Hanuman Jayanti Kyu Manaya Jata Hai: हनुमान जयंती यानी कि बजरंगबली का जन्म उत्सव। बजरंगबली का आशीर्वाद जिस भी मनुष्य पर होता है, उसके सारे संकट दूर हो जाते हैं इसीलिए तो इन्हें संकट मोचन कहा जाता है।
हनुमान जी को पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रुद्र अवतार यानी कि भगवान शिव का अवतार माना जाता है। हनुमान जी भगवान श्री राम के परम भक्त थे और बिना हनुमानजी के भगवान श्री राम अधूरे हैं।
शनिवार और मंगलवार का दिन भगवान हनुमान जी को समर्पित है। इसीलिए सभी भक्तजन मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की विधि विधान से पूजन करते हैं। इसके अलावा हनुमान जयंती भी सभी हनुमान भक्तों के लिए बहुत ही खास होती है। क्योंकि इसी दिन भगवान हनुमानजी का जन्म माता अंजनी की कोख से हुआ था।
इस लेख में हनुमान जयंती क्यों मनाई जाती है (Hanuman Jayanti Kyu Manaya Jata Hai) और कब कब मनाई जाती है के बारे में बताने साथ ही हनुमान जयंती दो बार क्यों मनाई जाती है के बारे में विस्तार से बताया है।
हनुमान जयंती कब मनाई जाती है?
भारत में हर एक देवी देवता के जन्मदिन को एक उत्सव की तरह मनाया जाता है। हनुमान जी के जन्मदिन को भी उत्सव के रूप में मनाया जाता है। वैसे तो सभी देवी देवताओं का जन्म उत्सव साल में एक बार मनाया जाता है लेकिन हनुमान जयंती साल में दो बार मनाई जाती है।
एक हनुमान जयंती कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर स्वाति नक्षत्र में मनाई जाती है, वहीं दूसरी हनुमान जयंती चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाई जाती है।
साल 2024 में हनुमान जयंती 23 अप्रैल 2024 को मनाई जाएगी। हनुमान जयंती की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 3:25 से लेकर शाम के 5:18 तक रहेगा।
हनुमान जयंती क्यों मनाई जाती है?
हनुमान जयंती भगवान श्री राम भक्त हनुमान जी के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। साल में दो बार हनुमान जयंती मनाई जाती है। पहला हनुमान जयंती हनुमान जी के जन्म उत्सव के रूप में मनाई जाती है, वहीं दूसरी हनुमान जयंती विजय अभिनंदन महोत्सव के रूप में मनाई जाती हैं।
वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अनुसार राम भक्त हनुमान का जन्म कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मंगलवार के दिन मेष लग्न में हुआ था। इसीलिए मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है। इस तरह हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हनुमान जयंती मनाई जाती है।
वहीं दूसरा हनुमान जयंती जो की चित्र माह के पूर्णिमा को मनाई जाती है, उसे मनाने के पीछे एक बहुत ही रोचक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। दूसरा हनुमान जयंती मनाने के पीछे की पौराणिक कथा इस प्रकार है कि अंजनी पुत्र बजरंगबली अद्भुत शक्तियों के साथ पैदा हुए थे।
एक बार उन्हें बचपन में भूख लगी, उन्होंने सूर्य देव को आम समझकर उन्हें खाना चाहा। बाल हनुमान जी सूर्य देव को निगलने के लिए उड़ते हुए उनकी ओर ब्रह्मांड में चल दिए। जैसे ही हनुमान जी सूर्य देव को निगलने लगे पूरे धरती से रोशनी गायब होने लगी और अंधेरा छाने लगा।
चारों तरफ हाहाकार मचने लगा। तब इंद्रदेव ने हनुमान जी को सूर्य देव को पूरी तरीके से निगलने से रोकने के लिए अपने व्रज से उन पर प्रहार किया, जिससे हनुमान जी मूर्छित होकर धरती पर गिर पड़े।
जब हनुमान जी के पिता पवन देव को इस बारे में पता चला तो वे बहुत ही क्रोधित हुए और उन्होंने ब्रह्मांड से वायु को रोक दिया। जिससे पूरी धरती से हवा गायब हो गई और चारों तरफ हाहाकार मचने लगा। तब ब्रह्मा जी ने पवन देव के क्रोध को शांत किया और उन्होंने हनुमान जी को जीवन दान दिया।
वह दिन था चेत्र माह की पूर्णिमा तिथि। इस तरह चंद्रमा की पूर्णिमा तिथि पर हनुमान जी को एक नया जीवनदान मिला। इसीलिए हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भी हनुमान जयंती मनाई जाती है।
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हनुमान जयंती कैसे मनाई जाती है?
प्रभु श्री राम के भक्त हनुमान जी के जन्म दिवस को पूरे भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। हनुमान जयंती के दिन भगवान हनुमान को समर्पित सभी मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ जाती है।
हनुमान जी के दर्शन करने के लिए लंबी कतारे लगी होती है। लोग हनुमान जी का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं। पंडित जी दिन के समय में हनुमान जी की प्रतिमा पर भव्य श्रृंगार करते हैं। गंगा जल से स्नान कराने के बाद उन्हें नए वस्त्र पहनाते हैं और फिर भव्य आरती की जाती है।
कहा जाता है हनुमान जी को बूंदी का लड्डू बहुत ही प्रिया है, इसीलिए हनुमान जयंती के दिन उन्हें बंदी के लड्डू का प्रसाद चढ़ाया जाता है और फिर उस प्रसाद को भक्त जनों में वितरित किया जाता है।
मंदिरों में हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, रामचरितमानस जैसे पवित्र ग्रंथो का पाठ होता है। हनुमान जी के पास हथियार के रूप में कौमोदकी गदा हमेशा उनके हाथों में रहता था। इसीलिए रामनवमी के दिन भारत के कई ग्रामीण क्षेत्रों में लाठी डंडे का खेल होता है।
भारत के हर एक क्षेत्र में विशेष तरीके से हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है। केरल और तमिलनाडु जैसे राज्य के मशहूर हनुमान मंदिर अलाथियूर, नामाक्कल, सुचिन्ध्रम, थ्रिक्कावियूर तथा नन्गानल्लूर में हनुमान जयंती पर भव्य समारोह का आयोजन होता है।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्य में तो हनुमान जयंती का पर्व 41 दिनों तक मनाया जाता है। यहां पर चेत्र माह की पूर्णिमा से हनुमान जयंती शुरू होती है और वैशाख के कृष्ण पक्ष के दसवें दिन इसकी समाप्ति होती है।
निष्कर्ष
हिंदू धर्म में हनुमान जी को बल और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। भगवान श्री राम के प्रति सच्ची भक्ति और श्रद्धा होने के कारण ही भगवान श्री राम का नाम हनुमान के बिना अधूरा माना जाता है।
इसीलिए जितना रामनवमी का महत्व है, उतना ही हनुमान जयंती का भी महत्व है। दोनों ही पर्व को भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
हमें उम्मीद है कि इस लेख में हनुमान जयंती से जुड़ी सभी जानकारी आपको मिल गई होगी। यदि यह लेख जानकारीपूर्ण रहा हो तो इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए अन्य लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें।
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