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कुलधरा गाँव का इतिहास और कहानी

Kuldhara Village History in Hindi: राजस्थान के कुलधरा गांव का नाम तो आप ने कभी ना कभी किताबों या कहानियों में जरूर सुना होगा। रेतीले धोरों के बीच में विरान पड़ा कुलधरा गांव जैसलमेर जिले से 20 किलोमीटर दूरी पर है, जिसे भारत की सबसे डरावनी व भूतिया जगह के तौर पर जाना जाता है।

राजस्थान के रेतीले धोरे वाले में जैसलमेर के पास स्थित कुलधरा गांव के किस्से और कहानियां पूरे भारत भर में मशहूर है। यह गांव भूतिया किले और खंडहर के रूप में देखा जाता है। यहां की भूतिया कहानियां काफी ज्यादा प्रचलित हैं। 19वीं सदी से कुलधरा गांव वीरान पड़ा है, क्योंकि उस समय यहां पर रहने वाले पालीवाल ब्राह्मणों ने इस गांव का परित्याग किया था।

आज के समय में जैसलमेर का कुलधरा गांव पूरा का पूरा खंडहर में तब्दील हो चुका है, लेकिन अभी भी उसकी स्थापत्य कला, सुंदरता तथा उसका गौरवशाली इतिहास देखने के लिए दूरदराज से हर वर्ष लाखों लोग आते हैं। बता दें कि पर्यटकों द्वारा सबसे ज्यादा देखे जाने वाला यह गांव है। इस गांव की कहानियां व किस्से हर जगह प्रचलित हैं।‌ हर कोई इस गांव विजिट करना चाहता है।

Kuldhara Village History in Hindi
Image: Kuldhara Village History in Hindi

इस गांव को शापित गांव कहा जाता है। पालीवाल ब्राह्मणों इस गांव को छोड़कर जाते समय श्राप देकर गए थे तब से अब तक यहां पर कोई भी निवास नहीं करता। यह एकदम विरान पड़ा है। बलुआ पत्थरों से चमकता हुआ यह महल अब खंडहर में तब्दील हो चुका है।

इस गांव की कहानी काफी रहस्य से भरी हुई है। इस आर्टिकल में हम आपको “कुलधरा गांव की कहानी व इतिहास” विस्तार से बताएंगे। इसलिए इस आर्टिकल को आप अंत तक ध्यानपूर्वक जरूर पढ़ें।

कुलधरा गाँव का इतिहास और कहानी | Kuldhara Village History in Hindi

कुलधरा गांव का इतिहास (Kuldhara Village History in Hindi)

इतिहासकारों ने साक्ष्यों के आधार पर इस बात की पुष्टि हुई है कि कुलधरा गांव की स्थापना 13वीं शताब्दी में पालीवाल ब्राह्मणों ने की थी। इतिहासकार बताते हैं कि लगभग आज से 200 वर्ष पूर्व इस गांव में 500 घरों में तकरीबन 15 साल लोग रहते थे।

ग्रामीणों के किस्से तथा किताबों की कहानियों में बताया गया है कि जैसलमेर के कुलधरा गांव में मूल रूप से ब्राह्मण निवास करते थे, जिनका गोत्र पालीवाल था। पालीवाल ब्राह्मण राजस्थान के पाली जिले से आकर यहां पर बसे थे।

बता दें कि यहां पर मिले शिलालेख से भी इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि यहां पर पालीवाल ब्राह्मण रहा करते थे। इतिहासकार बताते हैं कि उस समय यहां पर रहने वाले पालीवाल ब्राह्मण काफी समृद्ध और स्वस्थ तरीके से जीवन यापन करते थे। उस समय कुलधरा गांव काफी समृद्ध था।

कुलधरा गांव की समृद्धि का इतिहास

भारतीय पुरातात्विक विभाग द्वारा कुलधरा गांव में अच्छी तरह से रिसर्च व खोजबीन की गई, जिसमें अनेक चौकाने वाले तथा रहस्यों से भरे खुलासे हुए हैं।‌ पुरातत्व विभाग ने आज से लगभग 200 वर्षों से वीरान पड़े कुलधरा गांव को एक समृद्ध और विकसित गांव बताया है

इतिहासकार कहते हैं कि पालीवाल ब्राह्मण समुदाय ने अपने मेहनत तथा वास्तु कला से वर्ष 1291 में इस गांव को योजनाबद्ध तरीके से बसाया था। यहां पर प्रत्येक कार्य सुनियोजित तरीके से किया जाता था, इसीलिए यह गांव इतना समृद्ध था।

जैसा कि आपको पता है राजस्थान में अत्यधिक गर्मी पड़ती है। गर्मी के दिनों में राजस्थान में रिकॉर्ड गर्मी पड़ती है। परंतु कुलधरा गांव में गर्मी का एहसास ही नहीं होता। क्योंकि पालीवाल ब्राह्मणों ने उस गांव को इसी प्रकार से सुनियोजित तरीके से बसाया था। बता दें कि आज के समय में वीरान पड़े कुलधरा गांव में भी 45 डिग्री के तापमान में ठंड का एहसास होता है।

तब आप सोच सकते हैं कि उस समय भयंकर गर्मी में भी कुलधरा गांव पर गर्मी का कोई असर नहीं होता था। इतिहासकारों ने खंडहर हो चुके घरों का निरीक्षण करके यह बताया है कि उस समय पालीवाल ब्राह्मणों ने गर्मी से बचने के लिए पूरे गांव को ठंडा रखने हेतु हवा के इस तरह से “वेंटिलेटर” बनाएं की भयंकर गर्मी में भी वह गांव ठंड का एहसास दिलाएं।

इतिहासकार इस बात से हैरान है कि उस समय लोगों ने किस तरह से योजनाबद्ध तरीकों से घरों में झरोखे बनाएं। महलों का निर्माण किस तरह से किया जाता था कि औरतों को तो बाहर खड़े पुरुष दिखाई देते थे, लेकिन पुरुषों को अंदर खड़ी औरतें भी दिखाई नहीं देती थी।

इतिहासकार बताते हैं कि पालीवाल ब्राह्मण समुदाय मुख्य रूप से कृषि का कार्य करते थे। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जैसलमेर जिले में स्थित कुलधरा गांव रेगिस्तान के जिप्सम चट्टान पर स्थित हैं। इसीलिए उस समय वहां के लोग कम पानी पर भी गर्म दिनों में भी आसानी से खेती-बाड़ी किया करते थे।

कुलधरा का रहस्य

कुलधरा गांव में आने वाले पर्यटक और दर्शक इस गांव की कहानी तथा रहस्यों से आकर्षक होकर आते हैं। यह गांव एकदम वीरान और सोने जैसी चमकती बालू रेत के बीच में बसा है। बता दें कि कुलधरा गांव से 20 किलोमीटर दूर जैसलमेर शहर है, जोकि “गोल्डन सिटी” के नाम से जाना जाता है। कुलधरा गांव बालू पत्थरों से बना हुए विशाल भवन तथा महलो में फैला हुआ है।

कुलधरा गांव की कहानियां बुजुर्गों की जुबां पर और लोक कथा-कहानियों में भी देखने व सुनने को मिलती है। इन कहानियों को सुनते हुए ही लोग कुलधरा गांव देखने के लिए पहुंचते हैं। पर्यटक यहां पर आकर काफी उत्साहित नजर आते हैं।

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कुलधरा गांव के विरान होने की कहानी

लोक-कथाओं तथा लोगों की जुबां पर जो कहानी कुलधरा गांव को लेकर चल रही है, वह कुछ इस प्रकार है कि यहां पर एक दीवान रहता था, जिसे गांव के एक ब्राह्मण की पुत्री पसंद आ गई थी। दीवाना उस ब्राह्मण पुत्री से विवाह करना चाहता था।

जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे उस दीवाना के मन में उस ब्राह्मण लड़की को लेकर अभिलाषा बढ़ती गई। इसलिए उस दीवाने एक दिन लड़की के साथ विवाह करने की बात उस ब्राह्मण पिता से कहीं।

जब यह बात पालीवाल ब्राह्मणों को पता चली, तो उन्होंने अपने समाज की एक बैठक रखी और इसमें इस बात का विरोध करने का फैसला लिया गया।

जब पालीवाल ब्राह्मणों ने दीवान का उनकी पुत्री से विवाह करने के फैसले पर विरोध किया, तो दीवान ने उनके ऊपर अतिरिक्त कर लगा दिया तथा दीवाने पालीवाल ब्राह्मणों को धमकी भी दी कि वे इस लड़की के साथ कैसे भी करके विवाह करके ही रहेंगे और वह इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे।

तब पालीवाल ब्राह्मणों के सामने चुनौती बहुत बड़ी थी। क्योंकि वे अपनी पुत्री का विवाह अंतर्जातीय दीवान से नहीं कराना चाहते थे तथा सैकड़ों लोग का जीवन भी उसी गांव की खेती बाड़ी पर गुजर रहा था।

पालीवाल ब्राह्मणों ने एक बैठक रखी और रातो-रात गांव खाली करने का निर्णय किया। क्योंकि पालीवाल ब्राह्मण अन्य जाति में विवाह संबंध नहीं रखते थे। इसलिए वे अपने जाति व धर्म की मान-मर्यादा हेतु रातो-रात कुलधरा गांव को खाली कर दिया।

बता दे कि एक ही रात में सैकड़ों-हजारों पालीवाल ब्राह्मणों ने अपने परिवार सहित जरूरत की सामग्री को साथ में लेकर रात को उस गांव से निकल गए।

सबसे बड़ा रहस्य तो यह है कि वह पालीवाल ब्राह्मण हजारों की संख्या में उस रात कहां गए थे, इसकी कोई जानकारी नहीं है। अब तक इसका पता नहीं लगाया जा सका है।

कहा जाता है कि पालीवाल ब्राह्मण गांव छोड़कर जाते समय एक श्राप देकर गए थे कि उनके बाद अब इस गांव में कोई और नहीं रह पाएगा। आज भी वैसा ही है। उसके बाद अनेक लोगों ने उस गांव में रहने की कोशिश की, लेकिन किसी न किसी कारण से वह नहीं रह पाए, उन्हें अनेक प्रकार की तकलीफों का सामना करना पड़ा।

कुलधरा गांव के फोटोज (Kuldhara Village Photos)

इतिहासकारों के अनुसार कुलधरा गांव की कहानी

एक तरफ जहां लोक कथा और कहानियों में कुलधरा गांव के वीरान और खंडर की कहानी पालीवाल ब्राह्मणों के श्राप और गांव छोड़ने को बताया गया है, वहीँ इतिहासकार इसका मुख्य कारण आपदा बताते हैं।

इतिहासकार कहते हैं कि कुलधरा गांव में उस समय बहुत बड़ी आपदा आई थी, जिससे यह काम एकदम से वीरान हो गया, जो अब तक विरान ही पड़ा है। इतिहासकारों ने कुलधरा गांव में किसी बड़े भूकंप जैसी आपदा की ओर इशारा किया है परंतु भूकंप के आने का भी कोई इतिहास नहीं है। ऐसे में लोग लोक-कथाओं में प्रचलित पालीवाल ब्राह्मणों के गांव छोड़े जाने की कहानी को ही सही मानते हैं।

वर्तमान में कुलधरा गांव

वर्तमान समय में कुलधरा गांव विशाल भू-भाग में फैला हुआ एक वीरान गांव है, जो खंडहर में तब्दील हो चुका है। हालांकि इसमें आपको कुछ महल ऐसे देखने को मिलेंगे न, जो थोड़े बहुत ठीक हैं। परंतु लगभग पूरा गांव खंडहर में तब्दील हो चुका है। यहां पर बालू रेत तथा बलुआ पत्थर से बने हुए घर व महल दिखाई देंगे।

राजस्थान के जैसलमेर में जहां एक तरफ रिकॉर्ड गर्मी पड़ती है। वहीं पर इस गांव में आपको ठंड का एहसास होगा। क्योंकि इस गांव को उस समय पालीवाल ब्राह्मणों ने इस तरह से सुनियोजित ढंग से बनाया था।

वर्तमान समय में कुलधरा गांव देखने पर हमें इतिहास का ज्ञान होता है कि उस समय किस तरह के महल, घर व वस्तुएं हुआ करते थे। उस समय लोगों की संस्कृति क्या थी, किस तरह से लोग अपना जीवन यापन किया करते थे, क्या लोगों के पास संसाधन थे इत्यादि सभी जानकारी देखने को मिलती हैं।

वैसे तो पूरा गांव लगभग खंडहर में तब्दील हो चुका है लेकिन कुलधरा गांव के पास ही एक देवी का मंदिर बना हुआ है। वहां पर जाने से आपको इस बात का एहसास होगा कि हमारा इतिहास क्या रहा है, किस तरह से और कैसे यह गांव विरान हुआ, इस बात को लेकर आप भी सोच में पड़ जाएंगे।

कुलधरा गांव में हुई रिसर्च

कुलधरा गांव में “इंडियन पैरानॉर्मल सोसायटी” की टीम वर्ष 2013 में जांच पड़ताल करने के लिए आई। इनके साथ कुछ पत्रकार भी आए थे, जिन्होंने इस कुलधरा गांव में एक रात भी बिताई थी।

इस टीम के अध्यक्ष गौरव तिवारी ने एक इंटरव्यू में इस बात की पुष्टि की है कि उस रात कुछ अजीब सी आवाज में आती थी और असामान्य स्पर्श जैसा महसूस भी हुआ था जबकि हमें कोई नुकसान नहीं पहुंचा।

गौरव तिवारी ने कहा है कुलधरा गांव वास्तव में एक हॉन्टेड गांव है। यहां पर सब कुछ ठीक नहीं है। कुछ असामान्य गतिविधियों का एहसास भी होता है।

कुलधरा गांव घूमने का सही समय और प्रवेश शुल्क

अब अगर आपने कुलधरा गांव का इतिहास और रहस्य भरी कहानी सुन ली है। तब आपका भी यहां जाने का मन जरूर करता होगा। यदि आप कुलधरा गांव जाना चाहते हैं तो पहले आपको यहां पर घूमने का सही समय जान लेना चाहिए।

कुलधरा गांव में प्रवेश करने हेतु प्रशासन द्वारा कुलधरा गांव की सीमा पर एक दरवाजा लगाया गया है, जिससे होकर गांव में प्रवेश किया जाता है। कुलधरा गांव में सुबह 8:00 बजे से लेकर शाम के 6:00 बजे तक जा सकते हैं। उसके बाद गांव के बाहर लगा प्रवेश द्वार बंद कर दिया जाता है। शाम को 6:00 बजे के बाद तथा सुबह 8:00 बजे से पूर्व इस गांव में प्रवेश करने पर मनाही है।

गांव वाले यहां पर भूत प्रेत की कहानियां बताते हैं, जबकि प्रशासन भी शाम को 6:00 बजे के बाद यहां पर प्रवेश करना वर्जित बताता है। बता दें कि कुलधरा गांव के लिए प्रवेश शुल्क एक व्यक्ति का ₹10 से लेकर ₹50 तक है।

यदि आप वहां घूमने जाते हैं तो आपको इतिहास का एहसास होगा। उस खंडार में यह देख पाएंगे कि उस समय के लोग कैसे रहते थें, उनकी संस्कृति क्या थी, वहां पर मौजूद खंडहर में तब्दील भवन अपना गौरवशाली इतिहास बयां करेंगे। वहां पर आप यह भी देख पाएंगे कि जो लोग भूतिया कहानियां बयां करते हैं, असल में वैसा कुछ है या नहीं।

सोने जैसी चमकती हुई रेगिस्तानी धूल के बीच बसा कुलधरा गांव भले ही विरान पड़ा हो, लेकिन वह अपने अंदर अनेकों राज और रहस्य समेटे हुए हैं। कुलधरा गांव भले ही खंडर हो चुका हो, लेकिन वहां पहुंचने पर आपको इतिहास का ज्ञान होगा, संस्कृति का आभास होगा, वहां पर मौजूद पत्थर और शिलालेखों से उस समय की संस्कृति और परंपरा की जानकारी मिलेगी।

निष्कर्ष

“कुलधरा गांव का इतिहास और कहानी (Kuldhara Village History in Hindi)” इस आर्टिकल में हमने पूरी जानकारी विस्तार से बताई है। इस आर्टिकल को पूरा अंत तक पढ़ने के बाद आपको कुलधरा गांव का इतिहास तथा कुलधरा गांव के विरान होने की कहानी पता चली होगी।

आशा करते हैं कि आपको हमारे द्वारा लिखा हुआ यह आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपका इस आर्टिकल के संदर्भ में कोई प्रश्न या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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