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दुर्लभ कश्यप का जीवन परिचय

Durlabh Kashyap Biography in Hindi

Durlabh Kashyap Biography in Hindi: आप में से कई लोगों ने दुर्लभ कश्यप का नाम जरुर सुना होगा, जो कुछ साल पहले एक कुख्यात गैंगस्टर के रूप में प्रसिद्ध था। सोशल मीडिया पर उसकी हथियारों के साथ पोस्ट की गई फोटो काफी ज्यादा वायरल होती थी।

मात्र 16 वर्ष की उम्र में ही अपराध की दुनिया में कदम रखने वाला दुर्लभ कश्यप केवल 20 वर्ष के उम्र में ही एक गेंगवार में मारा गया।

इस लेख में हम दुर्लभ कश्यप की कहानी (Durlabh Kashyap Biography in Hindi) के बारे में जानेंगे, जिसमें दुर्लभ कश्यप कौन है, दुर्लभ कश्यप कैसे मरा आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।

दुर्लभ कश्यप का जीवन परिचय (Durlabh Kashyap Biography in Hindi)

नामदुर्लभ कश्यप
उपनामकोहिनूर
पेशाकुख्यात गैंगस्टर
जन्म और जन्मस्थान8 नवंबर 2000, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
नागरिकताभारतीय
धर्महिन्दू
दुर्लभ कश्यप की जातिब्राह्मण
पितामनोज कश्यप
मातापद्मा
मृत्यु06 सितंबर 2020, रात के 2 बजे

दुर्लभ कश्यप का प्रारंभिक जीवन

दुर्लभ कश्यप का जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन में 8 नवंबर 2000 को एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उसके पिता का नाम मनोज कश्यप और माता का नाम पद्मा था।

वह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। उसके पिता पेशे से एक सरकारी अध्यापक थे। उसकी माता भी उज्जैन के एक स्कूल में शिक्षिका थी। परिवार पूरी तरीके से संपन्न था।

किसी निजी समस्या के कारण उसके माता-पिता एक दूसरे से अलग रहा करते थे, जिसके कारण दुर्लभ कभी अपनी मां के साथ रहता था तो कभी-कभी अपने पिता के साथ रहता था।

दुर्लभ कश्यप की गैंगस्टर बनने की कहानी

दुर्लभ कश्यप एक अच्छे परिवार से होने के बावजूद अपराध की दुनिया में चला गया, यह काफी ताजूब की बात है। लेकिन उसका शुरुआती मकसद प्रसिद्ध होना था और फेमस होने के लिए उसे सबसे आसान रास्ता अपराध की दुनिया लगी।

लेकिन उसने सोचा भी नहीं होगा कि यह रास्ता उसे मौत तक ले जाएगी। दुर्लभ के पिता ने एक इंटरव्यू में बताया था कि मात्र 15 साल की उम्र में दुर्लभ कश्यप को कुछ असामाजिक लोगों के साथ पकड़ लिया गया था और 16 वर्ष के कम उम्र में वह अपराध की दुनिया में कदम रख चुका था।

दुर्लभ कश्यप सबसे पहले कानून की नजर में तब आया जब उसने फेसबुक अकाउंट के अबाउट सेक्शन में लिखा था कि “मैं एक कुख्यात बदमाश हूं, एक हत्यारा हूं, किसी भी तरह का विवाद निपटान के लिए संपर्क करें, मैं हर तरह का विवाद निपटा दूंगा।”

इस तरह उसके गैंगस्टर बनने की कहानी शुरू होती है। धीरे-धीरे उसका नाम एक गैंगस्टर के रूप में फेमस होने लगता है। 2 साल होते-होते ही उज्जैन में उसके नाम का सिक्का चलने लगा था।

अब तो यह हाल हो गया था कि चाहे एक चाय बेचने वाला हो या एक बिजनेसमैन दुर्लभ कश्यप का नाम सुनकर हर कोई थरथराने लगता था।

दुर्लभ कश्यप की गैंग

दुर्लभ कश्यप ने सोशल मीडिया पर विभिन्न तरह के पोस्ट डालकर युवाओं को अपनी गैंग में शामिल करने के लिए आकर्षित कर लिया था। वह सोशल मीडिया का बहुत ज्यादा उपयोग करता था।

खास करके फेसबुक पर ही वह रंगदारी और सुपारी लेता था। धीरे-धीरे कई सारे युवा उसकी गैंग में शामिल होने लगे थे। लगभग 100 से भी ज्यादा युवा उसकी गैंग से जुड़ चुके थे।

दुर्लभ कश्यप की गैंग की ड्रेस कोड की बात करें तो वह काफी ज्यादा अलग थी। इतना अलग कि उसकी ड्रेस कोड ही युवाओं को आकर्षित करती थी।

इसके गैंग के मेंबर काले रंग का कुर्ता, गले में काला कपड़ा, आंखों में काजल और माथे पर लाल टीका लगाया करते थे। वह अपने सोशल मीडिया पर हथियारों के साथ धमकाने और दहशत फैलाने वाले पोस्ट अपलोड करता था।

18 साल की उम्र में चले नौ मुकदमे

दुर्लभ कश्यप की गैंग सुपारी लेना, हफ्ता वसूली करना, रंगदारी करना, लूटपाट जैसे अपराधों को अंजाम देती थी। पुलिस के लिए दुर्लभ कश्यप और उसकी गैंग सर दर्द बन चुकी थी। केवल 18 साल की उम्र में दुर्लभ कश्यप पर 9 मामले दर्ज हो चुके थे।

दुर्लभ कश्यप की गिरफ्तारी

दुर्लभ कश्यप के गिरफ्तारी में सोशल मीडिया ने काफी ज्यादा मदद की। दुर्लभ कश्यप सोशल मीडिया के जरिए अपराधों को अंजाम देता था। किसी भी तरह का अपराध करना हो या अपने गैंग को कंट्रोल करना हो, वह सोशल मीडिया के जरिए ही सब कुछ करता था, जिसके कारण पुलिस को उसके बारे में पता चला।

जब उज्जैन शहर में दुर्लभ कश्यप के गैंग का अत्याचार बहुत ज्यादा बढ़ने लगा तब वहां के तत्कालीन एसपी आईपीएस सचिन अतुलकर ने दुर्लभ कश्यप के खिलाफ हिस्ट्री सीटर लिस्ट निकालकर एक ऑपरेशन चलाया।

आखिरकार 27 अक्टूबर 2018 को पुलिस दुर्लभ कश्यप को पकड़ने में सफल हुई, उसके साथ ही उसके गैंग के 23 साथियों को भी पुलिस ने पकड़ा।

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जेल से रिहाई

दुर्लभ कश्यप को जब गिरफ्तार किया गया था, उस समय उसे बालिक होने में 12 दिन बाकी थे, जिसके कारण उसे जेल के बजाय बाल सुधार गृह में भेजा जाता है ताकि बालिक होने के बाद उसे बड़ों के जेल में भेजा जा सके।

जैसे ही वह बालिक होता है, उसे बड़ों के जेल में भेज दिया जाता है। जेल में 1 साल रहने के बाद उसकी वेल रिहाई हो जाती है। दुर्लभ कश्यप जब जेल में था, उस दौरान भी उसकी गैंग आपराधिक मामलों में सक्रिय थी।

दुर्लभ कश्यप की मौत

जेल से छूटने के बाद दुर्लभ कश्यप कुछ दिन तक इंदौर में रहने लगा था लेकिन लॉकडाउन के कारण आगे भी इंदौर में ही कुछ दिन फंस गया।

जैसे ही लॉकडाउन खत्म हुआ, वह अपनी मां के साथ रहने के लिए उज्जैन चला गया। उज्जैन में एक रात जब दुर्लभ भोजन कर रहा था, उसी समय उसके चार दोस्त उसे खाना खाकर बाहर टहलने के लिए बुलाते हैं।

दुर्लभ और उसके चारों दोस्त एक चाय के ठेले के पास चाय की दुकान पर पहुंचते हैं, जहां पर उज्जैन का एक लोकल गुंडा शाहनवाज के गैंग के साथ उसका आमना सामना होता है। उस गैंग के साथ दुर्लभ का बनता नहीं था, जिसके कारण पहले भी वे दोनों आमने-सामने आ चुके थे। चाय पीने के दौरान ही दोनों के बीच बहस होती है।

फिर झगड़ा शुरू हो जाता है। झगड़ा इस हद तक आगे बढ़ जाता है कि दुर्लभ गुस्से में आकर अपना पिस्तौल निकालता है और शहनवाज पर फायरिंग कर देता है, जिससे उसका कंधा घायल हो जाता है।

यह होते ही शाहनवाज की गैंग के लोग दुर्लभ और उसके चार दोस्तों पर हमला करते हैं। लेकिन उसके चार दोस्त अपनी जान बचाकर जैसे तैसे भाग जाते हैं लेकिन दुर्लभ वहीं पर फंस जाता है।

शाहनवाज की गैंग के लोग दुर्लभ पर 34 बार चाकू से हमला करते हैं। इस तरह 6 सितंबर 2020 के रात 2:00 बजे दुर्लभ कश्यप की हत्या हो जाती है।

निष्कर्ष

इस पोस्ट में आपने मध्य प्रदेश के उज्जैन का एक कुख्यात गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप कौन था और कैसे मरा (durlabh kashyap history in hindi) के बारे में जाना। उसके प्रारंभिक जीवन से लेकर उसके गैंगस्टर बनने तक की सारी दुर्लभ कश्यप की कहानी इस पोस्ट में आपको बताई।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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