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सिनेमा पर निबंध

Essay on Cinema in Hindi: हम यहां पर सिनेमा पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में सिनेमा के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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सिनेमा पर निबंध | Essay on Cinema in Hindi

सिनेमा पर निबंध (250 शब्द)

भारतीय सिनेमा मनोरंजन का एक बहुत अच्छा सस्ता और बढ़िया साधन है। इसमें मानव के जीवन के नाटक और हमारे समाज में हो रही बुराई अच्छाइयों का दृश्य देखने को मिलता है। फिल्म के दृश्य और गाने बहुत अधिक सुहावने लगते हैं। हमारे देश में बहुत बड़ी संख्या में हर साल बहुत फिल्में बनाई जाती है। भारतीय सिनेमा को विज्ञान के उपायों में एक बहुत ही सुंदर उपहार माना गया है इसीलिए आज भारतीय सिनेमा बहुत ही लोकप्रिय है।

जिस तरह सिनेमा जनसंसार मनोरंजन का एक लोकप्रिय माध्यम है, उसी प्रकार साहित्य समाज का दर्पण होता है। भारतीय सिनेमा में समाज को प्रतिबंधित किया है। भारतीय युवाओं के मन में प्रेम के प्रति आकर्षण उत्पन्न करने की बात हो या सिनेमा के कलाकारों के पहनावे के अनुसार फैशन का प्रचलन। इन सभी का हमारे समाज पर सिनेमा के द्वारा ही प्रभाव पड़ता है।

सिनेमा उद्योग भारत का सबसे पुराना उद्योग रहा है और आज भी सिनेमा ने बहुत बड़ा रूप ले लिया है। सिनेमा के माध्यम से देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी करोड़ों लोगों की आजीविका चलती है। आज हमारे भारतीय सिनेमा की सबसे महत्वपूर्ण देन हिंदी फिल्में रही है। उन्होंने हिंदी को ना केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय सिनेमा ने बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है।

भारत की आजादी के पश्चात सिनेमा जगत में देशभक्ति की जो भी फिल्में थी, उन्होंने लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना को जला कर रखा हुआ है। आज भी जब हम पुराने जितने भी देश भक्ति गाने सुनते हैं, उनसे हमारा मन देशभक्ति के लिए ओतप्रोत हो जाता है। भारतीय सिनेमा ने अपनी फिल्मों के माध्यम से ही देश की सभ्यता और संस्कृति को अभी तक जिंदा कर रखा है।

सिनेमा पर निबंध  (800 शब्द)

प्रस्तावना

सिनेमा का आविष्कार आधुनिक समाज के दैनिक उपयोग और विलास की वस्तु है। हमारे सामाजिक जीवन में सिनेमा ने इतना महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है कि, उसके बिना सामाजिक जो जीवन है वह अधूरा अधूरा सा लगता है। सिनेमा देखना लोगों के जीवन की दैनिक क्रिया की तरह हो गया है। जैसे शाम को सिनेमा घर के सामने एकत्रित होकर सब ही लोग सीरियल, धार्मिक नाटक, फिल्में एक साथ देखते हैं। उससे सिनेमा की उपयोगिता का अनुमान लगाया जा सकता है। मनोरंजन सिनेमा का मुख्य प्रयोजन रहा है। दूसरे मनोरंजन के अतिरिक्त भी जीवन में सिनेमा का बहुत महत्व है और इसके बहुत से लाभ भी है।

सिनेमा का इतिहास

19वीं शताब्दी में अमेरिका के थॉमस अल्वा एडिसन ने सिनेमा का आविष्कार किया था। इन्होंने सन 1890 में सिनेमा को हमारे सामने प्रस्तुत किया था। पहले सिनेमा लंदन में कुमार नामक वैज्ञानिक के द्वारा दिखाया गया था। भारत में 1913 में दादा साहेब फाल्के के द्वारा सिनेमा बनाया गया, जिसकी बहुत प्रशंसा हुई। फिर इसके बाद तो बहुत सारे सिनेमा बनते चले गए। लेकिन सबसे जरूरी बात इसमें यह रही कि भारत का स्थान सिनेमा के महत्व की दिशा में विश्व में अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर आता है।

सिनेमा एक मनोरंजन का साधन

आज के समय में मानव अपने जीवन में इतना व्यस्त हो गया कि उसकी आवश्यकताएं भी बहुत बढ़ गई है। व्यस्तता के कारण मनुष्य के पास मनोरंजन के लिए बिल्कुल भी समय नहीं है। सभी लोग जानते हैं कि मनुष्य बिना भोजन के साथ कुछ समय तक स्वस्थ रह पाए। परंतु बिना मनोरंजन के साथ खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से बिल्कुल स्वस्थ नहीं रख सकता। सिनेमा मनुष्य की बहुत जरूरी आवश्यकता की पूर्ति करता है। मानव के जीवन की उदासीनता और तनाव को दूर कर उसके अंदर ताजगी और दिन भर की थकान को भी मिटा देता है।

सिनेमा के लाभ

भारत में फिल्म जगत में उद्योग का भी दर्जा प्राप्त है।सिनेमा इंसान के पैसे कमाने का एक बहुत अच्छा साधन है। सिनेमा को बनाने से लेकर उसके विवरण और प्रदर्शन तक हर स्थान पर व्यवसायिकता का नाम देखा गया है। सिनेमाघरों में व्यापारिक विज्ञापन भी बहुत दिखाए जाते हैं क्योंकि जब सिनेमाघरों में बड़ी संख्या में लोग फिल्मों को देखने के लिए पहुंचते हैं। इससे जो भी व्यापारिक  विज्ञापन दिखाए जाते हैं उनके बारे में जानकारी सभी लोगों को मिल जाती है। व्यापारी वर्ग अपने विज्ञापन देकर अपने अपने व्यापार को बढ़ाने में सफल हुए है।

सिनेमा की हानि

जहां लोगों को सिनेमा के द्वारा लाभ होते हैं, वहां सिनेमा के द्वारा बहुत सी हानियां भी देखने को मिलती है। जब हम सिनेमा देखते हैं, तो स्वास्थ्य की दृष्टि से आंखों के लिए बहुत हानिकारक होता है। इसकी वजह से व्यक्ति की आंखों की रोशनी को नुकसान होता है और साथ में धन और समय दोनों ही बर्बाद होते है। इसके अलावा सिनेमा में अश्लील और सस्ते उत्तेजना पूर्ण चित्रों को देखने पर खुद के चरित्र का भी नुकसान होता है।

दुर्भाग्यवश यह कहने में कोई बुराई नहीं है, कि आज सिनेमा का प्रभाव मानव के जीवन में बहुत गलत हो गया है। क्योंकि इससे मनुष्य के अंदर कामुकता बनाने वाले अश्लील चित्र संवाद और गंदे गाने आदि बहुत गलत चीजें होती हैं और भारतीय सिनेमा के द्वारा ही धोखाधड़ी, फैशन, शराब, जुआ, मारधाड़, हिंसा, अपहरण बलात्कार, तस्करी, लूटपाट आदि जो भी समाज विरोधी दृश्यों को इसमें दिखाया जाता हैं। उन सब से युवक, बच्चे सभी लोग अनुशासनहीनता हो गए हैं।

निष्कर्ष

आज के युवा वर्ग की मांग यह है कि वह दर्शकों को अपने देश की सभ्यता संस्कृति और गौरवपूर्ण परंपरा के दर्शन सिनेमा के माध्यम से कराएं। अच्छे चित्रों का निर्माण करके उनमें भारतीय संस्कृति सामाजिकता और नैतिक परंपराएं दिखाई जाए। जिससे दर्शकों के मन में अच्छी भावनाएं समाज और देश के प्रति आएंगे । जो फिल्म सेंसर बोर्ड है, उसको अपना कठोर रुख अपनाना चाहिए, जिससे की अश्लील और कामुकता और विलास से भरी जो भी फिल्में है वह संपूर्ण जनमानस में अश्लीलता कामुकता और विलास की भावना को बढ़ावा ना दें और इसके साथ ही सही शब्दों में सिनेमा एक वरदान के रूप में सिद्ध हो।

अंतिम शब्द

आज के आर्टिकल में हमने  सिनेमा पर निबंध ( Essay on Cinema in Hindi) के बारे में बात की है। मुझे पूरी उम्मीद है की हमारे द्वारा इस आर्टिकल में जानकारी आप तक पहुंचाई गयी है, वह पसंद आई होगी। यदि किसी व्यक्ति को इस आर्टिकल से सम्बंधित कोई भी सवाल है। तो वह हमें कमेंट में बता सकता है।

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