Essay on Guru Nanak Jayanti in Hindi: नमस्कार दोस्तों, आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से कुछ गुरु नानक जयंती के बारे में जानकारी दें रहे है। गुरु नानक जयंती पंजाबी और सिख समुदाय के लोग मनाते हैं। इस दिन गुरु नानक देव का जन्म हुआ था। लोग इस दिन को प्रकाश उत्सव के रूप में मनाते हैं।
गुरु नानक देव का जन्म कब हुआ? उन्होंने लोगों के लिए क्या-क्या किया? इस धर्म की स्थापना किस प्रकार की? गुरु नानक देव जी के सिद्धांत और उद्देश्य क्या थे? आदि सभी सवालो के बारे में इस निबंध के माध्यम से आपको जानकारी देने जा रहे हैं।

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गुरु नानक जयंती पर निबंध | Essay on Guru Nanak Jayanti in Hindi
गुरु नानक जयंती पर निबंध (250 शब्दों में)
गुरु नानक देव की जयंती कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस दिन पंजाबी सिक्ख समुदाय के लोग सुबह से ही प्रभात फेरियां निकलते है और गुरुद्वारों में कीर्तन, लंगरों का आयोजन करते हैं। इस दिन को प्रकाश पर्व भी कहा जाता है, क्योंकि पंजाबी धर्म के मुख्य अनुयाई गुरु नानक देव का जन्म इस दिन हुआ था।
गुरु नानक देव जी को बहुत से अपने जीवन में महान कार्य करने के लिये जाना जाता है। गुरु नानक देव ने हमारे पूरे संसार में शांति, सद्भावना, सच्चाई और आपसी भाईचारे का तथा लोगों को अच्छी-अच्छी शिक्षा देने के लिए गुरुनानक जी को हमेशा याद किया जाता है। इसके अलावा उन्होंने पंजाबी सिख समुदाय की नीव को रखा था। इसका श्रेय भी गुरु नानक जी को दिया जाता है।
गुरु नानक देव पूरी दुनिया को अपने उद्देश्य और सिद्धांत बताने के लिए अपने घर तक का त्याग कर दिया, उन्होंने एक सन्यासी का भेष धारण कर लिया। अपने उद्देश्यों ओर सिद्धांत के द्वारा गुरु नानक देव ने कमजोर लोगों की बहुत मदद की। इसके साथ गुरु नानक देव ने मूर्ति पूजा और धार्मिक अंध-विश्वासों के खिलाफ अपने प्रचार को बहुत आगे तक बढ़ाया। उन्होंने अपने विचारों को फैलाने के लिए बहुत से हिंदू तीर्थ स्थान और मुस्लिम तीर्थ स्थानों की भी यात्रा की और अपने विचारों को प्रचार कर लोगों को इसके प्रति जागरूक भी किया।
गुरु नानक जयंती पर निबंध (1200 शब्दों में)
प्रस्तावना
सिख समुदाय के पहले गुरु के रूप में गुरु नानक देव जी को जाना जाता है। गुरु नानक देव जी ने ही सिख समुदाय की नीव को स्थापित किया था। गुरु नानक देव को ‘बाबा नानक देव’ और ‘नानक साहेब’ के नाम से भी जाना जाता है। गुरु नानक देव ने अपने उद्देश्य, सिद्धांतों के लिए अपने जीवन की यात्रा का 25 साल प्रचार किया। उन्होंने उद्देश्य और सिद्धांतों का बढ़-चढ़कर प्रचार प्रसार भी किया और आखिर में अपनी यात्रा को उन्होंने करतारपुर नाम के गांव में खत्म कर दिया था।
उसके बाद से वह अपनी आखिरी सांस तक करतारपुर गांव में रहने लगे। बचपन से ही ये सिक्ख मिशन में जुड़ गए थे। इन्होंने सिख समुदाय के लिए बहुत काम किए जगह-जगह धर्मशालाएं बनवाई और सिक्ख समुदायों का गठन भी किया। सिख धर्म हमारे हिंदू धर्म से निकली हुई एक शाखा है।
गुरु नानक देव जी का जन्म और पारिवारिक विवरण
सिख धर्म के प्रथम गुरु और संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में कार्तिक की पूर्णिमा के दिन भारत के पंजाब जिले के तलवंडी (यह हिस्सा अब पाकिस्तान में है) गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम बाबा कालु चंदू वेदी था। इनके पिता उस गांव के राजस्व प्रशासन अधिकारी के पद पर काम करते थे। इनकी माता का नाम त्रिपति था। वह बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी।
गुरु नानक देव जी का जन्म एक संपन्न परिवार में ही हुआ था। गुरु नानक देव जी का 16 साल की उम्र में विवाह हो गया था। विवाह के बाद इनके यहां दो पुत्र श्रीचंद और लक्ष्मी दास का जन्म हुआ। पुत्रों के जन्म लेने के बाद इन्होंने अपना घर परिवार पूरी तरह से छोड़ दिया था और अपने उद्देश और सिद्धांतों के प्रचार के लिए निकल पड़े हैं।
कम उम्र में ही सांसारिक मोह माया से दूर हो गए
गुरु नानक देव को बचपन से ही सांसारिक मोह माया में कोई रुचि नहीं थी। उनके पिता ने ऐसे बहुत प्रयास किए कि कैसे भी गुरु नानक देव का सांसारिक मोह माया में मन लगे और वह अपने व्यापार में आगे बढ़े, लेकिन उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया। एक बार का किस्सा ऐसा हुआ, इससे उनके पिता की आंखें खुल गई और उन्होंने मान लिया आपसे गुरु नानक हो, इस संसार की मोह माया से कोई लेना देना नहीं है।
एक बार की बात है कि गुरु नानक देव को उनके पिता ने कुछ रुपए दिए और व्यापार करने के लिए उनको गांव से बाहर भेजा। लेकिन गुरु नानक जी को रास्ते में कुछ साधु मिल गए। उन सभी साधुओं को भूख लगी थी तो गुरु नानक देव ने उन साधुओं को अपने पैसे से भोजन करवा दिया और वापस लौट कर अपने गांव आ गए। उनके पिता ने पूछा कि तुम इतना लेट क्यों हो गए तो गुरु नानक देव ने अपने पिता से कहा कि वह सच्चा सौदा करके आए हैं।
गुरु नानक देव की इस बात में पूरी सच्चाई थी कि वह इस संसार के लिए कुछ नहीं करना चाहते थे। गुरुनानक देव सभी को अध्यात्म की दृष्टि देखते थे। वो वही काम करते थे, जो उनको इस सांसारिक मोह माया से अलग लगे। लोगों के साथ उनके परिवार वालों ने उनको सांसारिक मोह माया में डालने की बहुत कोशिश की पर वो सभी अपने प्रयासों में असफल रहे।
गुरु नानक जयंती पर सामुहिक आयोजन
इस प्रकाश पर्व के दिन सिक्खों के पवित्र ग्रंथ में “गुरु ग्रंथ साहिब” को गुरुद्वारे में पढ़ा जाता है। वहां पर दीपक भी जलाए जाते हैं और गुरुद्वारे में दोपहर का भोजन भी पकाया जाता है। सभी गुरुद्वारों में बड़े-बड़े लंगर का भी आयोजन किया जाता है और सिक्ख समुदाय के लोग खड़ा प्रसाद खाकर आनंद प्राप्त करते हैं।
इसके बाद सभी लोग एक पंक्ति में बैठकर भोजन करते हैं, उसको लंगर भी कहा जाता है। गुरु पर्व के दिन बहुत बड़े जुलूस निकाले जाते हैं। उनमें खेलों का, कुछ झांकी और खास तौर पर पंज प्यारे के जुलूस निकलते हैं।
गुरु नानक देव जी के सिद्धांत क्या है?
गुरु नानक देव के सिद्धांत आज भी मौजूद है। उनके अनुयायी आज भी उनके द्वारा दिये गए सिद्धांतों पर चल रहे हैं और उनका सभी लोगों को उन पर चलने की शिक्षा भी दे रहे हैं। गुरु नानक देव जी के सिद्धांत निम्न है:
- ईश्वर एक है। इस सत्य को कोई भी धर्म नहीं झुठला सकता है।सभी धर्म इस बात को मानते है क्योंकि सभी धर्मों में ईश्वर को एक माना है।
- ईश्वर का दर्शन आप हर जगह कर सकते हो, वह इस संसार के सभी मनुष्य, जीव-जंतु, पेड-पौधे आदि सभी सजीवों में दिखाई देता है।
- जो भी मनुष्य भगवान की शरण में रहता है, उसको किसी से भी डरने की अर्थात किसी प्रकार का डर उसके मन में नहीं रहना चाहिए।
- सभी लोगों को सच्चे मन से और पूरी निष्ठा के साथ भगवान की पूजा करनी चाहिए।
- मनुष्य को किसी भी जीव जंतुओं को परेशान नहीं करना चाहिए और ना ही उनको मारना चाहिए।
- भगवान की नजर में स्त्री और पुरुष दोनों एक समान है।
- मनुष्य को अपने जीवन में स्वस्थ और निरोगी रहने के लिए अच्छा खाना खाना चाहिए तथा उसको कभी लालची, लोभी, क्रोधी नहीं बनना चाहिए।
गुरु नानक देव के विचार एवं जीवन के उद्देश्य
गुरु नानक देव जी के विचार और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों को सुनकर सभी लोग उनका पालन भी करते थे। वह सभी लोगों को ईश्वर की भक्ति में विश्वास करने के लिए कहते थे, उनका जीवन बहुत सादगी पूर्ण रहा था। गुरु नानक देव मूर्ति पूजा में बिल्कुल विश्वास नहीं करते थे। उन्होंने अपने इन आध्यात्मिक विचारों के द्वारा लोगों को अपने ज्ञान और विचार से बहुत प्रभावित किया। उन्होंने हमेशा सभी लोगों को एक सही रास्ता दिखाया।
गुरु नानक देव सभी गरीबों और जो भी जरूरतमंद लोग हैं, उन सभी की मदद के लिए हमेशा आगे रहते थे। इसीलिए लोग उनके सभी उपदेशों को बहुत सरलता से समझते थे और उनका पालन भी करते थे। गुरु नानक देव सभी मनुष्य को एक समान रखते थे। किसी में कोई भेदभाव या फर्क नहीं समझते थे।
समाज की गंदी सोच बदलने और अन्याय के खिलाफ लगा दी अपनी जिंदगी
गुरु नानक देव ने समाज को सुधारने के लिए अपनी पूरी जिंदगी लगा दी। वो लोगों के पथ प्रदर्शक भी बने, लेकिन समाज के जो भेदभाव हो रहा था, उससे वह बहुत परेशान थे। इन सभी बुराइयों को और समाज मे व्याप्त गरीबी, भूखमरी को मिटाना चाहते थे। सभी लोगों को ईश्वर का बच्चा समझते थे। उनका प्रमुख लक्ष्य सभी लोगों की सच्चे मन से सेवा करना था। इन सभी में वह बहुत खुश रहे थे।
उस समय समाज में अनेक अंधविश्वास और सामाजिक कुरीतियां बढ़ रही थी। उन सभी को समाज से गुरुनानक देव जी दूर करना चाहते थे। गुरु नानक देव ने देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी जाकर लोगों को प्रेम का संदेश दिया और सभी को शांति का मार्ग भी दिखाया। इन सब समाज की गंदी सोच रखने वाले लोगों और अन्याय के खिलाफ गुरु नानक देव ने अपनी पूरी जिंदगी लोगों को सुधारने में लगा दी। उनके उपदेशों को सुनकर लोग इतने प्रभावित हो जाते थे और उनके भक्त बन जाते थे।
गुरु नानक देव जी की मृत्यु
गुरु नानक देव को देश विदेशों में प्रचार करने के बाद अंत में वो करतारपुर (वर्तमान में यह अब पाकिस्तान में है) में आकर रहने लगे, उन्होंने अपना पूरा जीवन इसी गांव में निकाल दिया। इसके बाद 22 सितंबर 1539 को इनकी मृत्यु करतारपुर में ही हो गई। करतारपुर में स्थित गुरुद्वारा सिक्खों का सबसे बड़ा तीर्थ स्थान है।
निष्कर्ष
गुरु नानक देव की तीन बड़ी शिक्षाएं खुशहाली से जीवन जीने का मंत्र सिखाती हैं। पहली शिक्षा नाम जपो, दूसरी कीरत करो और तीसरी वंड छको। ये शिक्षा मनुष्य के कर्म से जुड़ी हैं। इसके अलावा उन्होंने अपने उपदेश और सिद्धांतों के आधार पर हिंदू मुसलमानों को भी एक करने की बहुत कोशिश की।
गुरु नानक देव ने अच्छा और सही समाज बनाने की भी पूरी कोशिश की। उनके विचारों के द्वारा लोगों को सही रास्ता दिखाने में मदद मिली, इसीलिए आज लोग उनको पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजते हैं।
अंतिम शब्द
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