One Nation One Election Essay in Hindi: चुनाव प्रक्रिया लोकतांत्रिक देश की पहचान होती है। चूंकि भारत भी एक लोकतांत्रिक देश है। यहां पर हर नागरिक को अपना नेता चुनने का अधिकार है।
इसीलिए यहां पर हर साल चुनाव प्रक्रिया आयोजित की जाती है, जिसमें हर एक नागरिक अपने मनपसंद नेता का चयन करते हैं, जो देश के विकास में सही काम कर सके तथा वे लोगों के विश्वास को बनाए रख सके।
चुनाव प्रक्रिया लोकतांत्रिक को जीवंत रखने के लिए जरूरी है। लेकिन यह प्रक्रिया काफी जटिल होती है और काफी खर्चीला भी होता है। चूंकि भारत में हर साल बहुत चुनाव होते हैं और ऐसे में हर एक चुनाव का काफी ज्यादा खर्च होता है।
अगर चुनाव के लिए अतिरिक्त खर्चा बच जाए तो उन पैसों को देश के विकास में लगा सकते हैं। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर कई बार देश के प्रधानमंत्री ने एक राष्ट्र एक चुनाव को लागू करने की बात कही है।
इस लेख में हम एक देश एक चुनाव पर निबंध (Essay on One Nation One Election in Hindi) लेकर आए हैं, जिसके जरिए आपको एक राष्ट्र एक चुनाव के फायदे और नुकसान के बारे में जानने को मिलेगा।
वर्तमान विषयों पर हिंदी में निबंध संग्रह तथा हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
एक देश एक चुनाव पर निबंध (One Nation One Election Essay in Hindi)
एक देश एक चुनाव पर निबंध 250 शब्दों में
एक देश और एक चुनाव करने के इस मुद्दे पर लंबे समय से बहच चलते आ रही है। इस नीति के अंतर्गत केंद्र स्तर पर होने वाला लोकसभा चुनाव और राज्यों में होने वाली विधानसभा चुनाव को एक साथ कराने का उद्देश्य है।
हालांकि देश में पंचायत, नगर पालिका का भी चुनाव होता है लेकिन इसमें वह शामिल नहीं किया जाएगा। एक देश एक चुनाव के कई फायदे भी हैं। इसीलिए इसको लागू करने पर ध्यान दिया जा रहा है।
इस प्रक्रिया से अतिरिक्त खर्च कम हो जाएंगे और उन अतिरिक्त खर्च होने वाले पैसों का उपयोग देश के विकास में किया जा सकता है।
इसके साथ ही अगर एक देश एक चुनाव के अंतर्गत हर 5 वर्षों में एक बार चुनाव होगी तो इससे निर्वाचन आयोग और देश के अर्धसैनिक बलों को भी और भी ज्यादा बेहतर बनाने में समय मिलेगा, जिससे वे एक बार के चुनाव में कड़ी सुरक्षा दे पाएंगे।
एक देश एक चुनाव प्रक्रिया से सरकारी नीतियों को भी समय पर लागू और उसे कार्वाणित करने में आसानी होगी।
हालांकि एक देश एक चुनाव की प्रक्रिया से जितना लाभ है, इस प्रक्रिया को लागू करने के लिए इसमें कई सारी चुनौतियां भी हैं।
जैसे कि संविधान में विधानसभा और लोकसभा के कार्यकाल में थोड़ा अंतर है। ऐसे में एक साथ उनके चुनाव करने के लिए उनके कार्यकाल को एक साथ जोड़ना पड़ेगा और इसके लिए संवैधानिक संशोधन की जरूरत पड़ेगी।
इतना ही नहीं एक देश एक चुनाव की प्रक्रिया को लागू करने के लिए राजनीतिक दलों को भी आपस में राजी करना होगा और यह काम थोड़ा मुश्किल है क्योंकि क्षेत्रीय दलों में इस चुनाव प्रक्रिया को लेकर थोड़ा डर है।
क्योंकि ऐसे में वह अपने स्थानीय मुद्दों को मजबूती से नहीं उठा पाएंगे। उन्हें चुनाव खर्च और चुनाव रणनीति के मामले में राष्ट्रीय दलों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ेगी, जो उनके लिए मुश्किल का काम है।
इसके अतिरिक्त इसमें लॉजिस्टिक संबंधित चुनौतियां भी है। जैसे कि वर्तमान में जब कहीं भी चुनाव होता है तो ईवीएम का उपयोग किया जाता है, जिसके साथ एक VVPAT मशीन को लगाने की जरूरत पड़ती है। लेकिन अगर लोकसभा और विधानसभा दोनों का चुनाव एक साथ होगा तब इस मशीन की संख्या दोगुनी हो जाएगी।
इतना ही नहीं देश में जब भी मतदान प्रक्रिया होती है तो उस समय बहुत कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की आवश्यकता होती है और अगर एक देश एक चुनाव की प्रक्रिया होगी तो यह बड़े स्तर पर चुनाव होगा।
ऐसे में केंद्रीय पुलिस बलों की संख्या भी बढ़ानी पड़ेगी। हालांकि वर्तमान में इतना जल्दी एक देश एक चुनाव को लागू करना इतना आसान नहीं है।
एक देश एक चुनाव पर निबंध 500 शब्दों में
प्रस्तावना
एक देश एक चुनाव के इस मुद्दे पर लंबे समय से बहस चलते आ रही है। एक देश एक चुनाव से तात्पर्य केंद्र सरकार की लोकसभा चुनाव और राज्य स्तर पर विधानसभा के चुनाव को एक साथ करने से है।
इसके अंतर्गत क्षेत्रीय चुनाव जैसे कि जिला पंचायत या ग्राम प्रधान का चुनाव सम्मिलित नहीं किया जाएगा। इस नीति को लेकर कई राजनीतिक पार्टी और लंबे समय से इस पर चर्चा कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस नीति से सहमति जताते हुए इसे अपने चुनावी एजेंडा में भी शामिल किया था। यहां तक कि एक देश एक चुनाव को लेकर चुनाव आयोग, नीति आयोग, संविधान समीक्षा आयोग, विधि आयोग भी विचार कर चुके हैं।
एक देश एक चुनाव का इतिहास
एक देश एक चुनाव का यह विषय कोई नया नहीं है। अगर देश के इतिहास को गौर से देखा जाए तो पहले भी इस नीति के अनुसार कितने ही चुनाव हो चुके हैं।
1952, 1957, 1962 और 1967 में भी एक साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव आयोजित किए गए थे। लेकिन 1968-69 के बीच यह एक साथ चुनाव की प्रक्रिया कई कारणों से स्थगित हो गये। जैसे कि उस समय कई राज्यों में विधानसभा चुनाव को वक्त से पहले ही भंग कर दिया गया था।
1971 में तो समय से पहले ही लोकसभा का चुनाव भी आयोजित कर दिया गया था। ऐसे ही और कई कारण रहे।
एक देश एक चुनाव के फायदे
- एक देश एक चुनाव के फायदे पर सबसे बड़ा तर्क यह दिया जाता है कि इससे चुनाव के खर्चे में काफी कमी आएगी। हर साल देश में सबसे ज्यादा खर्चा चुनाव प्रक्रिया में आती है और हर साल देश में चुनाव होते रहते हैं। देश हमेशा ही चुनाव मोड में रहता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 के लोकसभा चुनाव में 60000 करोड़ रुपए का खर्चा आया था। इसी के लगभग खर्चा विधानसभा चुनाव में भी आता है, जो हर वर्ष आता है। ऐसे में बार-बार चुनाव कराने से जो अतिरिक्त खर्च बचेंगे, उन पैसों से देश का विकास किया जा सकता है।
- अगर देश में एक बार में ही लोकसभा और विधानसभा का चुनाव होगा तो इससे प्रशासनिक व्यवस्था की कार्य क्षमता भी बढ़ेगी।
- अगर देश में एक बार में हीं लोकसभा और विधानसभा चुनाव होगा तो इससे केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों और कार्यक्रमों में निरंतरता सुनिश्चित हो पाएगी। क्योंकि जब चुनाव होते हैं तो सामान्य प्रशासनिक कर्तव्य चुनाव से काफी ज्यादा प्रभावित होते हैं। सभी अधिकारी मतदान कर्तव्यों में व्यस्त हो जाते हैं।
- देश में जब हर साल चुनाव होता है तो कडी सुरक्षा के लिए सुरक्षा बलों को तैनात किया जाता है। लेकिन अगर एक बार में एक साथ चुनाव होंगे तो इससे सुरक्षा बलों पर भी भार कम होगा और उन्हें अपने सुरक्षा व्यवस्था को और भी ज्यादा मजबूत करने में समय मिल जाएगा।
- इस तरह अगर 5 साल में एक बार विधानसभा और लोकसभा का चुनाव एक साथ हो जाएगा तो इससे निर्वाचन आयोग, अर्ध सैनिक बल, राजनीतिक दल, सभी को इसकी तैयारी के लिए अधिक समय मिलेगा और बेहतर ढंग से चुनाव प्रक्रिया पूरी हो पाएगी।
एक देश एक चुनाव के नुकसान
- अगर एक देश एक चुनाव के नीति के अंतर्गत लोकसभा और विधानसभा का एक साथ चुनाव होगा तो परिणाम घोषित होने में भी काफी समय लगेगा। इसके साथ ही वर्तमान में भी जब अलग-अलग चुनाव होते हैं तभी EVM मशीन को लेकर काफी विरोध होता है और वे अक्सर वैलेट पेपर से वोटिंग की मांग करते हैं। ऐसे में एक साथ चुनाव होने पर यह विरोध और भी बढ़ सकता है।
- एक देश एक चुनाव नीति से विधानसभा चुनाव लड़ने वाली क्षेत्रीय पार्टियों को अपने क्षेत्रीय मुद्दों को मजबूती से केंद्रीय दलों के बीच रखना मुश्किल हो जाएगा।
- 5 साल में एक साथ चुनाव कराने पर एक समस्या यह भी है कि देश में गठबंधन की भी सरकार चलती है। ऐसे में अगर 5 साल से पहले किसी दल की सरकार गिर गई तो इस स्थिति में 5 साल से पहले ही देश में फिर से चुनाव कराने की आवश्यकता पड़ेगी।
- अब जब देश में किसी भी तरह का चुनाव होता है तो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी कि EVM का उपयोग होता है। अगर एक साथ दोनों चुनाव होंगे तो अत्यधिक मशीन खरीदनी पड़ेगी, जिसका अतिरिक्त खर्च लगेगा।
उपसंहार
भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश है। यहां पर लगातार चुनाव होने से इसके विकास कार्य बाधित होते हैं। ऐसे में इसे इन सब प्रभाव से मुक्त करने के लिए एक देश एक चुनाव की नीति पर गहराई से विचार विमर्श करने की जरूरत है।
इसके साथ ही सभी राजनीतिक दल, चुनावी संस्थान, विशेषज्ञ के विचार विमर्शों को एक साथ लेकर राष्ट्रहित में समर्पित फैसले का चयन करने की जरूरत है।
निष्कर्ष
उपरोक्त लेख में आपने एक देश एक चुनाव क्या है, एक देश एक चुनाव के फायदे, नुकसान, इसमें आने वाली चुनौतियां जैसी सारी जानकारी प्राप्त की।
हमें उम्मीद है कि इस लेख में एक देश एक चुनाव पर निबंध आपको पसंद आया होगा। इसे आगे शेयर जरुर करें। यदि इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं।
यह भी पढ़े