नमस्कार दोस्तों, यहां पर हमने कोरोना वायरस पर कविताओं का संग्रह किया है। उम्मीद करते हैं आपको यह Poem on Coronavirus in Hindi पसंद आयेंगी।
कोरोना वायरस पर कविताएं | Poem on Coronavirus in Hindi
कोरोना पर कविता (Coronavirus Poem in Hindi) – 1
मुश्किल बड़ी घड़ी है
संयम बनाये रखना
एक फ़ासला बनाकर
खुद को बचाये रखना।
है जिंदगी नियामत
असमय ये खो ना जाये
इस देश पर कोरोना
हावी ना होने पाये
ये वक्त कह रहा है।
घर से नहीं निकलना
निज शक्ति को बढ़ाना
संकल्प से ही अपने
इस रोग को हराना
हाथों को अपने साथी
कई बार धोते रहना।
उनको नमन करें हम
सेवा में जो लगे हैं
सब कुछ भुला के अपना
दिन-रात जो जुटे हैं
रहकर सजग हमेशा
अफ़वाहों से भी बचना।
मुश्किल बड़ी घड़ी है
संयम बनाये रखना।।
कोरोना को भगाना जरूरी है (Poem on Corona Warriors in Hindi) – 2
युवा शक्ति ने ठाना है,
कोरोना मार भगाना है।
जो घर से बाहर जाएगा,
कोरोना लेकर आएगा।
युवा जागरूकता लाएंगे,
घर-घर अलख जगाएंगे।
एक मीटर की दूरी है,
अलग रहना जरूरी है।
जब कोरोना भागेगा,
देश श्रेष्ठ कहलाएगा।
न डर जाना जरूरी है,
न घबराना जरूरी है।
ये कोरोना गरूरी है,
भगाना भी जरूरी है।
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मेरा नाम है कोरोना (Covid Poem in Hindi) – 3
मैं मौत की सौदागर मेरा नाम है कोरोना
सम्पर्क में जो आये, पड़े जां से हाथ धोना।
वुहान में मैं जन्मी, “मृत्यु मेड इन चाइना”।
हूं ऐसी महामारी जिसकी दवाई कोई ना।
मैं मौत की सौदागर मेरा नाम है कोरोना।।
विश्व स्वास्थ्य आपदा की, बनी मैं हूं कारण।
वायवीय सम्पर्क से, पाती हूं मैं विस्तारण।।
सावधानी बरतने से होता मेरा निस्तारण।
निरोधक क्षमता वाले रोकते प्रसारण।।
दूराव बनाये रखिए, एक से दूसरे को हो ना।
मैं मौत की सौदागर मेरा नाम है कोरोना।।
मैं कोविद-19, बहन फ्लू से मिलता लक्षण।
हो कुछ भी समरूपता, जांच कीजिए तत्क्षण
भयाक्रांत मुझसे दुनिया विकरालता के डर से
यात्राएं स्थगित, लोग निकलते कम घर से।
अफ़वाहों से बचें, अर्थव्यवस्था लचर हो ना।।
मैं मौत की सौदागर मेरा नाम है कोरोना।।
भारतीयों को कर पाती नहीं सम्मोहन।
उनकी जीने की शैली, रोकते अवरोहण।।
तापमान भारत का, वायरस. अवरोधी।
स्वास्थ्य जागरूकता, संक्रमण विरोधी।।
सतर्क संवेदी रहकर, मुझे दूर करो ना।
मैं मौत की सौदागर मेरा नाम है कोरोना।।
दहशत में दुनिया, मेरे यारी के चलते।
हाथ मिलाने से डर कर करते नमस्ते।।
रहन सहन भारतीयों का स्वच्छ सर्वोत्तम।
खान-पान, योग-ध्यान, रोग-रोधी उतम।।
बने रहो भारतीय, मुझसे कभी डरो ना।
मैं मौत की सौदागर मेरा नाम है कोरोना।।
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कोरोना आया
सब को सताया
सब हाथ जोड़ें
हाथ ना मिलाया
बाज़ार बंद हो गये
कुछ ना मिल पाया
बच्चों ने जन्मदिन
अकेले ही मनाया
जो ना कहना माने
पुलिस ने भगाया
सब्ज़ी वाला भी अब तो
मॉस्क पहन के आया
साफ-सफाई रखकर
कोरोना को हटाया।
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कल रात सपने में आया कोरोना (Corona Par Poem) – 5
कल रात सपने में आया कोरोना
उसे देख जो मैं डरातो मुस्कुरा के बोला
मुझसे डरो ना।
उसने कहा- कितनी अच्छी है तुम्हारी संस्कृति।
न चूमते, न गले लगाते
दोनों हाथ जोड़ कर वो स्वागत करते,
मुझसे डरो ना।
कहां से सीखा तुमने?
रूम स्प्रे, बॉडी स्प्रे,
पहले तो तुम धूप,
दीप कपूर अगरबत्ती, लोभान जलाते
वही करो ना,
मुझसे डरो ना।
शुरू से तुम्हें सिखाया गया
अच्छे से हाथ पैर धोकर घर में घुसो,
मत भूलो अपनी संस्कृति
वही करो ना
मुझसे डरो ना।
उसने कहा सादा भोजन उच्च विचार
यही तो है तुम्हारे संस्कार।
उन्हें छोड़ जंक फूड फ़ास्ट फूड के चक्कर में पड़ो ना
मुझसे डरो ना।
उसने कहा शुरू से ही जानवरों को पाला-पोसा प्यार दिया
रक्षण की है तुम्हारी संस्कृति, उनका भक्षण करो ना
मुझसे डरो ना।
कल रात मेरे सपने में आया कोरोना
बोला मुझसे डरो ना।
मुझसे डरो ना (poem on corona in Hindi) – 6
कल रात सपने में आया कोरोना….
उसे देख जो मैं डरातो मुस्कुरा के बोला
मुझसे डरो ना…
उसने कहा- कितनी अच्छी है तुम्हारी संस्कृति।
न चूमते, न गले लगाते
दोनों हाथ जोड़ कर वो स्वागत करते,
मुझसे डरो ना..
कहां से सीखा तुमने??
रूम स्प्रे, बॉडी स्प्रे,
पहले तो तुम धूप,
दीप कपूर अगरबत्ती, लोभान जलाते
वही करो ना,
मुझसे डरो ना…
शुरू से तुम्हें सिखाया गया
अच्छे से हाथ पैर धोकर घर में घुसो,
मत भूलो अपनी संस्कृति
वही करो ना
मुझसे डरो ना…
उसने कहा सादा भोजन उच्च विचार
यही तो है तुम्हारे संस्कार।
उन्हें छोड़ जंक फूड फ़ास्ट फूड के चक्कर में पड़ो ना
मुझसे डरो ना…
उसने कहा शुरू से ही जानवरों को पाला-पोसा प्यार दिया
रक्षण की है तुम्हारी संस्कृति,उनका भक्षण करो ना
मुझसे डरो ना
कल रात मेरे सपने में आया कोरोना
बोला मुझसे डरो ना।
मिलकर कोरोना को हराना है (Coronavirus Poem in Hindi Lyrics) – 7
मिलकर कोरोना को हराना है,
घर से हमें कहीं नहीं जाना है,
हाथ किसी से नहीं मिलना है,
चहरे से हाथ नहीं लगाना है,
बार-बार अच्छे से हाथ धोने जाना है,
सेनेटाइज करके देश को स्वच्छ बनाना है,
बचाव ही इलाज है यह समझाना है,
कोरोना से हमकों नहीं घबराना है,
सावधानी रखकर कोरोना को मिटाना है,
देशहित में सभी को यह कदम उठाना है।
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नज़र मत चुराओ कोरोना (Coronavirus Par Kavita) – 8
कोरोना पर कविता हिंदी (Hindi Poem on Corona)
आ ही गए हो तो नज़रे भी चुरा सकते नहीं,
हाथ जोड़कर करते हैं स्वागत,
हाथ हम मिला सकते नहीं,
परम्परा है अतिथियों का सत्कार करने की,
इसलिए नज़रे तुमसे चुरा सकते नहीं,
हाथ जोड़कर करते हैं स्वागत,
हाथ हम मिला सकते नहीं,
तेरे आने से देश में मायूसी सी छाई है,
जैसे एक आंधी, काली घटा घेर लायी है,
फिर भी नही डरेंगे तुमसे,
क्योंकि चिकित्सा पद्धति सबसे पहले भारत में ही आयी है,
निपटने का तुझसे हर सम्भव प्रयास जारी है,
तुमने तो फैला लिया अपना कहर,
अब निपटने की आयी तुम्हारी बारी है,
निकाल फेकेंगे तुझको इस देश की जड़ो से हम,
जैसे तुम कभी यहां आये ही न थे,
डॉक्टर की मेहनत से बेफिक्र हो जाएगा
यहां का हर एक नागरिक,
जैसे वो इससे कभी घबराए ही न थे,
डॉक्टर की मेहनत, समर्पण,
और उनके इस ज़ज़्बे को में दिल से सलाम करता हूं।
कोविड पर कविता (Coronavirus Poem in Hindi Short) – 9
केकर सुनैं, केकर नाहीं, कौन बताए इ सब,
केयु कहिस कलौंजी पीसौ, केयु आंवला रस
केयु कहस घर म बैठो, हिलो न ठस से मस
ईर कहेन औ बीर कहेन, की ऐसा कुछ भी Carona,
बिन साबुन से हाथ धोई के, केहू के भैया छुओ न,
हम कहा चलो हमौ कर देत हैं, जैसन बोलैं सब।
कोविड-19 पर कविता (Coronavirus Poem in Hindi) – 10
जान लेवा करुणा तुम्हारी
विपद मड़रायें सर पर हमारी
देख भाई ! सम्भल कर चलना
हार न माने हर्गिज ये वरना
भीड़ से अभी करो परहेज
ढका हुआ पहनो वेश
आधुनिकता का हाथ न बढ़ाओं
मुंह ढक करो बातें, दूरी बनाओं
स्वदेशी सा करो नमस्कार
हाथ धोओ बारम्बार
नींबू-संतरा-मौसमी खाओ
दारचीनी का चटकारा लगाओ
कृपा करो हे भगवन!…
शिशु बचे, बचे सारा भुवन
देखो चीन ने जैसे कोई किया हो जादू-टोना (Poem on Coronavirus in Hindi) – 11
देखो चीन ने जैसे कोई किया हो जादू -टोना
देखो पूरी दुनिया बोल रही है कोरोना कोरोना
अपनी चुन्नी चुन्नी आंखों से जब डरा ना पाया
चमगादड़ खा अपनी बीमारी सबको सरकाया।
चाऊ चाऊ करके हम चाव से खाते थे चाऊमीन
नाशपीटे बुरा हो तेरा तूने मजे हमारे लिए छीन
अच्छा खासा इंसान देखो बंदर बन के डोल रहा
हाथ मिला के बनता अंग्रेज अब नमस्ते बोल रहा।
देखो तो टी वी वालेन की बांछें कैसी खिल रहीं
जैसे पराठे संगे पुदीना चटनी उनको फ्री मिल रही
देखो मुस्का वुस्का लगाने से गलती हो गयी एक
पति हमारे चल दिए और किसी का हाथ लेके टेक।
थोड़ी सी सावधानी कर लो, ना करो दइया दइया
वरना फिर करते रह जाओगे हाये मइया मइया।
सुन लो कोरोना, भारतवासियों का ऐलान (Poem on Coronavirus in Hindi) – 12
सुन लो कोरोना, जान लो कोरोना, तू मरेगा, तू मिटेगा,
तुम्हे तुम्हारे पापों का दण्ड अवश्य मिलेगा।
तुमने देश रोका,तुमने दुनियाँ रोकी,
जहाज-विमान के साथ तुमने रेल भी रोकी।
स्कूल, कॉलेज और युनिवर्सिटी में रुक गई पढ़ाई,
विद्यार्थी, शिक्षक एवं शिक्षाविदों पर तुम्हें जरा भी दया नहीं आई।
तू मरेगा, तू मिटेगा,
तुम्हे तुम्हारे पापों का दण्ड अवश्य मिलेगा।
तू क्या समझता है — तू है सर्वशक्तिमान,
तेरा कभी नहीं होगा सत्यानाश?
अरे, हमने तो प्लेग, हैजा, कोलोरा, मलेरिया तथा पोलियो को किया पराजित,
तो तुम किस खेत की मूली है, जो तू नहीं होगा पराजित।
तूने संक्रमण फैलाया, हमने लॉकडाउन करके सेनटाईजिंग कराया,
तूने कोरोना मरीज़ का आँकड़ा बढ़ाया, हमने कॉरोनटाईन का दायरा बढ़ाया।
तूने मौत का तांडव मचाया,
हमने उपचार के तरीके सुझाया।
कर लो करना है जितना करना है अत्याचार,
हमारे डाक्टर, नर्सेस और मेडिकल स्टाफ करते रहेंगे कोरोना मरीजों का उपचार।
न रुकेंगे, न थकेंगे लॉकडाउन का विस्तार करेंगें,
तुम्हारी मौत तक इंतजार करेंगे।
अब भी यदि तुम्हारे अंदर थोड़ी सी भी इंसानियत बची है, तो
जहाँ से तुम आये हो वहीँ चले जाओ।
हमें चैन से रहने दो, हमें चैन से जीने दो।
तुम्हें तो सभी बच्चे और बुजुर्गों की बददुआ लगेगी और सजा भी मिलेगी,
क्योंकि तू एक दिन अवश्य मरेगा।
तो सुन लो कोरोना और कोविड-19, एक दिन,
तुम्हें तुम्हारे पापों का दंड अवश्य मिलेगा—तुम्हें तुम्हारे पापों का दंड अवश्य मिलेगा।
हाइकु (कोरोना) (Poem on Coronavirus in Hindi) – 13
आज के दिन
आपसे निवेदन
सतर्क रहें।
स्वस्थ रहिए
कोरोना से बचिए
हाथ धोइए।
नमस्ते करें
छह फीट दूर से
आप सभी को।
मास्क लगाएं
यदि आप रोगी हैं
पास न जाएं।
साफ़ सफाई
हमें सभी रोगों से
बचाए भाई।
कोरोना पर कविता (Poem on Coronavirus in Hindi) – 14
कोरोना कविता हिंदी (Corona Par Kavita)
विपदा ऐसी आई हैं, बंद हुए मंदिरो के भी पट
भुखमरी से हर प्राणी के सर, विपदा आ गयी हैं निकट
हिंसा की राह पर चलने की, सजा पा गिर रहे आँसू
लेके जान अनेको की, बन रही हैं प्रतिदिन ये विकट
प्रकृति से खिलवाड़ का, जग भुगत रहा बुरा अंजाम
महामारी हर दिशा में फ़ैल के, दे दुखद परिणाम
घरों में कैद होकर मनुष्य, जिंदगी की करें आस
पृथ्वी पर हर जीव-प्राणी का हक़, दे ये पैगाम
मिटा कर भूल क्षमा करो, पाप हुए हैं जो भी भगवान
शक्ति देकर समाधान मिले, पा सके सभी मौकाम।
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