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नवरात्रि पर निबंध

Essay on Navratri in Hindi: नवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है, जिसे वह पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं। हम यहां पर नवरात्रि पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में नवरात्रि के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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नवरात्रि पर निबंध | Essay on Navratri in Hindi

नवरात्रि पर निबंध (250 शब्द)

यह हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। इस त्यौहार को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्रि में लोग 9 दिन व्रत रखते हैं और आखिरी दिन मां की पूजा करके नौ कन्याओं को भोजन कराते हैं। यह त्यौहार अलग-अलग जगह पर अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। काफी जगह इस दिन लोग गरबा और डांडिया भी खेलते हैं। सब जगह मेले लगते हैं।

कहा जाता है कि इस पर्व के पीछे यह घटना है कि मां दुर्गा ने महिषासुर का 9 दिन के युद्ध के पश्चात वध किया था। इसी उपलक्ष में इस त्यौहार को पूरे 9 दिन तक मनाया जाता है।

नवरात्रि के दौरान हर तरफ मंगलमय आरती की गूंज होती है और पूरा वातावरण भक्ति के आनंद में डूबा रहता है। नवरात्रि के समय मंदिरों में बहुत ज्यादा भीड़ होती है। दूर-दूर से लोग अपनी कुल देवी के दर्शन करने आते है। नवरात्रि के समय लोग घर पर माताजी की चौकी या जागरण भी करवाते हैं। नवरात्रि पर देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और कन्याओं को हलवा पूरी का प्रसाद भी दिया जाता है।

गुजरात में लोग इस त्यौहार को सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाते हैं। महिलाएं और पुरुष पारंपरिक कपड़े पहन कर एक जगह इकट्ठा होकर डांडिया नृत्य और गरबा नृत्य का आयोजन करते हैं।

पश्चिम बंगाल में इस दिन का विशेष उत्सव मनाया जाता है। यहां पर विदेशी लोग भी आते हैं। अनोखे और तरह-तरह के पंडाल लगाए जाते हैं और देवी दुर्गा की मूर्ति की पूजा होती है। आखिरी दिन को रामनवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन कुछ लोग हवन इत्यादि भी करवाते हैं।

नवरात्रि पर निबंध (850 शब्द)

प्रस्तावना

नवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा की जाती है। कहां जाता है अगर सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा और उपासना की जाए तो वह उसका फल जरूर देती हैं क्योंकि मां अंबे के दिन काफी कठिन होते हैं और इसकी पूजा नियमों का पालन करते हुए करनी होती है।

नवरात्रि कब मनाई जाती है

हिंदू धर्म के अनुसार नवरात्रि 1 वर्ष में 4 बार आती है। चैत्र की नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि, गुप्ता नवरात्रि और पौष नवरात्रि। चैत्र नवरात्रि, का महीना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस नवरात्रि को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। यह नवरात्रि ज्यादातर अप्रैल के महीने में आती है।

वर्ष में होने वाले 4 नवरात्रों का अर्थ

चैत्र नवरात्रि

हिंदू कैलेंडर के हिसाब से यह नवरात्रि चैत्र के महीने में आती हैं। यह महीना अधिकतर मार्च या अप्रैल का होता है और आखिरी दिन रामनवमी के रूप में मनाया जाता है।

शारदीय नवरात्रि

यह नवरात्रि अक्टूबर एवं नवंबर के महीने में मनाई जाती है। इसमें भी मां दुर्गा के स्वरूपों की पूजा की जाती है। आठवें दिन बंगाली में दुर्गा अष्टमी के रूप में काफी महत्वपूर्ण तरीके से मनाई जाती है।

गुप्ता नवरात्रि

यह नवरात्रि जून एवं जुलाई के महीने में आती है। हिंदू महीने को आशा के रूप से नामित किया गया है। इन्हें गायत्री नवरात्रि भी कहा जाता है।

पौष नवरात्रि

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक यह नवरात्रि पौष के महीने में ही मनाई जाती है। आमतौर पर यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार दिसंबर व जनवरी में पड़ता है।

नवरात्रि में नौ देवी की पूजा

नव अर्थात नौ , रात्रि अर्थात रात, इसका मतलब होता है, नो रात को नौ देवियों की पूजा करना। हर दिन अलग-अलग मां दुर्गा के स्वरूप की पूजा की जाती है। जिसे नवदुर्गा भी कहा जाता है। आइए आपको इसके विशेष दिनों के बारे में बताते हैं और मां दुर्गा के नौ रूपों का वर्णन करते हैं।

शैलपुत्री

यह स्वरूप मां दुर्गा का पहला स्वरूप है। जिसे शैलपुत्री कहा जाता है, जो पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री बनकर उत्पन्न हुई थी। शैलपुत्री ने अपने दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प धारण किया हुआ है।

ब्रह्मचारिणी

यह मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ होता है, तप का आचरण करने वाली। ब्रह्मचारिणी की पूजा दूसरे दिन की जाती है। इन्होंने बाए हाथ में कमंडल और दाएं हाथ में जप की माला धारण की हुई है।

चंद्रघंटा

तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। चंद्रघंटा शांति प्रदान करने वाली व कल्याण करने वाली मां मानी जाती है। चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चांद बना हुआ है, इसीलिए उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है।

कुष्मांडा

यह मां दुर्गा का चौथा स्वरूप है। मां कुष्मांडा की आराधना करने से हमें सुख समृद्धि व उन्नति मिलती है।

स्कंदमाता

यह मां दुर्गा का पांचवा स्वरूप है। जिनकी नवरात्रि में पांचवे दिन पूजा की जाती है। स्कंदमाता कमल के फूल पर विराजित रहती हैं और सिंह स्कंदमाता का वाहन है।

कात्यायनी

यह मां दुर्गा का छठा स्वरूप है। छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है। यह महर्षि कात्यायन की कड़ी तपस्या के पश्चात उनकी पुत्री के रूप में उत्पन्न हुई थी।

कालरात्रि

सातवां स्वरूप कालरात्रि का माना गया है। कालरात्रि मां देखने में भयभीत कर देने वाली होती है, परंतु मां कालरात्रि अपने भक्तों पर सदैव शुभ फल देती हैं और यह ग्रहों का सुधार करती हैं।

महागौरी

यह मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है। इनकी आराधना आठवें दिन होती है। इस दिन को अष्टमी नाम से भी जाना जाता है।

सिद्धीदात्री

यह मां दुर्गा का नवा स्वरूप कहा गया है। यह अपनी आराधना करने वाले को सिद्धियां प्रदान करती हैं और यह नवरात्रि का अंतिम दिन होता है।

नवरात्रि कैसे मनाते हैं

इस पर्व को बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हर जगह शुद्धता और पवित्रता का एहसास होता है। नवरात्रि में माता के मंदिर में ज्योति जला कर भक्ति, भजन, कीर्तन करते हैं। जिससे मन प्रफुल्लित रहता है। 9 दिन माता के नौ स्वरूप की उपासना होती है। कुछ भक्त पूरे नौ दिन व्रत रखते हैं।

पहले दिन ही कलश की स्थापना की जाती है और अखंड ज्योति जलाई जाती है। इस अखंड ज्योति का पूरे 9 दिन तक ध्यान रखा जाता है। इसके पश्चात अष्टमी या नवमी के दिन कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह 9 कन्याएं माता रानी के स्वरूप ही कहलाती हैं।

नवरात्रि व्रत के नियम

  • नवरात्रि के नो दिन व्रत किए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है, कि यह 9 दिन बहुत ही पवित्र होते हैं और मां की पूजा करने में कोई भी भूल चूक नहीं होनी चाहिए।
  • पहले ही दिन कलश की स्थापना करके व्रत करने का संकल्प किया जाता है। मां अंबे की पूजा अर्चना सुबह -शाम की जाती है।
  • मां अंबे के प्रसाद को सभी में वितरित किया जाता है।
  • अधिकतर घरों में लोग भजन कीर्तन के साथ ही माता का जागरण भी रखते हैं।
  • नवरात्रि के व्रत में फलाहार ही किया जाता है। इसके पश्चात अष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं को भोजन कराया जाता है।
  • कुछ लोग आखिरी दिन पर हवन भी करवाते हैं क्योंकि वह 9 दिन की अखंड ज्योत जलाते हैं।
  • अखंड ज्योत मन्नत मांग कर जलाई जाती है। इस ज्योत में घी या सरसों का तेल प्रयोग किया जाता है और पूरे 9 दिन इस ज्योत का ध्यान रखा जाता है।

निष्कर्ष

मां दुर्गा की नौ स्वरूप की पूजा की जाती है। इस पूजा को करने का बहुत ही अधिक महत्व है। हर स्वरूप हमें कुछ ना कुछ सीख सिखाते हैं। अगर हम हमेशा सकारात्मक सोच रखें सभी का भला करें और अच्छे विचारों का पालन करें, तो माता रानी अपने भक्तों पर सदैव आशीर्वाद बनाए रखती हैं।

अंतिम शब्द

आज का आर्टिकल जिसमे हमने आपको  नवरात्रि पर निबंध ( Essay on Navratri In Hindi) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी आप तक पहुंचाई है। मुझे पूरी उम्मीद है की हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल से सम्बंधित कोई भी सवाल है। तो वह हमें कमेंट के माध्यम से पूछ सकता है।

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