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जुदाई शायरी

Judai Shayari in Hindi

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जुदाई शायरी |Judai Shayari in Hindi

सब के होते हुए भी तन्हाई मिलती है,
यादों में भी गम की परछाई मिलती है,
जितनी भी दुआ करते हैं किसी को पाने की,
उतनी ही ज्यादा जुदाई मिलती है।

आपकी आहट दिल को बेकरार करती है,
नज़र तलाश आपको बार-बार करती है,
गिला नहीं जो हम हैं इतने दूर आपसे,
हमारी तो जुदाई भी आपसे प्यार करती है।

दिल से निकली ही नहीं शाम जुदाई वाली,
तुम तो कहते थे बुरा वक़्त गुज़र जाता है।

वफ़ा की ज़ंज़ीर से डर लगता है,
कुछ अपनी तक़दीर से डर लगता है,
जो मुझे तुझसे जुदा करती है,
हाथ की उस लकीर से डर लगता है।

जुदाइयों के ज़ख़्म दर्द-ए-ज़िंदगी ने भर दिए,
तुझे भी नींद आ गई मुझे भी सब्र आ गया।

जुदा हुए हैं बहुत से लोग एक तुम भी सही,
अब इतनी सी बात पे क्या जिंदगी हैरान करें।

अकेला महसूस करो जब तन्हाई में,
याद मेरी आये जब जुदाई में,
मैं तुम्हारे पास हूँ हर पल,
जब चाहे देख लेना अपनी परछाई में।

दिल को मेरे ये एहसास भी नहीं है,
कि अब मेरा मेरा यार मेरे पास नहीं है,
उसकी जुदाई ने वो ज़ख्म दिया हमें,
जिंदा भी न रहे और लाश भी नहीं है।

जिसकी आँखों में कटी थी सदियाँ,
उसने सदियों की जुदाई दी है।

तू क्या जाने क्या है तन्हाई,
इस टूटे हुए दिल से पूछ क्या है जुदाई,
बेवफाई का इल्ज़ाम न दे ज़ालिम,
इस वक़्त से पूछ किस वक़्त तेरी याद नहीं आती।

जुदा हो कर भी जी रहे हैं मुद्दत से,
कभी कहते थे दोनों कि जुदाई मार डालेगी।

मैं समझा था कि लौट आते हैं जाने वाले,
तू ने जाकर तो जुदाई मेरी क़िस्मत कर दी।

उसे हम छोड़ दे लेकिन
बस एक छोटी सी उलझन है,
सुना है दिल से धड़कन की
जुदाई सिर्फ मौत होती है।

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कट ही गई जुदाई भी कब ये हुआ कि मर गए,
तेरे भी दिन गुजर गए मेरे भी दिन गुजर गए।

*****

हमने प्यार नहीं इश्क नहीं इबादत की है,
रस्मों से रिवाजों से बगावत की है,
माँगा था हमने जिसे अपनी दुआओं में,
उसी ने मुझसे जुदा होने की चाहत की है।

उनकी तस्वीर को सीने से लगा लेते है,
इस तरह जुदाई का गम उठा लेते है,
किसी तरह ज़िक्र हो जाए उनका,
तो हंस कर भीगी पलके झुका लेते है।

Judai Shayari in Hindi

दिल जुड़ा हो तो मुलाक़ात से फिर क्या हासिल,
यूं तो सेहरा भी समंदर से मिला करते हैं।

कह के आ गए उनसे कि जी लेंगे तुम्हारी बिन,
उनके जुदा होते ही जान पे बन आई है।

तमन्ना इश्क तो हम भी रखते हैं,
हम ही किसी के दिल में धड़कते हैं,
मिलना चाहते तो बहुत हैं हम आपसे,
पर मिलने के बाद जुदाई से डरते हैं।

मुमकिन फैसलों में एक हिज्र का फैसला भी था,
हम ने तो एक बात की उसने कमाल कर दिया।

उसकी जुदाई में आज यादें तड़पाती हैं,
याद में उसकी अब तो रातें गुजर जाती हैं,
कभी नींद नहीं आती है आँखों में,
तो कभी नींद से आँखें ही मुकर जाती हैं।

किसी से जुदा होना इतना आसान होता तो,
जिस्म से रूह को लेने फ़रिश्ते नहीं आते।

अब बुझा दो ये सिसकते हुए यादों के चिराग,
इनसे कब हिज्र कि रातों में उजाला होगा।

बेवफा वक़्त था?
तुम थे?
या मुकद्दर था मेरा?
बात इतनी ही है कि
अंजाम जुदाई निकला।

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इन दूरियों को जुदाई मत कहना,
इन खामोशियों को रुसवाई मत कहना ,
हर मोड़ पर याद करेंगे आपको,
ज़िन्दगी में साथ नहीं दिया तो बेवफाई मत कहना।

आओ किसी शब मुझे टूट के बिखरता देखो,
मेरी रगों में ज़हर जुदाई का उतरता देखो,
किस किस अदा से तुझे माँगा है खुदा से,
आओ कभी मुझे सजदों में सिसकता देखो।

*****

हर मुलाकात का अंजाम जुदाई क्यों है?
अब तो हर वक़्त यही बात सताती है हमे।

हर मुलाक़ात पर वक़्त का तकाज़ा हुआ,
हर याद पर दिल का दर्द ताज़ा हुआ,
सुनी थी सिर्फ लोगों से जुदाई की बातें,
खुद पर बीती तो हक़ीक़त का अंदाज़ा हुआ।

Judai Shayari in Hindi

याद में तेरी आहें भरता है कोई,
हर सांस के साथ तुझे याद करता है कोई,
मौत तो सच्चाई है आनी ही है एक दिन,
लेकिन तेरी जुदाई में हर रोज मरता है कोई।

जिसकी आँखों में काटी थी सदियाँ,
उसने सदियों की जुदाई दी है।

वो जिस्म और जान जुदा हो गए आज,
वो मेहेंदी के रंग में खो गए आज,
हमने चाहा जिन्हें सिद्दत से,
वो उम्र भर को किसी और के हो गए आज।

याद में तेरी कैसे दिन गुजरते हैं,
पूछो न हमसे आलम वो जुदाई का,
कांटो की तरह चुभता रहा वो लम्हा,
रो-रोकर गुजरता है रास्ता हर तन्हाई का।

आप को पा कर अब खोना नहीं चाहते,
इतना खुश हैं कि अब रोना नहीं चाहते,
ये आलम है हमारा आप की जुदाई में,
आँखों में नींद है और सोना नहीं चाहते।

तेरे होते हुए भी तन्हाई मिली है,
वफ़ा करके भी देखो बेवफाई मिली है,
जितनी दुआ की तुम्हें पाने की मैंने,
उससे ज्यादा तेरी जुदाई मिली है।

हो जुदाई का सबब कुछ भी मगर,
उसे हम अपनी खता कहते हैं,
वो तो साँसों में बसी है मेरे,
जाने क्यों लोग मुझसे जुदा कहते है।

मुस्कुराने कि आदत भी
कितनी महेंगी पड़ी हमे,
छोड़ गया वो ये सोच कर
कि हम जुदाई में खुश हैं।

तेरे जाने के बाद सनम मेरे,
सोचता हूँ के कैसे जिऊंगा मैं,
तुझसे किया है इसी लिए वादा,
ये जुदाई का ज़हर भी पिऊंगा मैं।

इंसान कहाँ मरता है औरों का मारा हुआ,
इंसान को खुद उसकी तन्हाई मार देती है,
यूँ तो जी भी सकता है यह यार की जुदाई में,
मगर इसको तो यहाँ जग हँसाई मार देती है।

इतना बेताब न हो मुझसे बिछड़ने के लिए,
तुझे आँखों से नहीं मेरे दिल से जुदा होना है।

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Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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