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सूखा पर निबंध

Essay on Drought in Hindi: आज हम इस लेख में सूखा पर निबंध के बारे में बात करने जा रहे हैं। सूखा पड़ने की समस्या से कई क्षेत्रों में बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिसकी वजह से लोगों को बहुत नुकसान भी होता है। तो आइए जानते हैं सूखा पड़ना क्या होता है। इसके कारण प्रभाव कैसे रोक सकते हैं। इसकी स्थिति इसके नुकसान इत्यादि के बारे में पूरी जानकारी देते हैं।

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सूखा पर निबंध | Essay on Drought in Hindi

सूखा पर निबंध (250 शब्द)

जहां पर पानी की कमी हो जाती है, बारिश नहीं होती है ऐसी समस्याओं के चलते वहां पर सूखा पड़ना शुरू हो जाता है। यह स्थिति एक बहुत ही बड़ा अभिशाप है। जिसकी वजह से लोगों को बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति का सबसे मुख्य कारण वनों की कटाई का होना है। आजकल यह समस्या बहुत ही ज्यादा फैल रही है। लोग जगह-जगह जंगलों को खत्म कर रहे हैं। जंगलों की कटाई करके बड़ी-बड़ी इमारतें, मॉल इत्यादि बनाए जा रहे हैं।

पृथ्वी पर नकारात्मक प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है, जिसकी वजह से ग्रीनहाउस जैसे कई प्रभाव पृथ्वी पर बढ़ रहे हैं और जब तापमान बढ़ जाता है, तो जंगलों में आग भी लग जाती है और वहां पर सूखे की स्थिति बढ़ जाती है। कई क्षेत्रों में नदियां और झीलें पानी का मुख्य स्रोत होती हैं। जब अत्यधिक गर्मी पड़ती है या मानव के द्वारा की गई ऐसी गतिविधियां इनकी वजह से वहां पर सूखा उत्पन्न होने लग जाता है और पानी समाप्त होने लग जाता है।

सूखा पड़ने का कारण अधिकतर सभी लोग जानते हैं, परंतु सब जानते हुए भी हरकत करते हैं और अपनी पृथ्वी को नुकसान पहुंचाते हैं। जिसकी वजह से सूखा पड़ने की स्थिति बढ़ती ही जा रही है यह एक वैश्विक मुद्दा है। जिस की समस्या के समाधान पाना बहुत ही जरूरी है।

सूखा पर निबंध (1200 शब्द)

प्रस्तावना

कई क्षेत्रों में अधिक समय से जब वर्षा नहीं होती है, तब उसे सूखा पड़ना कहते हैं। तब वहां पर ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि पानी समाप्त होता जाता है और सूखा पड़ना शुरू हो जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं नदियां, तालाब हमारा सबसे अच्छा स्रोत है। पानी का परंतु कई जगहों पर बहुत ही कम नदियां और तालाब पाए जाते हैं। जिसकी वजह से वहां पर पानी संग्रहित नहीं होता है और वहां पर वर्षा का पानी है उनका मुख्य स्रोत होता है। सूखा पड़ना बहुत ही सामान्य समस्या है। परंतु सूखा पड़ने की वजह से हर साल बहुत से लोग प्रभावित होते हैं।

सूखा पड़ना किसे कहते हैं?

जब लंबे समय से कहीं पर भी या किसी क्षेत्र में बारिश नहीं हुई हो और लोग पानी से वंचित हो जाते हैं, ऐसी स्थिति में सूखा पड़ना संभव है। यह समस्या सबसे ज्यादा गर्मी में दिखाई देती है क्योंकि कई जगह पर उच्च तापमान की वजह से बारिश नहीं होती है। जिसकी वजह से वहां पर सूखा पड़ जाता है। लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है।

सूखे पढ़ने के क्या कारण होते हैं?

सूखा पड़ने के बहुत से कारण हो सकते हैं, कुछ निम्न प्रकार के हैं ।

वर्षा के पानी का संचय ना करना

सबसे बड़ा मुख्य कारण है, वर्षा के पानी को संचय ना करना। लोग इस पर अधिकतर ध्यान नहीं देते हैं और ना ही जोड़ दिया जाता है। परंतु तमिलनाडु एक ऐसा राज्य है जहां पर वर्षा के जल का संचय किया जाता है और बहुत ही जोर दिया जाता है।

ग्लोबल वार्मिंग बढ़ना

जैसा कि हम जानते हैं ग्लोबल वार्मिंग प्रकृति पर बहुत ही ज्यादा दुष्प्रभाव डाल रही है क्योंकि इसकी वजह से पृथ्वी का तापमान निरंतर बढ़ता ही जाता है, जिसकी वजह से सबसे ज्यादा वाष्पीकरण में वृद्धि हो रही है। जब तापमान ज्यादा बढ़ जाता है। तब जंगलों में अपने आप ही आग लग जाती है और सूखे पढ़ने की स्थिति बढ़ जाती है।

वनों की कटाई करना

आजकल लोग वनों की कटाई करने में जुटे हुए हैं, जिसकी वजह से सूखा पड़ने की स्थिति बहुत ही अधिक उत्पन्न हो रही है और यह सबसे बड़ा कारण है।

वनों की कटाई की जा रही है, इमारतों मॉल इत्यादि का निर्माण किया जा रहा है, जिसकी वजह से इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इसे पृथ्वी का संतुलन कमजोर हुए जा रहा है और इससे वर्षा भी कम होती है।

प्रभाव

बढ़ता आर्थिक प्रभाव- सूखा पड़ने की स्थिति में सबसे पहले हमें आर्थिक प्रभाव देखने को मिलता है क्योंकि लोगों के पास पर्याप्त मात्रा में अनाज और फसल उत्पन्न नहीं हो पाती है, जिसकी वजह से उनका कृषि उत्पादन घट जाता है। कृषि आधारित उद्योग का भी उत्पादन घट जाता है। सूखा पड़ने से सबसे ज्यादा किसान प्रभावित होते हैं क्योंकि यह उनका एकमात्र आय का जरिया होता है।

जनसंख्या प्रभाव- जब अधिक सूखा पड़ता है, तब लोग सूखे की वजह से मरने लगते हैं। इसकी वजह से जनसंख्या कम होने लगती है और बड़े स्तर पर लोग पलायन करते हैं, जिससे वह अपनी जान बचा सके।

पारिस्थितिकी पर प्रभाव- सूखा पड़ने की स्थिति में पशु पक्षी भी अन्य जगह से दूसरी जगह जाने लगते हैं, जिसकी वजह से पारितंत्र पर प्रभाव देखने को मिलता है।

वन्यजीव जोखिम– सूखा पड़ने पर सबसे ज्यादा जंगलों में समस्या पैदा हो जाती है। इसकी वजह से जंगलों में आग लगने लगती है। इनमें वृद्धि हो जाती है और वहां पर बहुत ही वन्यजीव रहते हैं। इसकी वजह से कोई जंगली जानवर भी अपनी जान गवा बैठते हैं।

खाने की वस्तुओं की कमी- सूखा पड़ने की स्थिति में कई लोग कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। उन्हें सही समय पर दवाई और खाना नहीं मिल पाता है, जिसकी वजह से वह कमजोर हो जाते हैं। यह अपनी जान गवा बैठते हैं।

कीमतों की बढ़ोतरी– जब सूखा पड़ता है, तब चीजों की मांग बढ़ने लगती है, जैसे फल, सब्जियां, अनाज। इनकी कीमतें बढ़ जाती हैं, जिसकी वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

सूखा पड़ने के प्रकार

अकाल पड़ जाना- जब वर्षा नहीं होती है, तब वहां पर अकाल पड़ने लगता है और लोगों तक पर्याप्त भोजन नहीं पहुंच पाता है जिसकी वजह से भुखमरी फैलती जाती है।

नमी में सूखा- ऐसा लगता है कि मानव जमीन बंजर होने लगी है, वहां पर जमीन में नमी की कमी हो जाती है क्योंकि नमी का संबंध सिर्फ मौसम से ही होता है।

मौसम सूखा- जब किसी स्थान पर बहुत ही लंबे समय के लिए सुखा देखने को मिलता है और वर्षा नहीं होती है तब मौसम संबंधी सूखा से लोग प्रभावित होते हैं और वहां पर बहुत ही परेशानी हो जाती है।

सूखा रोकने के उपाय

बारिश का पानी संग्रहण करके- हमें बारिश के पानी का सबसे ज्यादा संग्रहण करना चाहिए। हम बारिश के पानी को डेंगू और प्राकृतिक जलाशयों इत्यादि में इकट्ठा कर सकते हैं और समय आने पर उसका उपयोग कर सकते हैं।

पानी का पुनः उपयोग- जब हम पानी को फिल्टर करते हैं, तब उस पानी को हम भेजना करके उसका पुणे प्रयोग कर सकते हैं। कपड़े धोने साफ सफाई करने में इत्यादि कामों में उस पानी को इस्तेमाल ले सकते हैं।

वृक्षारोपण करके

जितनी अधिक पेड़ लगाए जाएंगे, उतनी यदि बारिश की संभावना बढ़ जाती है क्योंकि जितनी हरियाली रहती है बारिश होने की उतनी ही संभावना होती है।

पानी बर्बादी को रोकना

जितना हो सके हमें पानी को बर्बाद करने से रोकना चाहिए। हमें अपने तरीकों को बदलना चाहिए। जहां पर पानी बर्बाद हो रहा हो, वहां पर जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

देश में उत्पन्न सूखा

1967 में बिहार में बहुत ही भयानक सूखा पड़ा था।

1972 में बिहार में चार लाख एकड़ जमीन में धान बोया गया था लेकिन जब बारिश नहीं हुई तब यह धान नष्ट हो गई थी।

1972 में राजस्थान में भयानक सूखा पड़ा था, जिसमें पौने दो करोड़ लोग तबाह हो गए थे।

1974 में दक्षिण बिहार में बहुत भयानक सूखा पड़ा था।

1987 में पंजाब हरियाणा दिल्ली राजस्थान मध्य प्रदेश दक्षिण भारत की लगभग बहुत से क्षेत्रों में सूखा पड़ा था।

निष्कर्ष

जब सूखा पड़ता है, तब लोगों को एक एक बूंद की कीमत समझ आती है की एक बूंद पानी भी कितना कीमती होता है। ऐसी स्थिति का सामना किसी को ना करना पड़े। इसके लिए चाहिए कि हम ऐसे कदम उठाए। जिससे हम इस स्थिति से बचा सके और पानी का प्रयोग कर सकें।

अंतिम शब्द

आज हमें इस लेख में आपको सूखा पर निबंध ( Essay on Drought in Hindi) बारे में बताया है। आशा करते हैं यह लेख आपको पसंद आया होगा। अगर आपको ऐसे संबंधित कोई भी जानकारी चाहिए तो आप कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं।

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Ripal
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