Home > Biography > पी. टी. उषा का जीवन परिचय

पी. टी. उषा का जीवन परिचय

P T Usha Biography in Hindi: हमारे भारतवर्ष के बहुत से ऐसे एथलीट्स हैं, जो कि अपना और भारतवर्ष का नाम भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी गौरवान्वित करते हैं। आज हम बात करने वाले हैं एक ऐसे एथलीट्स प्लेयर की जो कि एक महिला धावक हैं। इस महिला धावक एथलीट्स को भारत का उसैन बोल्ट भी कहा जाता है।

हमारे इतना कह देने के बाद आप तो समझ गए होंगे कि हम किसकी बात कर रहे हैं? जी हां! आपने बिल्कुल सही समझा हम बात करने वाले हैं, भारतीय एथलीट्स पी टी उषा की।

P T Usha Biography in Hindi
Image: P T Usha Biography in Hindi

पी टी उषा भारत की एक ऐसी महिला एथलीट्स हैं, जोकि अनेकों बार गोल्ड मेडल प्राप्त कर चुकीं हैं। पी टी उषा ने इस मुकाम को प्राप्त करने के लिए उन्होंने बहुत कठिनाइयों का सामना किया, अपने कड़ी मेहनत के दम पर पी टी उषा वर्तमान समय में संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध हो चुकी हैं।

आज के इस लेख में हम आपको बताने वाले हैं कि पीटी उषा कौन है? (pt usha in hindi), उनका असली नाम क्या है?, इनका जीवन परिचय, एथलीट्स प्लेयर बनने तक का सफर (pt usha ka jeevan parichay) और जुड़ी अन्य जानकारी। यदि आप पीटी उषा के विषय में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो कृपया आप हमारे द्वारा लिखे गए इस महत्वपूर्ण लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।

पी. टी. उषा का जीवन परिचय | P T Usha Biography in Hindi

पी टी उषा के बारे में संक्षिप्त जानकारी

नामपी टी उषा
पूरा नामपिलावुळ्ळकण्टि तेक्केपरम्पिल् उषा
अन्य नामगोल्डन गर्ल
जन्म27 जून 1964
माता का नाम टी वी लक्ष्मी
पिता का नाम ई पी एल पैतल
पतिश्रीनिवासन
पुत्रउज्जवल
पेशाएथलीट
pt usha information in hindi

पीटी उषा कौन है?

पी टी उषा भारत के महिला एथलीट्स है। पी टी उषा न केवल भारत में ही बल्कि संपूर्ण विश्व में विख्यात हैं और हमारे देश का नाम गौरवान्वित कर रही हैं। पी टी उषा एक कुशल धावक हैं। पी टी उषा को ना केवल भारत बल्कि संपूर्ण विश्व में सबसे तेज दौड़ने वाली महिला का खिताब प्राप्त है।

संपूर्ण विश्व में सबसे तेज दौड़ने वाली महिला पीटी उषा को भारतीय महिला उसैन बोल्ट कहां से आता है। पीटी उषा ने अब तक बहुत से एथलीट में पार्टिसिपेट किया है और उन्होंने एक बात से गोल्ड मेडल अपने और इस भारतवर्ष के नाम किया।

पी टी उषा का पूरा नाम क्या है? (PT Usha Full Name)

पी टी उषा एक महिला एथलीट्स है। पी टी उषा का पूरा नाम “पिलावुळ्ळकण्टि तेक्केपरम्पिल् उषा” है। इसके साथ-साथ पीटी उषा का एक अन्य नाम भी है, जो कि लोगों के द्वारा उन्हें प्यार से बुला सकते हैं। पीटी उषा का अन्य नाम गोल्डन गर्ल भी है।

पी टी उषा का जन्म और शुरुआती जीवन

भारत के गौरव पीटी उषा का जन्म केरल राज्य में स्थित पय्योली नामक ग्राम में वर्ष 1964 में 27 जून को हुआ था। पीटी उषा के माता का नाम टीवी लक्ष्मी है और वही उनके पिता का नाम ई पी एल पैतल है।

पीटी उषा का स्वास्थ्य बचपन में काफी बिगड़ गया था, परंतु पीटी उषा ने अपने प्रारंभिक पढ़ाई के दौरान ही अपना स्वास्थ्य काफी हद तक सुधार लिया था। पीटी उषा ने ऐसा खेलकूद एवं शारीरिक व्यायाम के कारण किया था।

पी टी उषा को प्राप्त शिक्षा

पीटी उषा ने अपने प्रारंभिक शिक्षा अपने ही जन्म स्थान केरल राज्य के पय्योली में स्थित एक प्राइमरी विद्यालय से ही प्राप्त की था। पीटी उषा का मन खेलकूद में अधिक लगता था, जिसके लिए उनके माता के द्वारा प्रेरित करने पर वर्ष 1976 ईस्वी में सरकार द्वारा कराए जाने वाले महिलाओं के स्पोर्ट्स गेम में पार्टिसिपेट किया। पी टी उषा ने इस दौड़ में प्रथम स्थान प्राप्त किया। फिर पी टी उषा का चयन एथलीट्स में हुआ।

पी टी उषा का वैवाहिक जीवन

पीटी उषा एथलीट्स करियर की शुरुआत कर चुकी थी, इसके बाद उन्होंने वर्ष 1991 में श्रीनिवासन से विवाह कर लिया। श्रीनिवासन से विवाह करने के बाद पीटी उषा की जिंदगी में काफी बदलाव आया। विवाह के कुछ वर्षों बाद पीटी उषा को एक पुत्र की प्राप्ति हुई, इन दोनों ने इसका नाम उज्जवल रखा।

यह भी पढ़े

बचपन से था दौड़ने का शौक और परिवार का भी था सहयोग

पीटी उषा को बचपन से ही दौड़ने का शौक था। यह बताती हैं कि इनके चाचा स्कूल में टीचर हुआ करते थे, जिसके कारण खेल के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए अपने परिवार को मनाना इनके लिए आसान रहा था। ये कहती हैं कि इनके सफलता में इनके परिवार का भी बहुत बड़ा योगदान है।

इनके माता-पिता ने न केवल उनका समर्थन किया बल्कि ट्रेनिंग के दौरान वे इनका हौसला भी बढ़ाते थे। पीटी उषा कहती हैं कि जब यह बचपन में मैदान में दौड़ने की प्रैक्टिस करने के लिए जाती थी तब उनके पिता भी उनके साथ आया करते थे और वे पीटी उषा का हौसला बढ़ाते थे।

पीटी उषा कहना है कि उन्हे समुंदर किनारे दौड़ना बहुत पसंद होता था, इसीलिए वह ज्यादातर दौड़ का अभ्यास समुद्र किनारे ही करती थी और इन्हें दौड़ता हुआ देख वहां पर आए लोग हमेशा दंग रह जाते थे।

यह कहती हैं कि यह बात 1978 या 79 की है जब यें शोर्ट पैंट पहन के समुद्र किनारे दौड़ लगाती थी तो लोग इन्हें दौडते हुए देखने के लिए भीड़ लगा दिया करते थे। पीटी उषा कहती हैं कि वह धूल भरी रास्ते पर भी दौड़ने जाती थी, जहां पर वह गुजरती हुई ट्रेन के साथ रेस लगाया करती थी‌।

पी टी उषा का एथलीट्स करियर

पीटी उषा ने अपने स्कूल के समय से ही एथलीट्स करियर की शुरुआत कर दिया था। इसके बाद पीटी ऊषा ने अपने एथलीट्स करियर की शुरुआत वर्ष 1980 में कर दिया था। उन्होंने अपनी पहली एक्स एक्स की दौड़ पाकिस्तान में स्थित कराची में “पाकिस्तान ओपन नेशनल मीट” से किया था।

पीटी उषा ने इस दौड़ में 4 गोल्ड मेडल भारत के नाम की है। पीटी उषा ने इस वर्ष इस दौड़ को जीता था, उस समय वह मात्र 16 वर्ष की थी। पीटी उषा ने इस दौड़ को जीतने के बाद यह ठान लिया कि वह अब एक जानी-मानी एथलीट्स बनेंगी।

इस उपलब्धि के बाद पीटी ऊषा ने वर्ष 1982 ईस्वी में “वर्ल्ड जूनियर इनविटेशन मीट” में भी हिस्सा लिया। इस दौड़ में पीटी उषा ने 200 मीटर के रेस के लिए गोल्ड मेडल भारत के नाम किया और इसके बाद 100 मीटर के रेस में ब्रॉन्ज मेडल को भी भारत के नाम कर दिया। पीटी उषा ने इस रेस में दो-दो मेडल जीते, जिसके कारण उन्हें भारत की सबसे तेज दौड़ने वाली एथलीट का खिताब प्राप्त हो गया।

“वर्ल्ड जूनियर इनविटेशन मीट” के ठीक 1 वर्ष बाद कुवैत में एक रेस कंपटीशन की शुरुआत की गई। इस रेस कंपटीशन का नाम “एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैंपियनशिप” रखा गया था। पीटी उषा ने इस चैंपियनशिप में 400 मीटर की दौड़ में एक नया रिकॉर्ड कायम कर दिया और भारत के नाम एक और गोल्ड मेडल दर्ज करा दिया।

ऐसा करने के बाद पीटी ऊषा ने अपने परफॉर्मेंस को और भी अधिक सुधारने पर ध्यान दिया, इसके बाद वर्ष 1984 में होने वाले ओलंपिक की तैयारी में अपना जी जान लगा दिया। लॉसएंजिल्स में होने वाले ओलंपिक में पीटी उषा ने सेमी फाइनल के पहले राउंड को 400 मीटर तक के दौड़ में अच्छा रिकॉर्ड बनाया।

इसके बाद वह फाइनल के लिए चुनी गई परंतु पीटी ऊषा फाइनल राउंड में 1/100 पॉइंट हार गई। संपूर्ण विश्व के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था कि कोई महिला ओलंपिक खेल के फाइनल राउंड में पहुंची हो।

पीटी उषा ने जितने भी दौडो में भाग लिया, उन्होंने नए एशियाई खेल कीर्तिमान स्थापित किए। 1985 में जकार्ता में हुई एशियाई दौड़ कूद प्रतियोगिता में उन्होंने पांच स्वर्ग पदक अपने नाम किये। 1986 में सियोल में हुए 10 वे एशियाई खेल में दौड़ कूद में उन्होंने चार स्वर्ण और एक रजत पदक हासिल किया। एक ही अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में 6 स्वर्ण पदक जीतकर पीटी उषा ने एक कीर्तिमान स्थापित कर दिया।

वो कोच जिन्होंने पीटी उषा की जिंदगी बदल दी

पीटी उषा कहती हैं कि उन्हें तैरना नहीं आता था, उन्हें पानी से डर लगता था। वे जब भी समुद्र किनारे दौडने का अभ्यास करती थी तो वहां पर अन्य बच्चे भी आते थे, जिन्हें तैरना आता था। वे पीटी उषा की हिफाजत करते थे। पीटी उषा राज्य सरकार के प्रशिक्षण अभियान में शामिल थी लेकिन पीटी उषा के अनुसार उन्हें वहां कोई अच्छी सुविधा नहीं मिली।

उनके अनुसार वहां पर एथलीट्स को मिलाकर कुल 40 खिलाड़ी थे, जिनके लिए गिने-चुने ही बाथरूम होते थे। उन्हें वहां काफी सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। लेकिन उसके बावजूद वहां पर सख्त नियमों का पालन करना पड़ता था।

इनके अनुसार वहां पर इनका दिन सुबह 5:00 बजे शुरू होता था और दौड़ने की प्रैक्टिस करने के साथ-साथ पढ़ाई के कोर्स भी पूरा करने का समय निकालना पड़ता था। स्कूल की इसी स्पोर्ट्स डिवीजन में पीटी उषा की मुलाकात मशहूर कोच ओएम नांबियार से हुआ।

इन्होंने पीटी उषा के आंखों में एक अलग चमक देखी। उन्होंने पीटी उषा को एक अच्छा प्रशिक्षण देने का फैसला किया। उन्होंने पीटी उषा को प्रोत्साहित किया और एक जबरदस्त एथलीट के रूप में तैयार किया। पीटी उषा कहती हैं कि ओएम नांबियार से मेरी मुलाकात मेरे कैरियर का एक निर्णायक मोड़ था।

पीटी उषा कहती है कि नांबियार सर सभी खिलाड़ियों को एक गोले में खड़ा करके उनसे वर्जिश कराया करते थे। जो सबसे अच्छा करता था, उसे वो इनाम दिया करते थे। इन वर्जिश में पीटी उषा हमेशा ही अच्छा करती थी। वह जिला स्तर, राज्य और फिर राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करते गई और दिनों दिन निखरते गई। इस तरीके से पीटी उषा की सफलता में इनके ट्रेनर ओएम नांबियार का काफी योगदान रहा।

यह भी पढ़े: नीरज चोपड़ा का जीवन परिचय

पीटी उषा का एथलीट्स से संन्यास और फिर 34 वर्ष की उम्र में उनकी वापसी

पीटी ऊषा ने अपने विवाह के 1 वर्ष पश्चात एथलीट्स से सन्यास ले लिया। इसके बाद पीटी उषा ने फिर से 34 वर्ष की उम्र में वर्ष 1998 ईस्वी में एथलीट्स में वापस हुई। जिस समय इन्होंने एथलीट्स में अपनी वापसी दी थी, उस समय इन्होंने एक बच्चे को भी जन्म दे दिया था और पीटी उषा 34 वर्ष बाद अपने बेटे और पति के साथ वापस लौटी।

पीटी उषा का घर

पीटी उषा का पैतृक घर जो केरल के पय्योली गांव में उपस्थित है। पीटी उषा आज भी वहां पर रहती है। पीटी उषा का घर नारियल और ताड के पेड़ों से घिरा एक रंगबिरंगा मकान है। यह मकान मात्र मकान नहीं है बल्कि पीटी उषा के उपलब्धियों का खजाना है। यहां पर पीटी उषा की सभी यादें बसी हुई है।

पीटी उषा कहती है कि इन्हें अपने घर में बहुत ही सुकून भरी शांति का अहसास होता है। जिस गांव में पीटी उषा का घर है, उस गांव का एक गली पीटी उषा के नाम पर रखा गया है और उसी गली से गुजरते हुए पीटी उषा का घर पड़ता है। जिस तरह पीटी उषा खुद सरल, शुक्रगुजार और जमीन से जुड़ी हुई है ठीक वैसे ही उनकी घर की कलात्मक सरलता भी है।

पीटी उषा के घर के मेन हॉल में उनकी अब तक की जीती गई सभी ट्रॉफी और मेडल रखी हुई है। दूसरी तरफ सीढ़ियों के पास प्रधानमंत्री जी, नोबेल विजेता और अन्य एथलीटों के साथ लिए गए तस्वीरे लगाई गई है। सीढ़ियों पर आगे बढ़ने के बाद आगे दीवारों पर अर्जुन और पद्मश्री पुरस्कार भी लगाए गए हैं, जो इनके उपलब्धियों को बताता है।

घर में प्रवेश करने के द्वार पर ठीक ऊपर पीटी उषा के कोच ओएम नांबियार की तस्वीर लगी हुई है। इस तरीके से पीटी उषा का घर उनके सफलता और संघर्षों का झलक देता है।

पी टी उषा का पुरस्कार

वर्षपुरस्कार
1984 अर्जुन अवार्ड
1985 पद्मश्री
1985 वर्ल्ड ट्रोफी
1985एशियन एथलीट मीट
1985स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ़ दी सेंचुरी’ एवं ‘स्पोर्ट्स वीमेन ऑफ़ दी मिलेनियम
1986एडिडास गोल्डन शू अवार्ड फॉर दी बेस्ट एथलीट

पीटी उषा के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

  • पीटी उषा का पूरा नाम पिलावुल्लाकांडी थेक्केपरामबि उषा है। हालांकि खेल जगत में उनके महान उपलब्धियों के कारण इन्हें उड़न परी के नाम से भी जाना जाता है।
  • इसके अतिरिक्त भी इन्हें पय्योली एक्सप्रेस, ट्रैक ऐंड फील्ड की क्वीन जैसे उपनाम दिए गए हैं।
  • पीटी उषा का जन्म केरल के कोझिकोड स्थित पय्योली गांव में 27 जून 1964 को हुआ था।
  • गोल्डन गर्ल के नाम से पीटी उषा के जीवन पर 1987 को एक आत्मकथा भी लिखी गई है।
  • पीटी उषा ने 14 साल की उम्र में ही इंटर-स्टेट जूनियर प्रतियोगिता में चार गोल्ड मेडल जीते थे।
  • पीटी उषा, 1980 को मास्को में आयोजित ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली सबसे कम उम्र वाली धावक थी, उस समय इनका उम्र मात्र 16 साल था।
  • पीटी उषा ने उषा स्कूल ऑफ एथलेटिक्स के नाम से खुद का स्कूल भी शुरू किया है।
  • पीटी उषा अपने खेल कैरियर से सेवानिवृत्त होने के बाद अपने देश के नाम ओलंपिक पद दिलाने के उद्देश्य से और ज्यादा से ज्यादा लड़कियों को खेल जगत के लिए प्रोत्साहित करने के लिए केरल के कोईलेंडी में साल 2002 में अपना एक एथलेटिक्स स्कूल शुरू किया, जिसका नाम स्कूल ऑफ एथलीट्स रखा है। वहां पर पूरे देश कि 10 से 12 लड़कियों को चयनित करके उन लड़कियों को प्रशिक्षण दिया जाता है और खेल के लिए तैयार किया जाता है। साल 2012 में लंदन में आयोजित ओलंपिक वूमेन सेमीफाइनल में 800 मीटर की रेस क्वालीफाई करने वाली टिंटू लुका भी इस कार्य में पीटी उषा का सहयोग देती है।
  • 1985 एशियन चैंपियनशिप में पीटी उषा ने 5 गोल्ड मेडल जीतकर महिला एथलीट द्वारा सर्वाधिक गोल्ड जीतने का रिकॉर्ड बनाया था।
  • पीटी उषा के जीवन के ऊपर एक बायोपिक फिल्म बनने जा रही है, जिसे रेवती एस वरमाह डायरेक्ट करने वाले हैं।
  • पीटी उषा ओलंपिक के ट्रैक इवेंट के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय हैं।

FAQ

पी टी उषा का पूरा नाम क्या है?

पिलावुळ्ळकण्टि तेक्केपरम्पिल् उषा।

क्या पी टी उषा का कोई अन्य नाम है?

पय्योली एक्सप्रेस और गोल्डन गर्ल।

पीटी उषा का जन्म कहां हुआ था?

भारत के गौरव पीटी उषा का जन्म केरल राज्य में स्थित पय्योली नामक ग्राम में वर्ष 1964 में 27 जून को हुआ था।

पीटी उषा को कौन-कौन से अवार्ड से भारत सरकार द्वारा सम्मानित किए गए हैं?

पीटी उषा को भारत सरकार द्वारा 1983 में अर्जुन अवार्ड और 1985 में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

पी टी उषा के पति का क्या नाम है?

वी श्रीनिवासन।

पी टी उषा का विवाह कब हुआ?

वर्ष 1991

निष्कर्ष

नमस्कार दोस्तों हमें उम्मीद है कि आपको पीटी उषा के प्रेरणादाई जीवन से काफी सीख मिली होगी। हमें पीटी उषा के जीवन परिचय से यह सीख मिलती है कि हमें ऐसा काम करना चाहिए जिसमें हमें सफलता अवश्य प्राप्त हो।

हमें उम्मीद है कि आपको “पीटी उषा की यह बायोग्राफी (PT Usha Biography in Hindi)” पसंद आई होगी तो कृपया इसे अवश्य शेयर करें। यदि आपके मन में किसी भी प्रकार का सवाल है तो आप कमेंट बॉक्स में अवश्य शेयर करें।

Read Also

Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

Related Posts

Leave a Comment