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राष्ट्रीय पक्षी मोर पर निबंध

Essay on Peacock in Hindi: नमस्कार दोस्तों, आज हम मोर पर निबंध लिख रहे हैं। हमने यहां पर मोर पक्षी पर निबंध बहुत ही सरल शब्दों में बताया है। यहां सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है

Essay on Peacock in Hindi
Essay on Peacock in Hindi

यहां पर हम अलग-अलग कक्षाओं के लिए शब्दों की सीमा को देखते हुए राष्ट्रीय पक्षी मोर पर निबंध हिंदी में (Peacock Essay in Hindi) लिखे है। इससे सभी विद्यार्थियों को मदद मिलेगी।

राष्ट्रीय पक्षी मोर पर निबंध – Essay on Peacock in Hindi

मोर पर निबंध (150 Words)

मोर दिखने में बहुत ही सुन्दर पक्षी है। सभी पक्षियों में सबसे बड़ा मोर पक्षी ही है। भारत का राष्ट्रिय पक्षी मोर है। मोर भारत के हर जगह में पाएं जाते हैं। मोर में लगभग सभी रंगों का समावेश होता हैं। मोर की पंखो का रंग हरा होता है और मोर की पंखों में चाँद जैसी कई आकृतियां बनी हुई है जिसमें कई रंग सुसज्जित हैं।

ये हमेशा ऊंचे स्थानों पर ही बैठना पसंद करते हैं। हमें मोर पीपल, नीम और बरगद के पेड़ों पर देखने के लिए आसानी से मिल जायेंगे। मोर के मुंह और गले का रंग बैंगनी होता है।

मोर के पंख मखमल के कपड़े जैसे कोमल और बहुत सुन्दर होते हैं। मोर की आंखों का आकार छोटा होता है। मोर के पैरों का रंग पूरा सफ़ेद तो नहीं होता है, लेकिन सफ़ेद में थोडा मैला सा होता है। मोर हमारा राष्ट्रिय पक्षी है, हमें इसकी सुरक्षा करनी चाहिए।

मोर पर निबंध (300 Words)

संसार में बहुत प्रकार के पक्षी होते हैं। कई पक्षी हमें अपने सौन्दर्य से आकर्षित करते हैं। उनमें मोर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। मोर भारत का राष्ट्रिय पक्षी है। इसका रंग बहुत ही सुंदर होता हैं और इसका कंठ नीला होता है। इसके सिर पर एक कलगी होती है। इसके पंख लम्बे नीले और सुनहरे रंग के होते हैं। मोर के पंखों पर चकते होते है। मोर की सुन्दरता को देखकर ही कवि रविन्द्रनाथ ने कहा था- “हे मोर तू इस मृत्युलोक को स्वर्ग के समान बनाने के लिए आया है।”

मोर एक शर्मीला पक्षी है, जो लोगों से दूर रहना पसंद करता है। मोर की आवाज कर्करी होती है जो दो किलोमीटर दूर से भी सुनाई दे सकती है। मोर पेड़ की डालियों पर रहना बहुत पसंद करते हैं। भारत में लगभग सभी जगहों पर मोर पाएं जाते हैं। इसमें मुख्य स्थान राजस्थान, उतरप्रदेश और मध्यप्रदेश है।

इनके के पंख लम्बे और बड़े होते हैं। इसी कारण मोर ज्यादा ऊंचा उड़ नहीं पाते। मोर जमीन पर चलना पसंद करते हैं। मोर की पंखों में छोटी छोटी पंखुडियां होती हैं। पंख के अंतिम छोर पर चाँद जैसी बैंगनी रंग की आकृतियां होती है, जो दिखने में बहुत ही सुन्दर होती हैं। इनके पंख अन्दर से खोखले होते हैं।

मोर बारिश होती है तब बहुत ही खुश होते हैं और ये अपनी ख़ुशी पंख फैलाकर और नाचकर व्यक्त करते हैं। जब मोर पंख फैलाते हैं तो इसकी आकृति आधे चाँद के सम्मान होती है जो हर किसी को पसंद आती है। मोर को प्राकृतिक आपदा का पहले से ही आभास हो जाता है और ये पहले ही हमें संकेत दे देते हैं। जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आने वाली होती है तो ये जोर जोर से आवाज करने लगते हैं।

मोर पर निबंध (500 Words)

मोर एक सुन्दर पक्षी है जो अपनी शान से जीना पसंद करता है। यह हमारे देश का राष्ट्रिय पक्षी और सभी पक्षियों का राजा है। मोर भारत के हर जगह पर पाया जाता है और यह ज्यादातर उतरप्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान में पाया जाता है। मोर भारत के अवाला विदेशों में भी पाया जाता है।

जब बरसात का मौसम होता है तो काले बादलों के नीचे मोर अपने पंख फैलाकर नाचना बहुत पसंद करते हैं। मोर सभी पक्षियों का राजा होने कारण भगवान ने भी इसके सिर पर एक मुकुट के रूप में कलगी लगाईं है। भारत के धार्मिक ग्रंथों में मोर को पवित्र पक्षी माना जाता है। मोर सभी के लिए आकर्षण का केंद्र है।

मोर का वजन ज्यादा होने और पंखों का आकर बड़ा होने के कारण ये ज्यादा उड़ नहीं पाते। इसलिए मोर ज्यादातर जमीन पर चलना पसंद करते हैं। इसकी गर्दन लम्बी होती है और इसका रंग नीला होता है। मोर ज्यादातर चमकीले नील और हरे रंग के होते हैं। मोर की पंखों पर चाँद के समान आकृति बनी होती है जो दिखने में बहुत ही खूबसूरत होती है। मोर के पैर लम्बे होते हैं।

इनकी की चोंच भूरे रंग की होती है। पैरों का रंग पूरी तरह से सफ़ेद नहीं होता मैला सा होता है। मोर के सभी अंग दिखने में सुंदर होते हैं। लेकिन मोर के पैर दिखने में सुन्दर नहीं होते हैं। मोर के पैर बहुत मजबूत होते हैं और इन पर कांटा बना होता है जो मोर की लड़ाई करते समय बहुत मदद करता है।

मोर जितना खूबसूरत होता है उतनी मोरनी खुबसूरत नहीं होती है। मोरनी दिखने में भी इतनी आकर्षक नहीं होती जितना मोर होता है। ये मोर से आकार में छोटी होती है। मोर और मोरनी में ज्यादा तो अंतर नहीं होता लेकिन इनको आसानी से पहचाना जा सकता है।

मोरनी के शरीर की लम्बाई लगभग 85 सेंटीमीटर तक हो सकती है। मोर के जैसी इसके सर पर भी एक छोटी सी कलगी होती है। मोरनी के शरीर का निचला भाग बादामी रंग और हल्का सफ़ेद होता है। मोर के पंखों की लम्बाई लगभग 1 मीटर तक होती है और मोर की उम्र 20 से 25 वर्ष तक होती है।

ये खाने में सभी प्रकार का भोजन लेता है। इसी कारण ये सर्वाहारी है। मोर फल और सब्जियों को खाने के साथ साथ यह चना, गेहूं, बाजरा और मकई भी लेता है और मोर खेतों में हानिकारक कीड़ों, चूहों, दीमक, छिपकली और सांपों को भी अपना भोजन बनाता है। खेतों में हानिकारक कीड़ों को खाने के कारण ये किसानों का सच्चा मित्र होता है। मोर ज्यादातर जंगलों में ही रहते हैं। लेकिन कभी कभी ये अपने भोजन की तलाश करते हुए आबादी में भी आ जाते हैं।

मोर पर निबंध (1000 Words)

प्रस्तावना

मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है, जो दिखने में बहुत ही सुंदर होता है और जब मोर नाचता है तो प्रकृति में और भी ज्यादा सुन्दरता फैला देता है। मोर में सभी रंग समाहित होते हैं।

मोर की सुन्दरता

हमारी प्रकृति में कई सारे पक्षी आये जाते हैं। सभी पक्षी अपनी सुन्दरता और अपनी बनावट के कारण सबको अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इन्हीं पक्षियों में सबसे सुंदर पक्षी मोर है। इसकी सुन्दरता बाकि पक्षियों की तुलना से कई गुना अच्छी और लोगों को अपनी तरफ मोहित करने वाली है। इस कारण मोर को पक्षियों का राजा भी कहा जाता है।

जब असमान में काले बादल छा जाते हैं और बारिश का मौसम होता है वो मौसम मोर का बहुत ही पसन्द का मौसम होता है। इस मौसम में मोर अपने पंख फैलाकर नाचते हैं। जब मोर नाचते है तो वो अपने सभी पंख फैलते है और उन पंखों की आकृति आधे चाँद समान लगती है। मोर को प्राकृतिक आपदा का पहले ही आभास हो जाता है और आपदा से पहले वो जोर जोर से बोलने लगते हैं। मोर की आवाज 2 किलोमीटर दूर तक सुनी जा सकती है। इनकी आवाज कर्करा भरी होती है।

ये शर्मीले पक्षी होते हैं और मोर आबादी क्षेत्र से दूर रहना ही पसंद करते हैं। ज्यादातर मोर जंगलों में ही पाए जाते हैं। कभी कभी मोर अपने भोजन को तलाशते हुए आबादी में आ जाते हैं। मोर पेड़ों की सबसे ऊंची डालियों पर बैठना पसंद करते हैं।

मोर भारत के हर राज्य में पाया जाता है। ये ज्यादातर हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, उतरप्रदेश और मध्यप्रदेश में पाया जाता है। मोर भारत के अलावा और भी कई देशों में पाया जाता है। मोर ज्यादातर शुष्क क्षेत्रों में रहना पसंद करते हैं। मोर भारत का राष्ट्रिय पक्षी है। मोर को भारत का राष्ट्रिय पक्षी 26 जनवरी 1963 में घोषित किया गया था।

मोर की संरचना और बनावट

भारत का राष्ट्रिय पक्षी मोर है। मोर ज्यादातर जंगलों में रहना पसंद करते हैं। मोर को ज्यादातर नीम, बरगद और पीपल पर आसानी से देखा जा सकता है। मोर के रंग में सभी रंगों का मिश्रण है। अर्थात् मोर में लगभग सभी रंग होते हैं। मोर की गर्दन बहुत ही छोटी है और इसका रंग नीला होता है। दूसरे शब्दों में कहे तो मोर का कंठ नीला होता है।

मोर का वजन दूसरे पक्षियों की तुलना में काफी ज्यादा होता है। मोर का वजन 5 से 10 किलो तक हो सकता है। मोर के पंख बहुत लम्बे और घने होते हैं। इनके पंख छोटी-छोटी पंखुड़ियों से मिलकर बने होते हैं। वजन ज्यादा होने के कारण ये ज्यादा उड़ नहीं पाते।

मोर के पंख में हरा, नीला, बैंगनी, पीला आदि रंग होते हैं। मोर की पंख में चाँद जैसी आकृतियां बनी होती हैं जो मोर को और भी सुन्दर बना देती हैं। मोर के पंख के अंतिम छोर पर एक चाँद जैसी आकृति होती हैं जिसमें सभी रंग मौजूद होते हैं। मोर के पंख मखमल के कपड़े जैसे मुलामय और सुंदर होते हैं।

इनकी की आंखे छोटी होती है। मोर के सिर पर छोटे-छोटे पंखों का ताज बना होता है, जिससे वो बहुत ही खूबसूरत दिखाई देता है। मोर का पैर बहुत ही पतले होते हैं। इनका रंग मटमैला होता है। मोर के पैर बहुत मजबूत होते हैं। मोर के पैरों पर एक कांटा उगा होता है जो उसकी शिकार में मदद करता है और लड़ाई में भी मोर का साथ देता है। मोर का शरीर जितना आकर्षक होता है। उसमें पैर ही ऐसे होते हैं जो ज्यादा आकर्षक नहीं होते।

मोर का भोजन

खाने के रूप में मोर सर्वाहारी है। मोर अपने खाने में फल और सब्जियों को खाता है। मोर इसके अलावा भी कीड़े-मकोड़े, छिपकली, चूहों और सांपों को खाता है। मादा मोर सांप का शिकार नहीं कर सकती है।

मोर खेतों में हानिकारक कीड़ो को खाता है। इस कारण इसे किसानों का सच्चा मित्र भी कहा जाता है। मोर की वजह से कई सारी फ़सलें हानिकारक कीड़ों से बच जाती है।

मोर का संरक्षण कानून

बाजार में मोर के पंखों की कीमत अधिक रहती है। मोर के पंख हर साल नये आते हैं। मोर के पंखो से हवा खाने के लिए पंखा, फूलों का गुलदस्ता और कई सारी जडी-बुटी भी बनाई जाती है। इस कारण मोर के पंखों की कीमत बाजार में ज्यादा है।

मोर के पंखों की कीमत ज्यादा होने के कारण लोग इसका शिकार करने लगे और इसके पंखों को बाजार में बेचने लगे। धीरे-धीरे मोरों की संख्या में कमी आने लगी। तब भारत सरकार ने वन्य अधिनियम 1972 के तहत मोर के शिकार (Peacock Matter) पर रोक लगा दी। रोक लगाने के बाद भी यदि कोई मोर का शिकार करता है तो उसको जुर्माने के साथ सजा दी जाती है। ये कानून मोरों की संख्या में वृद्धि करने के लिए बहुत ही जरूरी है। इस कानून के बाद भारत में मोरों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

मादा मोर और नर मोर में अंतर

मोर दिखने में बहुत ही आकर्षक होता है लेकिन मोरनी मोर जितनी आकर्षित नहीं होती है। मोरनी का आकार मोर से छोटा होता है और ये मोर जितना शिकार भी नहीं कर पाती है। मोरनी के पंख मोर से थोड़े छोटे है। मोरनी के शरीर का निचला हिस्सा मैला सा होता है और पैरों का रंग मटमैला होता है।

मोर की प्रजाति

पूरे संसार में मोर की तीन प्रजातियाँ पाई जाती हैं। जिसमें भारत में पाई जाने वाली प्रजाति सबसे सुन्दर प्रजाति है। इस प्रजाति के मोर ज्यादातर भारत में ही पाए जाते हैं। मोर को विश्व का सबसे सुंदर पक्षी भी कहा जा सकता है। जैसी मोर की सुन्दरता होती है किसी और पक्षी की नहीं हो सकती है। मोर जितना सुंदर होता है उतना ही सुंदर नृत्य भी करता है।

मोर का प्रजनन

एक नर मोर दो से पांच मादा मोर के साथ सम्बन्ध बनाता है। इनमें से प्रत्येक मादा मोर 6 से 7 अंडे देती है। मादा मोर अपने अंडे जमीन में गड्डा करके जमीन के अन्दर देती है। मादा मोर साल में दो बार अंडे देती है। अण्डों से बच्चों को निकलने में 25 से 30 दिन का समय लगता है। इनमें से कुछ बच्चे ही बड़े हो पाते हैं। क्योंकि कुछ जब छोटे होते हैं तो जंगली जानवरों का शिकार बन जाते हैं।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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