Maharana Pratap ke Kitne Bhai the: वीर महाराणा प्रताप भारत के इतिहास का एक ऐसा नाम जिसने अपनी वीरता और पराक्रम से यह सिद्ध कर दिया कि यदि देशप्रेम और मातृभूमि के प्रति समर्पण की भावना हो तो बड़ी से बड़ी मुसीबत का सामना किया जा सकता हैं। वीर महाराणा प्रताप ने मुगल सम्राट अकबर से संघर्ष किया और अपनी मातृभूमि को गौरवान्वित किया।
वीर योद्धा महाराणा प्रताप के बारे में हम सभी जानते हैं। परंतु यदि उनके पारिवारिक इतिहास की बात करें तो कुछ तथ्यों की जानकारी के अभाव के चलते लोगों के उनके परिवार जैसे कि उनके भाइयों, माताओं इत्यादि के बारे में सही जानकारी प्राप्त नहीं है।

यदि आप भी महाराणा प्रताप और उनके भाइयों के बारे में जानने के इच्छुक हैं तो आज का यह आर्टिकल जरूर पढ़िए। आज इस आर्टिकल में हम आपको महाराणा प्रताप के भाइयों की जानकारी देने जा रहे हैं। तो आइए बिना समय गवाएं इस आर्टिकल को पढ़ते हैं और महाराणा प्रताप की भाइयों के संबंध में जानकारी प्राप्त करते है।
महाराणा प्रताप के कितने भाई थे? | Maharana Pratap ke Kitne Bhai the
वीर योद्धा महाराणा प्रताप के पिता महाराजा उदय सिंह द्वितीय ने 18 विवाह किए थे, जिनसे उनके 24 कुंवर थे। जिनकी जानकारी कुछ इस प्रकार है:
उदय सिंह द्वितीय की पत्नी जयंताबाई से स्वयं महाराणा प्रताप, सज्जा बाई से दो पुत्र शक्ति सिंह और वीरमदेव, जयवंता बाई से जत्र सिंह, लाल कुंवर से कल्हा, वीर बाई से दो पुत्र शार्दुल सिंह व रूद्र सिंह, धीरबाई से चार पुत्र क्रमशः जगमाल, सगर, अगर, शाह और पंचायन हुए।
उदय सिंह द्वितीय की अन्य रानियों से नारायण दास, लूणकरण, महेश दास, सुल्तान, भाव सिंह, नेत्र सिंह, नागराज, वेरीसाल, मान सिंह, साहेब खान और चांद सिंह हुए यह सभी महाराणा प्रताप के भाई थे।
इन सभी भाइयों में से कुछ का उल्लेख इतिहास में स्पष्ट तौर पर मिलता है। वीर महाराणा प्रताप के कुछ भाइयों के विषय में विस्तृत जानकारी इस प्रकार से है:
जगमाल या जगमन
यह मेवाड़ के राजा उदय सिंह द्वितीय की पत्नी धीर भाई के बड़े बेटे थे। जेष्ठ पुत्र होने के कारण तथा धीर बाई की इच्छा अनुसार राजा उदय सिंह द्वितीय ने जगमाल को अपना उत्तराधिकारी बनाया था। लेकिन वरिष्ठ मंत्री गणों और प्रमुख दरबारियों की इच्छा वीर महाराणा प्रताप को गद्दी पर बैठाने की थी तथा बाद में चलकर महाराणा प्रताप ही शासक हुए इससे जगमाल काफी नाखुश थे।
वह मुगल सम्राट अकबर के पास गए अकबर ने उन्हें जहाजपुर का परगना दीया और आदि सिरोही पर राज करने के लिए जगमाल ने दत्तानी का युद्ध किया। आदि सिरोही वही जगह है, जिसका आधा राज देवड़ा सुल्तान के कब्जे में था, जो कि पहले जगमाल के ससुर देवड़ा मानसिंह का हुआ करता था। आदि सिरोही का राज अपने हाथ में लेने के उद्देश्य से जगमाल ने अक्टूबर 1583 में दत्तानी का युद्ध किया, जिसमें वे सुल्तान से हार गए और युद्ध लड़ते हुए मारे गए।
सगर
जगमाल के ही छोटे भाई सगर भी महाराणा प्रताप से नाराजगी के चलते राजा मानसिंह के पास गए। राजा मानसिंह उन्हे अकबर के पास लेकर गए और मेवाड़ का राणा बनाने का वायदा किया लेकिन वह पूरा ना हो सका।
आगे चलकर जहांगीर के शहजादे परवेज ने अपने दादा के वायदे को पूरा करते हुए मेवाड़ के हमले के दौरान सगर को चित्तौड़गढ़ का राजा बनाया। हालांकि सगर चित्तौड़ के नाम मात्र के राणा रहे।
शक्ति सिंह
वीर महाराणा प्रताप और उनके भाई शक्ति सिंह के मध्य आपसी विरोधाभास की स्थिति काफी लंबे समय तक बनी रही। ऐसा कहा जाता है कि शक्ति सिंह हल्दीघाटी के युद्ध में मुगल सेना की ओर से महाराणा के विरुद्ध युद्ध में खड़े हुए थे लेकिन बाद में उनका हृदय परिवर्तन हुआ।
FAQ
महाराणा प्रताप मेवाड़ के वीर योद्धा और महान शासक थे।
महाराणा प्रताप आपस में 24 भाई थे।
जगमाल या जगमन महाराणा प्रताप के भाई थे।
यह महाराणा प्रताप के भाई थे।
निष्कर्ष
महाराणा प्रताप के 23 भाइयों में से कुछ का ही उल्लेख ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर देखा जा सकता है। फिर भी आशा है आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और हां राणा प्रताप के भाइयों के संबंध में पर्याप्त जानकारी प्राप्त हुई होगी।
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