Essay On Lord Krishna In Hindi: आज का आर्टिकल जिसमें हम भगवान श्री कृष्ण पर निबंध के बारे में बात करने वाले हैं। इस आर्टिकल में आपको भगवान श्री कृष्ण पर निबंध के बारे में संपूर्ण जानकारी मिलने वाली है।
Read Also: हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध
भगवान श्री कृष्ण पर निबंध | Essay On Lord Krishna In Hindi
भगवान श्री कृष्ण पर निबंध (250 शब्द)
भगवान श्री कृष्ण के बारे में आप अवश्य जानते होंगे, पूरी दुनिया भगवान श्री कृष्ण के बारे में जानते हैं। भगवान श्री कृष्ण को विष्णु जी का दसवां अवतार माना जाता है। माना जाता है कि भगवान विष्णु जी ने जिस प्रकार से धरती पर पाप बढ़ते गए, उस प्रकार के अवतार लिए थे और भगवान विष्णु जी का दसवां अवतार जिस के रूप में भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया था।
भगवान श्री कृष्ण के पिता का नाम वासुदेव और माता का नाम देवकी था। भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद शुक्ला पक्ष की अष्टमी को हुआ और इस दिन को आज भी कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन दही की हांडी फोड़ कर कई प्रकार के खेलों का का आयोजन भी किया जाता है।
भगवान श्री कृष्ण का जन्म होने से पहले ही कंस को पता चल गया कि वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में भगवान श्री कृष्ण पैदा होंगे और कंस का वध भी उन्हीं के हाथों होगा। तब भगवान श्री कृष्ण के जन्म से पहले वासुदेव और देवकी जेल में बंद कर दिया था। भगवान श्री कृष्ण का जन्म होने के पश्चात उन्हें ग्वाला परिवार में भेज दिया और उनका लालन-पालन भी ग्वाला परिवार में ही हुआ।
भगवान श्री कृष्ण पर निबंध (800 शब्द)
प्रस्तावना
सबसे अधिक चंचल स्वभाव, मेक चैंबर्ड वाले श्री कृष्ण जी को कौन नहीं जानता। भगवान श्री कृष्ण को 108 नामों से विश्व भर में जाना जाता है। इंडिया में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। श्री विष्णु के 10 अवतारों में से आठवां अवतार श्री कृष्ण का था। इनके जैसे इनके जैसी मनमोहक कलाएं और लेला किसी भी देवता ने नहीं की है। श्री विष्णु के 10 अवतार (कूर्म, मत्स्य, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, गौतम बुध्द और कल्कि) थे।
हिंदू धर्म में श्री कृष्ण का जन्म बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुआ था। हिंदू धर्म में कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए व्रत अनुष्ठान आदि करते हैं। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में हुआ था। इनके पिता का नाम वासुदेव तथा माता का नाम देवकी था।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाते हैं?
क्योंकि इस दिन सिकेस्ट का जन्म हुआ था, इनका जन्म मध्य रात्रि में हुआ था। भगवान श्री कृष्ण के अंधेरे में पैदा हुए थे इसलिए लोग इस दिन दही हांडी जैसे आदि खेलों का आयोजन भी करते हैं।
कृष्ण का पालन पोषण
भगवान श्री कृष्ण का पालन पोषण एक ग्वाल परिवार में हुआ था। श्री कृष्ण अपना सारा समय जानवरों को चराने गोपियां को सताने और बांसुरी बजाने में व्यतीत करते थे। बचपन में श्री कृष्ण बहुत ही नटखट से कितने नटखट की कोई भी गोपी यदि उनकी माता यशोदा से शिकायत करती तुम माता यशोदा उस पर कभी भी विश्वास नहीं करती कि उनका लल्ला ऐसी शरारत कर सकता है।
श्री कृष्ण के भोले और सुंदर रूप को देखकर हर कोई पिघल जाता था और बिना किसी शिकायत किए वापस चली जाती थी।
राधा कृष्ण प्रेम
राधा बचपन से ही कृष्ण के मित्र या सहेली थी। राधा के साथ कृष्ण का जुड़ाव बहुत ही अलौकिक था। राधा देवी लक्ष्मी का ही स्वरूप थी। इनका प्रेम तो जगजाहिर था।
श्री कृष्ण का गोपियों संग रास
भगवान श्री कृष्ण और राधा तथा अन्य गोपियों के साथ वृंदावन में रास किया करते थे। इसका प्रमाण आज भी निधिवन में मौजूद है कहा जाता है। आज भी भगवान श्री कृष्ण और राधा रात के समय यहां पर अन्य गोपियों के साथ रास लीला रचाते हैं तथा सुबह होते ही वापस अपने गांव चले जाते हैं। निधिवन में बहुत सारी तुलसी की वृक्ष है जो रात्रि के समय गोपिया बनकर श्री कृष्ण साथ रास रचाते हैं।
कंस का वध
श्री कृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर मथुरा के राजा बने बहुत ही शक्तिशाली तथा दुष्ट प्रकृति का राजा था जो कि कृष्ण के मामा से इन्होंने बचपन से ही इनके पिता और माता को जेल में कैद कर दिया था। जेल में श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। कंस का वध करने के पश्चात अपने माता पिता को जेल से आजाद करवाया।
महाभारत का युद्ध
श्री कृष्ण अपने मामा कंस का वध करने के पश्चात मथुरा के राजा बने। कुरुक्षेत्र में लड़ाई के दौरान श्री कृष्ण का अहम भूमिका थी। श्री कृष्ण अर्जुन के रथ के सारथी बने तथा पांडव की तरफ से युद्ध करने का फैसला किया। हालांकि उन्होंने युद्ध नहीं किया था, बल्कि अर्जुन के रथ के सारथी बने थे।
श्री कृष्ण ने अर्जुन का मार्गदर्शन भी किया, क्योंकि अपने भाइयों को देखकर अर्जुन ने युद्ध करने से मना कर दिया था तब श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था। यह उपदेश आज विश्व भर में प्रसिद्ध है। कृष्ण के उपदेश के बाद अर्जुन युद्ध करने के लिए तैयार हो गए। अंत में पांडवों की विजय हुई और कौरवों की हार हुई।
कृष्ण लीला
भगवान श्री कृष्ण के जन्म से लेकर मरण तक की कहानी को कृष्ण लीला के रूप में जाना जाता है। कृष्ण लीला के कुछ एपिसोड भी टीवी सीरियल के माध्यम से बताए जाते हैं। जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ तब लोगों को अंदाजा नहीं था कि यह बालक भगवान श्रीकृष्ण है। सबसे पहले जब भगवान श्री कृष्ण को जेल से लालन पालन के लिए यशोदा के घर लेकर जाया जा रहा था तब नदी के उफान को कम करके भगवान श्री कृष्ण ने अपना पहला परचम दिखाया था।
भगवान श्री कृष्ण की लीला काफी रंगीन थी। भगवान श्री कृष्ण जो कि ग्वाला परिवार में पले बढ़े थे तो उनको गाय चराने का बहुत ज्यादा शौक था और गाय का माखन खाना भी बहुत पसंद था। बचपन में भगवान श्रीकृष्ण बहुत नटखट है और रोजाना गोपियों को परेशान करते थे। भगवान श्री कृष्ण की लीला रंगीन थी। भगवान श्री कृष्ण से 16 हजार से अधिक गोपियां प्यार करती थी। बचपन में भगवान श्री कृष्ण गोकुल नगरी में माखन चुराया करते थे। इसलिए उनका नाम माखन चोर पड़ गया।
निष्कर्ष
भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता में इंसानों के सभी दुखों के सार के बारे में बताया है। लेकिन परेशानी की बात यह है कि इसको कोई भी बेटी पढ़ता ही नहीं और इधर उधर परेशानियों से निबटने के लिए इधर उधर ढूंढता रहता है।
अंतिम शब्द
हमने यहां पर “भगवान श्रीकृष्ण पर निबंध(Essay On Lord Krishna In Hindi)” शेयर किया है। उम्मीद करते है कि आपको यह निबन्ध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह निबन्ध कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
यह भी पढ़ें: