Essay on Human Rights Day in Hindi: सभी मानव जीवन में मानवाधिकार सर्वोपरि होता है। मानवाधिकार सभी व्यक्ति को एक समान प्राप्त होने चाहिए। कोई भी मानव जात पात, रंग, लिंग किसी भी आधार पर एक दूसरे से ऊपर नीचे नहीं है। सभी एक समान है और सब को एक समान अधिकार है।
इसी तथ्यों को साबित करने के लिए सन 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 सितंबर को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस को मनाने की घोषणा की। तब से ही हर साल 10 सितंबर को सभी देशों में मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है।
इस दिन कई तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जिसकी अलग थीम रखे जाते हैं। इस साल मानवाधिकार दिवस की थीम ‘गरिमा, स्वतंत्रता और सभी के लिए न्याय’ रखी गई थी।
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मानव अधिकार दिवस पर निबंध (Essay on Human Rights Day in Hindi)
मानवाधिकार दिवस के दिन बच्चों को भी विद्यालय एवं कॉलेजों में निबंध लिखने के लिए दिया जाता है ताकि बच्चे भी मानवाधिकार दिवस से अवगत हो सके। इसीलिए आज के इस लेख में हमने 250 एवं 850 शब्दों में मानवाधिकार दिवस पर निबंध (manav adhikar diwas par nibandh) लेकर आए हैं। इस निबंध के जरिए आप मानवाधिकार दिवस मनाने के उद्देश्य, इसके महत्व और इसके इतिहास से अवगत हो पाएंगे।
विश्व मानवाधिकार दिवस पर निबंध (250 शब्द)
मानवाधिकार एक विशेष अधिकार है, जो हर एक व्यक्ति को समान रूप से प्राप्त है। किसी के साथ भी संस्कृति, धर्म, रंग, जाती या किसी भी अन्य चीज के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता। मानवाधिकार को मौलिक अधिकार की तरह समझ सकते हैं, जो हर व्यक्ति को प्रति दिन के सामान्य जीवन के हिस्से के रूप में दिया गया है और हर व्यक्ति पूर्ण रूप से इसके लिए हकदार हैं।
मानवाधिकारों की रक्षा करने के उद्देश्य से और मानव लोगों का अपने विशेषाधिकारो के प्रति जागरुक करने के उद्देश्य से हर साल 10 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। मानवअधिकार दिवस को मनाने की घोषणा सन 1948 में 10 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा सार्वभौमिक रुप से किया गया था।
मानवाधिकार दिवस ना केवल नागरिकों को उनके स्वयं के अधिकार से परिचित कराता है बल्कि किसी और के मानवाधिकार के साथ उल्लंघन हो रहा है तो उसके प्रति का कदम लेने के लिए जवाब देह भी बनाता है। मानवाधिकार कोई कानून नहीं है, जो सरकार के द्वारा लागू होता है, सरकार द्वारा खत्म हो सकता है बल्कि मानवाधिकार तो व्यक्ति के जन्म लेते ही उसे मिल जाते हैं। मानवअधिकार के उल्लंघन होने पर हर एक व्यक्ति को उसके विरोध आवाज उठाने का अधिकार है।
आज भले ही दुनिया बहुत विकास कर रही है, शिक्षा की ओर अग्रसर हो रहे ही, प्रगति आ रही है, उसके बावजूद अभी भी ऐसे कई लोग हैं, जो अपने अधिकारों से परिचित नहीं है। जिसके कारण वे अन्य लोगों के द्वारा उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं, सुविधाओं से वंचित रह रहे हैं। मानवाधिकार दिवस ऐसे लोगों को उनके अधिकारों से परिचित कराता है, अपने अधिकारों के लिए लड़ना सिखाता है।
जब लोगों को अपने अधिकारों के बारे में पता होगा तो वह किसी और के गुलाम नहीं बनेंगे, कोई और उनके ऊपर अन्याय नहीं कर पाएगा। खुद के अधिकार से अवगत होने पर व्यक्ति में आत्मविश्वास आता है, उसके अंदर भी हिम्मत आती है और वह भी अन्याय का सामना कर पाता है। इस तरह मानवाधिकार दिवस लोगों को उनके मौलिक अधिकारों के प्रति जागृत करता है।
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मानवाधिकार दिवस पर निबंध (850 शब्द)
प्रस्तावना
मानवाधिकार एक ऐसा विशेष अधिकार है, जो हर एक व्यक्ति को उसके जन्म से ही मिल जाता है। इस अधिकार की कोई पात्रता नहीं होती। जाती-पाती, पंथ, धर्म किसी भी आधार पर मानवाधिकार को नहीं आंका जा सकता। अमीर हो या गरीब हो उच्चे धर्म का हो या छोटे धर्म का हो सभी के पास समान मानवाधिकार है।
लेकिन दुःख की बात है कि दुनिया में ऐसे कई जगहों पर लोग धर्म पंथ, जाति, रंग इत्यादि के आधार पर मानवाधिकार से वंचित है। कई तरह के उत्पीड़न को सहते हैं, कई सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं, जो सुख सुविधाएं सरकार ने हर एक नागरिक के लिए बनाई है।
दुःख की बात है कि जिन लोगों को स्वयं के अधिकारों के बारे में पता नहीं होता, वह दूसरों अत्याचार को सहने के लिए मजबूर हो जाते हैं। समाज में ऐसे ही लोगों तक उनके मौलिक अधिकारों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय रूप से मानवाधिकार दिवस मनाने की घोषणा की।
सन 1950 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 423(वी) प्रस्ताव पारित करके सभी सदस्य राज्यों को 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाने के लिए आग्रह किया।
मानवअधिकार दिवस पर कार्यक्रम
भारत में भी मानवाधिकार दिवस के दिन बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में वरिष्ठ राजनेता और नौकरसाह शामिल होते हैं। इन कार्यक्रमों में मानवअधिकारों पर अपने विचारों का आदान प्रदान करते हैं और देश के हर एक नागरिकों को मानवअधिकार के प्रति जागृत करते हैं।
मानवाधिकार के दिन कार्यक्रम में भागीदारी केवल राजनीतिक दल और एनएचआरसी तक ही सीमित नहीं है बल्कि समाज के अन्य वर्ग और सरकारी विभागों के सदस्य भी भाग लेते हैं। सभी विद्यालयों में बच्चों को काला प्रतियोगिता निबंध लेखन जैसे कई तरह के प्रतियोगिताओं के जरिए बच्चों को मानवअधिकार से अवगत कराया जाता है।
अन्य देशो में भी मानवाधिकार दिवस के दिन कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। मानवाधिकार से संबंधित लोग वाद विवाद, चर्चा करते हैं और एक दूसरे तक मानवअधिकार की जानकारी पहुंचाते हैं।
कुछ देशों में अलग-अलग तारीख को मनाया जाता है मानवाधिकार दिवस
वैसे तो संयुक्त राष्ट्र ने 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाने की घोषणा की थी लेकिन कुछ ऐसे भी देश है, जहां पर अलग-अलग तारीख को मानवाधिकार दिवस मनाया जाते हैं। उदाहरण के लिए मध्य प्रशांत महासागर में स्थित किरीबाती गण राज्य में मानवाधिकार दिवस 10 दिसंबर के बजाय 11 दिसंबर को मनाते हैं।
वहीँ दक्षिण अफ्रीका में मानवाधिकार दिवस 21 मार्च को मनाया जाता है। बताया जाता है कि इस तारीख का चुनाव 1960 में हुए शार्पविले नरसंहार और उसके पीड़ितों को याद करने के उद्देश्य से चुना गया है। 21 मार्च 1960 को दक्षिण अफ्रीका में रंग के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव करने के कारण विरोध उत्पन्न हुआ था, उस कारण भी 21 मार्च दक्षिण अफ्रीका में मानवाधिकार दिवस के रूप में प्रख्यात है।
संयुक्त राज्य में भी 1 दिन का मानवाधिकार नहीं मनाया जाता बल्कि इसके जगह पर मानवाधिकार का 1 सप्ताह मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत 9 दिसंबर से होती है। बताया जाता है कि मानवाधिकार सप्ताह की शुरुआत साल 2001 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने घोषणा करके की थी।
मानवाधिकार दिवस का महत्व
जितना महत्व स्वतंत्रता का है, उतना ही महत्व मानवाधिकार का भी है। यदि मानवाधिकार ना हो तो स्वतंत्रता का भी कोई महत्व नहीं। एक गुलाम व्यक्ति किसी अन्य के हाथों की कठपुतली बन जाता है लेकिन किसी के मानवाधिकार का उल्लंघन करना भी किसी को गुलाम बनाने के बराबर ही होता है।
आज भी समाज में रंगभेद, जाती, पाती के आधार पर मानवाधिकार का उल्लंघन किया जाता है। समाज में कुछ ऊंचे पदों के लोग छोटे गरीब निस्सहाय लोगों को तुच्छ नजरिए से देखते हैं मानो सारे अधिकार केवल उन्हीं के हैं। मानवाधिकार कोई सरकार के द्वारा लागू किया गया कानून नहीं है कि कुछ निश्चित लोगों पर ही लागू हो।
मानवाधिकार तो व्यक्ति के मौलिक अधिकार है, जिसे बदला नहीं जा सकता। व्यक्ति अपने अधिकार के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है। लेकिन जरूरी है कि उसे अपने अधिकार के बारे में मालूम हो।
समाज में बहुत सारे लोग ऊंचे पदों पर विराजमान लोगों के द्वारा होने वाले अपने अधिकार का उल्लंघन सह लेते हैं। क्योंकि वे अपने अधिकारों से अवगत नहीं होते हैं, उन्हें अधिकारों का उल्लंघन करने के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए जागरूक नहीं किया गया होता है, जिस कारण वे चुपचाप उत्पीड़न सह लेते हैं।
लेकिन मानवाधिकार दिवस के जरिए समाज के उन लोगों तक जागरूकता फैलाई जाती है ताकि वे खुद के अधिकार के प्रति होने वाले उल्लंघन के विरुद्ध लड़ सके। जब वे अपने अधिकारों से अवगत होंगे तब अपने अधिकारों के लिए न्याय मांग पाएंगे।
हर साल मानवाधिकार दिवस मनाने का उद्देश्य यही होता है कि समाज में ऐसे लोगों को जागरूक करें जो हर दिन अपने अधिकारों का उल्लंघन होते हुए सह रहे हैं। मानवाधिकार उल्लंघन के मुद्दे को उठाने के लिए मानवाधिकार दिवस जैसे दिन का पालन करना बेहद ही आवश्यक है।
अधिक से अधिक लोगों को मानवाधिकार के बारे में जानकारी देने, स्वयं के अधिकार का उल्लंघन के विरुद्ध आवाज उठाने के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से मानवाधिकार दिवस बहुत मायने रखता है।
निष्कर्ष
मानवाधिकार दिवस ना केवल एक मानव के विशेष अधिकारों के प्रति उसे जागृत करता है बल्कि समाज को सम्मान और निष्पक्ष भी बनाता है। अगर हर कोई मानवाधिकारों का सम्मान करें तो ही समाज विकसित हो सकता है।
समाज केवल कुछ लोगों के विकसित होने से विकसित नहीं होता बल्कि समाज के हर एक लोगों का विकसित होना जरूरी है और यह तभी होगा जब हम सभी को एक नजरिए से देखेंगे।
अंतिम शब्द
हमें उम्मीद है कि आज के इस लेख में 250 एवं 850 शब्दों में मानवाधिकार दिवस पर निबंध (human rights day essay in hindi) आपको पसंद आया होगा। इस लेख को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि मानवाधिकार दिवस जैसे महत्वपूर्ण दिवस के बारे में लोगों को जानकारी मिले और वह भी मानवाधिकार का सम्मान करें।
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