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मोटिवेशनल स्टोरी जो आपका जीवन बदल देंगी

Motivational Story in Hindi: हमारी जिन्दगी का दूसरा नाम ही मुसीबत है। हमारे जीवन में मुसीबतें आती ही रहती है। कोई इन मुसीबतों से हार मान लेता है तो कोई इसका डट कर सामना करता है।

बहुत से लोग इन मुसीबतों से टूट जाते हैं और उन्हें ऐसे मोटिवेशन की जरूरत पड़ती है, जिसके कारण वह इन मुसीबतों का बिना किसी डर से सामना करे सके।

Motivational Story in Hindi

आज हम यहां पर मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी फॉर स्टूडेंट्स (motivational story for students in hindi) शेयर कर रहे हैं। इन मोटिवेशनल स्टोरी से आपके जीवन में कुछ नया करने का जोश जागेगा। इन मोटिवेशनल कहानी से जीवन में बहुत कुछ करने की प्रेरणा मिलेगी।

हमने यहां पर जो inspirational story in hindi शेयर की है, ये मोटिवेशन स्टोरी है तो छोटी लेकिन इन छोटी सी कहानियों के पीछे बड़ी सीख छीपी हुई है। जिसे हमें अपने जीवन में जरूर उतारना चाहिए।

तो आइये जानते हैं हमारे जीवन को प्रेरणा से भर देने वाली जीवन आधारित मोटिवेशनल कहानी।

मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी (Motivational Story in Hindi)

इंतिजार का फल

“सब्र का फल मीठा होता हैं।”

आपने इस मुहावरे को जरूर सुना होगा। चलिए आज हम इस कहानी से जानते हैं कि इसका मतलब क्या होता है। इस कहानी में बताया गया है कि तारों को कैसे ईर्ष्या का भाव उत्पन्न होता है और श्री नारद मुनि उनको कैसे इस मुहावरे का अर्थ समझाते हैं। यह अत्यधिक सुंदर और प्रेरणादायक कहानी है। आप इसे पूरा जरुर पढ़े।

जब सूरज अस्त हो रहा होता है तब हल्की-हल्की संध्या से उत्पन्न होती है और चारों तरफ शांत वातारण जैसा एक अंधेरा सा छा जाता है। सभी जीव-जंतु, पशु-पक्षी अपने निवास स्थान को जाने लगते हैं और हल्की हल्की हवा चलने लगती है। हम जब आसमान की ओर देखते हैं तो सूर्य अस्त होता रहता है तभी आसमान में तारे टिमटिमाने लगते है।

कुछ तारे अत्यधिक चमकीले होते हैं परंतु कुछ कम चमकीले होते हैं। अधिक चमकीले वाले तारों पर हमारी नजर जल्दी पहुंचती है परंतु कम चमकीले वाले तारों पर हमारी नजर बहुत कम ही जाती है। इसलिए हम उन पर ध्यान नहीं दे पाते और उनकी सुंदरता फीकी पड़ जाती है।

परंतु उन सब में से एक ऐसा तारा होता है, जो अधिक चमकीला होता है। जिसके आने से पूरा आसमान जगमगा जाता है। वह इतना सुंदर और चमकीला होता है कि उसके जगमगाते ही लोगों के चेहरे पर खुशी आ जाती है, उसे हम स्वाति नक्षत्र के नाम से जानते हैं।

अत्यधिक चमकीला और सुंदर होता है, जिसके आने से लोग खुश हो जाते हैं, इसीलिए बाकी के नक्षत्र स्वाति नक्षत्र से इर्ष्या करते हैं और अपनी इस ईर्ष्या की कथा को श्री नारद मुनि को बताते हैं।

नारद मुनि उन सभी तारों को समझाते हुए कहते हैं कि देखो जो भी सब्र करता है, उनकी कीर्ति संसार में होती है और मुझे प्रतीत होता है कि आप लोगों में धैर्य नहीं हैं। इसीलिए आप लोग संध्या काल में होते ही तुरंत जगमगाने लगते हैं।

लेकिन स्वाति नक्षत्र अत्यधिक समय के बाद आसमान में निकट आता है तभी उसकी प्रतिस्पर्धा इतनी अधिक होती है।

तभी सभी लोग के चेहरे पर मुस्कान आती। इसीलिए कहा जाता है कि हमें सब्र करना चाहिए क्योंकि उसका फल मीठा होता है।

यदि तुम देर में आसमान में टिमटिमाते होते तो तुम्हारा भी महत्व होगा और तुम्हें भी लोग अलग नाम से जानेंगे। नारद मुनि द्वारा समझाई गई बात सभी तारों को समझ में आ गई।

सब्र का फल मीठा होता है, यह बात हम सब जानते हैं और इसे हम लोगों ने महसूस भी किया है। मैं हमेशा अपने कार्य को पूरा करने के बाद उसके परिणाम के इंतजार में उतावला हो जाता हूं या फिर अपने आने वाले कार्य को पूरा करने के लिए उतावला हो जाता हूं, जिससे मेरा आने वाला कार्य बिगड़ जाता है।

परंतु मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए, मुझे सब्र करना चाहिए। उस परिणाम का या उस आने वाले कार्य का जिससे मैं उस कार्य को अच्छे से समाप्त करूं और उसका परिणाम भी अच्छा हो।

हम जानते हैं जल्दी में लगाया हुआ निशाना हमेशा अपने गोल से बाहर जाता है। हमें धैर्य पूर्वक उस निशाने को भेजना चाहिए तभी हमें जीवन में सफलता मिलेगी। हमें किसी भी कार्य को धैर्यपूर्वक करना चाहिए तभी सफलता के दरवाजे खुलते हैं।

धैर्य ही ऐसा शस्त्र है, जो विकट परिस्थितियों में मनुष्य के मस्तिष्क का संतुलन बनाए रख सकता है और उसको आगे आने वाली चुनौतियों को से निपटने के लिए नए मार्ग को बतला सकता है।

बड़े-बड़े महात्मा और महापुरुषों के द्वारा भी बताया गया है कि हमें भी किसी कार्य में सफलता पानी है तो उसे चिंता मुक्त होकर करना चाहिए और सब्र रखना चाहिए। परिणाम की सफलता अवश्य मिलेगी।

टाइम मोटिवेशनल स्टोरी

हमारी जिंदगी छोटे-छोटे समय के भागों में बटीं हुई है, हमारी जिंदगी में कई दिन, कई घंटे, कई मिनट और कई सेकंड होते हैं। परंतु कुछ लोग इसी समय में उस मुकाम को हासिल कर जाते हैं, जिसकी उन्हें चाह होती है। वे समय का सदुपयोग करते हैं और अपने जीवन में सफल हो जाते हैं।

एक गांव में एक गरीब आदमी रहता था, उसके घर में उसकी पत्नी और उसकी एक बेटी और एक छोटा बेटा था। उसकी पत्नी दूसरों के घर में काम करके अपने परिवार का खर्च चलाती थी, उसका पति जिसका नाम रामू था।

रामू दिन भर नशे में डूबा रहता था और दूसरों के साथ अपना समय बर्बाद किया करता था। कहीं इधर ताश के पत्ते खेलता दिखता था तो कहीं उधर लोगों के दरवाजे बैठकर गपशप मारा करता था। अपने परिवार का ख्याल उसे बिल्कुल नहीं था।

उसके माता-पिता ने उसकी शादी करा कर गलती कर दी थी। बेचारी उसकी पत्नी दिन रात काम कर-कर अपने बच्चों का पेट पालती थी। यदि उसकी पत्नी एक भी दिन काम पर न जाए तो उसके बच्चे भूखे रह जाते थे। इसीलिए उसकी पत्नी प्रत्येक दिन दूसरों के वहां काम करती थी।

लेकिन रामू को इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता था। उसे बस अपना समय बर्बाद करके हंसी मजाक और पत्ते खेलने में बहुत मजा आता था।

शाम को शराब पीकर घर आकर जोर-जोर से अपनी पत्नी को चिल्लाता था। कई बार उसने अपनी पत्नी को मारा भी लेकिन अब उसकी पत्नी करें भी तो क्या, वह तो अपने बच्चों को छोड़कर नहीं जा सकती थी।

रामू को जो कोई भी समझाता था कि रामू कुछ कार्य करा करो, पैसे कामया करो, अपने परिवार का खर्च तो उठाओ, तुम्हारे दो बच्चे हैं, तुम्हारी पत्नी है, उनकी देखभाल करो, ऐसे अपना समय क्यों बर्बाद करते हो।

रामू उसके ऊपर बिगड़ जाता था और कहता तुम्हें इससे लेना देना क्या। मैं कुछ भी करूं यह मेरा जीवन है। मैं तुम्हारे घर में खाता हूं क्या?

इसके कारण कोई भी गांव का सदस्य इससे इस विषय में बात ही नहीं करता था। वह सुबह खाकर निकल जाता था और रात में शराब पीकर आता और अपनी बीवी के ऊपर गुस्सा करता था, ऐसा ही कुछ दिनों तक चलता रहा।

कुछ दिनों बाद संसार में एक ऐसी बीमारी ने जन्म लिया, जो मानव जाति के लिए अत्यधिक खतरनाक थी। चारों तरफ उस बीमारी का कहर था।

आप सब जानते होंगे मैं कोरोना वायरस की बात कर रहा हूं। जब सरकार द्वारा लॉकडाउन लगा दिया गया था तब चारों तरफ लोगों का एक दूसरे के वहां आना जाना बंद हो गया था। सारे कार्य, सारी फैक्ट्रियां, सारी गाड़ियां इत्यादि बंद हो गए थे।

अब रामू का परिवार भूखा मरने लगा था। क्योंकि उसकी पत्नी जो रोज कमाने जाती थी, वह अब किसी के घर इसी कारण नहीं जा पाती थी कि कहीं इस बीमारी की वजह मैं न हो जाऊं, लोग उसे अब काम पर बुलाना बंद कर दिए थे।

उसके परिवार में अनाज का एक दाना भी नहीं पता था, ना उसके घर में कुछ पैसे थे। अब वह क्या करता, उसका छोटा बेटा भी बीमार हो गया था।

उसके बच्चे की तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी तब रामू को समझ आया कि अपने परिवार को ध्यान देना चाहिए। उसने बच्चे को अस्पताल ले जाने का सोचा, परंतु उसके पास पैसे नहीं थे। उसने गांव वालों से पैसे मांगने गया।

गांव वालों ने कहा पहले कहने पर तो हम लोगों को ही जली कटी सुना देते थे, अब इस लॉकडाउन में हमारे पास कहां से पैसा आए, यही कहकर वह लौटा देते थे।

रामू अत्यधिक परेशान था। अब करें तो भी क्या करें। वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता था। एक पूरा दिन बीत गया, उसके बेटे की तबीयत और भी ज्यादा खराब हो गई।

तभी किसी तरह उसकी पत्नी ने जहां काम करती थी, वहां से कुछ पैसे जुटा कर लाई और अब रामू अपने बच्चे को हॉस्पिटल ले जाने की तैयारी की।

रामू अपने बच्चे को लेकर गांव के बाहर एक अस्पताल में पहुंचा। रामू दौड़ता हुआ डॉक्टर के पास गया, उसने कहा मेरे बच्चे को बचा लीजिए। डॉक्टर साहब ने सारे इंस्ट्रूमेंट लगाकर लगा कर चेक किया तब उसका बेटा मर चुका था।

डॉक्टर साहब ने यह बात रामू से कहां यदि तुम अपने बच्चे को 10-15 घंटे पहले ले आते तो मैं तुम्हारे बच्चे को बचा लेता। मुझे बहुत दुखी होकर कहना पड़ रहा है कि मैं तुम्हारे बच्चे को बचाना सका।

यह सुनकर रामू के पैरों तले के नीचे से जमीन खिसक गई, वह रोने लगा। उससे कहने लगा यह सब मेरी गलती है, मैंने जीवन में कुछ नहीं किया। सिर्फ अपने समय को बर्बाद किया है।

यदि आज मेरे पास पैसे हो जाते हैं तो मैं अपने बेटे को हॉस्पिटल जल्दी ला पाता और मेरा बेटा बच जाता। मैंने अपने जीवन में समय को बहुत बर्बाद किया है। लेकिन आज मुझे समय को अहमियत पता चल गयी है।

तो हमें इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने समय को बर्बाद नहीं करना चाहिए, उसका सदुपयोग करना चाहिए तभी हमें अपने जीवन मे सफलता मिल सकती है।

इस कहानी में अगर रामू पहले से काम करता होता तो उसके पास पैसे होते और अपने बेटे का इलाज करा पाता, जिससे उसका बेटा आज जिंदा होता।

मित्रों हमे हमेशा अपने समय का सदप्रयोग करना चहिये।

स्वयं पर विश्वास रखे

जीवन उतार और चढ़ाव से भरा हुआ है। जीवन में परिश्रम तो हर कोई करता है लेकिन सफलता जरूरी नहीं कि हर एक व्यक्ति को मिल जाए।

कुछ लोग निरंतर परिश्रम करते हैं लेकिन जब उन्हें असफलता मिलने लगती हैं तो वह स्वयं पर विश्वास रखना छोड़ देते हैं और फिर उन्हें लगने लगता है कि अब तो उनके जीवन का कोई महत्व नहीं।

दुनिया में कई ऐसे लोग हैं, जो असफलता प्राप्त करने के बाद हार मान जाते हैं, जीवन में आने वाली तनिक क्षणों की मुश्किलों से घबरा जाते हैं।

ऐसे समय में व्यक्ति को प्रेरणादायक कहानी की जरूरत पड़ती है। क्योंकि ऐसी कहानियां लोगों में आत्मविश्वास जगाती हैं और बताती हैं कि जीवन में सफलता प्राप्त करना आसान नहीं।

लेकिन जो व्यक्ति स्वयं पर विश्वास रखता है, लगातार मेहनत करता है, धैर्य रखता है एक दिन निश्चित ही वह सफल होता है। दुनिया भर में कई सारी प्रेरणादायक कहानियां मौजूद हैं, जिससे आप प्रेरणा पा सकते हैं ऐसी ही यह प्रेरणादायक कहानी हैं, जिसे पढ़कर आपको स्वयं पर विश्वास होने लगेगा।

एक बार एक व्यक्ति जीवन में अपनी असफलताओं से हताश होकर चुपचाप बैठा हुआ था। उसकी निराशा देख भगवान स्वयं उसके सामने प्रकट हुए। उस व्यक्ति ने भगवान से पूछा मैंने अपने जीवन में बहुत कड़ी मेहनत की लेकिन मुझे अब तक सफलता नहीं मिली।

मैं लगातार असफलता प्राप्त करते जा रहा हूं अब आप बताइए कि मेरे जीवन की क्या कीमत है? इस पर भगवान मुस्कुराए और मुस्कुराते हुए उसे एक लाल चमकदार छोटा सा पत्थर थमा दिया।

व्यक्ति ने पूछा इस पत्थर का मैं क्या करूं? ईश्वर ने कहा तुम इस पत्थर को लेकर जाओ और बाजार में इसकी कीमत जान कर आओ। ध्यान रखना इस पत्थर को बेचना नहीं है। ईश्वर के कहे अनुसार वह व्यक्ति उस लाल चमकदार पत्थर को लेकर बाजार में उसकी कीमत ज्ञात करने निकल पड़ता है।

सबसे पहले उसे राह पर एक संतरा बेचने वाला आदमी दिखता है। वह सबसे पहले उस आदमी के पास जाता है और पूछता है भाई तुम इस लाल रंग के पत्थर का क्या कीमत दोगे?

संतरे वाला पत्थर की सुंदर रंगों को देख कहता है तुम इस पत्थर के बदले में मुझसे 5-6 संतरे ले जा सकते हो। व्यक्ति ने कहा कि मुझे तो इस पत्थर को बेचना नहीं है, यह कहकर वह आगे बढ़ जाता है।

आगे राह में उसे एक सब्जीवाला दिखता है। उस सब्जी वाले से पूछता है कि भाई तुम इस लाल रंग के पत्थर को कितने में खरीदोगे?

सब्जी वाला भी उस पत्थर की खूबसूरती से आकर्षित होकर कहता है कि तुम्हें इस पत्थर के बदले में मैं एक बोरा आलू दे सकता हूं। बताओ बेचोगे इस पत्थर को? व्यक्ति कहता है नहीं, मुझे इस पत्थर को नहीं बेचना है।

अब वह व्यक्ति सीधे एक सोनार की दुकान चला जाता है। सोनार के दुकान में बहुत बेशकीमती खूबसूरत गहने पड़े हुए थे।

वह व्यक्ति अब उस सोनार को पत्थर दिखाते हुए पूछता है कि इस पत्थर की कीमत क्या लगाओगे? सोनार बहुत ध्यान से उस पत्थर को देखता है अंत में वह कहता है कि इस पत्थर के बदले में मैं तुम्हें 1 करोड़ रुपए दे सकता हूं।

लेकिन वह व्यक्ति बोलता है कि मुझे इस पत्थर को नहीं बेचना। सोनार को लगता है कि शायद दाम कम बता रहा हूं इसीलिए वह पत्थर बेचने से मना कर रहा है।

इसीलिए सोनार पत्थर की कीमत बढ़ाकर 2 करोड़ कर देता है। लेकिन वह व्यक्ति तब भी यही कहता है कि मैं इस पत्थर को तो बेच ही नहीं सकता।

सोनार के दुकान से निकलकर वह व्यक्ति अब हीरे की दुकान में घुसता है, जहां पर बहुत बेशकीमती रत्न पड़े हुए थे। व्यक्ति हीरे के दुकानदार को पत्थर दिखाते हुए इसकी कीमत पूछता है।

हीरे का व्यापारी लगभग 10 मिनट तक पत्थर को बहुत ही बारिकता से जांच करता है और अंत में वह एक मलमल के कपड़े पर उस पत्थर को रखकर उसके सामने अपना सिर टेक लेता है।

व्यक्ति पूछता है कि इसकी कीमत कितनी है? तब हीरे का व्यापारी कहता है अरे भाई तुम्हें यह कहां से मिला, यह तो दुनिया की अनमोल रत्न है, जिसे तो दुनिया की पूरी दौलत लगा दो तब भी खरीदा नहीं जा सकता।

यह सुन वह व्यक्ति बहुत अचंभित हो जाता है और वह सीधे ईश्वर के पास आता है और सारी घटना भगवान को बताता है। उसके बाद पूछता है कि ईश्वर अब तो बताइए कि मेरे जीवन की कीमत क्या है? तब ईश्वर कहते हैं कि संतरे वाले, सब्जी वाले, सोनार वाले और हीरे वाले सभी ने तो तुम्हें तुम्हारे जीवन की कीमत बता दी है।

व्यक्ति कहता है मैं समझा नहीं। तब ईश्वर उसे विस्तारपूर्वक समझाते हुए कहते हैं कि तुम किसी के लिए पत्थर के टुकड़े के समान हो तो किसी के लिए अनमोल रत्न। जिस तरह सबने अपनी अलग-अलग जानकारी के हिसाब से इस पत्थर की कीमत बताई लेकिन उस हीरे के व्यापारी ने इस पत्थर की असली पहचान कर ली।

ठीक उसी तरह इस दुनिया में तुम कई लोगों के लिए एक मामूली इंसान हो भले ही तुम में कितना भी हुनर क्यों ना हो। लेकिन वक्त के साथ यह हुनर जरूर निखर कर आता है तुम्हें बस परिश्रम और धैर्य की जरूरत है।

सिख: इस कहानी से हमें यही सीख मिलता है कि हर मनुष्य को खुद पर विश्वास रखना चाहिए। यदि व्यक्ति को खुद पर विश्वास नहीं तो उसके जीवन की कीमत कुछ भी नहीं। क्योंकि जिसे खुद पर विश्वास होता है और वह परिश्रम करता है तो 1 दिन हीरे के व्यापारी के की तरह उसकी कीमत लोगों को समझ आने लगती है।

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वृद्ध महिला

जोधपुर की एक चर्चित दूकान पर लस्सी का ऑर्डर देकर हम सब दोस्त-यार आराम से बैठकर एक दूसरे की खिंचाई और हंसी-मजाक में लगे ही थे कि एक लगभग 75-80 वर्ष की बुजुर्ग महिला पैसे मांगते हुए मेरे सामने अपने हाथ फैलाकर खड़ी हो गई।

उनकी कमर झुकी हुई थी, चेहरे की झुर्रियों में भूख तैर रही थी। नेत्र भीतर को धंसे हुए किन्तु सजल थे। उनको देखकर मन मे न जाने क्या आया कि मैंने अपनी जेब से सिक्के निकालने के लिए डाला हुआ हाथ वापस खींचते हुए उनसे पूछ लिया।

“दादी जी लस्सी पियेंगे?”

मेरी इस बात पर दादी कम अचंभित हुईं और मेरे मित्र अधिक। क्योंकि अगर मैं उनको पैसे देता तो बस 5 या 10 रुपए ही देता लेकिन लस्सी तो 30 रुपए की एक है। इसलिए लस्सी पिलाने से मेरे गरीब हो जाने की और उस बूढ़ी दादी के द्वारा मुझे ठग कर अमीर हो जाने की संभावना बहुत कम बढ़ गई थी।

दादी ने सकुचाते हुए हामी भरी और अपने पास जो मांग कर जमा किए हुए 6-7 रुपए थे, वो अपने कांपते हाथों से मेरी ओर बढ़ाए। मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैंने उनसे पूछा –

“ये किस लिए?”

“इनको मिलाकर मेरी लस्सी के पैसे चुका देना बाबूजी!”

भावुक तो मैं उनको देखकर ही हो गया था…, रही बची कसर उनकी इस बात ने पूरी कर दी।

एकाएक मेरी आंखें छलछला आईं और भरभराए हुए गले से मैंने दुकान वाले से एक लस्सी बढ़ाने को कहा… उसने अपने पैसे वापस मुट्ठी मे बंद कर लिए और पास ही जमीन पर बैठ गई।

अब मुझे अपनी लाचारी का अनुभव हुआ क्योंकि मैं वहां पर मौजूद दुकानदार, अपने दोस्तों और कई अन्य ग्राहकों की वजह से उनको कुर्सी पर बैठने के लिए नहीं कह सका।

डर था कि कहीं कोई टोक ना दे… कहीं किसी को एक भीख मांगने वाली बूढ़ी महिला के उनके बराबर में बिठाए जाने पर आपत्ति न हो जाए… लेकिन वो कुर्सी जिस पर मैं बैठा था, मुझे काट रही थी…

लस्सी कुल्लड़ों मे भरकर हम सब मित्रों और बूढ़ी दादी के हाथों मे आते ही मैं अपना कुल्लड़ पकड़कर दादी के पास ही जमीन पर बैठ गया क्योंकि ऐसा करने के लिए तो मैं स्वतंत्र था…इससे किसी को आपत्ति नहीं हो सकती थी।

हां! मेरे दोस्तों ने मुझे एक पल को घूरा… लेकिन वो कुछ कहते उससे पहले ही दुकान के मालिक ने आगे बढ़कर दादी को उठाकर कुर्सी पर बैठा दिया और मेरी ओर मुस्कुराते हुए हाथ जोड़कर कहा-

“ऊपर बैठ जाइए साहब! मेरे यहां ग्राहक तो बहुत आते हैं किन्तु इंसान कभी-कभार ही आता है।”

अब सबके हाथों मे लस्सी के कुल्लड़ और होठों पर सहज मुस्कुराहट थी, बस एक वो दादी ही थी, जिनकी आंखों मे तृप्ति के आंसू, होंठों पर मलाई के कुछ अंश और दिल में सैकड़ों दुआएं थी।

न जानें क्यों जब कभी हमें 10-20 रुपए किसी भूखे गरीब को देने या उस पर खर्च करने होते हैं तो वो हमें बहुत ज्यादा लगते हैं। लेकिन सोचिए कि क्या वो चंद रुपए किसी के मन को तृप्त करने से अधिक कीमती हैं?

जब कभी अवसर मिले ऐसे दयापूर्ण और करुणामय काम करते रहें भले ही कोई आपका साथ दे या ना दे।

आप दूसरों को क्या दे रहे हैं (Motivational Story in Hindi for Students)

एक किसान हमेशा एक बेकरीवाले वाले को एक पौंड मक्खन बेचा करता था। वह किसान हमेशा सुबह के समय उस बेकरी वाले के पास आता और उसे एक पौंड मक्खन दे जाता। एक बार बेकरी वाले ने सोचा कि वह हमेशा उस पर भरोसा करके मक्खन ले लेता है। क्यों न आज मक्खन को तौला जाए?

इससे उसको पता चल सके कि उसे पूरा मक्खन मिल रहा है या नहीं?

जब बेकरीवाले ने मक्खन तौला तो मक्खन का वजन कुछ कम निकला। बेकरीवाले को गुस्सा आया और उसने उस किसान पर केस कर दिया। मामला अदालत तक पहुंच गया। उस किसान को जज के सामने पेश किया गया।

जज ने उस किसान से प्रश्न करना शुरू किया। जज ने पूछा कि वह उस मक्खन को तौलने के लिए बाट का प्रयोग करता है क्या?

किसान ने जवाब दिया “मेरे पास तौलने के लिए बाट तो नहीं है। फिर भी मक्खन तौल लेता हूं”

जज हैरानी से पूछता है “बिना बाट के तुम मक्खन कैसे तौलते हो?

इस जवाब किसान ने दिया कि “वह लम्बे समय से इस बेकरीवाले से एक पौंड ब्रेड का लोफ खरीदता है। हमेशा यह बेकरीवाला उसे देकर जाता है और मैं उतने ही वजन का उसे मक्खन तौल कर दे आता हूं।”

किसान का यह जवाब सुनकर बेकरीवाला हक्का बक्का रह गया।

शिक्षा: इस बेकरीवाले की तरह ही हम भी अपने जीवन में वो ही पाते हैं, जो हम दूसरों के देते हैं। एक बार आप सोचिये आप दूसरों को क्या दे रहे हैं धोखा, दुःख, ईमानदारी, झूठ या फिर वफा।

हर व्यक्ति का महत्व

एक बार एक विद्यालय में परीक्षा चल रही थी। सभी बच्चे अपनी तरफ से पूरी तैयारी करके आये थे। कक्षा का सबसे ज्यादा पढ़ने वाला और होशियार लड़का अपने पेपर की तैयारी को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त था। उसको सभी प्रश्नों के उत्तर आते थे, लेकिन जब उसने अंतिम प्रश्न देखा तो वह चिन्तित हो गया।

सबसे अंतिम प्रश्न में पूछा गया था कि “विद्यालय में ऐसा कौन व्यक्ति है, जो हमेशा सबसे पहले आता है?, वह जो भी है, उसका नाम बताइए।”

परीक्षा दे रहे सभी बच्चों के ध्यान में एक महिला आ रही थी। वही महिला जो सबसे पहले स्कूल में आकर स्कूल की साफ सफाई करती। पतली, सावलें रंग की और लम्बे कद की उस महिला की उम्र करीब 50 वर्ष के आसपास थी।

ये चेहरा वहां परीक्षा दे रहे सभी बच्चों के आगे घूम रहा था। लेकिन उस महिला का नाम कोई नहीं जानता था। इस सवाल के जवाब के रूप में कुछ बच्चों ने उसका रंग-रूप लिखा तो कुछ ने इस सवाल को ही छोड़ दिया।

परीक्षा समाप्त हुई और सभी बच्चों ने अपने अध्यापक से सवाल किया कि “इस महिला का हमारी पढ़ाई से क्या सम्बन्ध है।”

इस सवाल का अध्यापक जी ने बहुत ही सुन्दर जवाब दिया “ये सवाल हमने इसलिए पूछा था कि आपको यह अहसास हो जाये कि आपके आसपास ऐसे कई लोग हैं, जो महत्वपूर्ण कामों में लगे हुए है और आप उन्हें जानते तक नहीं। इसका मतलब आप जागरूक नहीं है।”

शिक्षा: हमारे आसपास की हर चीज, व्यक्ति का विशेष महत्व होता है, वह खास होता है। किसी को भी नजरअंदाज नहीं करें।

अपना हुनर कभी नहीं भूलें

एक बार एक राजा था। उसके राज्य में सभी अच्छे से चल रहा था। उस राजा ने अपने सैनिकों को बढ़ाने के लिए बहुत मेहनत की थी।

तलवारबाजी, खेलकूद और शासन कला ये गुण तो सभी राजाओं में होते ही है लेकिन इस राजा को इसके अलावा एक और भी शौक था। वह था कालीन बुनना।

ये गुण हर किसी राजाओं में नहीं मिलता। राजा के इस काम को बहुत पसंद किया जाता था। लेकिन इसके साथ ही यह भी कहा जाता था कि ये काम एक राजा के लायक का नहीं होता।

एक बार की बात है जब वह राजा अपने सैनिकों के साथ जंगल में शिकार के लिए गया। वहां पर अचानक वह अपने सैनिकों से बिछड़ गया।

राजा को अकेला देख वहां के डाकुओं ने उस पर हमला बोल दिया और उसे बंदी बना दिया। राजा के पास से कुछ नहीं मिलने के कारण डाकुओं ने राजा को मारने का निर्णय किया।

इस पर राजा को एक युक्ति सूझी “राजा ने डाकुओं से कहा कि यदि तुम मुझे कालीन बुनने का सामान ला दो तो मैं तुम्हे इस राज्य के राजा से सौ सोने के सिक्के दिलवाऊंगा।”

इस पर डाकू मान गये। राजा को कालीन बुनने का सामान दिया गया। राजा ने कालीन बुनना शुरू किया। जब ये कालीन पूरा बुन दिया तो इसे राजभवन में भेजा गया।

वहां पर रानी इस कालीन को देखकर राजा के काम को पहचान गई और उसमें लिखे राजा के सन्देश को पढ़ लिया। राजभवन में आये डाकुओं को पकड़ लिया गया और राजा को जंगल से छुड़वाया गया।

राजा के अपने हाथों के इस हुनर ने राजा की जान बचा ली।

जीवन का प्रशिक्षण

बाज पक्षी के बचपन की शुरूआत बहुत ही मुश्किल से होती है। बाज पक्षी को बचपन में ही ऐसी ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे वह अपने जीवन में बड़ी-बड़ी मुश्किलों से भी आसानी से सामना कर पाते हैं।

जब किसी भी पक्षी का बच्चा पैदा होता है तो वह कम से कम एक महीने तक तो अपने माता-पिता पर निर्भर रहता ही है। वह अपने खाने-पीने से लेकर जब तक चलना नहीं सीख जाता, तब तक वह अपने माता पिता की नजर में रहता है। लेकिन बाज पक्षियों में ऐसा नहीं होता है।

बाज पक्षी सबसे उल्टा चलते हैं। जब एक बाज मादा अपने बच्चे को जन्म देती है तो उस समय से ही उसके बच्चे की ट्रेनिंग शुरू हो जाती है कि उसे अपने जीवन में कैसे संघर्ष करना है। पैदा होने के कुछ ही दिन बाद बाज के बच्चे का प्रशिक्षण शुरू हो जाता है।

उसके प्रशिक्षण के पहले पड़ाव में मादा बाज अपने बच्चे को चलना सिखाती है। जब बच्चा भूखा होता है तो उसकी मां खाना लाती है। जैसा कि सभी पक्षी करते हैं। लेकिन बाज सीधा अपने बच्चे को खाना नहीं देते।

मादा बाज खाना लाकर अपने घोंसले से कुछ दूरी पर खड़ी रह जाती है और तब तक उसे खाना नहीं देती जब तक वह खुद चलकर उसके पास नहीं आ जाता।

जब बाज के बच्चे को तेज भूख लगती है तो वह खाने के लिए अपनी मां के पास जाता है। धीरे-धीरे संघर्ष करके मुश्किल से चलकर अपनी मां के पास पहुंचता है। उस समय उसे कई सारी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ता है। उसे कई चोटें भी लगती है।

लेकिन उसकी मां उसे खाना तक तक नहीं देती, जब तक वह खुद उसके पास चलकर नहीं आ जाता। उसकी मां कठोर दिल रखकर सिर्फ उसके पास आने का इंतजार करती है। उसे कोई मदद नहीं करती है।

जब वह चलना सीख जाता है तो दूसरा पड़ाव आता है। यह पड़ाव उसके लिए बहुत ही मुश्किल होता है। इसमें मादा बाज अपने बच्चे को अपने पंजों में पकड़कर उसे खुले आसमान में ले उड़ती है। अपने बच्चे को पंजों में दबाकर वह लगभग 12 से 14 किलोमीटर ऊपर तक ले जाती है और वहां से उसे छोड़ देती है।

तब वह बच्चा नीचे गिरने लगता है और वह उसे देखती है। जब उसका बच्चा 1 या 1.5 किलोमीटर तो बच्चे को डर लगने लगता है कि वह अब मर जायेगा और अपने पंख फड़फड़ाने लगता है, उड़ने की पूरी कोशिश करता है।

फिर भी वह उड़ नहीं पाता तो मादा बाज उसे झट से आकाश में ही पंजों में पकड़ लेती है और उसे जमीन पर गिरा देती है।

ऐसा उसकी मां तब तक करती हैं जब तक वह पूरी तरह से उड़ना नहीं सीख जाता। इस प्रकार से एक बाज के बचपन की शुरूआत होती है और उसे इस कठिन प्रशिक्षण को करना पड़ता है। इस कठिन प्रशिक्षण से वह अपने जीवन में बहुत कुछ सीखता है।

इसके कारण ही वह अपने से दुगुना वजनी का भी आसानी से शिकार कर सकता है और उसे आसमान में ले उड़ता हैं। इस प्रशिक्षण से वह मजबूत और शक्तिशाली हो जाता है।

हमें बाज के इस प्रशिक्षण से जीवन में बड़ी सीख मिलती है। हर व्यक्ति, जानवर या पक्षी अपने बच्चों से बहुत प्यार करता है। इसका मतलब ये नहीं कि वह उसे अपने पर ही निर्भर रहने दें।

उसे जिन्दगी में मुश्किलों का सामना करना भी सिखाएं, जिसके कारण वह अपनी प्रतिभा दिखा सके और अपने एक बेहतर व्यक्तित्व कायम कर सके।

हमेशा अपने बच्चों को ये ही सिखाये कि जिन्दगी का दूसरा नाम ही संघर्ष है। अपने जीवन में यदि कुछ भी हासिल करना है तो संघर्ष करना ही पड़ेगा।

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सफ़लता रिश्तों से मिलती हैं

हमारे जीवन में हमें अपने माता पिता बहुत काम करने से रोकते हैं कि तुम ये नहीं करोगे, तुम वहां पर नहीं जाओगे, तुम्हे ये ही करना पड़ेगा। हमें कई काम करने से रोकते हैं।

क्या आपको लगता है कि वो हमें रोककर गलत कर रहे हैं? क्या इनके रोकने से हम सफ़ल नहीं हो रहे है? यदि आप यह सोचते हैं तो आपको यह प्रेरणादायक कहानी जरूर पढ़नी चाहिए।

एक बार एक व्यक्ति और उसका बेटा दोनों अपने घर की छत पर पतंग उड़ा रहे थे। पतंग बहुत ही ऊंची उड़ रही थी, वो बादलों को छू रही थी। तब उसका बेटा उस व्यक्ति से कहता है कि पापा ये पतंग इस डोर से बंधी हुई है, जिस कारण और ऊंची नहीं जा रही है। इस डोर को तोड़ देना चाहिए।

बेटे की ये बात सुनकर उसका पिता उसके कहने पर वो डोर तोड़ देता है। उसका बेटा बहुत खुश होता है। वह पतंग टूट जाने से बहुत ऊंचाई पर पहुंच जाती है। लेकिन फिर कुछ समय बाद वह कहीं दूर जाकर खुद ही नीचे गिर जाती है।

ये देख उस व्यक्ति का बेटा उदास हो जाता है। फिर वह व्यक्ति उसे कहता है कि अक्सर हमें लगता है कि हम जिस ऊंचाइयों पर है उस ऊंचाई से और भी ऊपर जाने से कुछ चीजें हमें रोक रही है।

जैसे हमारा अनुशासन, रिश्ते, माता-पिता और परिवार। इसकी वजह से हमें लगता है कि हम अपने जीवन में इस कारण ही सफ़ल नहीं हो रहे हैं। इन सब से हमें आजाद हो जाना चाहिए।

जैसा कि पतंग अपनी डोर से बंधे हुए रहती है और उस डोर की मदद से वह कई ऊंचाइयों को छू लेती है। उसी तरह हम भी अपने परिवार और रिश्तेदारों से बंधे हुए है।

यदि हम इस धागे से जुड़े हुए रहेंगे तो कई ऊंचाइयों को छू लेंगे। लेकिन यदि हम इस धागे तो तोड़ देंगे तो ठीक इसी पतंग की तरह कुछ समय तक ही सफ़लता से उड़ पाएंगे। अंत में नीचे गिरकर ही रहेंगे।

ये पतंग जब तक नई ऊंचाइयों को हासिल करेगी तब तक वह अपनी डोर से बंधी हुई है। लेकिन जब पतंग अपनी डोर से मुक्त हो जाती है तो वह कुछ समय में ही नीचे गिर जाती है।

उसी प्रकार हमें भी अपने जीवन में रिश्तों की डोर से बंधे हुए रहना चाहिए। जिससे हम अपने जीवन में नई ऊंचाईयां हमेशा हासिल करते रहे।

विशाल हाथी और पतली रस्सी

एक बार की बात है। एक आदमी किसी रास्ते से निकल रहा था। तब उसने एक विशाल हाथी को देखा, जो एक पतली सी रस्सी और पतली सी खूंटी से बंधा हुआ था।

ये देखकर व्यक्ति को बहुत आश्चर्य हुआ। उसने सोचा कि ये हाथी इतना विशाल होने के बावजूद भी इस पतली रस्सी को नहीं तोड़ सकता है और इससे बंधा हुआ है।

तभी वहां पर हाथी का मालिक आ जाता है। वह व्यक्ति हाथी के मालिक से पूछता है “ये हाथी इतना विशाल और शक्तिशाली है” फिर भी ये इतनी कमजोर और पतली रस्सी से बंधा हुआ है। इसे तोड़ने की कोशिश भी नहीं कर रहा है।

मालिक ने कहा कि जब ये हाथी छोटा था तब से मैं इसे इसी जगह और इसी रस्सी से बांध रहा हूं। जब ये छोटा था तो उसने बहुत बार इस रस्सी को तोड़ने और इस खूंटे को उखाड़ने की कोशिश की थी।

लेकिन ये इसे तोड़ने में सफ़ल नहीं हो सका था। क्योंकि जब ये छोटा था और ये काम नहीं कर सका था। तब उसके मन में ये विश्वास हो गया कि ये रस्सी बहुत मजबूत है और ये इसे नहीं तोड़ सकता।

अब इसके मन में रस्सी मजबूत है, ये बात बैठ गई है और इसने रस्सी और खूंटी को तोड़ने की कोशिश करनी भी छोड़ दी है।

आज ये हाथी इतना विशाल और शक्तिशाली है, चाहे जिसे तोड़ सकता है। लेकिन इसके मन में ये विश्वास हो गया है कि ये इस रस्सी को नहीं तोड़ सकता। इसलिए ये इस रस्सी को तोड़ने की कोशिश भी नहीं करता। इस कारण ही ये विशाल हाथी इस पतली सी रस्सी से बंधा हुआ है।

हाथी की तरह हम भी अपने जीवन में किसी काम के नहीं होने का मन में विश्वास बना लेते हैं तो हम उस काम को करने की कोशिश भी नहीं करते हैं। जबकि दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं है जो मनुष्य नहीं कर सकता है। कोई भी व्यक्ति कोई भी काम कर सकता है।

जैसा कि हाथी के मन में विश्वास हो गया था कि ये नहीं कर सकता। इस कारण उसने कोशिश करनी भी छोड़ दी। हमें किसी काम को करने से पहले ही हार नहीं माननी चाहिए। उसे करने की कोशिश जरूर करनी चाहिए।

ख़ुशी का राज

एक बार की बात है। एक गांव में एक महान ऋषि रहता था। उस गांव के लोग उस ऋषि का बहुत ही सम्मान करते थे। गांव के सभी लोग जब भी कोई समस्या में होते तो वे ऋषि उस समस्या का हल जरूर बताते।

सभी गांव वाले उस ऋषि से बहुत प्रशन थे। हर बार कोई नई समस्या लेकर उस ऋषि के पास आते और महान ऋषि उस समस्या का हल बतात्ते।

एक बार एक व्यक्ति उस ऋषि के पास एक सवाल लेकर आया और ऋषि से पूछा कि गुरू जी मैं एक प्रशन पूछना चाहता हूं। तो ऋषि ने कहा पूछो तुम्हारा क्या प्रशन है।

तो वह व्यक्ति कहता है “मैं खुश कैसे रह सकता हूं मेरी ख़ुशी का राज क्या है?” तभी ऋषि ने जवाब दिया कि इसका जवाब पाने के लिए तुम्हे मेरे साथ जंगल में चलना होगा।

कुछ समय बाद वह व्यक्ति ख़ुशी का राज जानने के लिए ऋषि के साथ जंगल में जाने के लिए निकल लेता है और दोनों जंगल में जाते हैं। तभी रास्ते में एक बड़ा पत्थर आता है और ऋषि उस पत्थर को अपने साथ लेने के लिए उस व्यक्ति को कहते है। वह व्यक्ति ऋषि के आदेश को मानते हुए उस पत्थर को अपने हाथों में उठा लेता है।

कुछ समय बाद उस व्यक्ति को उस भरी पत्थर से हल्का दर्द होने लग जाता है। वह व्यक्ति इस दर्द को सहन कर लेता और चलता रहता है।

काफी समय तक वह व्यक्ति उस दर्द को सहन कर लेता है। लेकिन जब उसे दर्द ज्यादा होने लगता है तो वह महान ऋषि से कहता है कि मुझे दर्द हो रहा है और मैं थक गया हूं।

तभी ऋषि कहते हैं कि इसे नीचे रख दो। वह व्यक्ति पत्थर को नीचे रखता है और उसे राहत मिलती है। फिर मुनि कहते हैं कि ये ही तुम्हारी ख़ुशी का राज है। वह व्यक्ति वापस पूछता है कि गुरू मैं कुछ समझा नहीं।

फिर ऋषि वापस उस व्यक्ति को जवाब देते हैं कि जिस तरह तुमने इस भारी पत्थर को 10 मिनिट के लिए उठाकर रखा तो तुम्हे थोड़ा दर्द हुआ। 20 मिनिट तक उठाया तो उससे ज्यादा और अधिक समय तक उठाकर रखा तो ज्यादा दर्द होने लगा।

ठीक उसी प्रकार जितनी देर तक हम अपने पर दुखों का बोझ लिए फिरेंगे हमें ख़ुशी नहीं मिलेगी। निराशा ही मिलती रहेगी। हमारी ख़ुशी का राज सिर्फ इस पर निर्भर करता है कि हम कितनी देर तक दुखों का बोझ अपने ऊपर रखते हैं।

यदि तुम्हे अपने जीवन में खुश रहना है तो कभी अपने ऊपर दुःख को हावी होने मत दो। दुःख इस भारी पत्थर की तरह है जिसे हम जितना रखेंगे उतना ही हमें दर्द और कष्ट देता रहेगा।

भगवान पर भरोसा – All is Well (Motivational Short Story in Hindi)

क्या अपने कभी ये महसूस किया है कि आपके चारों ओर समस्याएं ही है और आप इनसे बच नहीं सकते और आपको हार माननी ही पड़ेगी। इस Motivational in Hindi Story में हम आपको ये ही बतायेंगे कि आपको ऐसी परिस्तिथि में क्या करना चाहिए।

एक बार की बात है। शाम का समय था। जंगल में काली घटाएं छाई हुई थी। काली घटाओं के कारण जंगल में बिजली गिर गई थी और जंगल में आग लग गई थी।

उस जंगल में एक सुनहरे बालों की बहुत सुंदर हिरणी रहती थी। वह शाम को एक नदी किनारे पानी पीने के लिए आई। उस समय उसने नदी के अन्दर अपनी चिंता भरी परछाई देखी। उसके चेहरे पर चिंता दिख रही थी। क्योंकि जंगल की आग में उसका घर जल चुका था और उसे अपने बच्चों को जन्म देना था।

वह हिरणी तीन महीने से प्रेग्नेंट थी और उसे प्रसूति का दर्द भी होने लगा था। तभी उस हिरणी ने सोचा कि वह अपने बच्चों को जन्म इस नदी के किनारे ही कहीं अच्छी जगह पर दे दें।

अचानक से हिरणी को नदी के किनारे झाड़ियों में से कुछ आहट सुनाई दी। तभी उसने अपनी तिरछी नजर से उस झाड़ियों की ओर देखा तो उसे एक परछाई दिखाई दी।

उस झाड़ियों में एक शिकारी शिकार करने के लिए अपनी बन्दुक में गोलियां भर रहा था। वह उस हिरणी का शिकार करने की सोच रहा था ।

हिरणी पहले से ही बहुत घबराई हुई थी और उस शिकारी को देखकर और घबरा गई। हिरणी ने मन ही मन में वहां से धीरे से भागने की सोची। जैसे ही वह भागने लगी तो उसने अपने सामने अपनी मौत को खड़े हुए देखा। उसके सामने एक खूंखार शेर खड़ा था। वह शेर भी उस हिरणी को अपना शिकार बनाने की सोच रहा था।

हिरनी ने चारों तरफ देखा जिसमें एक तरह वह शिकारी, दूसरी तरफ शेर, तीसरी तरफ जंगल की आग और चौथी तरफ वह नदी हिरणी चारों तरफ से घिर चुकी थी।

उसने मन ही मन सोचा इस नदी को पार करना उसके बस की बात नहीं। पीछे जंगल की आग है। एक तरफ शिकारी उसका शिकार करेगा और एक तरफ शेर उसे अपना भोजन बनाएगा।

हिरणी ने बहुत सोचा अपनी जान बचाने के लिए। लेकिन कोई रास्ता नहीं मिला। फिर हिरणी ने मन ही मन सोचा कि मरना ही है तो डरना किस बात से। मौत चारों तरफ है। अब तो शान से मरेंगे। मानो उस हिरणी का दिमाग सटक गया था।

ऐसा सोच कर हिरणी सीना तानकर शिकारी के सामने खाड़ी हो गई और आंखें बंद करके भगवान से इस जीवन के लिए शुक्रिया करने लगी और जीवनदान मांगने लगी।

तभी शिकारी अपनी बन्दुक में गोलियां भर चुका था और वह बन्दुक को हिरणी की तरफ करके कंधे पर बन्दुक रख कर हिरणी को निशाना बना ही रहा था कि एक अजीब सी घटना वहां पर घटी।

जंगल की आग से एक चिंगरी उछली और वह चिंगारी शिकारी की आंख पर आ लगी, वह शिकारी अंधा हो गया। शिकारी का निशाना हिरणी की ओर से चुक गया और शेर की और घूम गया शेर वहीं पर घायल हो गया और वहीं गिर गया।

बिजली की गर्जना के साथ वहां पर बूंदों के रूप में बारिश होनी शुरू हो गई। बारिश होने से मौसम बहुत ही सुहावना हो गया और जंगल में लगी आग भी बारिश के कारण बंद हो गई। इस सुहावने मौसम में हिरणी ने तीन बच्चों को जन्म दिया।

इस Inspire Story Hindi से हमें अपने जीवन में ये सीख लेनी चाहिए कि हमें कभी अपने जीवन में परेशानियों से पीछे नहीं हटना चाहिए। समस्या तो हमारे जीवन में आएगी, इसका मुकाबला करना चाहिए न कि इससे डरना चाहिए। खुल कर समस्याओं का सामना करें और भगवान पर भरोसा करें। भगवान सबका भला ही करता है।

इन्सान की पहचान वाणी से होती है

एक बार की बात है। एक राज्य का राजा था। उसे शिकार करने का बहुत ही शौक था। एक दिन वह राजा अपने सरदार और कुछ सैनिकों के साथ शिकार के लिए जंगल की ओर निकला। वह काफी दूर तक शिकार की खोज में चले गये।

ज्यादा दूर तक चलने से सभी को प्यास लगने लगी। सभी ने जंगल में पानी खोजना शुरू किया। फिर एक सैनिक को रास्ते पर एक कुआं दिखाई दिया। सैनिक ने राजा को यह बताया कि वहां पर एक कुआं है, जहां से हम अपनी प्यास को शांत कर सकते हैं।

राजा ने उस सैनिक को आदेश दिया कि वहां से उसके लिए पानी लाएं। सैनिक राजा के आदेश की पालना करते हुए उस कुएं के पास गया।

वहां पर सैनिक ने देखा कि एक नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति रास्ते से जाने वाले लोगों की जलसेवा कर रहा है। सैनिक उस नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति के पास गया और बोला “ऐ पनिहारे एक लोटा पानी दे, हमें कहीं आगे जाना हैं।”

ये सुनकर उस वृद्ध व्यक्ति ने जवाब दिया “यहां से चला जा मुर्ख, मैं ऐसे लोगों को पानी नहीं पिलाता।” ये सुनकर सैनिक तुरंत वहां से चला गया। ये बात सैनिक ने राजा के सरदार को जाकर बताई।

फिर सरदार उस नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति के पास गया और कहा “ऐ बूढ़े, हमें प्यास लगी है, एक लौटा पानी दे।” ये सुनकर उस नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति ने फिर पानी पिलाने से मना कर दिया।

राजा की प्यास बढ़ती ही जा रही थी। राजा ने अपने सरदार से पानी के बारे में पूछा तो सरदार ने राजा से कहा कि उस कुएं पर एक नेत्रहीन व्यक्ति है जो पानी पीने से मना कर रहा है।

ये सुनकर राजा अपने सैनिक और सरदार के साथ उस नेत्रहीन वृद्ध व्यक्ति के पास जाता है और उस वृद्ध व्यक्ति से कहता है “बाबा जी, हमें बहुत प्यास लगी है, गला सुखा जा रहा है। यदि आप थोड़ा पानी पिला देंगे तो आपकी बहुत बड़ी कृपा होगी।”

ये सुनकर उस नेत्रहीन व्यक्ति ने राजा से कहा “आप बैठिये, मैं आपको अभी जल पिलाता हूं।” फिर उस वृद्ध व्यक्ति ने सम्मानपूर्वक राजा को बैठाया और पानी पिलाया। पानी पीने के बाद राजा ने उस वृद्ध व्यक्ति से पूछा कि “आपको कैसे पता चला कि ये सैनिक व सरदार है और राजा मैं हूं”।

तो इसका जवाब उस वृद्ध व्यक्ति ने बहुत ही अच्छे शब्दों में दिया। वृद्ध व्यक्ति ने कहा “इन्सान की पहचान करने के लिए आंखों की जरूरत नहीं होती, उसकी वाणी ही उसकी असली पहचान होती है।”

ये सुनकर वहां पर मौजूद सरदार व उस सैनिक को शर्म महसूस हुई।

इस Motivational Story in Hindi से हमें ये प्रेरणा मिलती है कि जीवन में वाणी के से बढ़कर कुछ नहीं होता। यदि हमारे पास अच्छी वाणी और बोलने का तरीका होगा तो हम अपने जीवन में वो सब हासिल कर सकते हैं जो हम चाहते हैं।

निष्कर्ष

हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा शेयर की गई यह बेस्ट मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी (Short Motivational Story in Hindi) पसंद आई होगी।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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