मासिक दुर्गा अष्टमी को सनातन धर्म के लोग धूमधाम से मनाते हैं क्योंकि इस पर्व से उनकी श्रद्धा और आस्था जुड़ी हुई होती है। मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन माता दुर्गा की पूजा की जाती है। माता दुर्गा को सनातन धर्म में अत्यंत शक्तिशाली और दयालु देवी का दर्जा दिया गया है। महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और माता दुर्गा की पूजा करती हैं, जिससे माता दुर्गा उनकी मनोकामना को पूरी करती हैं और उन्हें जीवन में सुख सुविधा और समृद्धि का आशीर्वाद देती है।
देवी दुर्गा माता के नौ अवतार है जिनके नाम शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री है। मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन माता दुर्गा के स्वरूप महागौरी देवी की पूजा की जाती है। महागौरी देवी की प्रतिमा हरे सफेद रंग की साड़ी पहनकर बैल के ऊपर विराजमान होती है। एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में डमरू दिखाई देता है।
देवी दुर्गा मां के स्वरूप महागौरी इस तरह से बैल के ऊपर विराजमान होकर सवारी करती है। दुर्गा मां के चार हाथ होते हैं, जिनमें से एक हाथ आशीर्वाद देने के लिए और दूसरे हाथ में फुल होता है।
हमारा भारत एक त्योहारों का देश है क्योंकि भारत में हर दूसरे तीसरे दिन कोई न कोई बड़ा त्यौहार आता ही है। इसीलिए भारत को त्योहारों का देश कहते हैं। भारत में विशेष रूप से सनातन धर्म में प्रत्येक दो-तीन दिन बाद एक त्यौहार आता है, जिसे हिंदू धर्म के लोग बड़ी आस्था के साथ मनाते हैं।
भारत में व्रत और त्योहार मनाने का सिलसिला करोड़ों वर्षों से चला आ रहा है क्योंकि धर्म शास्त्रों के अनुसार सनातन धर्म करोड़ों वर्ष पुराना है। हमारे धर्म शास्त्रों में सभी पर्व और त्योहारों की व्याख्या की गई।
मासिक दुर्गा अष्टमी एक विशिष्ट पर्व है क्योंकि इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और माता दुर्गा की पूजा करती है। महिलाएं अपनी मनोकामना पूर्ण करवाने के लिए माता दुर्गा का उपवास करके उन्हें खुश करती है।
इस दिन महिलाएं अपनी सच्ची श्रद्धा से दुर्गा माता की पूजा-अर्चना करती हैं और उनसे अपने घर परिवार में सुख समृद्धि का वरदान मांगती हैं। माता दुर्गा को नकारात्मक शक्तियों का काल भी कहा जाता है। तो आइए मासिक दुर्गा अष्टमी के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से प्राप्त करते हैं।
मासिक दुर्गा अष्टमी क्या है और क्यों मनाई जाती है?
मासिक दुर्गा अष्टमी क्या है?
हर महीने की अष्टमी को दुर्गा माता का व्रत रखकर उपासना की जाती है। दुर्गा माता की पूजा की जाती है उसे मासिक दुर्गा अष्टमी कहते हैं। मासिक दुर्गा अष्टमी प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी को दुर्गा माता की पूजा करके मनाई जाती है। इसीलिए मासिक दुर्गा अष्टमी की विशेष महत्वता है। महिलाएं हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी को दुर्गा माता का उपवास रखती है और दुर्गा माता की पूजा अर्चना करती हैं, जिससे उनकी मनोकामना पूर्ण हो सकें।
सनातन धर्म की महिलाओं के लिए मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत अत्यंत महत्व रखता है क्योंकि सनातन धर्म के अनुसार मान्यता है कि मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत रखने वाली महिलाओं के पति की लंबी आयु होती हैं तथा कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है, जिससे उनका जीवन सुख समृद्धि से भरा रहता है और वह खुशहाल जीवन व्यतीत करते हैं। इसलिए मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन माता दुर्गा की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है तथा माता दुर्गा की कथा का वाचन किया जाता है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार अष्टमी के दिन एक महागौरी देवी का उद्गम हुआ था, जिसने दुर्गम नाम के असुरों का वध किया था क्योंकि वह देवताओं को खत्म करना चाहता था। संपूर्ण पृथ्वी पर मनुष्य का नाश करना चाहता था और देवलोक में देवताओं का सर्वनाश करना चाहता था।
इसलिए वह देवी प्रकट हुई और दुर्गम नाम के अक्षर का वध कर दिया, जिसके बाद उस देवी को दुर्गा माता के रूप में जाना जाता है और अष्टमी के दिन दुर्गा माता ने असुर का वध किया था, इसीलिए अष्टमी के दिन ही दुर्गा माता की पूजा की जाती है, जिसे मासिक दुर्गाष्टमी कहते हैं।
मासिक दुर्गा अष्टमी की कथा
मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन माता दुर्गा की उपासना और पूजा के साथ दुर्गा कथा का भी विमोचन किया जाता है। यानी कि उस दिन दुर्गा कथा पढ़ी जाती है। इस कथा के अंतर्गत मासिक दुर्गा अष्टमी का इतिहास बताया जाता है कि किस तरह से मासिक दुर्गा अष्टमी का उद्गम हुआ। कथा के अनुसार प्राचीन समय में एक अत्यंत क्रूर और निर्दई राक्षस रहता था, जिसका नाम दुर्गम था। लोगों उसे दुर्गम असुर कहकर पुकारते थें। दुर्गम असुर अपनी क्रूरता के लिए ना केवल पृथ्वी लोक बल्कि आकाश लोग और पाताल लोक में भी जाना जाता था।
जैसे-जैसे समय बीतता गया, वैसे जैसे दुर्गम राक्षस के अत्याचार बढ़ते गए। हर जगह उसका आतंक फैलने लगा । दुर्गम राक्षस मनुष्य जाति को अपना शिकार बनाता था और अब वह देवताओं को भी मारने लग गया था। इस राक्षस से डरकर सभी देवता कैलाश पर्वत पर पहुंच गए क्योंकि यहां पर भगवान शिव रहते हैं।
इसीलिए यहां पर उन्हें कोई नहीं मार सकता। सभी देवताओं ने कैलाश पर्वत को सुरक्षित स्थान माना। इसीलिए सभी देवी देवता कैलाश पर्वत पर पहुंच गए और भगवान शिव को इस समस्या का समाधान करने के लिए कहा।
कथा के अनुसार दुर्गम नाम के राक्षस का बढ़ते आतंक की वजह से सभी देवी देवताओं और ब्रह्मा विष्णु ने भी भगवान शिव से इसका समाधान ढूंढने को कहा। तो भगवान शिव ने ब्रह्मा और विष्णु के साथ सभी देवी देवताओं के साथ मिलकर अपनी शक्तियों से शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन देवी दुर्गा को उत्पन्न किया।
भगवान शिव ने देवी दुर्गा को उत्पन्न करने के बाद उसे सबसे शक्तिशाली हथियार दिया और उस दानव का नरसंहार करने के लिए भेजा, जिसके बाद देवी दुर्गा ने कुछ ही समय में उस दानव को मार दिया। उस दानव को दुर्ग सेन नाम से भी जाना जाता है।
भगवान शिव द्वारा उत्पन्न की गई देवी दुर्गा भगवान शिव द्वारा प्राप्त शक्तिशाली हथियार की मदद से कुछ ही समय में पृथ्वी लोक पर दुर्गम राक्षस को ढूंढ लिया। जहां पर वह पृथ्वी लोक के मनुष्य का नरसंहार कर रहा था।
इस तरह का दृश्य देख देवी दुर्गा को अत्यंत क्रोध आया और देवी दुर्गा ने दुर्गम राक्षस को लोगों के सामने तड़पा-तड़पा कर मार दिया। इसके बाद लोग देवी दुर्गा की पूजा करने लगे और इस दिन को बुराई के ऊपर अच्छाई की विजय के रूप में दुर्गाष्टमी का शुभारंभ हुआ। उस दिन से हर महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मासिक दुर्गा अष्टमी के नाम से जाना जाता है।
मासिक दुर्गा अष्टमी पूजा पद्धति
मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन विशेष रूप से महिलाएं देवी दुर्गा मां की उपासना करने के लिए व्रत रखती है और हत्यारों के साथ-साथ देवी दुर्गा मां की भी पूजा की जाती है। देवी दुर्गा मां से पूजा के समय प्रार्थना की जाती है और सुख समृद्धि का वरदान मांगा जाता है।
देवी दुर्गा मां की मासिक दुर्गा अष्टमी के दौरान पूजा करने के लिए नारियल, इलायची, सुखा मेवा, केला, गुलाब का फूल, पान के पत्ते, लॉन्ग, कुमकुम, मौली, दही, दूध, घी, शहद, चीनी, इत्यादि से देवी दुर्गा मां की पूजा की जाती है।
मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन देवी दुर्गा मां की पूजा के समय दुर्गा आरती गाई जाती है और दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाता है। मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन महिला और पुरुष दोनों ही वर्त रख सकते हैं। लेकिन विशेष रूप से लड़कियां और महिलाएं उपवास रखती हैं। केवल जल, दूध और केले के सेवन से ही इस उपवास को किया जाता है। इस उपवास के अंतर्गत शराब तथा मांस जैसे पदार्थ पूरी तरह से निषेध होते हैं।
लड़कियां और महिलाएं अपने घर परिवार की सुख समृद्धि के लिए और पति की लंबी आयु के लिए मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन देवी दुर्गा की पूजा करते समय वरदान मांगती हैं। कुंवारी लड़कियां ससुराल में अच्छा घर परिवार के सदस्य और विशेष रूप से पसंदीदा पति की कामना करती है।
मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन कुंवारी लड़कियों को भोजन कराया जाता है। विशेष रुप से नासमझ कन्याएं जैसे 15 वर्ष की आयु तक की कन्याओं को भोजन के लिए बुलाया जाता है और मिठाई बनाकर उन्हें खिलाया जाता है।
दुर्गा कथा में कहा गया है कि इस तरह से कुंवारी कन्याओं को और विशेष रूप से नासमझ कन्याओं को भोजन कराने पर फल की प्राप्ति होती है और देवी दुर्गा उनकी मनोकामना को पूर्ण करती हैं। इसीलिए सदियों से इस तरह से कुंवारी कन्याओं को भोजन कराने की पद्धति चली आ रही है। इस तरह से मासिक दुर्गा अष्टमी की पूजा की जाती है।
मासिक दुर्गा अष्टमी का महत्व
मासिक दुर्गा अष्टमी का महत्व आस्था और श्रद्धा से जुड़ा हुआ है। अध्यात्म की दृष्टि से लाभ प्राप्त करना चाहते हैं। अपने घर परिवार की सुख समृद्धि और जीवन में सकुशल लाभ पाने के लिए माता दुर्गा की उपासना करते हैं। मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन लड़कियां, लड़के, स्त्री, पुरुष अपने जीवन में और अपने घर परिवार के जीवन में सुख समृद्धि की कामना करते हैं। इस दिन लोग उपवास करते हैं और माता दुर्गा की पूजा करते हैं।
इस दिन लोग मनोवांछित फल पाने के लिए दुर्गा माता की पूजा अर्चना करते हैं और व्यापार में लाभ कमाने के लिए, व्यापार में विकास करने के लिए, जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए, घर परिवार में शांति और समृद्धि बनी रखने के लिए, शरीर को बीमारियों से मुक्त करने के लिए तथा धन की आवाजाही बढ़ाने के लिए, दुश्मनों का नाश करने के लिए दुर्गा माता की पूजा मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन करते हैं। ताकि उनका जीवन सकुशल यापन हो सकें। इसी महत्वता के कारण मासिक दुर्गा अष्टमी का महत्व बढ़ जाता है।
निष्कर्ष
मासिक दुर्गा अष्टमी प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को दुर्गा माता की पूजा करके मनाया जाता है। इसीलिए इसे मासिक दुर्गाष्टमी कहते हैं। मासिक दुर्गा अष्टमी को लोग अपनी आस्था से मनाते हैं। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और माता दुर्गा की पूजा करते हैं तथा अपने घर परिवार के सुख समृद्धि के लिए माता दुर्गा से वरदान मांगते हैं।
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको पूरी जानकारी के साथ विस्तार से बताया है कि मासिक दुर्गा अष्टमी क्या है?, मासिक दुर्गा अष्टमी की पूजा पद्धति क्या है?, मासिक दुर्गा अष्टमी की कथा तथा मासिक दुर्गा अष्टमी का महत्व क्या है? यदि आपको यह आर्टिकल पसंद आया है और आपका इस आर्टिकल से संबंधित कोई भी प्रश्न है?, तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं।
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