Home > Essay > पेड़ की आत्मकथा पर निबंध

पेड़ की आत्मकथा पर निबंध

Ped Ki Atmakatha in Hindi: पेड़ पौधों से ही तो हमारी प्रकृति है। प्रकृति से ही इस धरती की सुंदरता है। प्रकृति से ही सभी तरह के जीव जंतु इस धरती पर अस्तित्व रखते हैं। अगर पेड़ पौधे ना हो तो कोई भी जीव जीवित नहीं रह सकते।

लेकिन दुख की बात है कि आज का मनुष्य अपनी सुख सुविधा और स्वार्थ के लिए पेड़ पौधों को काट रहा है, पेड़ पौधों को नुकसान पहुंचा रहा है। अगर ऐसे ही पेड़ पौधे नष्ट होते रहे तो वह समय दूर नहीं जब सृष्टि का विनाश हो जाएगा।

ऐसे में पेड़ पौधों की रक्षा करने के लिए हर एक व्यक्ति को वृक्ष की आत्मकथा से अवगत होना जरूरी है। पेड़ पौधों का भी एक मनुष्य की तरह खुद की एक आत्मकथा होती है। यह आत्मकथा आपको पेड़ पौधों के महत्व को समझने में मदद करेगी।

इस लेख में पेड़ की आत्मकथा हिंदी निबंध (Ped ki Atmakatha Nibandh) लेकर आए हैं। यह निबन्ध बहुत ही सरल भाषा में लिखा गया है।

यह भी पढ़े: हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध

पेड़ की आत्मकथा पर निबंध (200 शब्द)

मैं एक पेड़ हूं, जो लगभग हर एक व्यक्ति के घर के बाहर लगा रहता हूं। हर कोई मेरे आस-पास से गुजरता है। मेरे छांव में आराम करता है, मेरा फल-फूल खाता है। लेकिन फिर भी आज तक कोई मेरी चिंता नहीं करता है। लेकिन आज मैं आपको अपनी आत्मकथा बताने जा रहा हूं।

मैं ईश्वर के द्वारा प्रकृति को दिया गया एक वरदान हूं। इस सृष्टि पर सबसे पहले मेरी ही उत्पत्ति हुई है। मेरे उत्पत्ति से ही बाकी सभी जीवों की उत्पत्ति हुई। जन्म से पहले मैं धरती के अंदर एक बीज के रूप में सुषुप्तावस्था में पड़ा हुआ था।

भूमि के खनिज तत्व और पानी से मैं स्वयं का विकास करते हुए एक तने के रूप में भूगर्भ से बाहर निका। उसके बाद वर्षा के पानी से और धूप की किरणों से मेरी लगातार वृद्धि होते गई और इस तरह में एक तने से एक पेड़ के रूप में विकसित हो गया।

एक छोटे से पौधे से लेकर एक बड़े से पेड़ बनने तक के सफर में मैंने काफी कुछ क्षेला। मुझे हमेशा भय रहता था कि मुझे कोई जानवर खा ना जाए, मेरे पत्ते ना खा जाए, मुझे नुकसान ना पहुंचाएं।

मैं बड़ा हो गया हूं लेकिन उसके बावजूद अभी भी मुझे हर दिन डर-डर के जीना पड़ता है। क्योंकि वनस्पति नष्टिकरण, जंगलों की कटाई और वातावरण प्रदूषण ने मेरे जीवन को ध्वंस कर दिया है। मुझे लगातार डर रहता है कि न जाने कब मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए मुझे नष्ट कर दे।

मैं इस जमीन की गोद पर पैर रखते ही सभी जीवों के लिए अपनी सेवा करने का संकल्प लिया हूं। मैं बस इतना ही चाहता हूं कि मनुष्य मेरी कद्र समझे।

Ped Ki Atmakatha in Hindi

पेड़ की आत्मकथा पर निबंध (500 शब्द)

मैं एक पेड़ हूं। मेरी आत्मकथा के जरिए मेरा जन्म कैसे हुआ और बचपन से लेकर बड़े होने तक के पूरे सफर से आप अवगत होंगे। मेरा जन्म भी दूसरे पेड़ पौधों से ही हुआ है। दूसरे पेड़ पौधों के फल के बीज जमीन पर गिरने से ही मेरा निर्माण हुआ है।

जब मैं जमीन में लंबे समय तक पड़ा रहा तो वह बीज ने भूगर्भ के खनिज तत्व और पानी से स्वयं का विकास करते हुए एक छोटे से पौधे के रूप में अवतरित हुआ।

पौधे से पेड़ बनने तक के सफर में प्रकृति के साथ ही साथ मैं मानवता का भी आभारी हूं। क्योंकि मैं सूरज की किरण और वर्षा के पानी से बड़ा हुआ ही हूं लेकिन जब जब मुझे वर्षा का पानी नहीं मिला तब मनुष्य ने मुझे पानी देकर बढ़ने में मदद की।

छोटे पौधे से बड़े पेड़ बनने तक के सफर में मुझे काफी भय का सामना करना पड़ा। मुझे हर घड़ी डर लगता था कि कहीं कोई जानवर मेरे पतियों को खा ना जाए, कोई मनुष्य मुझे कुचल ना दे। लेकिन भगवान की कृपा से मुझे कुछ नहीं हुआ और मैं एक विकसित पेड़ बन गया।

मेरे जीवन के इस सफर में मैंने कई जीवों के साथ अनूठा संबंध बनाया, जो मुझसे घूलने मिलने लगे।  अब मेरे जीवन का एकमात्र उद्देश्य प्रकृति संतुलन बनाए रखना और सभी जीव जंतुओं की सेवा करना है।

मेरे दिल को बहुत सुकून मिलता है, बहुत खुशी मिलती है जब मेरे गोद में आते जाते लोग बैठकर अपनी थकान दूर करते हैं। मेरे फल खाकर अपनी भूख दूर करते हैं। मुझे बहुत खुशी होती है कि मेरी शाखाएं पंछियों को अपना घर बनाने के लिए जगह देता है। मैं तमाम प्रकार के जीव-जंतु, पशु प्राणियों का विराम स्थल हूं।

वैसे तो पेड़ पौधों की जिंदगी सैकड़ों सालों तक की होती है लेकिन आज के इस मनुष्य पर कोई भरोसा नहीं, जो अपने स्वार्थ के लिए पेड़ पौधों को नष्ट करते ही रहते हैं। अपने मतलब के लिए वे पेड़ पौधों को लगाते भी हैं और अपने स्वार्थ के लिए ही पेड़ पौधों की कटाई भी कर देते हैं।

धीरे-धीरे इस सृष्टि से पेड़ पौधों की संख्या कम होते जा रही है तभी तो प्रकृति असंतुलित हो रहा है और कई तरह की प्राकृतिक आपदाएं हो रही है। पता नहीं मनुष्य क्यों नहीं समझते कि हम ही तो आक्सीजन प्रदान करते हैं। अगर हम ही नहीं रहेंगे तो उनका जीवन कैसे रहेगा।

अभी भी वक्त है कि मनुष्य सुधर जाए। अभी भी वे कई तरह के प्रयत्न करके पेड़ पौधों की रक्षा कर सकते हैं, हमें जीवन दान दे सकते हैं।

मेरी आत्मकथा एक सत्य कहानी है। मुझे उम्मीद है कि मेरी आत्मकथा लोगों को पेड़ पौधों की रक्षा करने उनका सम्मान करने के लिए प्रेरित करेगी।

मैंने अपनी आत्मकथा के जरिए जन्म से लेकर बढ़ाने तक के सफर में मैंने क्या-क्या क्षेला हैं, उन हर दास्तां को बताया है। अब मैं इंसानों से बस इतना ही अपेक्षा रखता हूं कि वह मेरे महत्व को समझेंगे और ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाएंगे।

निष्कर्ष

इस तरह उपरोक्त लेख में आपने पेड़ की आत्मकथा पर निबंध (Ped Ki Atmakatha in Hindi) के बारे में जाना। यह लेख विद्यार्थियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।

इसीलिए इस लेख को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए अन्य लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें ताकि इस लेख के माध्यम से पेड़ों के महत्व और उनकी आत्मकथा से अवगत हो सके और वे मिलकर पेड़ों की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दें।

यह भी पढ़े

पेड़ हमारे सच्चे मित्र पर निबंध

पेड़ बचाओ पर निबंध

पेड़ों के महत्त्व पर निबंध

पेड़ पर निबंध

Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

Leave a Comment