टोपीवाला और बंदर की कहानी | Cap Seller Story in Hindi
एक बार की बात है, एक टोपी बेचने वाला जंगल से होते हुए एक गाँव जा रहा था। यह गर्मियों के दिनों कि बात है, इसलिए उसने एक पेड़ के नीचे लेटने और कुछ देर के लिए सोने का फैसला किया जब तक कि सूरज ढल नहीं जाता। बहुत ही थके होने के कारण उसे जल्दी ही नींद आ गई।
जब वह सो रहा था तो कई बंदर पेड़ से नीचे उतर आए और टोपी बेचने वाले का बैग खींच लिया। उन्होंने बैग खोला तो अंदर रंगीन टोपियां मिलीं, बंदरों ने टोपी उठाई और पेड़ों पर चढ़ गए। टोपी बेचने वाला कुछ देर बाद उठा और अपने खुले बैग और सभी बंदरों को अपनी टोपी का उपयोग करते हुए देखकर हैरान रह गया।
टोपी बेचने वाला बहुत परेशान हो गया, वह बंदरों पर चिल्ला ने लगा। बंदरों ने उस पर चिल्लाया, इससे टोपी बेचने वाला और अधिक चिढ़ गया। उसने जमीन से कुछ पत्थर उठाए और उन्हें बंदरों पर फेंके। इस बार बंदरों ने अपने हाथ में रखे फलों को टोपी बेचने वाले पर फेंक दिया।
बंदरों की इस हरकत से टोपी बेचने वाला हैरान रह गया। उसने एक पल सोचा। इस बार, उसने टोपी को उतार दिया, जो कि उसने पहनी हुई थी और उसे जमीन पर फेंक दिया। जो बंदर उसे देख रहे थे, उन्होंने भी ठीक ऐसा ही किया। उन्होंने सारी टोपियां जमीन पर फेंक दीं।
टोपी बेचने वाले ने सभी टोपियां एकत्र की, उन्हें वापस अपने बैग में भर दिया और उन टोपीयों को बेचने के लिए दूसरे गांव चला गया।
सीख (Moral Of The Story)
इस कहानी से हमें सीखने क़ मिलता है कि टोपी बेचने वाला अपनी बुद्धि और चतुराई का इस्तेमाल करके बंदरों से अपनी सारी टोपियां वापस ले लेता है। तो इस कहानी का moral है “ज्ञान सबसे बड़ा हथियार है, जिसे कोई भी साथ ले जा सकता है”।
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