Jeetu Bhaiya Biography in Hindi: कहते है काम करते रहने से एक दिन पहचान मिल ही जाती है। फिर उस शख्स के ऊपर निर्भर करता है कि उस पहचान के साथ क्या करता है। आज से “द सिंपल हेल्प” एक नया एक्सपेरिमेंट करने जा रही है, जिसके अंतर्गत आपको वेब सीरीज से जुड़े लोगों के बारे में जानने को मिलेगा। यानि कि उन शख्सियत से रूबरू होने का मौका मिलेगा, जिनके बारे में आप सब को जानने की इच्छा भरपूर है लेकिन अधूरा ज्ञान पाकर मन विचलित हो उठा है।
इसी कारण द सिंपल हेल्प आपको भारतीय वेब सीरीज के उन सितारों से रूबरू कराएगी, जिन्होने अपने अभिनय प्रदर्शन के बलबूते पर जनता के दिलों में राज किया है।
आज हम शुरुआत जितेंद्र कुमार से करेंगे। क्योंकि शुरुआत अच्छी हो तो अंत भी अच्छा ही होता है। आम तौर ज़्यादातर लोग जितेंद्र कुमार को अभिषेक त्रिपाठी, अर्जुन केजरीवाल और जीतू भैया के नाम से जानते है।
जीतेन्द्र कुमार जीवन परिचय (Jeetu Bhaiya Biography in Hindi)
जीवन परिचय
श्रीमान और श्रीमति कुमार के लिए साल 1990 बहुत ही सुखद रहा था। क्योंकि इस साल उनके घर एक किलकारी गूँजी थी, जो आज तक सबके कानों में गुंजायमान है। इस किलकारी ने कुमार घर को बहुत ही ज्यादा प्यार दिलवाया क्योंकि यह किलकारी जितेंद्र कुमार की थी। 1 सितंबर 1990 को खैरथल कस्बे में जितेंद्र कुमार का जन्म हुआ था और खैरथल कस्बा जिला अलवर, राजस्थान में स्थित है।
नाम | जीतेन्द्र कुमार |
उप नाम | जीतू भैया |
जन्म और स्थान | 1 सितंबर 1990, खैरथल, अलवर (राजस्थान) |
माता-पिता का नाम | – |
भाई-बहन का नाम | ऋतु और चित्रा (चिंकी) |
स्टेट्स | अविवाहित |
परिवार
इनका परिवार संयुक्त परिवार था लेकिन राजनीतिक माहौल के कारण परिवार टूटता गया। जीतू के परिवार में इनके माता-पिता और 2 बहिने है। बहिनों का नाम ऋतु और चित्रा (चिंकी) है। इनके पिताजी सिविल इंजीनियर है और इनके परिवार में लगभग सभी सिविल इंजीनियर्स ही है।
कद-काठी
जितेंद्र कुमार का कद 5 फुट 5 इंच है और काली आँखें है। इसके साथ काले घने बाल है जो समय के साथ जाते दिख रहे है। गेहूँआ रंग के धनी प्रतिभा में बड़े ही विलक्षण है।
स्टेट्स
हाल फिलहाल तो अविवाहित है लेकिन जब टीवीएफ़ पीचर्स कर रहे थे तब अपने को एक्टर आकांक्षा ठाकुर के साथ संबंध होने की अफवाहें आई थी। लेकिन इन दोनों ने कभी भी इस रिश्ते के बारे में बातचीत नहीं की।
शौक
जीतू भैया को क्रिकेट खेलना का बहुत बड़ा शौक है, इसके साथ पेपर वॉल आर्ट और गिटार बजाना पसंद है। सबसे पसंदीदा अभिनेता अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान और दिलीप कुमार है और पसंदीदा अभिनेत्री आलिया भट्ट है। गुलजार साहब के बहुत बड़े फैन है। इसी वजह से ये कुछ कवितायें भी लिख लेते है, इसलिए इनका ट्विटर अकाउंट का नाम फर्जीगुलजार है।
पढ़ाई – लिखाई
स्कूल के दिनों में बहुत ही शरारती किस्म के बच्चे रहे थे, लेकिन जब कोटा में आईआईटी की तैयारी करने गए तब बहुत ही अच्छी तरीके से पढ़ाई की और आईआईटी खड़गपुर में दाखिला ले लिया।
जितेंद्र को पढ़ना एयरोटेक्निकल था लेकिन रैंक नहीं आने के कारण सिविल में संतोष करना पड़ा। कहते है ना, जिसकी चाह करते है और वो ही ना मिले तो फिर दूसरी में मन नहीं लगता है। कुछ ऐसा ही जितेंद्र के साथ हुआ, सपने एयरोस्पेस के देखे थे लेकिन हाथ आया सड़क बनानी।
जब कॉलेज में जाते है तो रैगिंग होना बहुत ही आम बात है और इसी प्रथा के अनुसार जितेंद्र की भी रैगिंग हुई थी। हालांकि अब रैगिंग के नाम पर नॉर्मल जान पहचान और कुछ होबीज़ के बारे में पूछते है। जीतू को भी वो ही कुछ पूछा गया तो उन्होने बताया कि उन्हें मिम्क्री आती है, तो सीनियर्स ने मिम्क्री करवाई उसे सुन कर सीनियर्स खुश हो गए और उसे हिन्दी टेक्नोलोजी ड्रामाटिक्स सोसायटी में शामिल होने को कहा।
होता यह था कि जहाँ कॉलेज था उसके आस पास सबसे बड़ा शहर कलकत्ता पड़ता था जो तकरीबन 4 से 5 घंटे दूर था, और कॉलेज खड़गपुर के जंगलों में बना हुआ था। तो वहाँ जितने भी स्टूडेंट्स थे वो किसी ना किसी एक्टिविटी में पार्टीसीपेट करते थे जिससे उनका समय गुजर जाया करें।
इस वजह से ही जीतू भैया को जैसा सीनियर्स ने कहा वैसा ही किया, पहुँच गए हिन्दी टेक्नोलोजी ड्रामाटिक्स सोसायटी में अपना नाम दर्ज करवाने। वही पर ही इनकी मुलाक़ात बिस्वापति सरकार से हुई जो इनसे एक साल सीनियर थे। वो नाटक को लिखा करते थे और नाटक में भाग भी लेते थे।
कॉलेज में इस एक्टिविटी में जीतू ने बहुत ही धूम मचा दी थी, बहुत से नाटक किए जिसमें विजय तेंदुलकर जी का नाटक बेस्ट रहा था। धीरे-धीरे पढ़ाई से मन कम होने लगा और नाटक में ज्यादा मन लगने लगा। लेकिन यह स्योर नहीं थे कि इसमें ही काम करना है। जब कॉलेज में प्लेसमेंट का समय आया तो जीतू के सारे दोस्तों का चयन किसी ना किसी कंपनी में हो गया लेकिन उनका किसी भी कंपनी में सेलेक्सन नहीं हुआ।
तब निराशा ने मन को घेरा और यह निराशा आणि लाजिमी थी क्योंकि आईआईटी जैसे कॉलेज से बिना चयन हुए अपने घर जाना था, फिर बिस्वापति सरकार ने उन्हें बॉम्बे आने को बोला जहाँ वो किसी डिजिटल कंपनी के साथ काम कर रहे थे।
स्ट्रगल
2012 में जीतू बॉम्बे आया और पहले ही दिन शूट करने चले गए। जिस कंपनी के लिए काम कर रहे थे उसका नाम द वायरल फीवर (टीवीएफ़) था। बिस्वापति सरकार टीवीएफ़ के रायटर टीम में से एक रायटर थे।
जीतू भैया का पहला स्केच हर फ्रेंड जरूरी नहीं होता है था, जिसकी शूटिंग बॉम्बे आते ही पहले दिन से शुरू हो गई थी। लेकिन यह जब रिलीज किया गया तब उतना अच्छा रेस्पोंस नहीं मिला जितना मिलना चाहिए था, उसके बाद जीतू ने मुन्ना जज्बाती का रोल मुन्ना जज्बाती: द क्यू-तिया इंटर्न (Munna Jazbaati: The Q-tiya intern) के स्केच में अदा किया। यह रिलीज होते ही 24 घंटे के अंदर 3 मिलियन व्यूस को क्रॉस कर गया। इस स्केच की कहानी ऐसी थी जो लोगों के दिलों को छु गई थी और जीतू के किरदार ने एक अमिट छाप छोड़ दी थी।
लेकिन इन दो स्केच के बीच जीतू की ज़िंदगी में बहुत सी हलचल हो गई थी, क्योंकि जेब में पैसा नहीं था और कुछ काम और रेस्पोंस मिल नहीं रहा था उन्होने बॉम्बे छोडकर बेंगलुरु जापानी कंस्ट्रक्सन कंपनी में सिविल इंजीनियर की पोस्ट पर लग गए। लेकिन दिल से वो काम नहीं हो रहा था, कैसे भी करके काम किए जा रहे थे। जब मुन्ना जज्बाती को रिलीज करने के बाद इतना अच्छा रेस्पोंस मिला तो बिस्वापति ने फोन लगा कर कहा कि अब आ जा वापस, तब तक जीतू को कंपनी में लगे हुये तकरीबन 8 महीने हो गए थे। जीतू के सामने वापस से वही समस्या खड़ी हो गई कि वो अब यह जॉब कैसे छोड़े और घरवालों को क्या बतायें।
अपने मन की सुनी और जॉब छोड़ कर वापस मुंबई चले गए। जब वापस मुंबई पहुँचे तो उनका पहला शॉट इतना खराब गया की उन्हें लगा कि उन्होने अपना निर्णय सही तो लिया है या नहीं। अपनी एक्टिंग स्किल को निखारने उन्होने एनएसडी दिल्ली में जाने का फैसला किया लेकिन उनका वहाँ सलेक्शन नहीं हुआ।
अपने घर में जॉब छोड़ कर एनएसडी में जाने का बोला था और एनएसडी में दाखिला ना होने से उन्हें वापस घर बुला लिया गया था। जीतू के मन में अब एक्टिंग का कीड़ा लग गया था इसलिए अब वो सिविल वाले काम नहीं करना चाह रहे थे, इसी बात पर उनके पिता और उनके बीच 2 दिन तक अनबन चलती रही।
फिर उसके कज़िन ने कहा की तू मुंबई में जा कर ड्रग्स नहीं लेगा तभी तुझे जाने देंगे। जीतू ने यह शर्त खुशी खुशी मानी और वापस मुंबई की ओर निकल गए। अपनी पॉकेट मनी के लिए हफ्ते में चार दिन शूट करते और 2 दिन किसी एक कोचिंग में फिजिक्स पढ़ाते थे।
उसके बाद भारत की पहली वेब सीरीज परमानेंट रूममेटस में गिट्टू का किरदार निभाया, लेकिन इस सीरीज को औसत प्यार मिला। उसके बाद आई टीवीएफ़ पिचर्स जिसमें जितेंद्र माहेश्वरी का किरदार निभा कर पूरे भारत में छा गए और इस वेब सीरीज को डिजिटल प्लेटफॉर्म में क्रांति लाने वाली सीरीज मानते है।
इसके बाद जीतू ने पीछे मूड कर कभी नहीं देखा और डिजिटल प्लेटफॉर्म में एक बहुत बड़ी हस्ती बन कर उभरा।
वेब सीरीज
साल | वेब सीरीज का नाम | किरदार का नाम | एपिसोड |
2014 | परमानेंट रूममेट्स | प्रतीक (गिट्टू) | 4 |
2015 | टीवीएफ़ पिचर्स | जितेंद्र माहेश्वरी (जीतू) | सारे |
2017 | टीवीएफ़ बेचलर्स सीजन 2 | जीतू | सारे |
2017 | बिष्ट, प्लीज! | गिरीश गोयल | 6 |
2017 | F.A.T.H.E.R.S. | जीतू | 4 |
2018 | मिस्टर एंड मिसेज सीजन 1 | विरेन | 6 |
2019 | इममेच्योर | ड्रामा टीचर | 2 |
2019 | टीवीएफ़ ट्रिपलिंग | खुद (जितेंद्र कुमार) | 1 और 5 |
2019 | कोटा फैक्ट्री | जीतू भैया | सारे |
2019 | ह्यूमरस्यली यौर्स | आरजे मस्तीखोर मिश्रा | 2 |
2019 | चीजकेक | नील | सारे |
2020 | पंचायत | अभिषेक त्रिपाठी | सारे |
फिल्मोग्राफी
साल | फिल्म का नाम | किरदार का नाम |
2008 | ए वेनस्डे | टैक्सी ड्राइवर |
2014 | शुरुआत का इंटरवल | लक्ष्मण |
2019 | गोन केश | श्रीजोय रॉय |
2020 | शुभ मंगल ज्यादा सावधान | अमन त्रिपाठी |
2020 | चमन बहार | प्रेम कुमार यादव (बिल्लू) |
इन सबके अलावा बहुत से स्केच और स्पूफ में काम किया जिसके जरिये जीतू ने लोगों के दिलों में अपनी एक खास जगह बनाई। जैसे कि अरविंद केजरीवाल के स्पूफ में खुद अरविंद केजरीवाल के साथ उनका ही गेटअप लिए उनसे इंटरव्यू लिया। इसके अलावा टेक कान्वरसेशन विथ डेड वाला स्केच भी काफि पॉपुलर है।
जैसा मैंने कहा था कि टीवीएफ़ पीचर्स के बाद सफलता की सीढ़ी एक के बाद एक चढ़ते चले गए। आयुष्मान खुराना के साथ साल 2020 में आई शुभ मंगल ज्यादा सावधान में लिप लॉक किस सुर्खियों में आ गया था। हालांकि इसी साल 2020 में जीतू भैया को अपनी वेब सीरीज पंचायत के लिए फिल्मफेयर ओटीटी अवार्ड्स में बेस्ट एक्टर (कॉमेडी सीरीज) का अवार्ड मिला था। यह अवार्ड इनकी पूरी जर्नी का एक सुनहरा उपहार था।
निष्कर्ष
साल 2019 में आई भारत की पहली ब्लैक एंड व्हाइट वेब सीरीज कोटा फैक्ट्री इनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। इसमें जो किरदार निभाया गया था उससे बहुत से बच्चे प्रेरित हुए और अपने सपनों को सच किया। उसके बाद से ही सब लोग इन्हे जीतू भैया ही बुलाने लगे।
आप को यह जानकारी “जीतू भैया का जीवन परिचय (Jeetu Bhaiya Biography in Hindi)” कैसी लगी, हमें कमेन्ट बॉक्स में लिखकर जरूर बतायें। मिलते है ऐसे ही दूसरे शख्सियत के बारे में पूरी जानकारी लेकर, तब तक अलविदा। राम राम
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