ओखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डर मुहावरे का अर्थ और वाक्य प्रयोग (Okhalee mein sir diya to moosal ka kya dar Muhavara ka arth)
ओखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डर मुहावरे का अर्थ – यदि कठिन कार्य हाथ में ले लिया है तो कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए, कठिन काम को करने का निर्णय करने पर समस्याओं से नहीं डरना चाहिए, कठिन काम प्रारम्भ करने पर कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए, जब कोई कष्ट सहने के लिए तैयार हो तो डर कैसा, कठिन काम शुरू करने पर कष्ट तो सहन करने ही पड़ते हैं।
Okhalee mein sir diya to moosal ka kya dar Muhavara ka arth – yadi kathin kaary haath mein le liya hai to kathinaiyon se nahin darana chaahie, kathin kaam ko karane ka nirnay karane par samasyaon se nahin darana chaahie, kathin kaam praarambh karane par kathinaiyon se nahin darana chaahie, jab koee kasht sahane ke lie taiyaar ho to dar kaisa, kathin kaam shuroo karane par kasht to sahan karane hee padate hain.
दिए गए मुहावरे का हिंदी में वाक्य प्रयोग
वाक्य प्रयोग: मोहनलाल ने एक नया कारोबार करने का निर्णय ले लिया है और उसमें बहुत सारा जोखिम भी है तो मोहनलाल कहता है कि जब ओखली में सिर दे दिया है तो मुसल से क्या डरना।
वाक्य प्रयोग: मोहन ने अपने बहन की शादी का पूरा खर्चा अपने सिर पर ले लिया है पर बढ़ते खर्चे को देखकर जब वह परेशान हो रहा होता है तब उसकी पत्नी उसे समझाती है कि जब आपने ओखली में सिर दे दिया है तो मुसल से क्या डरना।
वाक्य प्रयोग: मीरा ने पैदल चलकर भगवान काशीनाथ के दर्शन का प्रण ले लिया है अब रास्ते में आने वाली बाधाओं से वह डरने वाली नहीं है क्योंकि जब ओखली में सर दे दिया तो मुसल से क्या डरना।
वाक्य प्रयोग: सोहन ने एक नया व्यापार शुरू किया है और उस व्यापार में उसे लाभ और हानि दोनों हो रही है लेकिन वह ज्यादातर हानि के बारे में सोच रहा है इससे उसको दूसरे लोग समझाते हैं कि जब ओखली में सिर दे दिया है तो मुसल से क्या डरना यह व्यापार शुरू हुआ है तो लाभ और हानि तो लगी ही रहेगी।
यहां हमने “ओखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डर ” जैसे बहुचर्चित मुहावरे का अर्थ और उसके वाक्य प्रयोग को समझा। ओखली में सिर दिया तो मूसल का क्या डर मुहावरे का अर्थ होता है कि जब आप अपने हाथ में या फिर आप किसी कार्य को करने का प्रण ले लेते हैं तब उस कार्य में आने वाली कठिनाइयों से उस कार्य को करने में आपको जो भी समस्याओं आती है उन सब से उन सभी से आपको डरना नहीं चाहिए। क्योंकि जब आप एक निर्णय लेते हैं जब एक निर्णय करते हैं तब आपको केवल उस कार्य को पूर्ण करने पर ध्यान देना चाहिए और इसीलिए कहा जाता है कि ओखली में सिर दिया तो मुसल से क्या डरना जब आपने एक बार काम हाथ में ले लिया है चाहे वह कठिन कार्य हो, चाहे वह दुर्लभ कार्य हो, उसके कठिनाइयों से डरना नहीं चाहिए उस कार्य को पूरा करने के लक्ष्य पर ध्यान देना चाहिए। चुकी यह मुहावरा है और मुहावरा और असामान्य अर्थ प्रकट करता है इसीलिए यहां इस मुहावरे का अर्थ दोहरा लाभ प्राप्त करने से हैं।
मुहावरे परीक्षाओं में मुख्य विषय के रूप में पूछे जाते हैं। एक शब्द के कई मुहावरे हो सकते हैं।यह जरूरी नहीं कि परीक्षा में यहाँ पहले दिये गए मुहावरे ही पूछा जाए। परीक्षा में सभी किसी का भी मुहावरे पूछा जा सकता है।
मुहावरे का अपना एक भाग है प्रत्येक पाठ्यक्रम में, छोटी और बड़ी कक्षाओं में मुहावरे पढ़ाया जाता है, कंठस्थ किया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में यह एक मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।
परीक्षा के दृष्टिकोण से मुहावरे बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में मुहावरे का अपना-अपना भाग होता है। चाहे वह पेपर हिंदी में हो या अंग्रेजी में यहां तक कि संस्कृत में भी मुहावरे पूछे जाते हैं।
मुहावरे कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। यदि इसे ध्यान से समझा जाए तो याद करने की भी आवश्यकता नहीं होती है। इसे समझ समझ कर ही लिखा जा सकता है।
अन्य महत्वपूर्ण मुहावरे और उनका वाक्य प्रयोग
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