Essay on Shri Ram in Hindi: “रमणे कणे कणे इति रामः” जो कण-कण में बसे, वही राम है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से सातवें अवतार थे। भगवान श्री राम त्याग, करुणा और समर्पण के प्रतीक है। मर्यादा, धैर्य, पराक्रम और विनम्रता का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण भगवान श्री राम है।
भगवान श्री राम के जीवन की अनुपम गाथाओं को महर्षि वाल्मीकि ने बहुत ही खूबसूरत ढंग से रामायण में प्रस्तुत किया है। हर एक बालक को भगवान श्री राम के जीवन गाथा से अवगत कराने के लिए विद्यालयों में उन्हें भगवान श्री राम पर निबंध (shri ram essay in hindi) लेख दिया जाता है।
यहां पर भगवान श्री राम पर निबंध (essay on ram in hindi) शेयर कर रहे हैं। यह निबन्ध बहुत ही सरल भाषा में अलग अलग शब्द सीमा में लिखे गये है, जो विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होंगे।
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भगवान श्री राम पर निबंध (250 शब्द)
अविश्वसनीय परमार्थी गुणों से संपन्न भगवान श्री राम अदम्य साहस और पराक्रमी राजा थे। भगवान श्री राम अयोध्या के राजा थे, जिन्हें भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से एक माना जाता है। भगवान श्री राम का जन्म अयोध्या के राजा दशरथ के यहां कौशल्या की कोख से हुआ था।
राजा दशरथ की तीन पत्नियाँ थी, जिनमें कौशल्या सबसे बड़ी थी। उसके बाद सुमित्रा और केकई थी। भगवान श्री राम के तीन भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। वे अपने तीनों भाइयों से बेहद ही प्यार करते थे, इसीलिए अपने भाई भरत के लिए अयोध्या छोड़ वनवास चले गए थे।
भगवान श्री राम का शिक्षा दीक्षा उनके तीनों भाइयों के साथ ऋषि वशिष्ठ के आश्रम में पूरी हुई थी। उनका विवाह मिथिला की राजकुमारी राजा जनक की पुत्री मां सीता से स्वयंवर के दौरान हुआ था।
पिता के द्वारा कैकई को दिए वचन का लाज रखने के लिए भगवान श्री राम 14 वर्ष के वनवास पर गए थे। उस समय उनके साथ मां सीता और उनके भाई लक्ष्मण भी थे। वनवास के दौरान लंका का राजा रावण सीता का अपहरण कर लंका ले गया।
भगवान श्री राम वानर सेना की मदद से लंका पहुंचते हैं और रावण का वध करके धरती को पाप मुक्त करते हैं। जिस दिन भगवान श्री राम रावण का वध किया था, उह दिन को आज दशहरे के रूप में मनाया जाता है।
14 वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद भगवान श्री राम माता सीता और लक्ष्मण के साथ पुनः अयोध्या आते हैं। यहां पर उनका राज्याभिषेक किया जाता है और इस प्रकार से वे अयोध्या राज्य का कार्य भार संभालते हैं। उनके दो पुत्र लव और कुश थे।
भगवान श्री राम एक आदर्श पुत्र थे, अच्छे गुणों के प्रत्येक पहलू में वे श्रेष्ठ प्रतीक हैं। हमेशा उन्होंने विद्वानों, गुरु जनों का सम्मान किया। अपने भाइयों से प्यार किया। एक राजा के रूप में उन्होंने अपने सभी कर्तव्य निभाएं।
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प्रस्तावना
हिंदू देवता भगवान श्री राम जो कि भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं, शिष्टाचार और सदाचार के प्रतीक हैं, नैतिकता के उदाहरण है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम एक सिद्ध पुरुष थे, जिन्होंने धरती पर रावण जैसे दुष्कर्मियों का नाश करने के लिए अवतार लिया था।
भगवान श्री राम का जन्म
जब धरती पर पाप बढ़ने लगा तब ब्रह्मा जी के कहने पर भगवान विष्णु मानव रूप में अयोध्या के राजा दशरथ के यहां जन्म लेते हैं। राजा दशरथ की तीन रानियां थी, कौशल्या, कैकई और सुमित्रा।
भगवान श्री राम कौशल्या के कोख से जन्म लिया था। तीनों रानियां ने एक ही दिन चार पुत्रों को जन्म दिया था, जिनका नाम भगवान श्री राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न रखा गया।
भगवान श्री राम बचपन से ही सह्दयी और विनयशील थे। वे अपने पिता के बेहद ही करीब थे लेकिन अपनी माता में वे अपनी सगी मां कौशल्या से भी ज्यादा कैकई के लाडले थे।
भगवान श्री राम की शिक्षा दीक्षा
भगवान श्री राम की शिक्षा दीक्षा उनके तीनों भाई लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के साथ गुरु वशिष्ट के आश्रम में हुई। बचपन से ही भगवान श्री राम बहुत ही पराक्रमी और ज्ञानी थे।
भगवान श्री राम का विवाह
एक बार महर्षि विश्वामित्र भगवान श्री राम और लक्ष्मण दोनों भाई के साथ मिथिला पधारते हैं। वहां पर वहां के राजा जनक अपनी बड़ी पुत्री राजकुमारी सीता के लिए स्वयंवर का आयोजन करते हैं।
वह एक प्रतियोगिता होती है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के राजा राजकुमारी को जीतने के लिए अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हैं। राजा जनक भगवान शिव के परम भक्त थे, उन्हें आशीर्वाद स्वरुप शिव धनुष मिला था।
उस स्वयंवर की उन्होंने शर्त रखी थी कि जो भी भगवान शिव के विशाल धनुष को उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा, उसी की शादी मां सीता से होगी। लेकिन उस स्वयंवर में उपस्थित कोई भी राजा धनुष को टस से मस न कर सका।
राजा जनक अत्यंत व्याकुल हो उठते हैं कि क्या इस धरती पर कोई ऐसा शूरवीर नहीं, जो इस धनुष को हिला सके। इतने में ही विश्वामित्र भगवान श्री राम को अपनी वीरता दिखाने का आग्रह करते हैं।
भगवान श्री राम गुरु का आशीष लेकर तुरंत धनुष को उठाकर प्रत्यंचा चढ़ा देते हैं। इस तरह भगवान श्री राम का विवाह उसी क्षण मां सीता से हो जाता है।
भगवान श्री राम का वनवास
राजा दशरथ के चारों पुत्रों का विवाह होने के बाद भगवान श्री राम को अयोध्या का राजा बनाने का उन्होंने निर्णय लिया। जब यह बात कैकई के कानों में पहुंची तो मंथरा के भड़काने के कारण कैकई ने राजा दशरथ को अपने पुत्र भरत को राजा बनाने और भगवान श्री राम को 14 वर्ष के वनवास की अपनी इच्छा पूरी करने को कहा।
चूँकि राजा दशरथ अपने वचन से बंधे हुए थे, जिसके कारण उन्हें दिल पर पत्थर रखकर भगवान श्री राम को वनवास के लिए विदा करना पड़ा। भगवान श्री राम के साथ मां सीता और लक्ष्मण भी उनके साथ वनवास गए थे।
मां सीता का हरण
एक बार वनवास के दौरान रावण की बहन सूर्पनखा एक खूबसूरत राजकुमारी का रूप धारण करके भगवान श्री राम के पास विवाह का प्रस्ताव रखती है कि उस समय लक्ष्मण क्रोध में आकर उसकी नाक काट देते हैं।
अपनी बहन की बेज्जती का बदला लेने के लिए रावण छल पूर्वक माता सीता का हरण कर लंका ले जाता है। भगवान श्री राम मां सीता के खोज में निकल पड़ते हैं। इस खोज में उनकी मुलाकात उनके परम भक्त हनुमान से होती है।
हनुमान की मदद से भगवान श्री राम को अन्य वानर सेना का मदद मिलती है, जिनके जरिए वे रामसेतु बनवाते हैं और लंका तक पहुंच जाते हैं।
आठ दिनों के युद्ध के पश्चात भगवान श्री राम रावण का वध करके मां सीता और भाई लक्ष्मण सहित अयोध्या वापस आते हैं। अयोध्या में उनका राज्याभिषेक होता है और इस तरीके से वे अयोध्या का राजा बन जाते हैं।
उपसंहार
भगवान श्री राम के जीवन से हमें एक आदर्श मानव बनना, माता-पिता की आज्ञा का पालन करना, गुरुओं का सम्मान करना, अपने छोटे भाइयों के प्रति स्नेह रखना, धैर्य रखना और नियति को स्वीकार करना जैसे जीवन मूल्य सीखने को मिलता है।
अगर हर एक मनुष्य भगवान श्री राम के आदर्शो पर चले तो कभी कोई मानव किसी दूसरे मानव का दुश्मन नहीं होगा।
निष्कर्ष
यहां पर हमने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम पर निबंध (Essay on Shri Ram in Hindi) पर निबन्ध शेयर किया है। उम्मीद करते हैं आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरुर करें।