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नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है? (महत्त्व और पौराणिक कथाएं)

भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है, क्योंकि यहां पर हर तीसरे दिन कोई ना कोई वर्त या त्यौहार जरूर आता है। भारत में हिंदू धर्म के लोग आस्था से तरह-तरह के देवी देवताओं की पूजा अर्चना करते हैं और त्योहार धूमधाम से मनाते हैं।

भारत में पूरे वर्ष भर हर महीने कई तरह छोटे-बड़े व्रत व त्यौहार आते हैं। हर वर्ष आने वाले व्रत और त्योहार हिंदू धर्म की आस्था का प्रतीक है।‌ इन व्रत और त्योहार में नाग पंचमी भी शामिल है।‌ नाग पंचमी को संपूर्ण भारत के लोग अपनी श्रद्धा से मनाते हैं।

नाग पंचमी को हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष सावन महीने में मनाया जाता है। सावन महीने की शुक्ल पक्ष पंचमी को नागपंचमी के रूप में संपूर्ण भारत के लोग मनाते हैं। नाग पंचमी का पर्व सभी हिंदू धर्म के लोगों के लिए अत्यंत खास होता है।

nag panchami kyu manaya jata hai

इस दिन नाग की पूजा करते हैं, नाग को दूध अर्पित करते हैं। श्रद्धा पूर्वक नाग पंचमी मनाने का रिवाज सदियों से चला आ रहा है। सनातन धर्म में जिस तरह से जल को देवता माना गया है, पशुओं को भगवान बना गया है, धरती को माता माना गया है। ठीक उसी तरह सांप को भी देवता माना गया है। नाग (सांप) को नाग देवता कहा जाता है।

नाग देवता के को नाग पंचमी के रूप में संपूर्ण भारत में पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग जल्दी उठकर स्नान करते हैं, पशु पक्षियों को दाना पानी पिलाते हैं, मंदिर जाते हैं, सांप की पूजा करते हैं, दूध अर्पित करते हैं, पुष्प अर्पित करते हैं।

इस लेख में हम नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है, इसका क्या महत्व है और कैसे मनाई जाती है आदि के बारे में विस्तार से जानकारी साँझा कर रहे है।

नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है? (महत्त्व और पौराणिक कथाएं)

नाग पंचमी का महत्व क्या है?

नाग पंचमी को संपूर्ण भारत में हर्षोल्लास के साथ पर्व के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि नाग को सनातन धर्म में अत्यंत महत्वता दी जाती है। सनातन धर्म में जहां भगवान महादेव सांपों से ही अपना श्रृंगार करते हैं, वहीँ भगवान विष्णु शेषनाग की सैया पर ही विश्राम करते हैं।

इसके अलावा भगवान श्री राम के भाई लक्ष्मण को भी शेषनाग का अवतार माना जाता है। इस तरह की अनेक सारी मान्यता और कहानियां सनातन धर्म में देखने को मिलती है। सनातन धर्म में शुरुआत से सांप को अत्यंत महत्व दिया जाता है।‌ सांप को देखना शुभ माना जाता है, क्योंकि सनातन धर्म में सांप देवता का रूप होता है, देवता का अवतार होता है।

इसलिए संपूर्ण भारत में वर्तमान समय में भी सांप की पूजा की जाती है। सांप को महादेव का रूप या नाग देवता कहा जाता है। सांप को दूध अर्पित करना और पुष्प अर्पित करना पूजा की पद्धति है, जो सदियों से चली आ रही है।

सनातन धर्म में नाग का इतिहास रामायण और महाभारत काल से मिलता है। भारत में सदियों सदियों से नाग की पूजा की जाती है, नाग को भगवान का रूप माना जाता है। राजस्थान में नाग पंचमी के अलावा गोगा नवमी भी बनाई जाती है। नाग पंचमी के दिन पुरानी कथाओं और धर्म शास्त्रों में अनेक तरह की मान्यता दी गई है तो आइए विस्तार से जानते हैं।

नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है?

धर्म शास्त्रों और पुरानी कथाओं के अनुसार यह मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने सावन माह की नाग पंचमी के दिन ही कालिया नाग को आरा था, पंचमी के दिन ही कालिया नाग का घमंड चूर-चूर किया था एवं कालिया नाग के जहर और गुस्से से भगवान श्री कृष्ण का रंग काला हो गया था। इन दोनों ही मान्यताओं के आधार पर सावन माह की पंचमी को नाग पंचमी के रूप में पर्व के तौर पर संपूर्ण भारत में मनाया जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अर्जुन के पुत्र राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नामक सर्प काटने से हो गई थी।‌ इसीलिए उनके पुत्र जन्मेजय ने सांपों से बदला लेने के लिए नाग वंश के विनाश के लिए एक नाग यज्ञ का आयोजन करवाया, ताकि सभी नाग प्रजाति का विनाश किया जा सके।

लेकिन इस यज्ञ को आस्तिक मुनि ने नागों की रक्षा के लिए रोक दिया था। आस्तिक मुनि ने यज्ञ में जलते हुए नागों पर दूध की धार लाल कर उन्हें बचा लिया था। उस‌ दिन हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पंचमी का दिन था। इसीलिए उस दिन को नाग पंचमी के रूप में मनाते हैं।

धर्म शास्त्रों के अनुसार जब देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन किया गया था तब उस समुद्र मंथन से प्राप्त विष को भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा के लिए सावन माह की शुक्ल पंचमी के दिन ही पी लिया था।

शास्त्रों में कहा गया है कि जब शिवजी ने वह विश पिया था, तब शिवजी के गले में मौजूद सांपों के मुंह में कुछ बूंदे चली गई थी, जिससे सांप अत्यंत जहरीले हो गए थे। इन जहरीले सांपों से मनुष्य जीवन की रक्षा के लिए इसी दिन से नाग पंचमी के रूप में यह पर्व मनाया जाता हैविष

पौराणिक कथाओं में मान्यता है कि भगवान विष्णु ने सावन माह की पंचमी के दिन ही शेष नाग को अपना विश्राम सैया बनाया था। सबसे पहले भगवान विष्णु ने सावन माह की पंचमी के दिन ही शेषनाग की सैया पर विश्राम किया था।

भगवान विष्णु की विश्राम की स्थिति में कोई भी तस्वीर या मूर्ति आप कहीं पर भी देखे तो उसके ऊपर शेषनाग का छत्र किया हुआ होता है। जबकि नीचे शेषनाग की सैया बिछाई हुई होती है, जिसके ऊपर भगवान विष्णु विश्राम करते हैं। इसी मान्यता के आधार पर हर वर्ष सावन माह की शुक्ल पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।

नाग पंचमी कैसे मनाई जाती है?

नाग पंचमी के दिन नाग की पूजा की जाती है। लोग सांपों के देवताओं के मंदिर में जाकर नाग की पूजा करते हैं, उन्हें दूध का भोग लगाते हैं, खीर चढ़ाते हैं, पुष्प अर्पित करते हैं, माला पहनाते हैं, इस तरह से अपनी श्रद्धा से नाग पंचमी के दिन नाग की पूजा करते हैं।

खासतौर पर उत्तर भारत के लोग नाग पंचमी के दिन घर के मुख्य दरवाजे पर नाग पंचमी को गोबर और उनके रूप से नाग की आकृति बनाकर पूजा करके इस पर्व को बनाते हैं।

भारत के अलग-अलग राज्यों में नाग पंचमी को मनाने का तरीका थोड़ा-थोड़ा अलग है।‌ दक्षिण भारत में नागपंचमी के दिन देवी की पूजा की जाती है, तो महाराष्ट्र में नाग पंचमी को धूमधाम से मनाया जाता है।

सांपों के देवता की पूजा की जाती है जबकि राजस्थान में सांपों के देवता को दूध अर्पित करते हैं, पुष्प अर्पित करते हैं, घरों में पानी के घड़ों पर सांप की आकृति बनाकर उस पर दूध खीर अर्पित करके, कुमकुम का तिलक लगाकर, दीपक जला कर पूजा अर्चना करते हैं। जबकि केरल शेषनाग की पूजा की जाती है। भव्य उत्सव का आयोजन किया जाता है।

उत्तर भारत में नाग पंचमी के दिन दूध एवं दूध से बनी हुई खीर और दूध से बनी हुई मिठाईयां बनाकर नदी तालाब के किनारे पर रख देते हैं, खेतों में रख देते हैं, पेड़ पौधों के पास रख देते हैं, बाग एवं बगीचा के पास रख देते हैं। ऐसी जगह पर रखते हैं, जहां पर सांप दिखाई देते हैं या सांप रहते हैं। इस तरह से उत्तर भारत में नाग पंचमी मनाने का तरीका है।

कुछ जगहों पर कपड़े से भगवान श्री कृष्ण की गुड़िया बनाई जाती है। जिस तरह से दशहरा के दिन रावण को बनाया जाता है। ठीक उसी प्रकार नाग पंचमी के दिन भगवान श्री कृष्णा और नाग की प्रतिमा कपड़े से छोटी आकृति की बनाई जाती है और फिर उसकी पूजा की जाती है। इस तरह से भी भारत के कुछ जगहों पर नाग पंचमी मनाने का पूजा पद्धति चली आ रही है।

नाग पंचमी के दिन भगवान विष्णु, भगवान श्री कृष्णा, भगवान महादेव और शेषनाग के मंदिर को सजा दिया जाता है। संपूर्ण भारत के लोग अपने नजदीकी इन मंदिरों में पूजा करने के लिए जाते हैं, दूध अर्पित करते हैं, खीर अर्पित करते हैं, दूध से बनी हुई मिठाइयां का प्रसाद भगवान को चढ़ाते हैं, पुष्प अर्पित करते हैं, फूलों की माला पहनाते हैं, नंदी की भी पूजा करते हैं। इस तरह से नाग पंचमी को मनाने की पूजा पद्धति और प्रक्रिया सदियों से चली आ रही है।

नाग पंचमी के दिन उत्तर भारत में एवं खासतौर पर राजस्थान में नाग पंचमी की संध्या को औरतों द्वारा गीत गाए जाते हैं, भजन किए जाते हैं, नाग से संबंधित भगवान श्री कृष्ण के गीत गाए जाते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में हरजस कहते हैं।

जबकि कुछ जगहों पर नाग पंचमी के दिन कुश्ती का आयोजन कराया जाता है। कुश्ती मैदान में नाग पंचमी की पूजा करने के बाद कुश्ती का आयोजन कराया जाता है, जिसमें गांव के सभी लोग हिस्सा लेते हैं।

FAQ

नाग पंचमी के दिन किसकी पूजा की जाती है?

नाग पंचमी के दिन नाग (सांपों) की पूजा की जाती है।

प्रतिवर्ष नाग पंचमी कब आती है?

सावन माह की शुक्ल पंचमी के दिन नाग पंचमी मनाई जाती है।

नाग पंचमी को कौन कौन मनाता है?

नाग पंचमी को संपूर्ण भारत के हिंदू धर्म के लोग मनाते हैं। क्योंकि हिंदू धर्म में सांप को देवता का रूप माना गया है एवं पौराणिक कथाओं में नाग से संबंधित अनेक सारी मान्यताएं भी है।

नाग पंचमी के दिन नाग के अलावा और किसकी पूजा की जाती है?

नाग पंचमी के दिन नाग के अलावा भगवान शिव की पूजा की जाती है, भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती हैं।

निष्कर्ष

नाग पंचमी को संपूर्ण भारत में सनातन धर्म के लोग अपनी श्रद्धा और आस्था से मनाते हैं। इस दिन सांपों की पूजा की जाती है। खासतौर पर उत्तर भारत और दक्षिण भारत में नागपंचमी को मनाने का विशेष महत्व है। इस दिन नाग की पूजा की जाती है।

भगवान महादेव की पूजा की जाती हैं, भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है, भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, पूजा करते समय दूध अर्पित करते हैं, पुष्प अर्पित करते हैं। दूध से बनी खीर दूध की मिठाइयां और माला पहनाते हैं, गाय के घी का दीपक जलाते हैं। इस तरह से संपूर्ण भारत में हिंदू धर्म द्वारा नाग पंचमी मनाने का महत्व और पूजा पद्धति सदियों से चली आ रही है।

नाग पंचमी को प्रतिवर्ष सावन माह की शुक्ल पंचमी के दिन मनाया जाता है। इस आर्टिकल में हमने आपको पूरी जानकारी के साथ विस्तार से बताया है कि नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है?

हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित हुई होगी। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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