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पण्डित दीनदयाल उपाध्याय विचार

Deen Dayal Upadhyaya Quotes in Hindi

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Deen Dayal Upadhyaya Quotes in Hindi | पण्डित दीनदयाल उपाध्याय विचार

पश्चिमी विज्ञान और पश्चिमी जीवन शैली दो अलग-अलग चीजें हैं.
चूँकि पश्चिमी विज्ञान सार्वभौमिक है
और हम आगे बढ़ने के लिए इसे अपनाना चाहिए,
लेकिन पश्चिमी जीवनशैली और मूल्यों के सन्दर्भ में यह सच नहीं है

जब हमारा स्वाभाव धर्म के सिद्धांतो के
जरिये बदलता है तब हमें संस्कृति
और सभ्यता की प्राप्ति होती है।

अवसरवाद ने राजनीति में लोगों
के विश्वास को हिला कर रख दिया है .

व्यक्ति को वोट दें, बटुए को नहीं,
पार्टी को वोट दें, व्यक्ति को नहीं;
सिद्धांत को वोट दें, पार्टी को नहीं.

यह परम आवश्यक है कि हम
‘हमारी राष्ट्रीय पहचान’ के बारे में
सोचें जिसके बिना ‘स्वतंत्रता’ का कोई अर्थ नहीं है।

स्वतंत्रता तभी सार्थक हो सकती है
यदि वो हमारी संस्कृति की
अभिव्यक्ति का साधन बन जाए.

नैतिकता के सिद्धांतों को कोई एक
व्यक्ति नहीं बनाता है,
बल्कि इनकी खोज की जाती है.

आजादी केवल तभी सार्थक हो सकती है,
जब यह हमारी संस्कृति की
अभिव्यक्ति का जरिया बनती है

धर्म एक बहुत ही व्यापक अवधारणा है
जो समाज को बनाए रखने के जीवन के
सभी पहलुओं से संबंधित है। हमारे देश में
नैतिकता के सिद्धांतों का पालन करना धर्म कहा जाता है।

भारतीय संस्कृति की मौलिक विशेषता है
कि यह जीवन को एक एकीकृत समग्र रूप में देखती है

एक देश लोगो का समूह होता है जो एक लक्ष्य,
एक आदर्श, एक मिशन के साथ जीते है,
इस धरती के टुकड़े को मातृभूमि के रूप में देखते है।
यदि आदर्श या मातृभूमि इन दोनों में से
कोई एक भी नही है तो इस देश का अस्तित्व नही है।

मानवीय और राष्ट्रीय दोनों तरह से,
यह आवश्यक हो गया है
कि हम भारतीय संस्कृति के सिद्धांतों के बारे में सोचें

यदि समाज के हर वर्ग का हर व्यक्ति
शिक्षित होगा तभी वह समाज के
प्रति अपने दायित्वों को पूरा करने में समर्थ हो

भारत में नैतिकता के
सिद्धांतों को धर्म कहा जाता है
– जीवन जीने की विधि.

अपने राष्ट्रीय पहचान की उपेक्षा
भारत के मूलभूत
समस्याओं का प्रमुख कारण है.

धर्म के लिए निकटतम समान अंग्रेजी शब्द ‘जन्मजात कानून’
हो सकता है. हालाँकि यह भी धर्म के पूरा अर्थ
को व्यक्त नहीं करता है. चूँकि धर्म सर्वोच्च है,
हमारे राज्य के लिए आदर्श ‘धर्म का राज्य’ होना चाहिए

भारत जिन समस्याओं का सामना कर रहा है
उसका प्रमुख कारण इसकी
‘राष्ट्रीय पहचान ’ की उपेक्षा है।

मानवीय ज्ञान आम संपत्ति है .

अवसरवादिता ने राजनीति में
लोगों के विश्वास को हिला दिया है.

जिस राज्य में समस्त शक्तियां
(राजनीतिक और आर्थिक दोनों) समाहित होती हैं
तब परिणामस्वरुप धर्म की गिरावट होता है।

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Deen Dayal Upadhyaya Quotes in Hindi

अनेकता में एकता और विभिन्न रूपों में
एकता की अभिव्यक्ति
भारतीय संस्कृति की सोच रही है .

सिद्धांतहीन अवसरवादी लोगों ने
हमारे देश की राजनीति का बागडोर संभाल रखा है.

धर्म एक बहुत व्यापक अवधारणा है
जो समाज को बनाए रखने के
जीवन के सभी पहलुओं से संबंधित है

मौकापरस्ती ने राजनीति में
लोगों के विश्वास को हिला दिया है।

जब स्वाभाव को धर्म के
सिद्धांतों के अनुसार बदला जाता है ,
तब हमें संस्कृति और सभ्यता प्राप्त होते हैं .

जब अंग्रेज हम पर राज कर रहे थे,
तब हमने उनके विरोध में गर्व का अनुभव किया,
लेकिन हैरत की बात है कि अब
जबकि अंग्रेज चले गए हैं,
पश्चिमीकरण प्रगति का पर्याय बन गया है.

समाज को हर व्यक्ति को ढंग शिक्षित करना होगा,
तभी वह समाज के प्रति दायित्वों
को पूरा करने में करने सक्षम होगा

किसी सिद्धांत को ना मानने वाले
अवसरवादी हमारे देश की
राजनीति नियंत्रित करते हैं।

शक्ति अनर्गल व्यवहार में व्यय न हो बल्कि
अच्छी तरह विनियमित
कार्रवाई में निहित होनी चाहिए

अंग्रेजी का शब्द ‘रिलिजन’ धर्म के लिए सही शब्द नहीं है।
चूँकि धर्म सर्वोच्च है,
हमारे राज्य के लिए आदर्श ‘धर्म का राज्य’ होना चाहिए।

पिछले 1000 वर्षों में जबरदस्ती या अपनी इच्छा से,
चाहे जो कुछ भी हमने ग्रहण किया है –
अब उसे ख़ारिज नहीं किया जा सकता.

जब स्वभाव को धर्म के सिद्धांतों
के अनुसार बदला जाता है,
तो हमें संस्कृति और सभ्यता प्राप्त होते हैं

हमने थिंग्स-ब्रिटिश का विरोध करने में गर्व महसूस किया,
जब वे (अंग्रेज ) हम पर शाशन करते थे,
लेकिन अजीब तरह से, अब जब अंग्रेजों ने छोड़ दिया है,
तो हमारे लिए पश्चिमीकरण प्रगति का पर्याय बन गया है।

ये ज़रूरी है कि हम ‘ हमारी राष्ट्रीय पहचान ’
के बारे में सोचें जिसके बिना
‘स्वतंत्रता ’ का कोई अर्थ नहीं है .

मानवीय ज्ञान आम संपत्ति है.

जीवन में विविधता और बहुलता है
लेकिन हमने हमेशा उनके पीछे
छिपी एकता को खोजने का प्रयास किया है

एक व्यक्ति को शिक्षित करना एक निवेश है
क्योंकि आगे चलकर शिक्षित
व्यक्ति समाज की सेवा करेगा।

धर्म के मूल सिद्धांत शाश्वत और सार्वभौमिक हैं. हालांकि ,
उनका क्रियान्वन समय ,
स्थान और परिस्थितियों के
अनुसार अलग -अलग हो सकता है

मानव प्रकृति में दो प्रवृत्तियां आमने सामने रही हैं –
एक ओर क्रोध और लालच
तो दूसरी ओर प्रेम और बलिदान।

हम लोगों ने अंग्रेजी वस्तुओं का विरोध करने में
तब गर्व महसूस किया था जब वे (अंग्रेज )
हम पर शाशन करते थे , पर हैरत की बात है ,
अब जब अंग्रेज जा चुके हैं ,
पश्चिमीकरण प्रगति का पर्याय बन चुका है .

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Deen Dayal Upadhyaya Quotes in Hindi

हमारी राष्ट्रीयता का आधार भारत माता हैं,
केवल भारत ही नहीं. माता शब्द हटा दीजिये
तो भारत केवल जमीन का
टुकड़ा मात्र बनकर रह जायेगा

मुसलमान हमारे शरीर का
शरीर और खून का खून है।

पिछले एक हज़ार वर्षों में हमने जो भी
आत्मसात किया चाहे वो हम पर
थोपा गया या हमने स्वेच्छा से अपनाया

भारतीय संस्कृति की मूलभूत विशेषता है
कि यह जीवन को एक एकीकृत रूप में देखती है.

जब राज्य में समस्त शक्तियां समाहित होती हैं –
राजनीतिक और आर्थिक दोनों –
परिणामस्वरुप धर्म की गिरावट होता है

भले ही भारतीय जीवन में अनेक विविधता और
बहुलता देखने को मिलती है लेकिन हमे
इनके पीछे छिपी हुई एकता को
खोजने का प्रयास करना चाहिये।

धर्म बहुत व्यापक अवधारणा है
जो समाज को बनाए रखने के लिये
जीवन के सभी पहलुओं से संबंधित है

नैतिकता के सिद्धांत किसी के
द्वारा बनाये नहीं जाते ,
बल्कि खोजे जाते हैं .

बीज की एक इकाई विभिन्न रूपों में प्रकट होती है –
जड़ें, तना, शाखाएं, पत्तियां, फूल और फल.
इन सबके रंग और गुण अलग-अलग होते हैं.
फिर भी बीज के द्वारा हम इन
सबके एकत्व के रिश्ते को पहचान लेते हैं.

आजादी सार्थक तभी हो सकती है
जब यह हमारी संस्कृति की
अभिव्यक्ति का साधन बन जाए

पिछले 1000 वर्षों में हमने जो कुछ भी आत्मसात किया है-
चाहे वह हम पर मजबूर हो या हमने इच्छा
के साथ लिया हो-अब उसे चाहकर
भी नही छोड़ा जा सकता है।

अंग्रेजी शब्द रिलिजन,
धर्म के लिए सही शब्द नहीं है .

धर्म के मौलिक सिद्धांत अनन्त और सार्वभौमिक हैं.
हालांकि, उनके कार्यान्वयन का समय और
स्थान परिस्थितियों के अनुसार भिन्न हो सकती है.

मानवीय ज्ञान आम संपत्ति है।

धर्म एक बहुत व्यापक विचार है
जो समाज को बनाये रखने के
सभी पहलुओं से सम्बंधित है .

भारत के सामने समस्याएँ आने का
प्रमुख कारण, अपनी
‘राष्ट्रीय पहचान’ की उपेक्षा है

धर्म के मौलिक सिद्धांत अनन्त और सार्वभौमिक हैं।
हालांकि, उनके कार्यान्वयन का
समय और स्थान परिस्थितियों के अनुसार भिन्न हो सकता है।

धर्म के मूल सिद्धांत शाश्वत और सार्वभौमिक हैं.
हालांकि , उनका क्रियान्वन समय ,
स्थान और परिस्थितियों के
अनुसार अलग -अलग हो सकता है .

धर्म के मौलिक सिद्धांत अनन्त और सार्वभौमिक हैं.
हालांकि, उनके कार्यान्वयन का समय
और स्थान परिस्थितियों के अनुसार भिन्न हो सकती है

एक बीज , जड़ों , तानों , शाखाओं , पत्तियों ,
फूलों और फलों के रूप में अभिवयक्त होता है .
इन सभी के अलग -अलग रूप , रंग और गुण होते हैं .
फिर भी हम बीज के माध्यम से
उनकी एकता के सम्बन्ध को पहचानते हैं .

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Deen Dayal Upadhyaya Quotes in Hindi

विविधता में एकता और विभिन्न रूपों में
एकता की अभिव्यक्ति भारतीय संस्कृति
की विचारधारा में रची- बसी हुई है.

शक्ति हमारे असंयत व्यवहार में
नहीं बल्कि संयत कार्रवाई में निहित है।

यहाँ भारत में , हमने अपने समक्ष मानव के
समग्र विकास के लिए शरीर , मन , बुद्धि और
आत्मा की आवश्यकताओं की पूर्ती करने
की चार -स्तरीय जिम्मेदारियों का आदर्श रखा है

मानवीय स्वभाव में दोनों प्रवृतियाँ हैं –
क्रोध और लालच एक हाथ पर
तो दूसरे पर प्यार और बलिदान

दोनों राष्ट्रीय और मानवीय दृष्टिकोण से,
यह आवश्यक हो गया है कि हम
भारतीय संस्कृति के सिद्धांतों के बारे में सोचें

धर्म , अर्थ , काम , मोक्ष ( चार पुरुषार्थ ) की
लालसा मनुष्यों में जन्मजात होती है
और समग्र रूप में इनकी संत्सुष्टि
भारतीय संस्कृति का सार हैं .

हमे सही व्यक्ति को वोट देना चाहिए न की उसके बटुए को,
पार्टी को वोट दे किसी व्यक्ति को नही,
किसी पार्टी को वोट न दे बल्कि
उसके सिद्धांतो को वोट देना चाहिए।

जब राज्य सभी शक्तियों , दोनों राजनीतिक
और आर्थिक का अधिग्रहण कर लेता है ,
तो इसका परिणाम धर्म का पतन होता है .

अंग्रेजी का शब्द रिलिजन धर्म के
लिए सही शब्द नहीं है.

डाल दे जान मआ’नी में वो उर्दू ये है
करवटें लेने लगे तब्अ वो पहलू ये है

भारतीय संस्कृति की यह मूल विशेषता है
की यह जीवन को विशाल
और वृहद् रूप में देखती है।

इस गुलिस्ताँ में बहुत कलियाँ मुझे तड़पा गईं
क्यूँ लगी थीं शाख़ में क्यूँ बे-खिले मुरझा गईं

डिनर से तुम को फ़ुर्सत कम यहाँ फ़ाक़े से कम ख़ाली
चलो बस हो चुका मिलना न तुम ख़ाली न हम ख़ाली

अपने राष्ट्र की पहचान को भुलाना
भारत के मूलभूत समस्या का प्रमुख कारण है।

यहाँ भारत में, व्यक्ति के एकीकृत प्रगति को
हासिल के विचार से, हम स्वयं से पहले शरीर,
मन, बुद्धि और आत्मा की चौगुनी
आवश्यकताओं की पूर्ति का आदर्श रखते हैं।

रिलिजन का मतलब एक पंथ या संप्रदाय है
और इसका मतलब धर्म तो कतई नहीं.

आई होगी किसी को हिज्र में मौत
मुझ को तो नींद भी नहीं आती

मानव प्रकृति में दोनों प्रवृत्तियां रही हैं –
एक ओर क्रोध और लालच तो
दूसरी ओर प्रेम और बलिदान।

ग़म-ख़ाना-ए-जहाँ में वक़अत ही क्या हमारी
इक ना-शुनीदा उफ़ हैं इक आह-ए-बे-असर हैं

संघर्ष सांस्कृतिक स्वभाव का एक संकेत नहीं है
बल्कि यह उनके गिरावट का एक लक्षण है।

इस क़दर था खटमलों का चारपाई में हुजूम
वस्ल का दिल से मिरे अरमान रुख़्सत हो गया

आह जो दिल से निकाली जाएगी
क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी

इश्क़ के इज़हार में हर-चंद रुस्वाई तो है
पर करूँ क्या अब तबीअत आप पर आई तो है

आशिक़ी का हो बुरा उस ने बिगाड़े सारे काम
हम तो ए.बी में रहे अग़्यार बी.ए हो गए

इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद
अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता

अब तो है इश्क़-ए-बुताँ में ज़िंदगानी का मज़ा
जब ख़ुदा का सामना होगा तो देखा जाएगा

इश्वा भी है शोख़ी भी तबस्सुम भी हया भी
ज़ालिम में और इक बात है इस सब के सिवा भी

अगर मज़हब ख़लल-अंदाज़ है मुल्की मक़ासिद में
तो शैख़ ओ बरहमन पिन्हाँ रहें दैर ओ मसाजिद में

किस नाज़ से कहते हैं
वो झुँझला के शब-ए-वस्ल
तुम तो हमें करवट भी बदलने नहीं देते

जो कहा मैं ने कि प्यार आता है मुझ को तुम पर
हँस के कहने लगा और आप को आता क्या है

अक़्ल में जो घिर गया ला-इंतिहा क्यूँकर हुआ
जो समा में आ गया फिर वो ख़ुदा क्यूँकर हुआ

कुछ नहीं कार-ए-फ़लक हादसा-पाशी के सिवा
फ़ल्सफ़ा कुछ नहीं अल्फ़ाज़-तराशी के सिवा

क्या वो ख़्वाहिश कि जिसे
दिल भी समझता हो हक़ीर
आरज़ू वो है जो सीने में रहे नाज़ के साथ

एक काफ़िर पर तबीअत आ गई
पारसाई पर भी आफ़त आ गई

तुम्हारे वाज़ में तासीर तो है हज़रत-ए-वाइज़
असर लेकिन निगाह-ए-नाज़ का भी कम नहीं होता

ज़रूरी चीज़ है इक तजरबा भी ज़िंदगानी में
तुझे ये डिग्रियाँ बूढ़ों का हम-सिन कर नहीं सकतीं

तुम नाक चढ़ाते हो मिरी बात पे ऐ शैख़
खींचूँगी किसी रोज़ मैं अब कान तुम्हारे

उन्हें भी जोश-ए-उल्फ़त हो
तो लुत्फ़ उट्ठे मोहब्बत का
हमीं दिन-रात अगर तड़पे
तो फिर इस में मज़ा क्या है

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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