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मुंशी प्रेमचंद पर निबंध

हम यहां पर मुंशी प्रेमचंद पर निबंध हिंदी में (Essay on Premchand in Hindi) शेयर कर रहे है।

इस निबंध में मुंशी प्रेमचंद के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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मुंशी प्रेमचंद पर निबंध 250 शब्दों में (Essay on Premchand in Hindi)

हिंदी भाषा के महान कवि, सकुशल प्रवक्ता और सचेत नागरिक को हम मुंशी प्रेमचंद के रूप में जानते है। हिंदी साहित्य के विकास में मुंशी का विशेष योगदान है।

कहानी और उपन्यास विधा में इनके समान कोई दूसरा लेखक नहीं था। हीरा मोती, गबन गोदान, और ईदगाह जैसी कई सारी मशहूर कहानियां इन्होंने लिखी थी।

प्रेमचंद ने अपनी कहानी में भारत का औद्योगिक रास्ता और बढ़ती पूंजीवाद को विस्तृत रूप से वर्णन किया है।

बच्चों के सबसे प्रिय हिंदी कहानी लेखक की बात करें तो मुंशी प्रेमचंद का नाम ही सबसे पहले आता है। यह जो भी कहानी लिखते थे, लोगों के दिल और दिमाग में ऐसी छा जाती थी जैसा कि वास्तव में उनके सामने कहानी की घटना घटित हो रही हो।

उनका जन्म वाराणसी से लगभग चार मील दूर लमही नाम के गांव में 31 जुलाई 1880 को हुआ था। उनका बचपन गरीबी में बीता था। बचपन से ही उन्हें हिंदी विषय में काफी रूचि थी।

महज 15 साल की उम्र में ही उनका विवाह हो गया था। जीवन की प्रतिकूल परिस्थितियों में प्रेमचंद ने मैट्रिक पास किया।

प्रेमचंद ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य, पर्सियन और इतिहास विषयों से स्नातक की उपाधि द्वितीय श्रेणी में प्राप्त की थी।

प्रेमचंद ने नाटक, निबंध, बाल साहित्य अनुवाद ग्रंथ आदि कई प्रकार की पत्रिकाओं को लेखन किया था। मुंशी का अंतिम उपन्यास मंगलसूत्र था, जो कि अधूरा ही रह गया था।

इन्होंने कई पत्र, पत्रिकायो का संपादन भी किया था। भारतीय डाक विभाग द्वारा मुंशी प्रेमचंद की स्मृति में 31 जुलाई 1980 उनके जन्मदिन पर 30 पैसे मूल्य का एक डाक टिकट जारी किया गया।

Essay on Premchand in Hindi

मुंशी प्रेमचंद पर निबंध 800 शब्दों में (Munshi Premchand Essay in Hindi)

प्रस्तावना

कलम के धनी कहानीकार मुंशी प्रेमचंद्र ग्रामीण जीवन की मिट्टी की खाद थे। यह जाती के कायस्थ थे। प्रेमचंद्र के पूर्वज खेती-बाड़ी का कार्य किया करते थे।

बचपन से ही इनकी पढ़ाई में विशेष रूचि थी। इन्हें हिंदी भाषा से अत्यधिक लगाव था और समय आने पर उन्होंने उपन्यासों की दिशा ही बदल दी थी।

हिंदी लेखक प्रेमचंद के उपन्यास विषय वस्तु रहस्य और रोमांच से भरे हुए होते थे। साथ ही में यह सारे उपन्यास समाज की सामान्य बुराइयों पर भी लिखे जाते थे।

मुंशी प्रेमचंद्र का जन्म स्थान

हिंदी भाषा के महान लेखक मुंशी प्रेमचंद्र का जन्म 31 जुलाई 1880 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के लम्ही नामक ग्राम में हुआ था।

पिता पेशे से अंग्रेजी सरकार के डाकखाना में मुंशी के पद पर थे। 8 वर्ष की आयु में ही इनकी माता आनंदी देवी का स्वर्गवास हो गया था।

मुंशी का वास्तविक नाम धनपत राय था। लेकिन साहित्य क्षेत्र में वह अपने आप को प्रेमचंद के नाम से प्रस्तुत किया।

सन 1898 में इन्होंने हाईस्कूल की परीक्षा पास की थी। इसके अलावा शिक्षक के रूप में उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत की थी। अपने पेशे के साथ अध्यापन को भी जारी रखा।

सन 1910 में उन्होंने बारहवीं की परीक्षा पास की थी। इसके बाद सन 1918 मे इन्होंने स्नातक तथा दरोगा की परीक्षा भी पास की थी।

अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए इन्होंने शिक्षण का भी कार्य करना पढ़ा था।

मात्र पंद्रह वर्ष की अवस्था में ही इनका विवाह हो गया था। शादी के समय ही इनके पिता का देहांत हो गया था।

पिता जी की असमय मृत्यु हो जाने पर परिवार की सारी जिम्मेदारी इनके कंधों पर आ गई। उस समय गांधी जी असहयोग आन्दोलन चला रहे थे। उन्ही से प्रभावित होकर इन्होंने दरोगा की नौकरी छोड़ दी थी।

कहानी उपन्यास विधा के धनी मुंशी प्रेमचंद ने आंदोलन को प्रेरणा देने के लिए साहित्य लेखन को चुना। सर्वप्रथम इन्होंने नवाब राय उर्दू भाषा से जिन्होंने लेखन कार्य शुरू किया था।

इसके अलावा फिर इन्होंने हिंदी भाषा में कई सारे उपन्यास जैसे कि गबन गोदान, निर्मला, कर्मभूमि, रंगभूमि सेवा सदन जैसे कई बेहतरीन उपन्यास को लिखा।

मुंशी प्रेमचंद एक प्रिय लेखक

मुंशी प्रेमचंद ने 1 दर्जन से अधिक उच्च कोटि के उपन्यासों को लिखा था। इसके अलावा 300 से अधिक कहानियां लिखकर हिंदी साहित्य को एक उच्चतम शिखर पर पहुंचाया है।

लगभग इनके सभी उपन्यास बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है। इनके द्वारा लिखी जाने वाली कहानियां बहुत ही मार्मिक होती थी, जिनमें से पूस की रात और बहुत ही ज्यादा मार्मिक है।

यह अपनी कहानियों के माध्यम से जन जीवन का मुंह बोलता हुआ चित्र प्रस्तुत किया करते थे।

मुंशी प्रेमचंद की कहानियां प्रिय लगने के कारण

मुंशी साहित्य में अश्लीलता और नग्रता के कट्टर विरोधी थे। इनका मानना था कि साहित्य जीवन के चित्र को प्रस्तुत करता है।

लेकिन समाज के आएंगे एक ऐसा आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए, जिससे कोई भी व्यक्ति समाज में सर उठाकर और चरित्र ऊंचा कर चल सके।

प्रेमचंद्र की कहानियों में कई सारे किरदार है, जो अत्यधिक फेमस है जैसे कि धनिया, सोफी, होरी, निर्मला, जालपा आदि सभी आज भी जीते जागते पात्र लगते है।

इनके द्वारा लिखी गई कहानियां पढ़ने के बाद आपको ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे यह सारा कुछ आपके वास्तविक जीवन में घट रहा हो।

क्योंकि इनके कहानी के पात्र भी बिल्कुल पहले के समय की तरह ही हुआ करते थे, जिससे लोग इससे अच्छी तरह समझ सके।

गरीबों के जीवन पर इन्होंने कई सारी रचनाएँ लिखी थी। इनकी भाषा सरल थी लेकिन मुहावरों का प्रयोग भी अपनी कहानियों में करते थे।

भारत देश में हिंदी का प्रचार करने मे मुंशी के उपन्यास का विशेष योगदान रहा था। इन्होंने अपनी सभी रचनाओं में ऐसी भाषा का प्रयोग किया, जिससे लोग आसानी से समझ व जान सकते थे।

इसी कारण से मुंशी प्रेमचंद के अधिक उपन्यास अन्य लेखों की तुलना में अत्यधिक देखे थे।

मुंशी प्रेमचंद्र की पहली रचना

प्रेमचंद की पहली रचना असहयोग आंदोलन के समय हुई थी। जब महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को शुरू किया था, तब उन्होंने नवाब राय के नाम से एक पुस्तक को लिखा था।

लेकिन उस पुस्तक को अंग्रेजो ने जब्त कर लिया था। लेकिन कुछ समय के बाद इन्होंने दोबारा से प्रेमचंद के नाम से कहानी और उपन्यास को लिखना शुरु कर दिया।

मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध रचना

वैसे तो प्रेमचंद की सभी रचनाएं बहुत ही अलौकिक और मजेदार हैं लेकिन अगर सबसे अच्छी रचना या कहानी की बात की जाएँ तो पूस की रात सबसे अच्छी कहानियों में से एक है।

उन्होंने इस कहानी में एक बहुत ही मार्मिक किसान का चित्रण किया है, जो अपने खेतों की रखवाली करने के लिए सर्दी की रात में अपने खेत में एक लैंप और एक कुत्ते के साथ बैठकर काटता है।

यह कहानी बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय हैं। इसके अलावा भी इनकी कई सारी कहानियां है जैसे कि हीरा मोती।

हीरा मोती दो बैलों का जोड़ा होता है, जिसमें इसका मालिक गरीबी के कारण अपने एक बैल को बेच देता है। अपने मित्र से अलग होने पर उसका दूसरा बैल अपने प्राण त्याग देता है।

इसके अलावा इन्होंने स्त्री के ऊपर भी एक अपने विशेष रचना की, जिसको हम लोग निर्मला के नाम से जानते हैं।

मुंशी प्रेमचंद का साहित्य के क्षेत्र में योगदान

मुंशी को आदर्शवादी और यथार्थवादी साहित्यकार कहा जाता है। इनके द्वारा लिखा गया गोदान उपन्यास इनका ही नहीं बल्कि पूरे भारत का सर्वोत्तम उपन्यास माना जाता है।

गोदान में किसान का जो मर्म स्पर्शी चित्रण किया गया है, उसको पढ़ कर मेरा दिल आज भी दहेक उठता है।

इस फूफा न्यास में मुंशी ने सुदखोर बनिए, जागीरदार, सरकारी कर्मचारी सभी का भेद इन्होंने इस उपन्यास में खुला है।

इस उपन्यास के माध्यम से समाज के शोषित और दुखी लोगों का प्रवक्ता बना दिया है।

इन्होंने अपने अधिक कहानी और उपन्यास में गरीबी का बहुत ही मार्मिक चित्रण किया हुआ है। यदि आप एक बार इनकी कहानी या उपन्यास को पढ़ने बैठेंगे तो आप पढ़ते ही रह जाएंगे।

निष्कर्ष

यह बहुत दुख की बात है कि हिंदी भाषा का यह महान कवि, कहानीकार उम्र भर आर्थिक समस्याओं से घिरा रहा।

सारी उम्र परिश्रम करने के कारण इनका स्वास्थ्य धीरे-धीरे गिरने लगा था। सन 1936 में इनकी मृत्यु हो गई थी। इनका साहित्य भारत समाज में जीवन का दर्पण माना जाता है।

अंतिम शब्द

हमने यहां पर मुंशी प्रेमचंद पर निबंध (Essay on Premchand in Hindi) शेयर किया है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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