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अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर निबंध

Essay on International Non Violence Day in Hindi:जब भी अहिंसा का नाम सामने आता है, तब सबसे पहले गांधी जी का यह नाम याद आता है, क्योंकि अहिंसा की राह पर चलने वाले गांधी जी को हमेशा ही याद किया जाता है। गांधीजी अपने उसूलों के बहुत ही पक्के थे, इसीलिए वह हमेशा अहिंसा और सत्य की राह पर ही चलते थे। हम यहां पर अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

Essay on International Non Violence Day in Hindi

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अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर निबंध | Essay on International Non Violence Day in Hindi

अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर निबंध (250 शब्द)

मानव जाति का सबसे बड़ा मूलाधार है। अहिंसा इसको योग का प्रथम अंग भी माना गया है। योग की शुरुआत ही अहिंसा से होती है क्योंकि अगर मनुष्य जाति में अहिंसा का भाग नहीं देख सकते हैं, तो उसका आगे बढ़ना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। जिस प्रकार हमारे देश में कई ऐसे लोग और नेता हुए जिन्होंने भारत देश को आजादी दिलाई उन्होंने सिर्फ सत्य और अहिंसा का ही मार्ग अपनाया था और एक नया इतिहास रचा।

अहिंसा का मतलब होता है हिंसा ना करना अर्थात किसी को भी परेशान ना करना और मार पिटाई ना करके किसी को दुख नहीं पहुंचाना। महात्मा गांधी हमारे देश के राष्ट्रपिता है। जिनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था। वह बहुत ही अहिंसा वादी व्यक्ति थे, और एक ऐसे नेता के रूप में उभरे जिन्होंने सत्य और अहिंसा की ताकत को सबके सामने प्रस्तुत किया था। उनका जन्म दिवस यह अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

गांधी जी ने बताया हिंसा के तीन रूप होते हैं और यह भी कहना था कि सत्य सर्वोच्च कानून है। सत्य से हम हर प्रकार की जीत हासिल कर सकते हैं, और अहिंसा सर्वोच्च कर्तव्य है और हमें अहिंसा के साथ ही रहना चाहिए किसी को दुख पहुंचा कर हम सुखी नहीं रह सकते हैं।

अहिंसा एक ऐसी बुराई है, जिसको देखने के पश्चात लोगों का सच्चाई पर से मन उठ जाता है। इसीलिए हमें चाहिए कि हम अहिंसा को ही अपना अहिंसा का पाठ हमेशा गलत ही होता है, और उस पर चलने वाला व्यक्ति भी गलत ही माना जाता है।

अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर निबंध (1200 शब्द)

प्रस्तावना

आज के समय में हिंसा इतनी अधिक बढ़ गई है कि जानवरों की छोड़ो मनुष्य को काटने से पहले भी कोई नहीं सोचता है। ऐसे में देखा जाए तो आने वाली पीढ़ी में फिर भी ऐसा ही रह गई है। अहिंसा का तो कहीं अस्तित्व ही नहीं है।देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का कहना था कि सत्य एवं अहिंसा में बहुत बल होता है

कहा जाता है काम ना होने पर उंगली टेढ़ी करना मतलब हिंसा में एक ऐसी शक्ति होती है, जो किसी भी कार्य को तत्पर करवा देती है। ऐसा व्यक्ति एक बार तो अपने रवैया से जीत हासिल कर लेता है लेकिन उसकी आत्मीय शांति उसको कभी भी प्राप्त नहीं होती है।

कब मनाया जाता है?

अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस महात्मा गांधी जी के जन्म दिवस पर मनाया जाता है, इसे गांधी जयंती के रूप में ही मनाते हैं इसकी शुरुआत 2007 में की गई थी।

इतिहास

इस दिन की शुरुआत 15 जून 2007 को मतदान करके स्थापित की गई थी। इसमें संयुक्त राष्ट्र महासभा में 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया था। महासभा के सभी सदस्यों की रजामंदी से 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाने लगा संयुक्त राष्ट्र महासभा में कुल 191 सदस्य देशों में से 140 से भी ज्यादा की सहमति प्राप्त हुई थी। जिसके पश्चात 2 अक्टूबर को अहिंसा दिवस मनाने का फैसला लिया गया। अहिंसा दिवस मनाने का यह संदेश था, कि महात्मा गांधी जिस प्रकार से सत्य और अहिंसा की राह पर चले थे और उन्होंने इतनी प्रगति हासिल की थी, उसी प्रकार देश के युवा को भी जागरूक होना चाहिए और उन्हें सत्य और अहिंसा की राह पर ही चलना चाहिए।

कहा जाता है ना सत्य ना कभी शुरू होते हैं, ना ही कभी खत्म। अगर हम सब थे कि यहां पर चलेंगे तो हमारा साथ हर कोई देता है। महात्मा गांधी ने सबसे और अहिंसा को इस तरह से एक साथ जोड़ दिया कि, आज सभी सत्य और अहिंसा का नाम साथ ही लेते हैं। अगर आप भी अपनी जबान से सत्य बोलेंगे तो सत्य के साथ ऐसा का नाम जरूर आपके जुबान पर आएगा ही। सत्य और अहिंसा के जरिए ही महात्मा गांधी ने भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी दिलाई थी, इसीलिए उनके जन्मदिवस पर अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया गया।

बापू जी की विचारधारा

महात्मा गांधी को गुजरे हुए 60 साल बीत चुके हैं और लगभग सत्याग्रह को पूरे हुए वे 100 साल से अधिक हो चुके हैं। लेकिन गांधी जी की विचारधारा आज भी जानी और मानी जाती है। आज भी नए तरीके से और पहले से ज्यादा अहम होती जा रही है। दुनिया भर में लोग महात्मा गांधी को एक मिसाल की तरह मानते हैं। भारत को कई सदियों तक गुलाम बनाकर रखने वाला देश ब्रिटेन भी आज गांधी जी से बहुत ही ज्यादा प्रभावित है।

लंदन की एक मैहर केएम लिविंग रिंगटोन का कहना था, कि गांधीजी एक विशाल प्रतिमा पार्लियामेंट के चौक में उनकी प्रतिमा लगानी चाहिए, जबकि लंदन के तविष्टॉक पार्क में उनकी एक प्रतिमा पहले से लगी हुई है। गांधी जी ने दुनिया भर में शांति और अहिंसा का सबसे बड़ा झंडा फहराया था। एक सर्वेक्षण के अनुसार पता चला था कि भारत के 40 फ़ीसदी लोगों ने गांधी जी को आज की दुनिया का सबसे बड़ा ब्रांड एंबेसडर माना है। गांधी जी से कई हस्तियां प्रभावित हुई थी। नेलसन मंडेला और मार्टिन लूथर किंग गांधीजी से प्रभावित होकर अहिंसा का मार्ग उन्होंने भी चुना था।

महात्मा गांधी का बस यही सपना था कि भारत में आदर्श समाज पर राष्ट्रीय चिंतक समाज सुधारक गांधीजी यही चाहते थे, कि सब सत्य और अहिंसा की राह पर चलें। अहिंसा एक ऐसा शब्द है, जो कि संपूर्ण मानवता को प्यार और आत्मा की शुद्धि में मदद करता है और कठिन से कठिन परिस्थितियों में सफलता दिलाता है।

अहिंसा के तीन रूप

  • जागृत की अहिंसा
  • वीरों की अहिंसा
  • औचित्य की हिंसा

जागृत अहिंसा वह होती है, जिसमें कोई व्यक्ति अपनी अंतरात्मा की पुकार सोने और असंभव को संभव में बदलने की ताकत रखें विर्गो की अहिंसा तो वह होती है, जो कायरों की होती है। जैसे पानी और आग एक साथ नहीं रह सकते वैसे ही कायरता और अहिंसा भी एक साथ नहीं देखे जा सकते।

अहिंसा का यह मतलब बिल्कुल भी नहीं होता है कि वह बुरे कार्य करने वालों के सामने अपने घुटने टेक दे। इसका सीधा साधा सा अर्थ है अहिंसा तो बुराई को अच्छाई से जीतने के लिए बहुत ही साधारण सा सिद्धांत है। माना हिंसा कमजोर और दुर्बल ओकीय हिंसा है, परंतु अहिंसा का पालन हम ईमानदारी से करें तो यह बहुत ही लाभदायक और शक्तिशाली होता है। गांधीजी अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए कई बार जेल भी गए और उन्होंने कई सत्याग्रह आंदोलन भी करें पर इसके बावजूद भी वह सत्य और अहिंसा के ही पुजारी रहे।

अनमोल वचन

  • क्रोध और घमंड जिसमें होता है, वह सबसे बड़ा अहिंसा का शत्रु होता है।
  • ऐसा कोई कपड़ा नहीं होता जिसे जब मन किया धारण कर लिया और जब मन किया उतार के फेंक दिया यह तो वह भाग हैं, जो मनुष्य के हृदय में बसता है।
  • अहिंसा एक ऐसा रास्ता होता है, जिसमें लोग कभी भी नहीं डगमगा सकते हैं।
  • अहिंसा एक ऐसी प्रकृति होती है, जिसमें हम बिना घाट दिए किसी को रक्त से भी गहरी चोट दे सकते हैं।
  • अगर हम किसी युद्ध की तरफ जाना पसंद करते हैं तो वह किसी समस्या का हल नहीं होता है, शांति के मार्ग पर चलने से समस्या का समाधान जरूर मिल जाता है।
  • जिसके दिमाग में अहिंसा होती है, वह किसी से व्यवहार नहीं रखता बल्कि मानसिक विचार करके ही निर्णय ले लेता है।
  • ऐसी कोई भी समस्या या परेशानी नहीं होती है, जिसका समाधान अहिंसा के मार्ग पर नहीं मिल सकता है।
  • आज की पीढ़ी में देखा जाए तो वह इंसान केवल किताबों पन्नों में ही रह गई है, जबकि आज की युवा पीढ़ी को बहुत ही ज्यादा जरूरत है।
  • ईश्वर में विश्वास रखने वाला ही यह कहता है, कि अहिंसा क्या होती है।
  • माना सत्य और अहिंसा का मार्ग बहुत ही कठिन होता है, परंतु उसका अंत बहुत ही शुभम और आत्मा को शांति पहुंचाने वाला होता है।

निष्कर्ष

आज की युवा पीढ़ी को चाहिए कि, वह अहिंसा का मार्ग अपनाया, क्योंकि हिंसा से कोई भी समस्या का समाधान नहीं होता है। जिस प्रकार से महात्मा गांधी जी सभी को यह सिखाया कि, अहिंसा का मार्ग कितना ही मुश्किल क्यों ना हो, परंतु वह कभी असफल नहीं होता और उन्होंने यह सब कुछ करके भी दिखाया। उसी तरह से हमें भी अपनी सभी समस्याओं को अहिंसा के साथ ही खत्म करना चाहिए।

अंतिम शब्द

दोस्तों आज हमने इसलिए अपने आप को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर निबंध ( Essay on International Non Violence Day in Hindi) के बारे में बताया है कि यह किस तरह से महत्वपूर्ण है और आज की युवा के लिए तो बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। हमें चाहिए कि हम भी इसी रास्ते पर चलकर अपने सभी कार्यों को पूरा करें। आशा करते हैं, आपको यह लेख पसंद आया होगा। अगर आपको इससे संबंधित कोई भी जानकारी चाहिए तो आप कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं।

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Ripal
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