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अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर निबंध

Essay on International Girls Day in Hindi: लड़कियों को आज भी उतना महत्व नहीं दिया जाता जितना लड़कों को दिया जाता है। बालिका दिवस समानता के लिए मनाया जाता है। ताकि सभी लड़के और लड़कियों को सामान माना जाए। आइए जानते हैं, इसके बारे में कुछ रोचक बातें की क्यों मनाया जाता है?  हम यहां पर अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर निबंध के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर निबंध | Essay on International Girls Day in Hindi

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर निबंध (250 शब्द)

11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। सबसे पहले यह 2012 में बनाया गया था। इसकी शुरुआत यूनाइटेड नेशंस के द्वारा की गई थी। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का सबसे बड़ा उद्देश्य यह था, कि लड़कियों को एक समान अधिकार मिले और उनके लिए भी नए नए अवसर पैदा हो, जिससे लड़कियां भी वृद्धि कर सकें।

आज के समय में भी लड़कियों के साथ भेदभाव किया जाता है, परंतु यह भेदभाव नहीं करना चाहिए, क्योंकि उन्हें भी लड़कों की तरह बेहतर जीवन जीने का और अपनी मनमर्जी से जीने का पूर्ण अधिकार है। लड़कियों की संख्या बहुत ही कम होती जा रही है, और समाज में लिंग और समानता दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। इसी को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी।

समाज में लड़कियों को भी वही सारे अधिकार मिलने चाहिए जितने सब लड़कों को दिए जाते हैं। हमेशा से यही देखने को मिलता है, कि लड़कों की अपेक्षा लड़कियों को हमेशा से ही कम समझा गया है, और उनके साथ हमेशा से ही भेदभाव किया जाता रहा है।

समाज की अब से यही कामना है, कि वह लड़कियों को भी समान रूप से शिक्षा, पोषण, कानूनी अधिकार, चिकित्सा, सभी चीज में बराबरी का अधिकार दे सके। उन्हें भी एक स्वच्छ वातावरण दे सके। उनके प्रति भेदभाव और हिंसा को खत्म करें। बाल विवाह, भ्रूण हत्या इत्यादि को खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर निबंध (1200 शब्द)

प्रस्तावना

हर वर्ष 11 अक्टूबर अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस संपूर्ण विश्व भर में मनाया जाता है। सबसे पहले इस अभियान की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान की गई थी। अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने का सबसे मुख्य कारण यही है कि लोगों को इस बात से जागरूक कराया जाए कि लड़कियों को समाज में उतना ही सम्मान मिलना चाहिए जितना लड़कों को दिया जाता है।

जिस तरह से लड़कों को संपूर्ण अधिकार दिया जाता है, उतना ही अधिकार लड़कियों को भी देना चाहिए। उन्हें भी हर प्रकार की शिक्षा और हर चीज के लिए संपूर्ण अधिकार मिलना चाहिए। हर लड़की उसी तरह से अपनी बात रख सके और हर अन्याय के खिलाफ आवाज उठा सके। इन्हीं सब कार्यों के लिए इस जागरूक अभियान को शुरू किया गया।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस संपूर्ण विश्व भर में संचालित एक गैर सरकारी संगठन द्वारा किया गया था, जो कि अंतरराष्ट्रीय योजनाओं की परियोजनाओं का ही स्वरूप है। इसे विश्व स्तर पर और विशेष रूप से विकासशील देशों में लड़कियों को पोषण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाई जाती है।

सबसे पहले कनाडा की एक महिला मंत्री रोना एंब्रोस 19 दिसंबर 2011 को बालिकाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस को औपचारिक रूप में देने के लिए उन्होंने प्रस्ताव रखा था। जो कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के अंतर्गत रखा गया था। उसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे 11 अक्टूबर 2012 को स्वीकृति प्रदान की थी। इसके पश्चात 11 अक्टूबर को हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाने लगा। 2012 से पहले भी अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता था। उस समय सिर्फ बाल विवाह को समाप्त करने के लिए मनाया गया था।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का उद्देश्य

लड़कियों के लिए बहुत ही आवश्यक है, कि वह सशक्त सुरक्षित और बेहतर जीवन जी सकें बालिकाओं को भी जीवन की हर सच्चाई और कानूनी अधिकारों से अवगत कराना चाहिए। उन्हें इस बात की जानकारी भी देनी चाहिए कि उनके पास भी अच्छी शिक्षा पोषण और स्वास्थ्य देखभाल इन्हीं सभी का संपूर्ण अधिकार बराबर से है।

सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि विभिन्न प्रकार के सामाजिक भेदभाव और शोषण को समाज से पूरी तरह से हटा देना चाहिए। जिसकी वजह से रोजाना ना जाने इन सब चीजों का कितनी लड़कियों को सामना करना पड़ता है और परेशानी उठानी पड़ती है।

जीवन में अधिकार और सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए लड़कियों के लिए अलग से कानून बनाए गए हैं। “घरेलू हिंसा की धारा 2009”, “बाल विवाह रोकथाम एक्ट 2009”, “दहेज रोकथाम एक्ट 2006” यह सब कानून लड़कियों के लिए बनाए गए हैं और इन्हीं सब कानूनों से लड़कियों को अवगत कराना चाहिए।

कुछ रिपोर्ट से यह पता चलता है कि पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा बाल विवाह बांग्लादेश में होते थे और इसके बाद दूसरे नंबर पर भारत है। भारत में बाल विवाह के मामले सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल बिहार और तीसरा झारखंड में देखने को मिलता है।

बाल विवाह की वजह से बालिकाओं का शारीरिक और मानसिक विकास पूरी तरह से नहीं हो पाता है, और वह अपनी जिम्मेदारियों को भली प्रकार नहीं निभा पाते हैं। जिसके चलते उन पर अत्याचार किए जाते हैं, और उन्हें पूरे जीवन बॉस की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य यही है, कि दुनिया भर में लड़कियों के अधिकारों का जश्न मनाया जाए और उनकी वकालत करने के लिए इस दिन को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाए। दुनिया के कई देश जैसे कि कनाडा ऑडिटोरियम, ब्रिटिश कोलंबिया लैबराडोर और भारत के प्रतिष्ठित इमारतों और दलों पर गुलाबी रंग से इन्हें सजाया जाता है और चमकाया जाता है।

पूरे विश्व में कई देशों में बालिकाओं की समृद्धि और विकास के लिए बेहतर योजनाएं लागू की गई है। भारत जैसे विकासशील देश में भी बालिकाओं के प्रति समाज में बदलता हुआ व्यवहार देखने को मिल रहा है। समाज में अब उनकी स्थिति में सुधार होने लगा है। भारत सरकार द्वारा इसके लिए कई योजनाएं भी चलाई गई हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत

इस योजना के तहत लिंग पक्षपातपूर्ण गर्भपात जैसी सामाजिक बीमारियों से बालिकाओं को बचाना था, और पूरे देश में बालिकाओं को शिक्षा के लिए प्रेरित करना। लोगों को इसके लिए जागरूक करना इस योजना के तहत सबसे बड़ा उद्देश्य योजना का यही था।

यह योजना में सबसे ज्यादा उन्ही लोगों पर लागू की गई थी, जिनमें पुरुषों की तुलना में कम लिंग अनुपात यानी कम महिलाएं बच्चों को मान्यता दी गई थी। इसके पश्चात इसका विस्तार देश के अन्य हिस्सों में भी किया गया था।

बालिका समृद्धि योजना के तहत

इस योजना के तहत उन लड़कियों और उनकी माताओं को वित्तीय सहायता प्रदान की गई थी, जो कि गरीबी रेखा के नीचे आते हैं। यह योजना छात्रवृत्ति योजना के चलते चलाई गई थी।

बालिका समृद्धि योजना के तहत समाज में उनकी स्थिति में सुधार करना था। लड़कियों की विवाह योग्य आयु में वृद्धि करना भी इसी में सम्मिलित था। इसी के साथ स्कूल में लड़कियों का नामांकन भी बहुत ही आवश्यक था।

इस योजना का सबसे बड़ा उद्देश्य यह था, कि जन्म के बाद बालिका की मां को ₹500 प्रदान किए जाते हैं, और बालिका के स्कूल जाते समय ₹300 से ₹1000 तक की छात्रवृत्ति देकर उनकी सहायता की जाती है।

सीबीएसई योजना के तहत

यह योजना लड़कियों के लिए सीबीएसई योजना केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के माध्यम से इस योजना को शुरू किया गया था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह था, कि पूरे भारत में प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग और तकनीकी कॉलेज में लड़कियों के नामांकन की वृद्धि करना बहुत ही आवश्यक हो गया था।

इस योजना के तहत जो समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की छात्राओं के विशेष ध्यान के साथ सीखने के अनुभव को पूरी तरह से समृद्ध करने के लिए प्रेरित किया गया था।

इस योजना के तहत 11वीं और 12वीं की कक्षाओं के लिए मुफ्त पाठ्यक्रम सामग्री ऑनलाइन संसाधन, जैसे वीडियो अध्ययन मटेरियल छात्रों के लिए सबसे ज्यादा फेमस और फोकस किया गया था। इसके अलावा मेधावी छात्राओं के लिए सीखने और सलाह देने के भी कई अवसर प्रदान किए गए थे।

निष्कर्ष

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। समाज और सरकार के द्वारा हर प्रयास हर कोशिश की जाती है, जिससे लड़कियों को समान अधिकार मिल सके और वह भी लड़कों की तरह सभी प्रकार के अवसर प्रदान कर सकें। इसीलिए अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस को बहुत ही अधिक महत्व दिया गया है।

अंतिम शब्द

दोस्तों, आज हमने इस लेख में आपको अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर निबंध ( Essay on International Girls Day in Hindi) के बारे में बताया है। जिसके चलते लड़कियों को समान अधिकार मिल सके। इसलिए इस अभियान को चलाया गया। आशा करते हैं, आपको यह लेख पसंद आया होगा। अगर आपको इससे संबंधित कोई भी जानकारी चाहिए, तो आप कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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