ओस चाटे प्यास नहीं बुझती मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग (Os chaate pyaas nahin bujhatee Muhavara ka arth)
ओस चाटे प्यास नहीं बुझती मुहावरे का अर्थ – बहुत थोड़ी सी वस्तु से आवश्यकता की पूर्ति नहीं होती है, आधिक आवश्यकता का निवारण कम साधनों से नहीं होता, बहुत कम वस्तु से आवश्यकता की पूर्ति नहीं होती है, अधिक कंजूसी से काम नहीं चलता।
Os chaate pyaas nahin bujhatee Muhavara ka arth –bahut thodee see vastu se aavashyakata kee poorti nahin hotee hai, aadhik aavashyakata ka nivaaran kam saadhanon se nahin hota, bahut kam vastu se aavashyakata kee poorti nahin hotee hai, adhik kanjoosee se kaam nahin chalata.
दिए गए मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग
वाक्य प्रयोग: सोहन अपने घर को सुंदर बनाने के लिए लगा हुआ है लेकिन वह उसमें कंजूसी भी करता है तब उसके लिए यही कहावत आती है कि ओस चाटे प्यास नहीं बुझती अर्थात आवश्यकता के अनुसार पूर्ति नहीं होने पर वह कार्य पूरा नहीं होता है।
वाक्य प्रयोग: मोहन अपने घर में पार्टी करना चाहता है और उससे उस पार्टी के लिए अधिक खाने पीने का सामान लाना पड़ेगा क्योंकि ओस चाटे प्यास नहीं बुझती पार्टी में कितने लोग आएंगे नहीं आएंगे इसका कोई अंदाजा नहीं है इसीलिए कम वस्तु न रखकर अधिक वस्तु का प्रबंध करना पड़ेगा।
वाक्य प्रयोग: मोहनलाल अपनी बेटी का विवाह करने चला है तू अपना दिल बड़ा करके चलो क्योंकि यहां ओस चाटे प्यास नहीं बुझती।
वाक्य प्रयोग: चौहान को अपने दोस्त से कुछ पैसे मिलने का उम्मीद था लेकिन उसके दोस्त ने बहुत ही कम पैसे दिए जिससे वह अपने व्यापार को आगे बढ़ाने में असक्षम है इसे ही कहा जाता है कि ओस चाटे प्यास नहीं बुझती। जहां आपको आवश्यकता अधिक हो और वहां पर आपको वस्तु की पूर्ति नहीं हो पाती है।
यहां हमने “ओस चाटे प्यास नहीं बुझती” जैसे बहुचर्चित मुहावरे का अर्थ और उसके वाक्य प्रयोग को समझा। ओस चाटे प्यास नहीं बुझती मुहावरे का अर्थ होता है कि बहुत थोड़ी सी वस्तु से आवश्यकता की पूर्ति नहीं होती है अधिक आवश्यकता का निवारण कम साधनों से नहीं होता है। इसका उदाहरण है जब किसी गांव में बाढ़ आता है तो वहां के लोगों को खाने संबंधी वस्तुओं की पूर्ति काफी कम की जाती है। जिससे वहां के लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, ऐसी परिस्थिति में ही कहा जाता है कि और ओस चाटे प्यास नहीं बुझती यहां लोगों की संख्या अधिक है वहां पर खानों की वस्तुओं की पूर्ति बहुत ही कम की जा रही है जिससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है। चुकी यह मुहावरा है और मुहावरा और असामान्य अर्थ प्रकट करता है इसीलिए यहां इस मुहावरे का अर्थ दोहरा लाभ प्राप्त करने से हैं।
मुहावरे परीक्षाओं में मुख्य विषय के रूप में पूछे जाते हैं। एक शब्द के कई मुहावरे हो सकते हैं।यह जरूरी नहीं कि परीक्षा में यहाँ पहले दिये गए मुहावरे ही पूछा जाए। परीक्षा में सभी किसी का भी मुहावरे पूछा जा सकता है।
मुहावरे का अपना एक भाग है प्रत्येक पाठ्यक्रम में, छोटी और बड़ी कक्षाओं में मुहावरे पढ़ाया जाता है, कंठस्थ किया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में यह एक मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।
परीक्षा के दृष्टिकोण से मुहावरे बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरे का अपना-अपना भाग होता है। चाहे वह पेपर हिंदी में हो या अंग्रेजी में यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।
मुहावरे कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। यदि इसे ध्यान से समझा जाए तो याद करने की भी आवश्यकता नहीं होती है। इसे समझ समझ कर ही लिखा जा सकता है।
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