Home > Featured > आमेर किले का इतिहास व घूमने की जगह

आमेर किले का इतिहास व घूमने की जगह

History Of Amer Fort In Hindi: आमेर का किला राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित है। राजस्थान के शूरवीर और किले विश्व भर में प्रसिद्धि की चरम सीमा पर आते हैं। जहाँ राजस्थान में एक ओर रेगिस्तान है, वहीं दूसरी ओर वास्तुशिल्प में भी कमाल के महल निर्मित है। आमेर का किला राजस्थान के प्रसिद्ध किलों में से एक है, तो आइये आज इस लेख में आमेर के किले पर एक नजर डालते हैं।

amer fort history in hindi
आमेर का किला (आमेर फोर्ट)

जयपुर से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आमेर के किले की वास्तुकला पर्यटकों को अपनी ओर खींच के लाती है। जब संध्या ढलती है तो इसकी रौनक और बढ़ जाती है। शाम के समय पर्यटकों की भीड़ बेकाबू हो जाती है और इस किले की सुंदरता के कायल हो जाते है। आमेर का किला गुलाबी और पीले बलुआ पत्थरों से बना हुआ है। यहाँ तकरीबन 5000 से भी ज्यादा पर्यटक सैर करने आते हैं।

आमेर किले का इतिहास (History Of Amer Fort In Hindi)

अरावली की पहाड़ियों पर स्थित हिन्दू राजपूताना वास्तुशैली की अनुपम धरोहर आमेर के किले का निर्माण राजा मानसिंह ने करवाया था। आमेर एक छोटा सा गाँव हुआ करता था, जिसको मीना जनजाति द्वारा बसाया गया था। उसके बाद आमेर को सूर्यवंशी कछवाहों ने अपने साम्राज्य में मिला लिया और वहाँ अपने साम्राज्य के किले का निर्माण कर अपनी राजधानी बना ली।

इतिहासकारों की माने तो राजस्थान के भव्य और विशाल आमेर के किले का निर्माण 16 वीं शताब्दी में राजा मानसिंह प्रथम ने करवाया था, जिसके बाद राजा मानसिंह के उत्तराधिकारियों और राजाओं ने इस किले का विस्तार और नवीनीकरण का काम किया था। इस किले का निर्माण 1589 ईस्वी में राजा मानसिंह ने करवाया था, जिसके आगे का कार्य राजा मिर्जा जयसिंह और राजा सवाई जयसिंह ने किया था। आमेर के किले का कार्य 1727 ईस्वी में पूर्ण हुआ था।

पहले इस किले का नाम कदीमी महल था, जो भारत का सबसे प्राचीन महल हुआ करता था। इस किले का नाम आमेर भगवान शिव के एक नाम अंबिकेश्वर से लिया हुआ माना जाता है। लेकिन स्थानीय लोगों को कहना है कि किले का नाम माँ दुर्गा के एक स्वरूप माँ अंबा से लिया गया है।

पुराने समय में आमेर को अंबावती, अमरपूरा तथा अमरगढ़ के नाम से जाना जाता था। यह शहर तीनों ओर से अरावली पर्वतमालाओं से घिरा हुआ है और आमेर के किले के चारों तरफ ऊँची और मोटी दीवारें है, जो 12 किलोमीटर तक फैली हुई है। जिसको किले की सुरक्षा के लिए बनाया गया था।

आमेर किले की वास्तुकला

आमेर किले की वास्तुशैली पारंपरिक हिन्दू राजपूताना शैली है, जिसको संगमरमर और लाल बलुआ पत्थरों से बनाया गया है। इस किले को बाहर से देखने पर मुगल वास्तुशैली में बना है ऐसा विचार मन में आता है। लेकिन जब अंदर जा कर देखते हैं तो वो विचार मलीन हो जाता है, क्योंकि किला राजपूत स्थापत्य शैली में बनाया गया है।

इस किले में जो चित्रकारी और रंग देखने को मिलते है, वो सब्जियों और अन्य पौधों से बनाया गया था। जिसकी चमक आज भी आँखों को सुकून देती है। इस किले के भीतर राजपूत शासकों के चित्र लगे हुए है और किले के अंदर ऐतिहासिक महल, बगीचे, सरोवर और अनूठी मूर्तियाँ किले की खूबसूरती को दुगुना कर देती है।

इसके अलावा आमेर का किला चार भागों में बंटा हुआ है, जिसका हर एक भाग अपने अलग प्रवेश द्वार और आँगन से सजा हुआ है। सैलानी इस किले के पूर्व दिशा में बने प्रवेश द्वार से अंदर घुसते हैं और यह द्वार किले का मुख्य द्वार भी है। इस द्वार का नाम सूरजपोल या सूर्य द्वार है, क्योंकि यह द्वार पूर्व दिशा में स्थित है और सूरज भी पूर्व दिशा में उदय होता है, इसलिए इस द्वार का नाम सूर्य द्वार रखा गया था।

वहीं इस किले के दक्षिण दिशा में जो द्वार है, उसका नाम चन्द्रपोल द्वार या चांदपोल द्वार है। इसके ठीक सामने जलेब चौक पड़ता है, जिसके द्वारा पर्यटक महल के आँगन के अंदर प्रवेश करते है।

जलेब चौक के बारे में यह कहा जाता है कि इसका उपयोग पहले सेना द्वारा युद्ध के समय लिया जाता था, इसके आसपास खिड़कियाँ बनी हुई है, जिससे महल की महिलाएँ युद्ध देखा करती थी। जलेब चौक से दो सीढ़ियाँ जाती है, जिसमें एक सीढ़ी राजपूत राजाओं की कुल देवी शीला माता मंदिर की ओर जाती है और दूसरी सीढ़ी सिंहपोल द्वार की ओर जाती है।

आमेर किले में मनोरंजन के लिए क्या-क्या कर सकते हैं?

यदि आप अपनी छुट्टियों के दौरान आमेर किला घूमने के लिए आ रहे हैं तो यहां पर आप कई सारी मनोरंजक गतिविधियां कर सकते हैं।

  • आमेर किले में जो सबसे आनंददायक चीज है, वह है रात में लाइट शो देखने का आनंद लेना।
  • इस किले के चारों और पर्यटक हाथी की सवारी कर सकते हैं।
  • किले के अंदर संग्रहालय और बगीचे भी हैं। बच्चों के साथ यदि आमेर किला घूमने आते हैं तो यह आपके लिए और भी मजेदार साबित हो सकता है। यहां पर सुंदर बगीचे और संग्रहालय देखने का आनंद उठाया जा सकता है।
  • यहां पर स्थित चार बाग का दृश्य आपको लुभा सकता है। यहां से आप पूरे शहर को देख सकते हैं।
  • आमेर किले में 4×4 ड्राइव टूर का विकल्प चुन सकते हैं और इसमें एक घंटे का वेटिंग टाइम भी शामिल कर सकते हैं।
  • आमेर किले में स्थित सुख महल में रात के समय क्लासिक डांसिंग का प्रोग्राम भी होता है। यहां पर रात में टिकट काउंटर से टिकट उपलब्ध कराकर इस सुंदर प्रोग्राम को देखने का लुफ्त उठाया जा सकता है।
  • इतना ही नहीं आमेर किले में पारंपरिक गाने के साथ कठपुतली शो भी होता है, जिसे देखने का आप लुप्त उठा सकते हैं।
  • यात्रा के दौरान यदि आपको भूख लग जाए तो किले के अंदर ही एक रेस्टोरेंट भी मौजूद है, जहां पर आप स्वादिष्ट पारंपरिक राजस्थानी भोजन का आनंद ले सकते हैं।
  • किले में सील देवी मंदिर जैसे कई सारे अन्य पवित्र स्थानों को देख सकते हैं।

आमेर किले के पर्यटन स्थल

आमेर किले के भीतर बहुत सारे घूमने लायक जगह है, जिसे निम्नलिखित बताया जा रहा है। आप इन्हें एक-एक करके देखें और पढ़ें।

शीला माता मंदिर

आमेर किले के गर्भगृह के अंदर स्थित शीला माता का मंदिर बहुत ही भव्य है और इससे धार्मिक महत्व भी जुड़ा हुआ है। जितने भी सैलानी यहाँ घूमने आते है, वो इस मंदिर के दर्शन करते हुए ही जाते हैं। कहा जाता है कि राजा मानसिंह काली माता के बहुत बड़े भक्त थे, वो इस मूर्ति को बंगाल से लेकर आए थे। इस मूर्ति के पीछे दो बाते बताई गई है।

जिसमें पहली बात यह है कि जब राजा मानसिंह प्रतापदित्य राज्य के राजा केदार से युद्ध करते हुए प्रथम बार असफ़ल हुए थे तो उन्होने काली माँ की उपासना की थी। देवी काली ने खुश होते हुए उनके सपने में आकार उनको विजयी होने का वरदान दिया था। उसी वचन के फलस्वरूप समुद्र में शिला रूप में एक प्रतिमा पड़ी हुई मिली थी, जिसे महाराजा मानसिंह द्वारा आमेर लाई गई और शिला देवी के नाम से पूजा होने लगी।

शीला माता मंदिर

मूर्ति के पीछे की दूसरी कथानुसार केदार राजा ने हार मान कर महाराजा मानसिंह को अपनी पुत्री ब्याह दी थी और साथ में यह मूर्ति भेंट की थी। माना जाता है कि देवी काली माँ आमेर किले की रक्षा करती है।

शिला माता का मंदिर दैवीय चमत्कारों के कारण श्रद्धा का केन्द्र होने के साथ-साथ सबकी मनोकामना पूर्ण करने का स्थान भी है। शिला माता की मूर्ति बेहद ही सुंदर है और शाम के समय जब आरती होती है तब सारे भक्तजनों को किसी अलौकिक शक्ति का अहसास होता है।

दीवान–ए–आम

नाम से ही जग जाहिर हो रहा है कि यह आम जनता के लिए बड़ा सा हॉल होगा, जिसमें राजा अपनी प्रजा के दु:ख दर्द को सुनते होंगे। बिलकुल ऐसा ही होता था राजा के पास आम जनता अपनी समस्या लाते थे और राजा उनका निवारण करता था।

दीवान-ए-आम

यह हॉल तीनों तरफ से खुला है। दीवान–ए–आम 27 पिल्लरों के ऊपर खड़ा है और प्रत्येक पिल्लर दो तरह के पत्थरों से बना हुआ है। एक लाल रंग का पत्थर है और दूसरा मार्बल का पत्थर है। इसमें लाल रंग का पत्थर मुस्लिमों की संस्कृति को दर्शाता है, वही मार्बल का पत्थर हिन्दुओं की संस्कृति को दर्शाता है। कहा जाता है कि इन दो तरह के पत्थरों से दीवान-ए-आम बनाने के पीछे का कारण अकबर की शादी जोधा से होना है।

यह भी पढ़े: चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास

सुख निवास

दीवान-ए-आम के पास में ही स्थित सुख निवास के दरवाजों चन्दन के बने हुए है और इसको हाथी दांत से सजाया गया है। इतिहासकारों का कहना है कि सुख निवास का इस्तेमाल राजा अपनी रानियों के साथ समय बिताने के लिए करते थे, इसलिए इसका नाम सुख निवास रखा गया है।

सुख निवास

दीवान–ए–ख़ास (शीशमहल)

यह सैलानियों के लिए आकर्षण का केन्द्र बिन्दु है। क्योंकि यह महल बहुत सारे सुंदर दर्पणों से बना है। ढ़ेर सारे दर्पणों से बने होने के कारण इसका नाम शीशमहल पड़ा है। इसकी ख़ास बात यह है कि शीश महल के अंदर जब प्रकाश की किरण पड़ती है तो पूरे हॉल को रोशन कर देती है। अगर रात में केवल एक मोमबत्ती की रोशनी मिल जाये तो यह महल पूरे में रोशनी कर देता है।

amer fort history in hindi
दीवान–ए–ख़ास (शीशमहल)

इसका निर्माण राजा जयसिंह ने 1621-67 ईस्वी में करवाया था। शीश महल के सारे शीशे बेल्जियम देश से मँगवाएँ गए थे। इसे दीवान-ए-ख़ास भी कहा जाता है क्योंकि जब राजा के कोई ख़ास मेहमान या दूसरे देश के राजदूत आते थे वो उनसे इस महल में ही मिलते थे।

इसकी पहली मंज़िल पर काँच व बेल-बुटो के चित्रों की कलाकारी से युक्त जस मंदिर स्थित है। महल के उत्तर दिशा की ओर स्नानघर मौजूद है। दिलीप कुमार और मधुबाला की फिल्म “मुगल-ए-आजम” के गाने “प्यार किया तो डरना क्या” के गाने की शूटिंग इसी शीशमहल में हुई थी। यह कई बॉलीवुड डायरेक्टर्स की पसंदीदा जगहों में से एक जगह है।

गणेश पोल

गणेश पोल का निर्माण राजा जय सिंह द्वितीय ने करीब 1611-67 ईस्वी में करवाया था, यह पोल दीवान-ए-आम के दक्षिण दिशा में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि जब कोई राजा युद्ध जीत कर आते थे वो इस द्वार से प्रवेश करते थे। प्रवेश करते ही उनके ऊपर फूलों की बारिश करके स्वगात किया जाता था।

आमेर किले में प्रवेश के लिए सात मुख्य द्वार है, जिसमें से एक गणेश पोल भी है। इस द्वार का उपयोग केवल राजा महाराजा और उनके परिवार वाले ही करते थे। इस पोल को बेहद ही खूबसूरत तरीके से बनाया गया है, जहाँ इसके ऊपरी हिस्से में भगवान गणेश जी की छोटी सी मूर्ति भी स्थापित की हुई है। इसी वजह से इसको गणेश पोल कहा जाता है।

amer fort history in hindi
गणेश पोल

चांद पोल दरवाजा

आमेर किले की ऐतिहासिक संरचनाओं में से एक चांद पोल दरवाजा भी है। आमेर किले के पश्चिम दिशा में बने और चंद्रमा के उदय होने की दिशा समान होने के कारण इसका नाम चांद पोल दरवाजा दिया गया। इस पोल के सबसे ऊपरी मंज़िल में नौबतखाना बना हुआ है, जिसके अंदर ढ़ोल, नगाड़े और तबला समेत कई संगीत एवं वाद्य यंत्र बजाए जाते थे।

चांद पोल दरवाजा

वहाँ नौबत एक प्रकार का संगीत है, जिसे बजने का एक स्पेशल नियम हुआ करता था। जब यह बजाया जाता था तब सुनने वालों को एक दम खामोश रह कर सुनना जरूरी होता था। यह प्रथा सिकंदर महान के समय से आरंभ हुई थी।

दिल आराम बाग

यदि आप आमेर किला घूमने जाते हैं तो इस विशाल दूर के अंदर आपको दिल आरामबाग सबसे ज्यादा पसंद आएगा। क्योंकि इस विशाल दुर्ग में आरामबाग इस किले की शोभा को और भी ज्यादा बढ़ा देता है। इस बाग में सुंदर सरोवर और फ्वारे भी मौजूद है।

इस बाग का सुंदर दृश्य यहां आने वाले पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। इस बगीचे का रमणीय आकर्षण दिल को सुकून देता है, जिस कारण इस बगीचे का नाम दिल आरामबाग रखा गया है। इस बगीचे का निर्माण अठारवीं सदी में ही किया गया था।

जयगढ़ किला

आमेर के किले के करीब ही एक किला और स्थित है, जिसे जयगढ़ किला कहा जाता है। यह किला राजा की सेना के लिए बनवाया गया था। आमेर किले से 2 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई गई थी, जो सीधे जयगढ़ किले से जोड़ती है।

amer fort history in hindi
जयगढ़ किला

यह सुरंग आपातकालीन परिस्थितियों में ज्यादा कारगर सिद्ध होती थी। अगर आमेर किले पर प्रतिद्वंद्वी हमला कर दे तो राजा को सुरक्षित बाहर निकाला जा सकता था।

आमेर किले और जयगढ़ को जोड़ने वाली सुरंग

यह भी पढ़े: कुंभलगढ़ किले का इतिहास

आमेर किले के बारे में रोचक तथ्य

आमेर किले के बारे में जो अनसुने तथ्य निम्नलिखित बताए गए है, उसे जरूर पढ़े:

  • इसका निर्माण महाराजा मानसिंह ने 16वीं शताब्दी में करवाया था, जो अब विश्व धरोहर में शामिल है।
  • यह महल हिन्दू और मुगल शिल्पकला का बेजोड़ नमूना है। इस किले में बना आमेर महल ख़ास तौर पर राज परिवार के रहने के लिए बनाया गया था। हालांकि अभी उसमें कोई रहता नहीं है।
  • 2013 में 37 वी वर्ल्ड हेरिटेज साइट की मीटिंग कोलम्बिया देश के फनों पेन्ह शहर में हुई थी। जिसमें आमेर किले के साथ राजस्थान के पाँच और किलों को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल करने का निर्णय लिया गया था।
  • आमेर किले के ऊपर दूसरी पहाड़ी में जयगढ़ किला भी बना हुआ है और इसका निर्माण राजा जयसिंह ने करवाया था। इन दोनों किलों के बीच एक गुप्त सुरंग भी बनी हुई है। सैलानी उस सुरंग से दोनों किलों में आ जा सकते है।
  • आमेर किले के अंदर 27 कचहरी नामक एक भव्य इमारत बनी हुई है, जो कि सैलानियों के घूमने लायक जगह है।
  • आमेर किले के छत हल्की से रोशनी पड़ने पर भी काफी ज्यादा चमकती है और इसके पीछे का कारण यह है कि इन छतो को सोने की पानी से पेंट किया गया है।
  • यदि आप आमेर किला घूमने के लिए आते हैं तो यहां पर अंदर आपको कई सारे ढोल भी दिखाई देंगे। माना जाता है जब राजा एवं अन्य प्रमुख लोग इस महल में प्रवेश करते थे तो ढोल बजाकर उनका स्वागत किया जाता था।
  • आमेर किले में दीवाने आम बहुत ही आकर्षक जगह है, जिसे कई स्तंभो से मिलकर बनाया गया है। इसे संगमरमर एवं लाल बल में पत्थर के द्वारा निर्मित किया गया है, जिसके सिर पर हाथी एवं नीचे कमल की आकृति उकेरी रही है। यहां पर जनसाधारण लोगों का दरबार लगा करता था। यहां पर राजा प्रजा की समस्याओं को सुनते थे और उनके समस्या का निवारण करते थे।
  • साल 2007 के आँकड़ो के अनुसार उस साल करीब 15 लाख से ज्यादा पर्यटक आमेर किले की खूबसूरती देखने को आए थे।
  • आमेर किले के सामने माओटा नामक एक निहायती सुंदर और आकर्षक झील भी है, जो कि किले की खूबसूरती को और भी बढ़ा देती है।
  • यदि आप आमेर दुर्ग में घूमने आते हैं तो यहां पर आपको एक चिमनी भी देखने को मिलेगी। उस चिमनी को मुगल वास्तुकला मैं बनाया गया है और इसका प्रयोग जल को गर्म करने के लिए किया जाता था। इतना ही नहीं उस समय जल को गर्म करने का तरीका भी काफी अलग और अद्भुत था। टैंक में रखे गए पानी को गर्म करने के लिए उस समय लकड़ियों को जलाकर कॉपर की प्लेट को गर्म किया जाता था, जिससे टेंट में रखा पानी गर्म हो जाता था।
  • इस किले के अंदर सैलानियों के लिए बाज़ार लगता है, उस बाज़ार से सैलानी इस किले से जुड़ी निशानी अपने घर ले जा सकता है। इस बाज़ार में आपको रंग-बिरंगे पत्थर और मोतियों से बनी वस्तु देखने को मिल जाएगी।
  • यदि आप आमेर किला जाते हैं तो वहां पर आपको शायद एक चीज हैरतअंगेज में डाल सकती है, वह है व्हीलचेयर। कोई भी नहीं सोचा होगा कि उस समय भी लोग व्हीलचेयर का प्रयोग करते होंगे। लेकिन उस समय व्हीलचेयर का प्रयोग किसी और काम के लिए होता था। दरअसल उस समय पहले रानियां बहुत ज्यादा गहने और कपड़े पहना करती थी और इतने भारी गहने और कपड़ों को पहनकर महल को घूमना मुश्किल होता था। इसीलिए यह व्हीलचेयर बनाया गया था, जिस पर बैठकर रानियां बहुत आराम से महल का चक्कर लगा लिया करती थी। आज भी यह व्हीलचेयर आपको महल में देखने को मिल जाएंगे।
  • यहाँ पर बहुत सारी बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग हो रखी है। जैसे जोधा-अकबर, भूल भुलैया, बाजीराव मस्तानी, शुद्ध देशी रोमांस, मुगल-ए-आजम के अलावा द बेस्ट एग्जोटिक मेरिगोल्ड होटल, नर्थ वेस्ट फ़्रोंटिएर शामिल है।

आमेर किले का लाइट एंड साउंड शो

राजस्थान के जयपुर में स्थित इस आमेर किले में रोजाना शाम को लाइट एंड साउंड शो का आयोजन किया जाता है। यह शो सैलानियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। इस शो में आमेर के किले के खूबसूरत इतिहास और साहसी राजाओं की वीरगाथाओं के बारे में बताता है। यह शो करीब 50 मिनट का होता है और बहुत ही रमणीय होता है।

लाइट एंड साउंड शो

इस शो को देखने के लिए अलग से टिकट लगता है और इस शो की आवाज बॉलीवुड के अभिनेता अमिताभ बच्चन ने दी है और इस शो को गुलजार साहब ने लिखा। इसके साथ इसमें जो गाने है, उसमें से कुछ गाने उस्ताद सुल्तान खान और शुभा मुगदल ने गाये है।

इस शो को भाषाओं में देख सकते है, एक अँग्रेजी और दूसरी हिन्दी। अँग्रेजी वाले शो के लिए आपको 200 रुपए प्रति व्यक्ति और हिन्दी वाले शो के लिए आपको 100 रुपए प्रति व्यक्ति देने होते हैं। लाइट एंड साउंड शो के लिए टाइमिंग शाम 06:30 बजे से 09:15 बजे तक रहती है।

आमेर किले को देखने किस माध्यम से पहुँचे?

राजस्थान की राजधानी जयपुर तीनों मार्गो से जुड़ी हुई है। आप जयपुर सड़क, ट्रेन और वायु मार्ग तीनों से पहुँच सकते हैं। जयपुर से मात्र 11 किलोमीटर की दूरी पर ही आमेर किला मौजूद है। अगर आप फ्लाइट के माध्यम से आ रहे है तो जयपुर एयरपोर्ट से आमेर किला 27 किलोमीटर की दूरी पर है।

एयरपोर्ट से आप कैब, टैक्सी आदि के मदद से किले की ओर आ सकते है। अगर सैलानी ट्रेन से आ रहा है तो उसे जयपुर स्टेशन उतर कर बाहर से टैक्सी, कैब आदि करके आमेर किले की ओर आ सकता है।

लगभग सभी राज्यों और जिलों से जयपुर शहर के लिए बस की सुविधा उपलब्ध है। बस स्टैंड उतरने के बाद आप सिटी बस, कैब या टैक्सी के माध्यम से आमेर किले को देखने आ सकते हैं। इसके अलावा सैलानी अपने निजी वाहनों के माध्यम से भी आमेर किले को देखने आ सकते हैं।

आमेर किले की टाइमिंग सुबह 8 बजे से शाम 5:30 बजे तक रहती है और शुल्क भारतीय नागरिक के लिए 25 रुपए और विद्यार्थी के लिए 10 रुपए, विदेशी नागरिकों के लिए 200 रुपए और विदेशी विद्यार्थी के लिए 100 रुपए प्रति व्यक्ति है।

आमेर किला जाने का सबसे अच्छा समय

जैसा सब जानते हैं कि आमेर किला राजस्थान के जयपुर शहर में स्थित है और राजस्थान बहुत ही गर्म प्रदेश है। लगभग अप्रैल से जून तक यहां पर काफी गर्मी होती है। इस दौरान यहां पर तापमान 44 से 45 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है, जिससे वातावरण शुष्क हो जाता है। जिससे इस समय के दौरान यहां की यात्रा करना बिल्कुल भी आनंद दायक साबित नहीं होता।

इसके अतिरिक्त जुलाई से सितंबर तक मानसून का महीना शुरू हो जाता है। हालांकि इस दौरान इतनी तो बारिश नहीं होती है लेकिन हल्की बारिश भी यहां की यात्रा को किरकिरा कर सकता है।

इसलिए बात करें आमेर किला घूमने का सबसे अच्छा समय तो अक्टूबर से मार्च तक का महीना आमेर किला घूमने का सबसे अच्छा माना जाता है। क्योंकि यह सर्दियों का मौसम होता है, जिस कारण यहां की यात्रा और भी ज्यादा आनंददायक बन जाती है। इस समय मौसम भी काफी सुहावना होता है। हालांकि रात के समय तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से भी कम हो जाता है। ऐसे में अपने साथ ऊनी वस्त्र रखना काफी जरूरी है।

FAQ

रानी का झूला क्या है?

आमेर किले में उस समय की रानियों के लिए झूला भी लगाया जाता था और यह झूला छत में लगे 4 कुंदों में अटका रहता था। इसमें दर्पण भी लगे रहते थे, जिसमें रानियां झूला झूलते वक्त अपना चेहरा भी देख पाती थी।

आमेर का किला कहां स्थित है?

आमिर का किला राजस्थान राज्य के जयपुर शहर में आमेर क्षेत्र के ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इस किले का निर्माण राजा मानसिंह प्रथम द्वारा 987 एंडी में किया गया था। बाद में सवाई जयसिंह ने इस किले में अन्य कई निर्माण और सुधार कराएं।

क्या आमेर किला में खुफिया रास्ता भी है?

प्राचीन और मध्य युग काल में जितने भी महल बने हैं, महल में सुरक्षा के लिए खुफिया रास्ते भी बनाए गए हैं। बात करें आमेर किले की तो आमेर किले में स्थित राजा मानसिंह के कमरे में एक खुफिया रास्ता है, जो 12 रानियों के कमरे तक पहुंचता है और इस गुप्त रास्ते के बारे में उस समय की रानियों को भी पता नहीं था।

क्या आमेर किले में गणेश जी की प्रतिमा भी है?

किले के मुख्य दरवाजे पर गणेश जी की प्रतिमा बनी है और वहां पर तीन दरवाजे भी हैं। इन दरवाजों से रानियां युद्ध से लौट रहे राजाओं को देखा करती थी। महल के ऊपरी भाग को सुहाग मंदिर कहा जाता है। क्योंकि उस समय केवल विवाहित महिलाएं ही यहां पर बैठ सकती थी।

आमेर का दूसरा नाम क्या है?

प्राचीन काल में आमेर को अमरपुरा, अमरगढ़ एवं अमरावती जैसे नामों से जाना जाता था। कुछ लोगों का मानना है कि भगवान शिव के नाम अंबिकेश्वर से आमेर पड़ा है। हालांकि अन्य कुछ लोग अन्य तार्किक अर्थ देते हैं। उनका मानना है कि यह नाम अयोध्या के राजा भक्त अंबरीश के नाम से पड़ा है।

शीशमहल कंहा है?

शीश महल आमेर किले में स्थित संपूर्ण दर्पण से बना महल है, जो पर्यटकों के लिए यहां का सबसे आकर्षण का केंद्र है। इस महल को बहुत अनूठे तरीके से निर्मित किया गया है। जब यहां पर प्रकाश की किरण पड़ती है तो पूरे हॉल में रोशनी फैल जाती है। इस महल को पूरी तरीके से प्रकाशित करने के लिए मात्र एक मोमबत्ती की रोशनी ही काफी है।

निष्कर्ष

मैं उम्मीद करता हूँ कि मेरे द्वारा शेयर की गई यह जानकारी आमेर का किला हिस्ट्री इन हिंदी एवं रोचक तथ्य (Amer Fort History in Hindi) आपको पसंद आई होगी। इसे आगे शेयर जरूर करें आपको यह जानकारी कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

यह भी पढ़े

भानगढ़ किले का इतिहास और कहानी

मेहरानगढ़ किले का इतिहास और रोचक तथ्य

जैसलमेर किले का इतिहास और रोचक तथ्य

ग्वालियर किले का इतिहास और रोचक तथ्य

Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

Leave a Comment