायब होती जा रही हैं।

परंतु यह गलत है सुभाष चंद्र बोस नेतृत्व कौशल देश के प्रति समर्पण साहस जोखिम उठाने की क्षमता और निस्वार्थ प्रकृति वाले एक आदमी को लीडर और हीरो के रूप में उभरने का काम करता है और यह काम सुभाष चंद्र बोस ने किया था। इसी के साथ में यहां पर अपनी वाणी को विराम देता हूं।

धन्यवाद!

निष्कर्ष

इस लेख के जरिए आपके समक्ष सुभाष चंद्र बोस पर स्पीच (subhash chandra bose hindi speech) प्रस्तुत किया है।

अगर आपको सुभाष चंद्र बोस से संबंधित किसी को भी संबोधित करना है या स्कूल या कॉलेज में समारोह में संबोधित करना है तो यह लेख आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता है।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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