Hariyali Teej Kya Hai: भारत में कई तरह के धार्मिक त्योहार मनाएं जाते हैं क्योंकि भारत की महिलाएं बहुत ही धार्मिक और सांस्कृतिक होती है। इसीलिए वह हर त्यौहार को बहुत ही धूमधाम से मनाती है। उनके लिए ऐसे त्यौहार का बहुत ज्यादा महत्व होता है, जो उनके पति के जीवन से जुड़ा हो।
ऐसा ही महिलाओं के बीच एक प्रसिद्ध त्यौहार तीज का व्रत है, जो उनके पति की लंबी आयु के लिए होता है। यह व्रत लगभग भारत के हर राज्य की महिलाएं करती है।
यह त्यौहार विशेष रूप से भारत के उत्तरी राज्य जैसे राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब में काफी प्रसिद्ध है। हरियाली तीज भगवान शिव और मां पार्वती के आराधना के लिए लोकप्रिय है।
इस लेख के माध्यम से Hariyali Teej Kya Hai, हरियाली तीज क्यों मनाया जाता है, इसका महत्व, इसके पीछे की पौराणिक कथा और इसके पूजा विधि के बारे में जानते हैं।
हरियाली तीज क्या है और कब मनाया जाता है?
हरियाली तीज हर साल श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है। इसे श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है।
पूर्वी उत्तरी राज्य में इसे कजरी तीज के नाम से भी जाना जाता है। सभी विवाहित महिलाएं इस पर्व को बहुत ही धूमधाम से मनाती है। सावन के महीने में पूरा प्रकृति हरी ओढ़नी से ढक जाता है। चारों तरफ हरियाली होती है, जिसके कारण इसे हरियाली तीज कहा जाता है।
इस दौरान महिलाओं में उमंग और उल्लास होता है, जिससे उनका मन पूरी तरीके से प्रफुल्लित हो उठता है। वह झूला झूलती है, लोकगीत गाती है।
हरियाली तीज का महत्व
विवाहित महिलाओं के लिए हरियाली तीज का बहुत ही महत्व है क्योंकि इसी दिन मां पार्वती ने भगवान शिव जी को पति के रूप में प्राप्त किया था।
यह व्रत रखने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य होने का वरदान मिलता है, उनके पति की आयु बढ़ती है। इसके साथ ही यदि कुंवारी स्त्रियां इस व्रत को करती है तो उन्हें मनचाहा अच्छा वर प्राप्त होता है।
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हरतालिका तीज की पौराणिक कहानी
भारत में मनाए जाने वाले हर एक त्योहार के पीछे कुछ ना कुछ पौराणिक कथा होती है। भारतीय औरतों के त्योहार हरियाली तीज के पीछे भी ऐसा ही एक पौरानीक कथा है।
कहा जाता है कि माता पार्वती भगवान शिव जी को मन ही मन अपना पति मान चुकी थी। वह भोलेनाथ जी को अपना पति के रूप में पाने के लिए धरती पर 107 बार जन्म लिया था। लेकिन एक बार भी उन्हें भोलेनाथ जी पति के रूप में नहीं मिल सके।
108 वीं बार उन्होंने पर्वत राज हिमालय के घर जन्म लिया और इस बार इन्होंने भोलेनाथ जी को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए बहुत कठिन तपस्या की। वह अन्न जल त्याग करके सूखे पत्ते ग्रहण करती थी। उनकी इस स्थिति को देखकर उनके पिता भी काफी दुखी थे।
एक बार मां पार्वती एक गुफा में जाकर बालू इकट्ठा करके भगवान भोलेनाथ जी की शिवलिंग बनाती है और उनके ध्यान में लग जाती है। मां पार्वती की कठिन तपस्या से भोलेनाथ जी प्रसन्न होते हैं। वे उनके सामने प्रकट होकर उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करते हैं।
इसके साथ ही वे आशीर्वाद भी देते हैं कि इस व्रत को जो भी महिला करेगी, उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान मिलेगा। यहां तक कि जो कुंवारी लड़कियां यह व्रत करेगी, उन्हें भी अच्छा वर प्राप्त होगा।
हरियाली तीज की पूजा कैसे की जाती है?
हरियाली तीज का व्रत सुहागन औरतें अपने पति के लंबी आयु के लिए करती है। वहीं कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर पाने के लिए करती है।
इस व्रत को रखने के लिए महिलाओं को उस दिन प्रात: काल सूर्योदय से पहले उठना पड़ता है और फिर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करना होता है। अब उन्हें मिट्टी या बालू से भगवान शिव, मां पार्वती और गणेश जी की मूर्ति का निर्माण करना पड़ता है।
उसके बाद एक थाली में सुहाग की सभी सामग्रियों को इकट्ठा करके फूल, बेलपत्र इत्यादि के साथ भगवान शिव जी की पूजा करनी पड़ती है।
इस व्रत में औरतों को भोलेनाथ जी को एक नया वस्त्र चढ़ाना होता है। हरियाली तीज के दिन महिलाएं पूरे दिन भगवान शिव जी और मां पार्वती के ध्यान में लीन रहती है।
उनकी कथा सुनती है और फिर दूसरे दिन प्रात: काल भगवान शिव जी, मां पार्वती और गणेश जी की बालू या मिट्टी से बनी प्रतिमा को नदी या तालाब में जाकर विसर्जित करना होता है।
उसके बाद ही वह इस व्रत का पारण कर सकती है। लेकिन ध्यान रहे इस व्रत का पारण करने से पहले भोलेनाथ जी और मां पार्वती को खीर या हलवे का भोग जरूर चढ़ाना चाहिए।
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हरियाली तीज के दिन श्रृंगार का महत्व
हरियाली तीज में 16 श्रृंगार का बहुत ही महत्व है। महिलाओं को पूरी तरीके से श्रृंगार करके इस तीज व्रत को करना चाहिए। कहा जाता है कि अगर महिलाएं 16 श्रृंगार करके तीज व्रत करती है तो मां पार्वती का विशेष आशीर्वाद उनके पति पर बरसता है।
अगर 16 श्रृंगार वह नहीं भी कर पाती है तो कम से कम तीन श्रृंगार जरूर करना चाहिए, जिसमें मेहंदी, चूड़ी और बिंदी शामिल है।
हरियाली तीज के दिन औरतें मेहंदी अवश्य लगाती है। मेहंदी लगाने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही कारण है। मेहंदी को सुहागन का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ ही यह शीतल, प्रकृति प्रेम और उमंग को संतुलन प्रदान करता है।
ऐसा माना जाता है कि सावन के मौसम में महिलाओं में काम इच्छा की भावना बढ़ जाती है। ऐसे में इस भावना को नियंत्रित करने के लिए मेहंदी मददगार साबित होता है।
हरियाली तीज के दौरान महिलाओं को अपना मन शांत रखने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में उन्हें क्रोध न आए और उनका मन शांत रहे ऐसी औषधि गुण मेहंदी में पाए जाते हैं।
सावन में चारों तरफ हरियाली रहती है, इसीलिए हरियाली तीज के दौरान महिलाएं खास करके हरे रंग के आभूषण धारण करती है।
हरियाली तीज के दिन बनने वाले विशेष पकवान
हरियाली तीज के दौरान नव विवाहित महिला के मायके से कई सारे मिष्ठान और पकवान सिंधारे के रूप में उनके ससुराल भेजे जाते हैं और फिर इस पकवान को वह पूरे श्रावण माह में खाती है।
तीज के दौरान भगवान शिव जी और मां पार्वती को भोग लगाने के लिए कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं, जिसमें भगवान शिव जी का प्रिय खीर और मालपुआ बनाया जाता है।
इसके अतिरिक्त लंबे समय तक चलने वाले व्यंजन जैसे कि सेवइयां, शकरपारा, गुजिया और गुलगुले इत्यादि भी बनाए जाते हैं। हरियाली तीज में हरियाणा में सुहाली व्यंजन बनाने की विशेष परंपरा है।
हरियाली तीज पर इन गलतियों को करने से बचना चाहिए
हरियाली तीज सुहागन महिलाओं के लिए बहुत ही महत्व रखता है। वह अपने अखंड सौभाग्य और संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखती है। वहीं कुंवारी लड़कियां भी मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए इस व्रत को रखती है।
लेकिन इस व्रत में एक गलती इस व्रत को खंडित कर सकता है। इसीलिए इस व्रत को करते समय निम्नलिखित कुछ गलतियों को करने से बचना चाहिए।
- हरियाली तीज के दिन भूल से भी सफेद या काले रंग के वस्त्र का धारा नहीं करना चाहिए। यह अशुभ माना जाता है और नकारात्मक शक्ति को दर्शाता है।
- हरियाली तीज पति की लंबी आयु के लिए रखी जाती है। ऐसे में इस दिन भूल से भी पति के साथ झगड़ा नहीं करना चाहिए।
- हरियाली तीज के दिन सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व है। महिलाओं को इस दिन दुल्हन की तरह तैयार होकर यह व्रत करना चाहिए और ध्यान रखना चाहिए कि भूल से भी वह काली रंग की चूड़ियां बिल्कुल भी न पहनें इससे नकारात्मकता उन पर हावी हो सकती है, उनके वैवाहिक जीवन में तनाव बढ़ सकते हैं।
- हरियाली तीज के दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। ऐसे में करवा चौथ की तरह ही रात में चांद देखने के बाद पारण करना चाहिए। बीच में पानी पीने से बचना चाहिए। इसके साथ ही इस दिन दूध बिल्कुल भी नहीं पीना चाहिए। क्योंकि हरियाली तीज में मां पार्वती और शिवजी दोनों की ही पूजा होती है और दूध भगवान शिव जी को चढ़ाया जाता है।
- हरियाली तीज करते समय महिलाओं को मन शांत और एकाग्रचित्त रखना चाहिए।
निष्कर्ष
इस लेख में उत्तरी भारत का प्रसिद्ध त्योहार हरियाली तीज के बारे में जाना। हरियाली तीज हर एक सुहागन महिलाओं के लिए बहुत ही महत्व रखता है। क्योंकि यह उनके पति के लंबी आयु और सदा सुहागन होने का आशीर्वाद प्राप्त करने के उद्देश्य से रखा जाता है।
इस लेख में आपने हरियाली तीज के व्रत का क्या महत्व है, hariyali teej ko kya hota hai, इस व्रत के पीछे की पौराणिक कथा क्या है, हरियाली तीज की पूजन विधि और इस दिन बनने वाले विशेष पकवान के बारे में जाना।
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