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भगवान श्री राम पर निबंध

Essay On Lord Rama In Hindi: आज का हमारा आर्टिकल जिसमें हम भगवान श्री राम के निबंध के बारे में बात करने वाले हैं। आज के इस आर्टिकल में भगवान श्री राम पर निबंध के बारे में संपूर्ण जानकारी आप पहुंचाई जाएगी।

Essay On Lord Rama In Hindi
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भगवान श्री राम पर निबंध | Essay On Lord Rama In Hindi

भगवान श्री राम पर निबंध (200 शब्द)

भगवान श्री राम जो हिंदुओं के देवता माने जाते हैं। भगवान श्री राम जिनका जन्म अयोध्या के महाराजा दशरथ जी के वहां हुआ था। भगवान श्रीराम को आज भी हिंदू धर्म के लोग पूजते हैं। भगवान श्री राम द्वारा किए गए कार्य प्रशंसनीय थे। भगवान श्रीराम ने रावण का वध करके श्री लंका नगरी को राक्षस मुक्त किया था।

भगवान श्रीराम का जब जन्म हुआ तब आयोजन नगरी में खुशी की लहर दौड़ आई थी। भगवान श्री राम के पिता का नाम दशरथ जी और माता का नाम कौशल्या था। जब भगवान श्री राम को राजपाट सौंपने का समय आया तब रानी के कई के कहने पर राजा दशरथ ने उन्हें 14 साल का वनवास दे दिया। 14 वर्ष पूरे होने के पश्चात भगवान श्रीराम ने अयोध्या का राज पाट संभाला था।

इन्हीं 14 वर्ष के वनवास के दौरान माता सीता का हरण रावण ने किया था और उसके पश्चात भगवान श्रीराम ने रावण का वध करके उसे मार गिराया था। भगवान श्री राम की रामायण कथा आज के समय में टीवी सीरियल के माध्यम से भी एपिसोड के रूप में बताई जा रही है।

भगवान श्री राम पर निबंध (800 शब्द)

प्रस्तावना

भगवान श्रीराम को कौन नहीं जानता मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम श्री हरि विष्णु के 10 अवतारों में से सातवें अवतार वाले राम जी है। राम को हिंदू धर्म में सर्वश्रेष्ठ भगवान श्रेणीयो में गिना जाता है। भगवान राम का जन्म लोक कल्याण तथा आदर्श प्रस्तुत करने के लिए हुआ था।

आपने एक श्लोक तो सुना ही होगा जिस का हिंदी में मतलब होता है जो कण कण में बसे वही श्रीराम है। इसके अलावा आपने सनातन धर्म में भगवान श्रीराम के अनेक गाथाएं सुनी होगी। भगवान श्री राम की अनेक गाथाएं, जिनको महर्षि बाल्मीकि ने अपने महाकाव्य रामायण में संग्रहित किया हुआ है। इसके अलावा तुलसीदास ने श्री रामचरितमानस के माध्यम से किसको जनमानस में प्रचार कर दिया है।

राम नवमी

भगवान श्रीराम का जन्म त्रेता युग में चैत मास के नवमी को हुआ था। इसलिए सभी भक्त लोग इस दिन को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। श्री राम जी का जन्म वर्तमान उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में हुआ था। यह अयोध्या के राजा महाराज दशरथ के सबसे जेस्ट पुत्रों में से एक है।

बहुत जप तप के बाद महाराज को 4 संतानों को सुख मिला था। महाराज दशरथ के चार पुत्र थे, जिसमें श्री राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न थे। श्री राम की माता का नाम कौशल्या था तथा भरत की माता का नाम केकई और लक्ष्मण और शत्रुघ्न की माता का नाम सुमित्रा था।

बचपन

रामचंद्र जी बचपन से ही विनयशील थे, इनको पिता से अत्यधिक लगाव था या फिर आप यह भी कह सकते हैं कि महाराज दशरथ की सबसे बड़ी कमजोरी श्री रामचंद्र ही थे। यह महाराज दशरथ की आंखों के सामने एक पल के लिए भी ओझल नहीं होते थे। सौतेली माता कैकेई को यह सब से अत्यधिक प्रेम और स्नेह करते थे। राम जी के लिए तीनों माताएं एक समान थी। माता और पिता के अलावा वह अपने तीनों भाइयों से भी अत्यधिक प्रेम करते थे।

शिक्षा दीक्षा

रामचंद्र जी की प्रारंभिक शिक्षा मुनि के आश्रम से शुरू हुई, बचपन से ही प्रकर्मी थे। आगे चलते उन्होंने कई प्रकार के राक्षसों का वध किया था, उनमें से एक विशाल का राक्षस जो की लंका का राजा था। उनका संघार करके पृथ्वी को राक्षसों से मुक्त किया था।

राम जी का चरित्र

राम बचपन से ही दयालु और स्नेही थे। उनके अंदर मनोरम शिष्टाचार की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। राम जी अत्यन्त ही सरल स्वभाव वाले महापुरुष थे।

देवता के रूप में राम

भगवान श्री राम एक आदर्श पुत्र आदर्श पति पता सबसे अधिक आदर्श महाराजा के इसीलिए जनता की नजरों में इन्हें देवता की श्रेणी में रखा जाता है। हिंदुओं की मान्यता के अनुसार श्री राम त्रेता युग में रहते थे। तुलसीदास जी के महाकाव्य ने इनको और भी ज्यादा लोकप्रिय कर दिया था और नए भक्ति समूह मे भी कर दिया था।

सीता माता के साथ विवाह

उस समय के महान महर्षि विश्वामित्र श्री राम और लक्ष्मण को लेकर मिथिला नगरी में पधारे। मिथिला नगरी के राजा जनक अपनी सुपुत्री सीता के लिए एक स्वंवर का आयोजन कर रहे थे। चेंबर में महाराज दशरथ ने ये घोषणा की थी कि जो भगवान शिव का धनुष को दो भागों में विभाजित कर देगा, उसी से उनकी बेटी सीता का विवाह किया जाएगा।

ऐसा सुनकर बहुत से देश विदेश से राजा महाराजा अपनी अपनी ताकत दिखाने के लिए स्वमवर में उपस्थित थे। काफी कोशिशों के बाद जब उसकी धनुष को कोई उठा नहीं पाया तब श्री रामचंद्र जी ने धनुष के जो खंड खंड कर दिए और माता सीता ने श्री राम जी को वरमाला पहना दी।

निष्कर्ष

रामचंद्र जी को भगवान विष्णु का सातवां अवतार मानते हैं। अपने पृथ्वी पर राक्षस राजा रावण का वध करने के लिए पृथ्वी पर अवतरित होना पड़ा था। राम चन्द्र हिन्दू धर्म में लोकप्रिय देवताओं में से एक है।

अंतिम शब्द

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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