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महाशिवरात्रि पर निबंध

Essay on Mahashivratri in Hindi: हर एक माह में एक शिवरात्रि आता है लेकिन फागुन माह की कृष्ण चतुर्दशी को आने वाली शिवरात्रि महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। महाशिवरात्रि वही दिन है, जिस दिन महादेव और मां पार्वती का विवाह हुआ था।

इस लेख में महाशिवरात्रि पर निबंध (Essay on Mahashivratri in Hindi) के जरिए महाशिवरात्रि से जुड़ी पौराणिक कथा और इसके महत्व के बारे में जानते हैं।

Essay on Mahashivratri in Hindi
Image : Essay on Mahashivratri in Hindi

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महाशिवरात्रि पर निबंध (Essay on Mahashivratri in Hindi)

महाशिवरात्रि से जुड़ी पौराणिक कथा

महाशिवरात्रि से जुड़ी कई सारी पौराणिक कथा है, जिनमें से एक पौराणिक कथा इस प्रकार है कि फागुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को ही ऋषि मार्कंडेय ने महामृत्युंजय मंत्र का जाप करके अपने अकस्मात अल्प आयु की मृत्यु को टाला था।

इस मंत्र को महामृत्युंजय मंत्र महादेव ने ही नाम दिया था। इसीलिए इस दिन को महाशिवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है।

इसके अलावा एक पौराणिक कथा यह भी है कि इसी दिन चंद्रमा को दक्ष प्रजापति के श्राप से मुक्त करने के लिए महादेव ने चंद्रमा को अपने जटा पर धारण किया था।

कहा जाता है कि चंद्रमा के ससुर दक्ष प्रजापति ने अपनी दो बेटियों की शादी चंद्रमा से की थी। किंतु वह केवल एक ही पुत्री से प्रेम करते थे दूसरे से नहीं।

दक्ष को जब इस बात का पता चला तो वह क्रोध में आकर चंद्रमा को क्षय होने का श्राप दे देते हैं। लेकिन चंद्रमा को क्षय हो जाता तो संसार का संतुलन बिगड़ जाता। इसीलिए श्राप मुक्त होने के लिए वे ऋषि मार्कंडेय के पास जाते हैं।

ऋषि मार्कंडेय उन्हें महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने बोलते हैं‌। इस मंत्र का जाप करने के बाद महादेव स्वयं प्रकट होते हैं और दक्ष प्रजापति के श्राप को कम करते हुए चंद्रमा को वरदान देते हैं कि वे 15 दिन के लिए क्षय होते जाएंगे और 15 दिन के बाद पुनः अपने आकार में आना शुरू हो जाएंगे।

जिस दिन उन्हें क्षय होता है, वह दिन अमावस्या कहलाता है और जिस दिन वह पुनः अपने आकार में आ जाते हैं, उसे पूर्णिमा कहा जाता है।

महाशिवरात्रि का नाम कैसे पड़ा?

शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव वर्ष में 6 महीने कैलाश पर्वत पर विराजमान होकर तपस्या में लीन रहते हैं तब तक सभी कीड़े मकोड़े भी अपने बिलों में बंद रहते हैं।

लेकिन 6 महीने के बाद भगवान धरती पर अवतरित होकर श्मशान घाट में निवास करते हैं और वह दिन फागुन मास का कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि होता है। धरती पर भगवान शिव के अवतरित होने का दिन शिव भक्तों में महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है।

इसके अतिरिक्त इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसीलिए इस दिन को महाशिवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है।

महाशिवरात्रि कैसे मनाया जाता है?

महाशिवरात्रि का पर्व सभी भक्तजन बहुत ही हर्षोल्लाह से मनाते हैं। इस दिन सभी भक्तजन सुबह उठकर भोलेनाथ जी की पूजा अर्चना करते हैं, शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं।

भारत के बहुत से क्षेत्र के लोग पवित्र नदियों के जल को लाकर कावड़ यात्रा शुरू करते हैं और नजदीकी शिव मंदिर में जाकर शिवजी का जल अभिषेक करते हैं।

इस दिन सभी महिलाएं दिनभर उपवास रखती हैं और शिव चर्चा करती हैं। महाशिवरात्रि के दिन महादेव और मां पार्वती का विवाह हुआ था, इसीलिए इस दिन रात में महादेव की बारात निकाली जाती है।

शहरों और गांव के गलियों से गुजरती हुई झांकी फिर से मंदिर में आती है और फिर मंदिर में भगवान शिव का विवाह किया जाता है। सांयकाल में भगवान शिव की पूजा अर्चना करने के पश्चात सभी फलाहार कर उपवास को खोलते हैं।

महाशिवरात्रि का महत्व

महाशिवरात्रि के दिन गंगा नदी में स्नान करने का बहुत ही महत्व है। क्योंकि इसी दिन महादेव गंगा को अपने जटा में धारण किए थे। इस दिन महादेव और मां पार्वती का विवाह हुआ था।

इस कारण ऐसी मान्यता है कि इस दिन नव विवाहित जोड़े का विवाह होने से उनका संबंध भी भगवान शिव और मां पार्वती के जितना ही मजबूत बनता है।

निष्कर्ष

महाशिवरात्रि का व्रत हर एक हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण पर्व होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से उनकी कृपा विशेष रूप से प्राप्त होती है।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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