Essay on Sparrow in Hindi: पर्यावरण में विभिन्न प्रजाति की पशु-पक्षी पाए जाते हैं, जिनमें गौरैया भी मुख्य रूप से पाई जाने वाली प्रजाति है। इसे चिड़िया भी कहा जाता है। गौरैया छोटे आकार की आकर्षक होती है, जिसका 30 से 40 ग्राम तक वजन होता है।
यहां पर हमने गौरैया पर निबंध हिंदी में (Sparrow Essay in Hindi) शेयर किया है। यह हिंदी निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होगा।
इस निबंध में हमने गौरैया के बारे में पूरी जानकारी (Information of Sparrow in Hindi) शेयर की है। आप इसे अंत तक जरूर पढ़े।
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गौरैया पर निबंध (Essay on Sparrow in Hindi)
चिड़िया पर निबंध 250 शब्द में
भारत एक ऐसा देश है, जहां पर पक्षियों की बहुत सारी प्रजातियाँ पाई जाती है, जिनमें गौरैया का विशेष महत्व है। गौरैया दिखने में सुंदर और छोटी होती है।
गौरैया को अक्सर हमने अपने घरों और पेड़ पौधों पर देखा होगा। लेकिन आज के समय में पेड़ों को हो रही अंधाधुंध कटाई और कीटनाशक पदार्थों के छिड़काव के कारण यह विलुप्त होने के कगार पर है।
यह एक ऐसी प्रजाति है, जिसे सभी जगह पर अलग अलग नाम से जाना जाता है, जिनमें चिड़िया, चिमनी, चिड़ी आदि प्रमुख है। गौरैया विश्व में लगभग हर जगह पर पाई जाती है।
इसका रंग हल्का भूरा और सफ़ेद होता है। मादा गौरैया और नर गौरैया में अंतर देखकर किया जा सकता है। मादा के आँखों के पास काला धब्बा पाया जाता है और नर में यह धब्बा नहीं होता है।
नर चटक रंग में भी पाया जाता है, जो दिखने में काफी सुंदर दिखता है। गौरैया को समूह में रहना बहुत पसंद होता है और इसकी औसतन आयु 5 से 7 वर्ष तक होती है। यह सर्वाहरी होती है और एक समय में 2 से 4 अंडे दे देती है। यह हमारे घरों में घोसला बनाकर भी अंडे देती है।
यह अपने भोजन की तलाश में कई मीलों का सफर तय करती है। यह अपने भोजन में फसलों के लिए हानिकारक कीड़ो, फूलों के बीज और अनाज आदि को लेती है।
गौरैया के आँखों का रंग काला और पैरों का रंग भूरा होता है। इसकी लम्बाई 15 से 17 सेंटीमीटर तक हो सकती है। इसकी एक चोंच होती है, जिसका रंग पीला होता है।
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गौरैया पर निबंध 800 शब्द में (gauraiya in hindi)
प्रस्तावना
विश्व में पक्षियों की अनेक प्रजातियाँ पाई जाती है। इन सबमें गौरेया भी प्रजाति है। इसे अलग-अलग जगह पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जिनमें चिड़िया, चिड़ी, चिमनी आदि मुख्य है।
यह दिखने में छोटी और बहुत सुंदर होती है, जो अंटार्कटिका के अलावा विश्व के हर कोने में पाई जाती है। यह इंसानों के बीच भी रहना पसंद करती है। इसे हम अपने घरों की छतों और पेड़ पौधों पर दिखाई देती है।
पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, आधुनिकीकरण, हानिकारक कीटनाशक छिड़काव, बढ़ते प्रदुषण आदि के कारण यह प्रजाति विलुप्त होती जा रही है। पक्षी हमारे वातावरण की सुन्दरता को बढ़ाने का काम करते हैं।
इनकी सुरक्षा करना हमारी मुख्य भूमिका है। इनके लिए हमें अपने घरों की छतों पर अनाज के दाने और पानी की व्यवस्था करनी चाहिए।
गौरैया की शारीरिक संरचना और रंग-रूप
गौरैया छोटी और दिखने में बहुत ही सुंदर पक्षी होती है। गौरैया के दो पैर, दो छोटे-छोटे पंख, दो आंखें और एक छोटी-सी पीले रंग की चोंच होती है। यह दिखने में बहुत ही सुंदर होती है।
इसके पैरों का रंग भूरा होता है और यह सफ़ेद और हल्के भूरे रंग में पाई जाती है। इसके आँखों के चारों ओर काला रंग का घेरा होता है, जो इसकी सुन्दरता को और भी ज्यादा बढ़ा देता है।
नर गौरैया की पीठ का रंग लाल होता है और मादा गौरैया की पीठ पर भूरी धारियां होती है। इसकी लम्बाई 15-17 सेंटीमीटर तक होती है। इसके दो छोटे-छोटे पंख इसे उड़ने में मदद करते हैं।
यह अपने पंखों की मदद से 25 मील प्रतिघंटा की स्पीड से उड़ सकती है। गौरैया जरूरत पड़ने पर पानी में तैर भी सकती है। मादा के आँखों के पास काले रंग का धब्बा पाया जाता है और नर के ये नहीं पाया जाता है।
इससे नर और मादा में अंतर किया जा सकता है और इसकी औसतन आयु 5 से 7 वर्ष तक होती है। इसका वजन 30 से 40 ग्राम तक होता है।
गौरैया का भोजन
गौरैया सर्वाहरी पक्षी है यह मांसाहारी और शाकाहारी दोनों प्रकार के ही भोजन को लेती है। यह अनाज के दाने, हानिकारक कीड़े, फल, फलों के बीज आदि को अपने भोजन के रूप में लेती है।
यह अधिकतर इंसानों के साथ रहती है तो यह ज्यादातर शाकाहारी भोजन ही लेती है। यह पानी के पास रहना पसंद करती है और बर्फीले और पहाड़ी इलाकों में कम पाई जाती है।
इसके शरीर का आकार बहुत छोटा होता है। इसके कारण इसे अधिक भोजन की जरूरत नहीं होती है। फिर भी काफी कभी यह अपने भोजन की तलाश में मीलों तक का सफर तय कर देती है। कई बार कुता, बिल्ली, सांप आदि इसे अपना भोजन बना देते हैं।
गौरैया का प्रजाति
गौरैया एक ऐसी प्रजाति का पक्षी है, जो विश्व के हर कोने में पाई जाती है। यह अंटार्कटिका महाद्वीप को छोड़कर विश्व के हर कोने में पाई जाती है।
जैसा कि पहले बताया इसे बर्फीले और पहाड़ी जगहों पर रहना पसंद नहीं होता है। डेड सी स्पैरो, रसेट स्पैरो, स्पेनिश स्पैरो, सिंड स्पैरो, हाउस स्पैरो, ट्री स्पैरो आदि गौरैया की कुछ प्रजातियों के नाम है।
यह सभी प्रजातियां विश्व के अलग-अलग जगहों पर पाई जाती है। वैज्ञानिकों के अनुसार गौरैया की कुल 43 प्रजातियां खोजी जा चुकी है।
रहन-सहन और निवास
गौरैया को अक्सर हम अपने घरों की छतों और आस पास के पेड़-पौधों पर देखते हैं। यह वातावरण का एक मुख्य भाग है। यह इंसानों के घरों और पेड़-पौधों पर अपना घोसला बनाकर रहती है। यह अधिकतर इंसानों के बीच में भी रहती है।
भारत में यह अधिकतर ग्रामीण इलाकों में अधिक पाई जाती है और शहरों में कम देखने को मिलती है। गौरैया को झुण्ड में रहना अधिक पसंद होता है। यह सभी मौसम को आसानी से सहन कर लेती है।
प्रजनन काल के दौरान मादा गौरैया एक बार में 2 से 4 अंडे देती है, जो छोटे और सफेद रंग के होते है। यह अंडे 20 दिन होने बाद बाहर निकल आते है। गौरैया की चीं-चीं की आवाज सुनने में मधुर होती है।
विलुप्त के कगार पर
शहरीकरण, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, आधुनिकीकरण, हानिकारक कीटनाशक छिड़काव, बदलती जलवायु, बढ़ते प्रदुषण आदि के कारण आज के समय में यह प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर है। जंगल और कच्चे घर नहीं होने के कारण इसकी संख्या में भारी कमी देखने को मिल रही है।
खेतों में फसलों के बचाने के लिए उपयोग में आने वाले हानिकारक कीटनाशक से अधिकतर गौरैया की मृत्यु हो जाती है। बिजली के बैठने से भी कई सारी गौरैया अपनी जान गंवा बैठती है।
गौरैया के बचाव के उपाय
इसके बचाना हमारी प्रकति के लिए बहुत ही जरूरी है। इसके लिए हमें अपने घरों में के छोटा सा बगीचा जरूर बनाना चाहिए और समय समय अपने घरों की छत पर अनाज के दाने और इनके पीने के लिए पानी की व्यवस्था जरूर करनी चाहिए। घरों में उपयोग होने वाली कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग भी कम करना चाहिए।
उपसंहार
गोरैया पक्षी दिखने में सुंदर, छोटी सी और आकर्षक होती है। इसका वातावरण के पारिस्थितिक तंत्र के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। हमें इसकी सुरक्षा के लिए विशेष कदम उठाने चाहिए।
गोरैया के विलुप्त होने से बचाने और इसके प्रति जागरूकता के लिए विश्व में 20 मार्च को गौरैया दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोगों के इसे बचाने के प्रति जागरूक किया जाता है।
निष्कर्ष
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